Tu Khud ki Khoj Me Nikal: नमस्कार दोस्तों, यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में तनाव का सामना कर रहा है तो वह व्यक्ति सिर्फ मोटिवेशन के द्वारा ही इससे मुक्ति पा सकता है।
हमारे जीवन में समस्या एक अहम हिस्सा है। जीवन में कई समस्या आती और कई जाती है। यदि हम छोटी-छोटी समस्याओं से हार मान लेते हैं तो यह हमारी बहुत बड़ी कमजोरी होगी। असफ़लता का सागर चाहे कितना ही बड़ा क्यों ना हो, उसे पार किया जा सकता है। इसके लिए हमें मोटिवेशन की जरूरत पड़ती है।
आज हम इस पोस्ट बॉलीवुड़ फ़िल्म पिंक (2016) की एक बेहतरीन कविता “तू खुद की खोज में निकल” शेयर कर रहे है। इस प्रेरणादायक कविता से कई लोग अपने जीवन को एक नए मोड़ पर ला चुके है और इसका आनंद ले चुके और ले रहे हैं।
यह कविता तनवीर गाजी के द्वारा लिखी गई है और इसे फ़िल्म पिंक में बॉलीवुड़ के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज़ के द्वारा लोगों तक पहुंचाया है। हमने इस पोस्ट के अंत में तू खुद की खोज में निकल लिरिक्स का विडियो भी संलग्न किया है, आप उसे भी जरूर देखें।
तू खुद की खोज में निकल कविता | Tu Khud ki Khoj Me Nikal Lyrics
Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem in Hindi
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है।।
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू।
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू।।
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल।।
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है।।
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी।
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी।।
ये पापियों को हक़ नहीं
की ले परीक्षा तेरी
की ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है।।
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है।
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है।।
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल।।
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है।।
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा।
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा।।
अगर तेरी चूनर गिरी
तो एक भूकंप आएगा
तो एक भूकंप आएगा।।
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है।।
यह भी पढ़े: महानायक अमिताभ बच्चन की कविताएं
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Tu Khud ki Khoj Me Nikal Poem in Hinglish
tu khud ki khoj mein nikal
tu kis liye hataash hai
tu chal tere vajood ki
samay ko bhi talaash hai
go, find yourself,
why are you despondent?
go, even time is
looking for your existence.
jo tujh se lipTi bediyaan
samajh na inko vastra tu
ye beRiyaan pighaal ke
bana le in ko shastra tu
the chains that cuff you,
don’t think of them as your clothes.
melt these chains,
and make them your weapon.
tu khud ki khoj mein nikal
tu kis liye hataash hai
tu chal tere vajood ki
samay ko bhi talaash hai
charitra jab pavitra hai
to kyun hai ye dasha teri
ye paapiyon ko haq nahi
ke lein pareeksha teri
when your character is pure,
why are you in such a state?
sinners don’t have a right
to examine or check you.
tu khud ki khoj mein nikal
tu kis liye hataash hai
tu chal tere vajood ki
samay ko bhi talaash hai
jalaa ke bhasm kar use
jo kroorta ka jaal hai
tu aarti ki lau nahi
tu krodh ki mashaal hai
burn and incinerate
the web of atrocity around you.
you aren’t the holy flame of worship,
but a fire of anger.
tu khud ki khoj mein nikal
tu kis liye hataash hai
tu chal tere wajood ki
samay ko bhi talaash hai
chunar uRa ke dhwaj bana
gagan bhi kampkampaayega
agar teri chunar giri
to ek bhukamp aayega
fly your scarf like a flag,
even the sky will shake.
and if your scarf falls,
an earthquake will come.
tu khud ki khoj mein nikal
tu kis liye hataash hai
tu chal tere wajood ki
samay ko bhi talaash hai
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