BDC Kya Hai Aur BDC ka Full Form: हम सब जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि का कार्य मुख्य रूप से गांव में किया जाता है। जिस वजह से भारत की अधिकांश जनसंख्या गांव में निवास करती है। गांव को प्रगति की ओर बढ़ाने के लिए वहां पर सभी प्रकार की सुविधाओं को लाने के लिए सरकार वहां से सीधा जनप्रतिनिधि को चुनौती है और उनका एक संगठन बनाती है।
जिस वजह से आप हर गांव में पंचायत और बीडीसी सदस्य के बारे में सुने होंगे। अगर आप जानना चाहते हैं कि बीडीसी क्या है और इसकी तनख्वाह कितनी होती है तो आज के लेख में हमने इस विभाग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रस्तुत किया है।
भारत बहुत घनी आबादी वाला देश है। यहां हर एक जगह को प्रगति पूर्ण बनाने में बहुत अधिक पैसा और काबिलियत की आवश्यकता है, जिसके लिए भारत के हर नागरिक को बिडीसी क्या है और इसकी तनख्वाह कितनी है के बारे में जानकारी पता होनी चाहिए।
अगर आप इस नौकरी में कैसे आवेदन करें और इसकी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्या होती है जैसी कुछ आवश्यक जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारे लेख के साथ अंत तक बने रहे।
बीडीसी (BDC) क्या है?, फुल फॉर्म, वेतन और कैसे बनें? | BDC Kya Hai Aur BDC ka Full Form
BDC क्या है?
जैसा कि हमने आपको बताया भारत एक घनी आबादी वाला देश है, जहां पर अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं और कृषि का अधिकांश कार्य गांव में होता है। जिस वजह से भारत की 67% जनसंख्या गांव में निवास करती है।
अब जैसा कि अधिकांश लोग गांव में रहते है तो उस इलाके को प्रगति पूर्ण बनाना बहुत आवश्यक है ताकि वहां रहने वाले सभी लोगों को सभी प्रकार की अच्छी सुविधा मिल सके। जिसके लिए गांव के लोगों में से ही सीधा जनप्रतिनिधि चुना जाता है, जिसमें गांव के सरपंच मुखिया वार्ड मेंबर आते हैं और इन सब में से BDC को चुना जाता है।
हम कह सकते हैं कि एक गांव में जितने भी जनप्रतिनिधि होते हैं, उन सबको बीडीसी कहा जाता है। उसमें से चुनाव प्रक्रिया के द्वारा किसी एक को ब्लॉक प्रमुख चुना जाता है, जिसे बीडीसी प्रमुख भी कहा जाता है।
इस तरह की चुनाव प्रक्रिया ग्रामीण क्षेत्र में होती है। यह बहुत ही निचले स्तर की चुनाव प्रक्रिया है, जिसमें गांव के जनप्रतिनिधि के बीच चुनाव होता है ताकि उनका बीडीसी प्रमुख को चुना जा सके। इस बीडीसी प्रमुख का कार्य होता है गांव पंचायत को कार्य सौंपना।
उदाहरण के तौर पर गांव में कार्य करते सरपंच, मुखिया, वार्ड और अन्य का एक संगठन बनाया जाता है, इन्हें बीडीसी कहा जाता है। इन में से किसी एक को ब्लॉक प्रमुख बनाया जाता है, जो सरकार के तरफ से आने वाले सभी कार्य को अलग-अलग क्षेत्र में पहुंचाता है।
सरल शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि बीडीसी का कार्य गांव में नाहर खोद वाना, चापाकल लगवाना, रोड बनवाना और खेती के लिए आई योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना है।
बीडीसी का फुल फॉर्म (BDC full form)
BDC का फुल फॉर्म Block Development Council होता है। इसे हिंदी में “प्रखंड विकास समिति” कहा जाता है।
इस संगठन का मुख्य कार्य गांव में कार्य कर रहे जनप्रतिनिधि को सरकार के द्वारा लाई गई योजनाओं की जानकारी देना और उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुसार कार्य सौंपना होता है।
इसके अलावा इस शब्द के अन्य फुल फॉर्म भी होते हैं, उनमें से एक प्रचलित फुल फॉर्म का नाम है बिजनेस डेवलपमेंट कंपनी। अर्थात वे ऐसी कंपनी जो किसी व्यापार को बड़ा बनाने का कार्य करती है, उसे भी बीडीसी शब्द से संबोधित किया जाता है।
बीडीसी कैसे बनाते है?
