उठती नहीं है आँख किसी और की तरफ, पाबन्द कर गयी है किसी की नजर मुझे, ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ, काफ़िर बना गई तेरी काफ़िर-नज़र मुझे।
जो सूरुर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में, बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में।
मेरे होठों ने हर बात छुपा कर रखी थी, आँखों को ये हुनर कभी आया ही नहीं।
पैगाम लिया है कभी पैगाम दिया है, आँखों ने मोहब्बत में बड़ा काम किया है।
इकरार में शब्दों की एहमियत नहीं होती, दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती, आँखें बयान कर देती है दिल की दास्तान, मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती।
क्या पूछते हो शोख निगाहों का माजरा, दो तीर थे जो मेरे जिगर में उतर गए।
जाती है इस झील की गहराई कहाँ तक, आँखों में तेरी डूब के देखेंगे किसी रोज।
तेरी निगाह दिल से जिगर तक उतर गयी, दोनों को ही एकअदा में रजामंद कर गई।
बिना पूछे ही सुलझ जाती हैं सवालों की गुत्थियाँ, कुछ आँखें इतनी हाज़िर-जवाब होती हैं।
वो बोलते रहे… हम सुनते रहे… जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे।
सुकून की तलाश में तुम्हारी आँखों में झाँका था हमने, किसे पता था कम्बखत दिल का दर्द और मिल जाएगा।
महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है, नींद के सफर में तू एक ख्वाब जैसा है, दो घूँट पी लेने दे आँखों के प्याले से, नशा तेरी आँखों का शराब जैसा है।
सागर से गहरी हैं आपकी ये नजरें, खुशियों की शहनाई हैं आपकी ये नजरें, हुस्न का जाम हैं आपकी ये नजरें, छुपायें कई अरमान आपकी ये नजरें, ले ले न कहीं हमारी जान आपकी ये नजरें।
तेरी आँखों की तौहीन नहीं तो और क्या है यह, मैंने देखा तेरे चाहने वाले कल शराब पी रहे थे।
सामने ना हो तो तरसती हैं आँखें, याद में तेरी बरसती हैं आँखें, मेरे लिए नहीं इनके लिए ही आ जाओ, आपका बेपनाह इंतज़ार करती हैं आँखें।
तमाम अल्फाज़ नाकाफी लगे मुझको, एक तेरी आँखों को बयां करने में।
एक नजर देख ले हमे जीने की इजाजत दे दे, ए रुठने वाले… वो पहली सी मोहब्बत दे दे।
क्या कहें, क्या क्या किया, तेरी निगाहों ने सुलूक, दिल में आईं दिल में ठहरीं दिल में पैकाँ हो गईं।
ना जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में, शराब सा नशा है तेरी आँखों में, तेरी तलाश में तेरे मिलने की आस लिए, दुआऐं मांगता फिरता हूँ मैं दरगाहों में।
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ये कायनात सुराही थी, जाम आँखें थीं, मुवसलत का पहला निज़ाम आँखें थीं।
जब भी देखता हूँ मुझसे हरबार नज़रें चुरा लेती है, मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी।
जब भी देखूं तो नज़रें चुरा लेती है वो, मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी।
देखा है मेरी नजरों ने एक रंग छलकते पैमाने का, यूँ खुलती है आंख किसी की जैसे खुले दर मैखाने का।
हम भटकते रहे थे अनजान राहों में, रात दिन काट रहे थे यूँ ही बस आहों में, अब तम्मना हुई है फिर से जीने की हमें, कुछ तो बात है सनम तेरी इन निगाहों में।
Aankhein Shayari in Hindi
कोई आग जैसे कोहरे में दबी-दबी सी चमके, तेरी झिलमिलाती आँखों में अजीब सा शमा है।
उसने आँखों से आँखें जब मिला दी, हमारी ज़िन्दगी झूम कर मुस्कुरा दी, जुबान से तो हम कुछ न कह सके, पर आँखों ने दिल की कहानी सुना दी।
निगाहे-लुत्फ से इक बार मुझको देख लेते है, मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है।
कैद खानें हैं… बिन सलाखों के, कुछ यूँ चर्चे हैं तुम्हारी आँखों के।
नजर से नजर मिली तो दिल मचल गया, आपके दिल की शमा में दिल पिघल गया, क्या करें कसूर न हमारा है न दिल का, जो आपको देखा और धड़कना भूल गया।
होता है राजे-इश्को-मोहब्बत इन्हीं से फाश, आँखें जुबाँ नहीं है मगर बेजुबाँ नहीं।
सौ सौ उम्मीदें बंधती है, इक-इक निगाह पर, मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये, तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाये, हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाये, चराग़ों की तरह आँखें जलें जब शाम हो जाये।
साकी देख ज़माने ने कैसी तुहमत लगायी है, आँखें तेरी नशीली हैं शराबी मुझे कहते हैं।
मैं उम्र भर जिनका न कोई दे सका जवाब, वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
बहुत खूबसूरत हैं ये आँखें तुम्हारी, इन्हें बना दो किस्मत हमारी, हमें नहीं चाहिये ज़माने की खुशियाँ, अगर मिल जाये मोहब्बत तुम्हारी।
जो उनकी आँखों से बयान होते हैं, वो लफ्ज शायरी में कहाँ होते हैं ।
Aankhein Shayari in Hindi
बस इक लतीफ तबस्सुम बस इक हसीन नजर, मरीजे-गम की हालत सुधर तो सकती है।
तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली मैखाने की, तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते ।
उतर चुकी है मेरी रूह में किसी की निगाह, तड़प रही है मेरी ज़िंदगी किसी के लिए।
होता है राजे-इश्को-मुहब्बत इन्हीं से फाश, आँखें जुबाँ नहीं है मगर बेजुबाँ नहीं।
आपने नज़र से नज़र जब मिला दी, हमारी ज़िन्दगी झूमकर मुस्कुरा दी, जुबां से तो हम कुछ भी न कह सके, पर आँखों ने दिल की कहानी सुना दी।
ऐ समंदर मैं तुझसे वाकिफ हूँ मगर इतना बताता हूँ, वो ऑंखें तुझसे गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूँ।
महफिल अजीब है ये मंज़र अजीब है, जो उसने चलाया वो खंजर अजीब है, ना डूबने देता है ना उबरने देता है, उसकी आँखों का वो समंदर अजीब है।
कोई दीवाना दौड़ के लिपट न जाये कहीं, आँखों में आँखें डालकर देखा न कीजिए।
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।