अधजल गगरी छलकत जाय मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Adhajal gagaree chhalakat jaay muhaavare ka Arth Aur Vakya Pryog)
अधजल गगरी छलकत जाय मुहावरे का अर्थ – अज्ञानी पुरुष ही अपने ज्ञान की शेखी बघारते हैं, जिनके पास ज्ञान की कमी होती है वही व्यक्ति खुद को पूर्ण ज्ञानी होने का दिखावा करता है।
Adhajal gagaree chhalakat jaay muhaavare ka arth – agyaanee purush hee apane gyaan kee shekhee baghaarate hain, jinake paas gyaan kee kamee hotee hai vahee vyakti khud ko poorn gyaanee hone ka dikhaava karata hai.
अधजल गगरी छलकत जाय मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: वैष्णवी खुद तो खुद तो दसवीं पास है लेकिन बात ऐसे करती है जैसा लगता है कि उसने ऊंची ऊंची शिक्षाएं प्राप्त कर ली है इसे ही कहा जाता है अधजल गगरी छलकत जाए।
वाक्य प्रयोग: रॉबिन नाम का लड़का है तो 5 साल का लेकिन वह लोगों से ऐसे बात करता है जैसे कि वह बड़ा लड़का हो इसे ही कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाए।
वाक्य प्रयोग: मोहन एक छोटी सी ट्रैवलिंग कंपनी में काम करता है लेकिन वह दूसरों के सामने ऐसे दिखाता है जैसे कि वह एक बड़ी कंपनी में ट्रैवल का काम करता है इसे ही कहते हैं अधजल गगरी छलकत जाए।
वाक्य प्रयोग: मोहन खेला तो है सिर्फ अपने स्कूल टीम के लिए लेकिन वह बात ऐसे करता है जैसे लगता है कि वह सचिन तेंदुलकर के साथ खेला हो इसी से यह बात समझ में आती है कि मोहन के पास ज्ञान तो कम है लेकिन वह दिखाता है ऐसे हैं जैसे लगता है कि वह विद्वान इसे ही कहा जाता है अधजल गगरी छलकत जाए।
यहां हमने “अधजल गगरी छलकत जाए” जैसे बहुचर्चित मुहावरे का अर्थ और उसका वाक्य प्रयोग द्वारा समझेगी अधजल गगरी छलकत जाय का अर्थ यह है कि जिसके पास ज्ञान की कमी होती है जो कि ज्यादा ज्ञान अर्जित नहीं करता है जिसके पास ज्ञान अल्प होता है वही लोग अपने ज्ञान का दिखावा करते हैं दूसरों के सामने ऐसे दिखाते हैं जैसे लगता है कि उनके समान दूसरा विद्वान इस धरती पर है ही नहीं खुद को अत्यधिक ज्ञानी मान कर दूसरों को अज्ञानी समझते हैं
अधजल गगरी छलकत जाय का अर्थ होता है कि जिस घड़े में पानी आदि होती है वही ज्यादा छलकती है अर्थात जहां ज्ञान कम हो वहां पर लोग खुद को विद्वान समझने का भूल करते और यह तब ज्यादा हानिकारक होती है जब यह दूसरों को हानि पहुंचाती है दूसरों को दुख देती है।
मुहावरे परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई मुहावरे हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए मुहावरे ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी किसी का भी मुहावरे पूछा जा सकता है।
मुहावरे का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में मुहावरे पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से मुहावरे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरे का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरे कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
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