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शीलं परम भूषणम् का अर्थ क्या होता है?

श्लोक भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का एक अहम हिस्सा है। कई बार कुछ श्लोकों का अर्थ यूपीएससी की परीक्षा में पूछा जाता है।

ऐसे ही एक प्रचलित श्लोक का अर्थ बीते यूपीएससी की परीक्षा में पूछा गया, जिस वजह से यह लोग काफी चर्चा में रहा।

अगर आप भी ‘शीलं परमं भूषणम्’ का हिन्दी अर्थ क्या है? ढूंढ रहे हैं तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे। इसमें हम आपको बताएंगे कि इस श्लोक का क्या अर्थ होता है और इसे कहां इस्तेमाल कर सकते हैं?

sheelam param bhushanam ka arth

इस श्लोक का महत्व इतना ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि जब यूपीएससी की सिविल सेवा की परीक्षा पास करते हैं और आईएएस की ट्रेनिंग के लिए LBSNAA जाते हैं, तो वह मुख्य द्वार पर घुसते ही यह श्लोक बड़े-बड़े शब्दों में लिखा रहता है।

इसलिए प्रत्येक यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र को शीलम् परं भूषणम् का हिन्दी अर्थ क्या है? (sheelam param bhushanam ka arth) के बारे में जानकारी होनी चाहिए और इसके बारे में आज के लेख में विस्तार से बताया गया है।

शीलं परम भूषणम् का अर्थ क्या होता है? (Sheelam Param Bhushanam in Hindi)

शीलम परम भूषणम एक ऐसा श्लोक है, जो भारतीय संस्कृति और किसी भी व्यक्ति के भव्य जीवन की नींव को दर्शाता है। अगर आपको अपना जीवन खुशहाल और सच्चे व्यक्ति के रूप में अनिश्चितता से जीना है तो आपको इस श्लोक का पालन करना चाहिए।

इस श्लोक के पहले शब्द शीलम का अर्थ होता है चरित्र, दूसरे शब्द परम का अर्थ होता है सर्वोच्च और तीसरे शब्द भूषणम का अर्थ होता है आभूषण। जिसके अनुसार संस्कृत के श्लोक का अर्थ बनता है चरित्र ही सबसे उत्तम आभूषण है।

हम आभूषण इसलिए पहनते हैं ताकि हम खूबसूरत दिखाई दे। इस श्लोक के द्वारा संस्कृत के विद्वान पंडित यह कहना चाहते हैं कि किसी व्यक्ति को अगर सुंदर दिखना है, तो उसके लिए उसका चरित्र सबसे बड़ा आभूषण होता है। वह समाज में अपना चरित्र कैसा बना कर रखा है?, उससे उसकी सुंदरता सबसे अच्छे से दिखती है।

सरल शब्दों में अगर आप खूब सज सवरकर लें और अलग-अलग तरह के मेकअप और बढ़िया कपड़ा पहन लें, मगर जैसे ही बाहर निकले और लोग पीछे से आपको गाली देने लगे तो आपकी सुंदरता व्यर्थ है।

इसके विपरीत अगर आपके पास अच्छा कपड़ा नहीं है लेकिन आपके घर से निकलते ही भी लोग आपके पांव छू रहे हैं या आपको अभिनंदन दे रहे हैं, आपको देखकर मुस्कुरा रहे हैं, आपके अच्छे जीवन की कामना कर रहे हैं तो संस्कृत के पंडितों के अनुसार आप उससे ज्यादा खूबसूरत इंसान इस दुनिया में कहीं नहीं है। इसीलिए उन्होंने कहा है शीलम परम भूषणम।

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निष्कर्ष

इस लेख में शीलं शीलम् परं भूषणम् का अर्थ क्या है? (sheelam param bhushanam ka arth), इस श्लोक का महत्व इतना अधिक क्यों है?, आप इसका इस्तेमाल कहां कर सकते हैं? और किस प्रकार इस श्लोक का पालन करके आप अपने जीवन को खूबसूरत बना सकते हैं?, इसके बारे में विस्तार से बताया है।

अगर ऊपर बताई गई जानकारी को पढ़ने के बाद आप यूपीएससी के ट्रेनिंग में बोले जाने वाले इस महत्वपूर्ण श्लोक का अर्थ समझ पाए है, तो इसे अपने मित्रों के साथ भी साझा करें। साथ ही इससे जुड़े अपने सवाल या फिर विचार कमेंट में बताना ना भूलें।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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