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बुद्धिमता की माप ही परिवर्तन की क्षमता निबंध

The Measure of Intelligence is The Ability to Change Essay in Hindi: अपने जीवन की परिस्थितियों के अनुसार मनुष्य को खुद को बदलना और अपने आप को उन परिस्थितियों के अनुरूप खुद को डालना उसके अंदर का एक महान गुण होता है। अगर आप खुद को सफल बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने आप को बदलना होगा, इसमें हमारी मदद बुद्धि करती है। लेकिन किसी के जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन लाने के लिए कुछ परिवर्तन बहुत जरूरी होते हैं।

The Measure of Intelligence is The Ability to Change Essay in Hindi
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बुद्धिमता की माप ही परिवर्तन की क्षमता निबंध | The Measure of Intelligence is The Ability to Change Essay in Hindi

बुद्धिमता की माप ही परिवर्तन की क्षमता निबंध (250 शब्दों में)

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का यह कथन था किबुद्धिमता की माप ही परिवर्तन की क्षमता है

परिवर्तन हमारे प्रकृति का एक मुख्य नियम है, जो इस परिवर्तन को स्वीकार कर लेता है और विभिन्न परिवेशओं के अनुकूल होता है, वह अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त कर सकता है।

सफलता प्राप्त करने वाले कई महान व्यक्तियों के व्यक्तित्वो में मतभेदों को बदलने और उनको स्वीकार करने का साहस था। जब भी मैं कुछ हासिल करने में असफल रहे और उन्होंने अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने तरीके और दृष्टिकोण को भी बदल दिया, अंत में वह सफल हुए।

मनुष्य की बुद्धि उसके जीवन में फलने फूलने की क्षमता को बनाती है। एक बुद्धिमान व्यक्ति बदलाव से नहीं बच सकता। क्योंकि जो बुद्धिमता प्राप्त करता है वह बदल जाता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति सुधार करने और सही करने की कोशिश करेगा, इससे स्वंय ही परिवर्तन से गुजर पाएगा।

मनुष्य के जीवन में दो प्रकार के परिवर्तन होते हैं, नकारात्मक परिवर्तन और सकारात्मक परिवर्तन। व्यक्ति को इन दोनों ही परिवर्तनों की समीक्षा के लिए पूर्ण रूप से तैयार रहना चाहिए।

अक्सर देखा गया है कि जब एक बुद्धिमान व्यक्ति के जीवन में बहुत सी कठिनाइयां आती है। तो वह उन चुनौतियों का सामना अपनी बुद्धि के द्वारा आसानी से कर लेता है। जब व्यक्ति पढ़ता है तो वह अपने जीवन में अपने विचारों को बदलता है। वह दुनिया को जानने लगता है तथा प्रकृति के परिवर्तनों के अनुसार खुद को बदल लेता है।

बुद्धिमत्ता की माप ही परिवर्तन के क्षमता निबंध (850 शब्दों में)

प्रस्तावना

खुद को बदलने की क्षमता बुद्धिमता की माप है, अगर आप शाम को नहीं बदल पा रहे हैं तो आप आगे भी नहीं बढ़ सकते। आप आगे नहीं बढ़ सकते यह आपकी बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि आज हमारे समाज में बहुत सारी पुरानी बातें हैं, जो लोग मानते हैं जैसे लड़कियों को स्कूल नहीं जाने देना, बाल विवाह, भेदभाव रखना जातिवाद, दहेज प्रथा इन सब के बारे में आज भी मनुष्य की सोच बहुत पीछे हैं।

क्योंकि आज का मनुष्य कहीं ना कहीं इन पुरानी को प्रथाओं को मानता है। मनुष्य की इस पुरानी सोच के कारण ही आज हम बहुत पीछे हैं। अगर हम यह अपनी पुरानी सोच को नहीं बदलेंगे तो इससे ना तो हमारी खुद की और ना हमारे समाज देश की किसी की भी तरक्की नहीं होगी।

खुद बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता की माप है

बदलने की क्षमता से तात्पर्य है कि खुद को किसी भी परिस्थिति के अनुकूल बनाने के लिए योग्य होना ही तथा खुद को परिस्थिति के अनुसार बदलने की क्षमता ही बुद्धिमता की माप है। इसके बारे में समझने के लिए आप मानव के जीवन विकास से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

हमारे वैज्ञानिकों ने सर्च किया कि पहले के हमें में मतलब हमारे जो पूर्वक थे, वह जानवरों की तरह जंगल में अपना जीवन व्यतीत किया करते थे और जानवरों की तरह शिकार करते थे। एक जगह से दूसरी जगह भटकते हैं, उनके अंदर पशुओं के भारतीय रहने की आदत हो गई थी। किंतु समय के साथ-साथ मनुष्य ने अपने आप को बहुत बदला और विकास की तरफ बढ़ने लगा।

मनुष्य में अपने रहने के लिए स्थान बनाया तथा अपने जीवन में बहुत सारे महत्वपूर्ण बदलाव किए। इस प्रकार से मानव के जीवन का उदाहरण खुद को बदलने की क्षमता का परिवर्तन है। यह बहुत बड़ा मानव जीवन का उदाहरण रहा है कि उसमें किस प्रकार से अपने जीवन में परिवर्तन किए हैं।

हमारे धार्मिक ग्रंथ श्रीमद भगवत गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि परिवर्तन संसार का नियम है-यह संसार परिवर्तन से ही चलता है। परिवर्तन होते-होते ही मानव का जन्म हुआ है। परिवर्तन से यह ब्रह्मांड बना है। हमारे जीवन के आरंभ से पहले पृथ्वी जलते हुए गोले की तरह थी, किंतु इसमें धारे-धीरे परिवर्तन होते गया और इसमें इतना परिवर्तन हुआ कि अब इस पर जीवन संभव है और इतने सारे जीवित पशु पक्षी-प्राणी यहाँ जीवन यापन कर रहे है और यहां मौजूद है।

अधिक बुद्धिमान कैसे बने?

