Amavasya Kab Hai: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। अमावस्या और पूर्णिमा को हम सामान्य रूप से इतना ही समझते हैं कि पूर्णिमा में चांद पूर्ण दिखाई देता है, वहीं अमावस्या के दिन चांद पूरी तरह से गायब हो जाता है।
हर महीने कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद शुक्ल पक्ष की शुरुआत होती है। साल में कुल 12 अमावस्या होते हैं। हर साल अमावस्या हर महीने अलग-अलग तारीख को आता है।
इस लेख में अमावस्या कब है 2024 में के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही यह भी जानेंगे कि अमावस्या के दिन क्या करना शुभ होता है और क्या करना अशुभ होता है।
अमावस्या कब है 2024 (Amavasya Kab Hai)
दिनांक | वार | महीना | अमावस्या |
11 जनवरी | गुरुवार | पौष | पौष अमावस्या |
09 फरवरी | शुक्रवार | माघ | माघ अमावस्या |
10 मार्च | रविवार | फाल्गुन | फाल्गुन अमावस्या |
08 अप्रैल | सोमवार | चैत्र | चैत्र अमावस्या |
08 मई | बुधवार | वैशाख | वैशाख अमावस्या |
06 जून | गुरुवार | ज्येष्ठ | ज्येष्ठ अमावस्या |
05 जुलाई | शुक्रवार | आषाढ़ | आषाढ़ अमावस्या |
04 अगस्त | रविवार | श्रावण | श्रावण अमावस्या |
02 सितंबर | सोमवार | भाद्रपद | भाद्रपद अमावस्या |
02 अक्टूबर | बुधवार | अश्विन | अश्विन अमावस्या |
01 नवंबर | शुक्रवार | कार्तिक | कार्तिक अमावस्या |
01 दिसंबर | रविवार | मार्गशीर्ष | मार्गशीर्ष अमावस्या |
30 दिसंबर | सोमवार | पौष | पौष अमावस्या |
अमावस्या क्या है?
हिंदू पंचांग में अमावस्या का काफी महत्व है। अमावस्या को बहुत से लोग अमावस के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग में महीने के 30 दिनों को 15-15 दिनों के दो पक्षों में विभाजित किया गया है। जिसमें 1 भाग को कृष्ण पक्ष और दूसरे भाग को शुक्ल पक्ष कहते हैं।
कृष्ण पक्ष में चंद्रमा घटते-घटते पूरी तरीके से लुप्त हो जाता है, वहीँ शुक्ल पक्ष में चंद्रमा धीरे-धीरे बढ़ते हुए पूर्ण रुप से दिखाई देने लगता है। जिस दिन चांद पूर्ण रूप से दिखाई देता है, उसे पूर्णिमा कहते हैं, जो शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन होता है।
क्योंकि इसके बाद से फिर चंद्रमा का घटना शुरू हो जाता है और फिर घटते घटते एक ऐसी तिथि आती है, जिस दिन चंद्रमा पूरी तरीके से लुप्त हो जाता है और वह तिथि कृष्ण पक्ष का अंत होता है।
इस तरीके से चंद्रमा की जो सॉल्वी कला होती है, उसे अमावस्या कहा जाता है। माना जाता है कि आवश्यक के तिथि पर चंद्रमा की यह कला जल में प्रविष्ट हो जाती है। इस दिन चंद्रमा का औषधियों में व्यस्त रहता है। अमावस्या के दिन धरती पर पूरी तरह अंधेरा छा जाता है।
अमावस्या शब्द की उत्पत्ति
चंद्रमा की कुल 16 कलाएं होती है और अमावस्या चंद्रमा की सोलवीं कला को कहा जाता है। चंद्रमा की सोलवीं कला को अमा कहा जाता है और इसी से अमावस्या शब्द का निर्माण हुआ है।
गणित और ज्योतिष की दृष्टि से अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि पर, एक ही कला पर और एक ही विक्ला पर अवस्थित होते हैं।
अमावस्या के स्वामी कौन होते हैं?