अगर ऊपर बताई गई जानकारी को पढ़ने के बाद आप समझ पाए हैं कि बीडीसी क्या होता है और यह किस प्रकार कार्य करता है तो आपको बता दें कि बीडीसी बनाने के लिए ग्राम सभा की जनता सीधे रूप से इलेक्शन में भाग लेती है और इलेक्शन की प्रक्रिया को पूर्ण कर के बीडीसी सदस्य को चुना जाता है।
एक गांव में अलग-अलग क्षेत्र के लिए वार्ड होते है, उस वार्ड मेंबर इलाके में आने वाली जनता उस वार्ड क्षेत्र की तरफ से इलेक्शन में भाग ले सकती है। अधिकांश जगहों पर वार्ड मेंबर स्वयं ही उस इलाके से इस इलेक्शन में हिस्सा लेते हैं और जनता सीधे रूप से वोट देकर अलग-अलग क्षेत्र के लिए एक बीडीसी सदस्य चुनती है। एक गांव में एक से अधिक बीडीसी सदस्य हो सकते है।
इस प्रकार अलग-अलग छेत्र से बीडीसी सदस्य चुन आने के बाद उन सबके बीच इलेक्शन करवाया जाता है ताकि ब्लाक प्रमुख या बीडीसी प्रमुख चुना जा सके। इस तरह के अलग-अलग वार्ड सदस्य के क्षेत्र से इलेक्शन करवाने की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है।
बीडीसी की तनख्वाह कितनी होती है?
आपके गांव में अगर कोई बीडीसी है और आप उसका वेतन जानना चाहते हैं तो बता दें कि बीडीसी सदस्य को भारत के किसी राज्य में सैलरी दी जाती है तो किसी राज्य में इसकी कोई तनख्वाह निर्धारित नहीं की गई है। आमतौर पर आपको कहीं भी बीडीसी की तनख्वाह लिखित रूप में नहीं दिखाई देगी।
भारत के कुछ राज्य में बीडीसी सदस्य को ₹4500 रुपए तनख्वाह के रूप में दी जाती है तो किसी जगह बीडीसी सदस्य को कोई तनख्वाह नहीं दी जाती है। वर्तमान समय में सरकार की तरफ से इसके ऊपर किसी भी प्रकार का एक्शन नहीं लिया जा रहा है। जिस वजह से हम कह सकते हैं कि बीडीसी की कोई भी निर्धारित तनख्वाह तय नहीं की गई है।
FAQ
BDC का फुल फॉर्म Block Development Council होता है।
किसी गांव में अलग-अलग वार्ड क्षेत्र के हिसाब से ग्राम सभा के लोग इलेक्शन में खड़ा होते हैं और जो भी उस इलेक्शन को जीता है, उसे डीडीसी कहा जाता है। जो गांव के अलग-अलग क्षेत्र में कार्य करने की प्रक्रिया को जनप्रतिनिधि के बीच बांटता है।
किसी गांव या ग्राम सभा में एक से अधिक बीडीसी हो सकता है। अगर आप बीडीसी बनना चाहते हैं तो आपको अपने वार्ड क्षेत्र से बीडीसी इलेक्शन में खड़ा होना है, जिस इलेक्शन को जीतने के पश्चात आप वहां के बीडीसी बन जाएंगे। उसके बाद जितने भी बीडीसी सदस्य होते हैं, उनके बीच सिलेक्शन होता है ताकि ब्लाक प्रमुख या बीडीसी प्रमुख चुना जा सके।
निष्कर्ष
हमने आज के इस लेख में आप सभी लोगों को बीडीसी क्या है? एवं इसकी तनख्वाह कितनी है? के बारे में विस्तार पूर्वक पर जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आप लोगों के लिए काफी ज्यादा हेल्पफुल और यूज़फुल साबित हुई होगी। यदि इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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