श्री सत्यप्रकाश जी महाराज वर्तमान समय में राजस्थान में लोकप्रिय बाल संत के रूप में प्रचलित है। श्री सत्यप्रकाश जी महाराज को सोशल मीडिया पर भी काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। महाराज अपने उच्च विचार और योग के लिए जाने जाते हैं।
सत्यप्रकाश जी महाराज राजस्थान के कोने-कोने में भजन कीर्तन तथा कथा वाचन कार्यक्रम के तहत ईश्वर के गुणों का बखान करते हैं एवं समाज को शांति एवं समृद्धि से जीने की राह प्रदान करते हैं।
मारवाड़ क्षेत्र में श्री सत्यप्रकाश जी महाराज पूज्य बाल संत के रूप में जाने जाते हैं। बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज बचपन से ही कृष्ण भक्ति में लीन रहते हैं।
भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश वे अपनी कथा, सत्संग, भजन, कीर्तन एवं कथा वाचन कार्यक्रम के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं और लोगों को शांति तथा समृद्धि से जीवन यापन करने की राह दिखाते हैं।
श्री सत्यप्रकाश जी महाराज कम आयु से ही समाज में फैली कुरीतियां और युवाओं को नशे से दूर रखना चाहते हैं। महाराज अपने प्रत्येक सत्संग में युवाओं को अच्छे संस्कार के लिए प्रेरित करते हैं।
सत्यप्रकाश जी महाराज कम समय से ही सन्यासी बन गए और उन्होंने भजन तथा विचारों के जरिए समाज सेवा करने का प्रण लिया। सत्यप्रकाश जी महाराज के गुरु मारवाड़ के सुप्रसिद्ध संत श्री राजाराम जी महाराज है।
बाल संत के रूप में प्रचलित सत्यप्रकाश जी महाराज बचपन से ही समाज में फैली ऊंच-नीच और छुआछूत को समाप्त करना चाहते हैं। तो आइए पूज्य बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज के बारे में अधिक जानकारी विस्तार से प्राप्त करते हैं।
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज का परिचय (जन्म, परिवार, शिक्षा, सन्यास, विचार, प्रसिद्धि)
पूरा नाम | बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज |
जन्म | 2 फरवरी 1996 (शुक्रवार) |
जन्म स्थान | नागौर, राजस्थान |
माता का नाम | श्रीमती झणकारी देवी |
पिता का नाम | श्री दला रामजी |
शिक्षा | शास्त्री एवं आचार्य की डिग्री |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
निवास | जोधपुर, राजस्थान |
कार्य | उपदेश देना, कथा वाचन, योग |
प्रसिद्धी | बाल सन्यासी, उपदेशक, संत |
भाई | 3 |
बहन | 5 |
ऊंचाई | 5 फिट 8 इंच |
वजन | 53 किलोग्राम |
आयु | 27 वर्ष |
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज कौन है और क्या करते हैं?
स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु, प्रेरक वक्ता, लेखक, गायक व दार्शनिक व योगी हैं। स्वामी सत्यप्रकाश जी महाराज अभी जोधपुर राजस्थान में निवास करते हैं और वे राजस्थान के कोने-कोने में आयोजित कथा वाचन कार्यक्रम में हिस्सा लेते है।
संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज का जन्म और बाल्यकाल
सत्यप्रकाश जी महाराज का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में एक साधारण से किसान परिवार में 2 फरवरी 1996 को हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत 2052, बसन्तोत्सव में चैत्र माह की कृष्ण पक्ष दूज को ब्रह्म मुहूर्त की शुभ वेला में संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज का जन्म हुआ था।
बचपन से ही महाराज को माता-पिता द्वारा अच्छे संस्कार दिए गए, इसीलिए महाराज ने कम आयु से ही सन्यास जीवन जीना शुरु कर दिया। सत्यप्रकाश जी महाराज के पिता का नाम दलाराम जी एवं माता का नाम श्रीमती झणकारी देवी है। नागौर में जन्मे संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज वर्तमान समय में जोधपुर में रहते हैं।