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि अमावस्या के स्वामी पितर होते हैं और अमावस्या के दिन पितरगण सूर्यास्त तक घर के द्वार पर वायु के रूप में रहते हैं।
ऐसे में किसी भी जातक के लिए पितरों का आशीर्वाद बहुत ही मायने रखता है। इसीलिए इस दिन पितरों को संतुष्ट और प्रसन्न करने के लिए लोग विशेष रूप से श्राद्ध और दान करते हैं।
अमावस्या मां लक्ष्मी की प्रिय तिथि
अमावस्या तिथि को बहुत जगह पर कई तरह के पर्व मनाए जाते हैं। अमावस्या तिथि को मां लक्ष्मी का सर्वाधिक प्रिय तिथि माना जाता है। यही कारण है कि कार्तिक मास की अमावस्या को दीपों का महापर्व दिवाली का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है।
कहा जाता है कि यदि इस तिथि पर मां लक्ष्मी की पूजा आराधना करें तो घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। इसीलिए बहुत से लोग अमावस्या के तिथि पर मां लक्ष्मी की पूजा आरती उनकी साधना करते हैं और रात्रि जागरण करते हैं, जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर उनके घर धन-धान्य बढ़ोतरी करती हैं।
अमावस्या व्रत के प्रकार
अमावस के दिन बहुत से लोग व्रत करते हैं और जैसे हमने आपको पहले ही बताया कि हर साल 12 अमावस पड़ती हैं और उन अमावस्या के नाम इस प्रकार हैं:
- सोमवती अमावस्या
- भौमवती अमावस्या
- मौनी अमावस्या
- शनि अमावस्या
- महालय अमावस्या
- हरियाली अमावस्या
- दिवाली अमावस्या
- कुछग्रहणी अमावस्या
- सर्वपितृ अमावस्या
उपरोक्त नौ अमावस्या के बाद बचे तीन अमावस्या महीने के जिस वार को आते हैं, उसे उसी वार के नाम से जाना जाता है।
सोमवती अमावस्या
सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन पड़ने वाले अमावस्या को कहते हैं। इस दिन बहुत सी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए विशेष तौर पर व्रत रखती हैं।
कहा जाता है इस दिन व्रत रखने से जिसके जीवन में चंद्र के नकारात्मक प्रभाव होते हैं, वह खत्म हो जाते हैं और उस जातक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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भौमवती अमावस्या
सोमवती अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को कहते हैं। इस दिन भी बहुत से लोग व्रत रखते हैं। इसका व्रत रखने से खासतौर पर कर्ज के संकट में पड़े लोग उभर जाते हैं।
मौनी अमावस्या
मौनी अमावस्या माघ मास में पड़ने वाली अमावस्या को कहते हैं। कहा जाता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था और उन्हीं पर से इस अमावस्या का नाम मौनी पड़ा। इस अमावस्या को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और सबसे ज्यादा साल में इसी अमावस्या पर लोग व्रत और उपवास रखते हैं।
कहा जाता है कि इस अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है। क्योंकि इस दिन गंगा नदी में देवी देवताओं का वास होता है। इसीलिए इस दिन गंगा स्नान बहुत ही ज्यादा महत्व रखता है। इसके अतिरिक्त दान पुण्य का भी विशेष महत्व है। क्योंकि दान पुण्य करने से सौ गुना ज्यादा पुण्य इस दिन लोग प्राप्त कर सकते हैं।
यदि मौनी अमावस्या पर पूरे विधि विधान के साथ मौन व्रत रखें तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मुनि पद की प्राप्ति होती है। यदि पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख पाते हैं तो स्नान और दान पुण्य करने से पहले सवा घंटे का मौन व्रत भी रख सकते हैं।
महालय अमावस्या
महालय अमावस्या पितर गणों का प्रिया अमावस्या होता है। कहा जाता है कि इस दिन सभी पितरो का विसर्जन होता है। इस दिन खास करके पितरों को प्रसन्न करने के लिए अन्य दान और जल अर्पण किया जाता है।
इस दिन बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से पसंद का भोजन बनाकर गाय, कौए और कुत्ते को खिलाया जाता है। साथ ही ब्राह्मणों को भी भोजन कराया जाता है।
कुछग्रहणी अमावस्या
कुछग्रहणी अमावस्या पिथौरा अमावस्या के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसे कुशोत्पाटिनी भी कहते हैं। इस दिन मनवांछित फल पाने के लिए इस अमावस्या व्रत करने का विशेष महत्व होता है।
शनि अमावस्या
शनि अमावस्या शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को कहते हैं। कहा जाता है कि जिसके जीवन पर शनि की बुरी दृष्टि रहती है, उसे बहुत ही कष्टों से गुजारना पड़ता है।
ऐसे में जिस जातक की कुंडली पर शनि दोष है, यदि वे शनि अमावस्या पर व्रत रखते हैं तो शनि के नकारात्मक दृष्टि से मुक्ति पा सकते हैं।
हरियाली अमावस्या