चीजों को जो जैसी है, उसको वैसे ही रखने की कोशिश करना जीवन के लिए एक बहुत ही अस्वस्थ दृष्टिकोण रहा है। परिवर्तन से बचना मानवीय स्थिति और मानव उत्कर्ष की गलतफहमी को दर्शाता है। बदलाव से बचना नहीं है, बल्कि उसको गले लगाना है। विंस्टन चर्चिल ने कहा:

“सुधार करना ही परिवर्तन है, परिपूर्ण होना अक्सर बदलना है।”

माता-पिता-बच्चे के संबंध का अत्यधिक महत्व

अपने जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव लाने के लिए सबसे बुनियादी घटकों में एक है अपने माता-पिता के साथ स्वस्थ संबंध को विकसित करना चाहे वह जीवित हो या नहीं।

सभी माता-पिता अपने बच्चों के रिश्तो में किसी ना किसी रूप से एक समान होते हैं। क्योंकि बिना बच्चों के माता-पिता पूर्ण नहीं होते हैं। अब माता-पिता की अपनी समस्याएं होती हैं और उन समस्याओं के माध्यम से ही वह अपने बच्चों की बहुत अच्छी परवरिश करते हैं, इसीलिए माता-पिता और बच्चे का संबंध का बहुत अधिक महत्व है। क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए ओर बदलते समय के साथ-साथ अपने जीवन में बहुत परिवर्तन ले आते है।

आपसी मतभेद को बदल कर साहस स्वीकार करना

सफलता हासिल करने वाले कई महान व्यक्तित्व के आपसी मतभेदों को बदलकर उनके साथ को स्वीकार करना जरूरी था, जब भी मैं कुछ हासिल करने में असफल रहे उन्होंने अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने अपने तरीके से सभी दृष्टिकोण को बदल दिया और अंत में वो सफल हुए।

परिवर्तन अवश्यंभावी है – इसलिए हमें इसका साहसपूर्वक सामना करना चाहिए

हम सब मानते हैं कि परिवर्तन हमारे लिए बहुत जरूरी है तो इससे यह स्पष्ट होता है कि सभी को परिवर्तन को नेविगेट करने में कुशल होना चाहिए। परिवर्तन से बचना बहुत असंभव होता है, भले ही ऐसा करने की आपकी बड़ी इच्छा हो या ना हो। यहाँ परिवर्तनों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो प्रत्येक मनुष्य के लिए हैं।

  • जन्म
  • मौत
  • शैशवावस्था से बाल्यावस्था में संक्रमण
  • रोग
  • बचपन से वयस्कता में संक्रमण
  • चोट लगने की घटनाएं
  • वयस्कता से मध्यम आयु में संक्रमण
  • लड़ाई
  • मध्यम आयु से वृद्धावस्था में संक्रमण
  • नुकसान
  • विकास
  • रोग और रोग
  • शक्ति और ऊर्जा में कमी
  • मौसम
  • थकावट
  • गम
  • शोक
  • हर्ष
  • निराशा

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी ने औपचारिक शिक्षा के स्तर से क्या हासिल किया है, जो बदलने की क्षमता रखते हैं वे बुद्धिमान हैं, इसे कॉमन सेंस कहा जाता था। मिस्टर आइंस्टाइन ने इसे बुद्धिमता कहा है।

एक बुद्धिमान व्यक्ति की बुद्धिमता

एक व्यक्ति को तभी बुद्धिमान माना जाता है, जब वह सामने वाले व्यक्ति के मतभेदों को स्वीकार करने की हिम्मत रखता हो। शांतिपूर्ण और स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के लिए उसके अनुसार ही स्वयं को उन परिस्थितियों के अनुरूप बदल लेता है।

अनुकूल होने के अर्थ और महत्व को समझना

यदि कोई व्यक्ति अपने आप को परिस्थितियों के अनुकूल बदल लेता है। इसके लिए व्यक्ति को अपने जीवन के अनुकूल होने के अर्थ और महत्व को समझना बहुत जरूरी होता है। बुद्धिमता का अर्थ केवल ज्ञान ही नहीं होता बल्कि हमारे चरित्र को निर्माण करने के लिए होता है।

निष्कर्ष

जब भी आपको लगे कि आप कुछ काम को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो इसके लिए आप यह सोचे कि इसको पूरा किस तरह से किया जाए, इसमें किस प्रकार से परिवर्तन लाया जाए। हमेशा अपने जीवन में हर प्रकार के कठिनाइयों को परिस्थितियों को बदलना और स्वीकार करना आना चाहिए तभी आप अपने जीवन में एक सफल इंसान बन सकते हैं।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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