अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Apane munh miyaan mitthoo banaana muhaavare ka Arth Aur Vakya Pryog )
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना मुहावरे का अर्थ– अपनी बड़ाई आप ही करना, स्वयं ही अपनी बड़ाई करना , स्वयं ही अपनी प्रशंसा करना ।
Apane munh miyaan mitthoo banaana muhaavare ka arth– apanee badaee aap hee karana, svayan hee apanee badaee karana , svayan hee apanee prashansa karana .
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: राधा तो है एक स्कूल टीचर लेकिन वह ऐसे दिखाती है जैसे लगता है कि वह किसी स्कूल की प्रधानाध्यापिका हो इसे कहते हैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना मीरा खाना तो ठीक ही पकाती है लेकिन वह ऐसे दिखाती है जैसे कि वह मास्टर से हो और कैसी हो जैसे कि वह एक बावर्ची हो इसे कहते हैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना।
वाक्य प्रयोग: महेंद्र काम तो एक छोटी सी कंपनी में करता है लेकिन वह ऐसे दिखाता है जैसे की बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एक बहुत ही ऊंचे पद पर हो इसे कहते हैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना।
वाक्य प्रयोग: मोहन ने कक्षा में एक सवाल का जवाब देकर ऐसे दिखा रहा था जैसे कि दूसरा कोई उस कक्षा में विद्वान ना हो इसे कहते हैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना।
वाक्य प्रयोग: सीता एक साधारण सी लड़की है लेकिन वह ऐसे दिखाती है कि उसके समान दूसरा कोई भी सुंदर लड़की नहीं है इसे कहते हैं अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना।
यहां हमने “अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनाना” जैसे बहुचर्चित मुहावरे का अर्थ और उसका वाक्य प्रयोग द्वारा समझेंगे अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने का अर्थ होता है कि खुद ही खुद की प्रशंसा करना और खुद की प्रशंसा पर अत्यधिक प्रसन्न होना जबकि अच्छे व्यक्ति और ज्ञानी व्यक्तियों को इन सारी चीजों से कोई मतलब नहीं होता जो ज्ञानी व्यक्ति होता है उनके लिए प्रशंसा और उसकी बुराई से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और लोगों को ऐसे ही विचार को रखना चाहिए और खुद की प्रशंसा से बचना चाहिए क्योंकि असली प्रशंसा वह होती है। जब लोग दूसरों के मुंह से सुनते हैं जिस व्यक्ति की प्रशना प्रशंसा दूसरों के मुंह से होती है वह प्रशंसा असली प्रशंसा होती है ना कि वह प्रशंसा जो कि आप खुद करते हैं और खुद ही अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते हैं।
अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना लोगों के लिए उस समय ज्यादा खतरनाक हो जाता है जब वह उस प्रशंसा के कारण बहुत बड़े मुसीबत में फंस जाते हैं और उस मुसीबत से निकलने के लिए उन्हें कोई दूसरा रास्ता नहीं मिलता इस पर कई कहानियां प्रचलित है जिसे आप सुनकर जानकर पढ़कर जान सकते हैं।
मुहावरे परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई मुहावरे हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए मुहावरे ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी किसी का भी मुहावरे पूछा जा सकता है।
मुहावरे का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में मुहावरे पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से मुहावरे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरे का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरे कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
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