आँख और कान में चार अंगुल का फ़र्क़ मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Aankh aur kaan mein chaar angul ka farq Muhavara ka arth)
आँख और कान में चार अंगुल का फ़र्क़ मुहावरे का अर्थ – आँखों देखी बात का विश्वास करना, कानों से सुनी बात का नहीं, आँखों-देखी विश्वसनीय है, कानों सुनी नहीं, आंखों देखी विश्वसनीय है कानों सुनी नहीं।
Aankh aur kaan mein chaar angul ka farq muhaavare ka arth – aankhon dekhee baat ka vishvaas karana, kaanon se sunee baat ka nahin, aankhon-dekhee vishvasaneey hai, kaanon sunee nahin, aankhon dekhee vishvasaneey hai kaanon sunee nahin.
दिए गए मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: सोहन से रीता ने कहा कि मोहन घर आ चुका है सोहन ने उसे घर आते नहीं देखा ऐसे ही परिस्थिति में है कहा जाता है कि आंख और कान में चार अंगुल का फर्क होता है अर्थात आपको आंखों देखी बातों पर विश्वास करना चाहिए ना कि कानों से सुनी हुई बातों पर।
वाक्य प्रयोग: सीता ने घर में चार आम देखे लेकिन उसने सुना कि घर में 12 आम है इसे ही कहा जाता है आंखों देखी विश्वसनीय है अर्थात आंखों देखी बातों पर विश्वास करना चाहिए ना कि कानों से सुनी हुई बातों पर।
वाक्य प्रयोग: सोहन के पास 4 पेन है लेकिन उसके दोस्त ने सुना कि उसके पास 10 पेन है इसे ही कहा जाता है आंखों देखी विश्वसनीय है और कानों सुनी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए आंख और कान में चार अंगुल का फर्क होता है।
वाक्य प्रयोग: सीता को मोहन ने बाजार में देखा था 4 ड्रेस लेते हुए लेकिन उसकी दोस्त राधा ने कहा कि सीता ने आज पांच ड्रेस लिया है इसे ही कहा जाता है आंखों और कानों में चार अंगुल का फर्क होता है आंखों देखी बातों पर विश्वास करना चाहिए ना कि कानों से सुनी हुई बातों पर।
यहां हमने “आँख और कान में चार अंगुल का फ़र्क़” जैसे बहुचर्चित मुहावरे का अर्थ और उसके वाक्य प्रयोग को समझा। आंख और कान में चार अंगुल का फर्क होता है मुहावरे का अर्थ होता है कि हमें हमेशा अपने आंखों पर विश्वास करना चाहिए ना कि दूसरों से सुनी हुई बातों पर जब हम किसी चीज को या फिर किसी घटना को या किसी भी बात को या परिस्थिति को नहीं देखते हैं तब तक हमें उन परिस्थितियां बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जब तक हम उससे अच्छी तरह से देख ना ले क्योंकि सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करना खतरनाक होता है इसीलिए हमें हमेशा अपनी आंखों देश की बातों पर ही विश्वास करना चाहिए ना कि कानों से सुनी हुई बातों पर क्योंकि जो व्यक्ति एक बात को कहता है वह दूसरे व्यक्ति के कानों तक पहुंचते-पहुंचते उस बात का मतलब चेंज हो जाता है वह दूसरी बातें हो जाती इसीलिए हमें उसी बातों पर विश्वास करना चाहिए जो कि हमने अपनी आंखों से देखिए। चुकी यह मुहावरा है और मुहावरा और असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए यहां इस मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करने से हैं।
मुहावरे परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई मुहावरे हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए मुहावरे ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी किसी का भी मुहावरे पूछा जा सकता है।
मुहावरे का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में मुहावरे पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से मुहावरे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरे का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरे कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण मुहावरे और उनका वाक्य प्रयोग
अक्ल पर पत्थर पड़ना | उड़ती चिड़िया के पंख गिनना |
बड़ी बात होना | अपना घर समझना |
आसमान सिर पर उठाना | अक्ल चरने जाना |
1000+ हिंदी मुहावरों के अर्थ और वाक्य प्रयोग का विशाल संग्रह