हरियाली अमावस्या श्रावण महीने में पड़ने वाली अमावस्या को कहते हैं। उड़ीसा में इस अमावस्या को लागी अमावस्या कहा जाता है। वहीँ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस अमावस्या को चुक्कला अमावस्या कहते हैं। महाराष्ट्र के लोग इसे गटारी अमावस्या कहते हैं।
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सर्वपितृ अमावस्या
सर्वपितृ अमावस्या पितरों को समर्पित होता है। इस दिन लोग उपवास रख के भूले बिसरे पितरों को याद करते हैं और उनसे क्षमा याचना मांगते हैं।
अमावस्या व्रत की विधि
- जो लोग अमावस्या का व्रत रखना चाहते हैं, उन्हें अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने चाहिए।
- स्नान करने के पश्चात पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कार्य करने चाहिए।
- उसके बाद हाथ में जल लेकर भगवान का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। यह व्रत शाम तक रखा जाता है।
- इस दिन मां लक्ष्मी और काली मां की पूजा भी विशेष मानी जाती है। इसीलिए इस दिन मां काली और मां लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना कर सकते हैं, उनकी आराधना कर सकते हैं।
- पीपल के वृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना जाता है। इस दिन पीपल के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए तीनों भगवान को याद करना चाहिए। उसके बाद श्रद्धा भाव से दान दक्षिणा ब्राह्मणों को देने के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
अमावस्या के दिन शुभ माने जाने वाले काम
- जैसा हमने आपको पहले ही बताया कि अमावस्या के स्वामी पितर होते हैं। इसीलिए इस दिन ज्योतिषी विज्ञान के अनुसार गंगा नदी या किसी भी नदी में खड़े होकर 14 दीपों को दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके नदी में प्रवाहित करने चाहिए। उसके बाद पितरों से अनजाने में हुई कोई गलती की क्षमा याचना करनी चाहिए। उनसे हमेशा कृपा अपनी बनाए रखने के लिए प्रार्थना करना चाहिए और पूर्ण श्रद्धा भाव से उन्हें विदाई देनी चाहिए।
- अमावस्या के दिन घर के बाहर वायु ग्रुप में पित्र लोग खड़े रहते हैं, इसीलिए घर के मुख्य द्वार पर भी दोनों तरफ दीपक जलाकर मन में पूर्वजों का पितृलोक वापस प्रस्थान का भाव रखना चाहिए, जिससे पित्र चित्रलोक की ओर वापस प्रस्थान करते हैं।
- इस दिन पितरो को मोक्ष की प्राप्ति हो, इसीलिए दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके सबसे पहले भगवान यमराज, चित्रगुप्त, रुद्र आदित्य को प्रणाम करना चाहिए।
- हर महीने अलग-अलग दिन को अमावस्या पड़ता है। सोमवार के दिन पढ़ने वाले अमावस्या के दिन यदि व्रत रखें तो पति की आयु लंबी होती है। क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव और मां पार्वती प्रसन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त दांपत्य जीवन में प्यार और सद्भाव भी बढ़ता है।
- अमावस के दिन ब्रह्माचार्य नियम का पालन करना चाहिए।
- जिनकी कुंडली में पित्र दोष होते हैं या फिर संतति का योग बना रहता है, उन्हें अमावस्या के दिन उपवास रखना चाहिए।
- अमावस्या के दिन घर के द्वार पर दान दक्षिणा के लिए आए व्यक्ति को अवश्य रूप से दान दक्षिणा देना चाहिए।
- अमावस के दिन घर में पूरी तरह से साफ सफाई करके चारों कोनों में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
- अमावस्या के दिन घर से अनुपयोगी वस्तुएं, खराब सामान और पुराने कपड़े बाहर निकाल देना चाहिए।
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अमावस्या के दिन क्या नहीं करने चाहिए?
- अमावस्या के दिन किसी भी बड़े व्यापार से संबंधित निर्णय नहीं लेना चाहिए।
- अमावस के दिन कहीं लंबी यात्रा करने से बचना चाहिए।
- अमावस्या के दिन कभी भी किसी और के घर से या दुकान से आटा या गेहूं खरीद कर नहीं लाना चाहिए।
- अमावस के दिन किसी भी शुभ या नए काम को शुरू नहीं करना चाहिए। वरना आगे चलकर काम में सफलता या बढ़ोतरी नहीं होती है।
- अमावस्या का दिन मां लक्ष्मी का प्रिय दिन होता है, इसीलिए अमावस्या के दिन भूलकर भी किसी के घर का झाड़ू अपने घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए, ना ही नया झाड़ू अपने घर में लाना चाहिए।
- अमावस्या के दिन बाल काटने या फिर नाखून काटने से बचना चाहिए।
- अमावस के दिन भूलकर भी मुंडन या ग्रह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं करना चाहिए।
- अमावस्या के दिन घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए।
निष्कर्ष
यहां पर अमावस कब है 2024 (amavasya kab hai) के बारे में विस्तार से जाना है उम्मीद करते हैं। आपको यह जानकारी पसंद आई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें।
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