Ahinsa Parmo Dharma Full Sloka: सनातन धर्म में कई ऐसे विषय हैं, जिनके बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं होती है। लोग किसी भी श्लोक के विषय में आधा पढ़कर अपने अनुसार ही उसकी व्याख्या करने के लिए विवश हो जाते हैं।
ऐसे में किसी भी श्लोक को पूरी तरह से जाने बिना उसका उल्लेख करना गलत होता है। यह पूरी तरह से एक सनातन धर्म के विरुद्ध साजिश मानी जाती है।
आज के अपने इस आर्टिकल में एक ऐसे ही श्लोक के बारे में जानकारी देंगे, जिसे सनातन धर्म में एक विशेष महत्व दिया गया है।
इस लेख में अहिंसा परमो धर्म फुल श्लोक जानने के साथ ही इससे जुड़ी Ahinsa Parmo Dharma Ka Arth, अहिंसा परमो धर्मः शब्द का इस्तेमाल कब कब हुआ है के बारे में जानेंगे।
अहिंसा परमो धर्मः शब्द का इस्तेमाल कब-कब हुआ है?
अहिंसा परमो धर्मः शब्द का इस्तेमाल प्राचीन काल से प्रत्येक ऋषि मुनियों ने बखुबी किया है। लेकिन प्रत्येक ऋषि मुनियों ने इस शब्द को लेकर अलग-अलग उच्चारण किया है।
अगर हम भारतीय स्वतंत्रता की बात करें तो आज 1947 से पहले इस शब्द का इस्तेमाल महात्मा गांधी के द्वारा बखूबी किया गया था। जिसमें अहिंसा परमो धर्मः आदि श्लोक का महात्मा गांधी के द्वारा उचरण किया है।
इसमें महात्मा गांधी कहते हैं कि ahinsa parmo dharma मतलब किसी भी प्रकार की अहिंसा करना धर्म के विरुद्ध है। ऐसा महात्मा गांधी के व्यक्तिगत विचार थे।
लेकिन अगर हम सनातनी शास्त्रों के अनुसार माने तो इस पूरे श्लोक का आधा उच्चारण किया गया है। अगर आप सनातन धर्म को मानने वाले हैं तो आप इस अहिंसा परमो धर्म फुल श्लोक (ahinsa parmo dharma full sloka) का उच्चारण सनातन धर्म के ग्रंथ के अनुसार देख सकते हैं।
अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक
सनातन धर्म के अनुसार धार्मिक ग्रंथो में अहिंसा परमो धर्म फुल श्लोक को इस तरह से गया गया है, जो की निम्न प्रकार से है:
अहिंसा परमो धर्मस्तथाहिंसा परं तपः।
अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्मः प्रवर्तते।।
अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक गीता अध्याय 16, श्लोक 20 में अहिंसा परमो धर्म का उल्लेख है।
अहिंसा परमो धर्म का अर्थ
अहिंसा परमो धर्मः को महाभारत युद्ध के दौरान श्री वासुदेव यानी कि श्री कृष्ण के द्वारा अर्जुन को समझाते हुए इसका उल्लेख किया गया है। इस उल्लेख का वाक्यांश द्वापर युग में बड़े ही विस्तार पूर्वक अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं।
जिसमें श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि अहिंसा परमो धर्मः अहिंसा से बड़ा धर्म कोई भी नहीं है। मतलब कि अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति पर या समाज पर अहिंसा करते हैं, जो किसी भी तरह से अनुकूल नहीं है तो वहां पर अहिंसा परमो धर्मः का उल्लेख होता है।
लेकिन अगर आपके धर्म पर किसी भी तरह का कोई भी प्रश्न चिन्ह लगता है या संकट आता है तब उस दौरान आपके द्वारा की गई अहिंसा आपके धर्म पर किसी भी प्रकार की अहिंसा नहीं कहलाती।
इसीलिए श्री कृष्ण, अर्जुन को विस्तार पूर्वक सुनते हैं कि अहिंसा परमो धर्मः मतलब अहिंसा करना धर्म के खिलाफ है। लेकिन अगर धर्म पर ही संकट आ जाए, तो उस स्थिति में शस्त्र उठाना या कहें अहिंसा करना धर्म के विरुद्ध नहीं है।
निष्कर्ष
यहां पर अहिंसा परमो धर्म पूरा श्लोक जाने के साथ ही अहिंसा परमो धर्म का अर्थ और अहिंसा परमो धर्मः शब्द का इस्तेमाल कब कब हुआ है के बारे में विस्तार से जाना है।
उम्मीद करते हैं आपको ahinsa parmo dharma full line के बारे में पूरी तरह से जानकारी मिल गई होगी, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि इससे जड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
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