प्रारंभिक शिक्षा के लिए उन्हें अपने नजदीकी गांव में प्राथमिक विद्यालय भर्ती करवाया गया। यहीं पर उन्होंने अपने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी। प्राथमिक शिक्षा के दौरान वे अपने आसपास आयोजित सत्संग तथा कथा वाचन कार्यक्रम में भाग लेते थे। बचपन से ही उन्हें भक्ति और सन्यासी के प्रति रुचि थी।
संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज ने मात्र 6 वर्ष की आयु में भगवा धारण कर लिया और 7 वर्ष की आयु में घर परिवार का त्याग करके सन्यासी जीवन अपना लिया था। उनके गांव में छोटे-बड़े कथा वाचन कार्यक्रम होते थे, इसी दौरान एक बार राजस्थान के लोकप्रिय संत श्री राजाराम जी महाराज एवं संत श्री कृपाराम जी महाराज कथा वाचन करने के लिए आए।
इसी कथा वाचन कार्यक्रम के अंतर्गत उनकी भेंट स्वामी सत्यप्रकाश महाराज से हुई, जिसके बाद महाराज ने सन्यासी जीवन अपनाने की जिद कर ली। लेकिन कम आयु होने की वजह से उनके माता-पिता ने संत श्री राजारामजी महाराज और संत श्री कृपाराम जी महाराज के साथ भेजने के लिए इंकार कर दिया।
दिन प्रतिदिन महाराज की रुचि भक्ति और सत्संग में बढ़ने लगी। इसी बात को देखते हुए महाराज के माता-पिता ने मात्र 7 वर्ष की आयु में मारवाड़ के सुप्रसिद्ध संत श्री राजारामजी महाराज और संत श्री कृपाराम जी महाराज के पास भेज दिया, जहां उन्होंने सन्यासी की शिक्षा प्राप्त की एवं बाल सन्यासी बन गए।
सन्यासी बनने के बाद भी संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज ने कथा सत्संग के साथ अपने शिक्षा को जारी रखा। बता दें कि महाराज ने संस्कृत एवं हिंदी साहित्य से शास्त्री एवं आचार्य की डिग्री हासिल की।
इस दौरान उन्होंने श्री राम कथा, शिव पुराण, श्रीमद् भागवत कथा, नेनी बाई रो मायरो, ध्यान योग, प्रवचन, भजन संध्या, सत्संग, शुभ विचार, योग शिक्षा इत्यादि पर ध्यान दिया।
संत कृपाराम महाराज का जीवन परिचय विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
श्री सत्यप्रकाश जी महाराज की प्रसिद्धि
मात्र 7 वर्ष की आयु में सत्यप्रकाश जी महाराज ने भगवा वस्त्र धारण कर लिया और सनातन धर्म से संबंधित सभी तरह का ज्ञान प्राप्त कर दिया था। उसके बाद युवावस्था के दौरान उन्होंने प्रदेश के कोने-कोने में कथावाचक के कार्यक्रम में भाग लेना शुरू किया और कथा वाचन का कार्य करते थे।
इस दौरान उनके द्वारा दिए गए उपदेश लोगों को काफी प्रभावित करने लगे। प्रदेश के कोने-कोने में दिन-प्रतिदिन हो रहे कथा वाचन तथा सत्संग कार्यक्रम के तहत संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज ने ईश्वर की भक्ति का मार्ग दर्शन करवाया और लोगों को जीवन जीने की राह दिखाई।
धीरे-धीरे समय बीतता गया स्वामी जी हर रोज अधिक से अधिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने लगे और लोगों को प्रवचन एवं उपदेश देते थे। श्रीमद भगवत गीता के ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने लगे, इससे उनकी प्रसिद्धि धीरे-धीरे संपूर्ण प्रदेश में फैलने लगी।
बदलते समय के साथ ही सोशल मीडिया का जमाना आया, तो महाराज ने लोगों तक अपने ज्ञान को पहुंचने के लिए सभी सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट बनाएं और ज्ञान, भक्ति तथा प्रवचन के वीडियो अपलोड करने शुरू कर दिए।
सोशल मीडिया पर बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज को लोग काफी ज्यादा पसंद करते हैं। महाराज के द्वारा दिए गए उपदेश के विचार लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं क्योंकि महाराज लोगों को जीवन में भक्ति मार्ग की ओर ले जाने का प्रयास करते हैं।
सुख समृद्धि और शांति से जीवन यापन करने के लिए उपदेश देते हैं, जगह-जगह कथा वाचन और सत्संग के जरिए प्रवचन सुनाते हैं। वर्तमान समय में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर महाराज के अकाउंट बने हुए हैं। यहां पर प्रतिदिन महाराज के कथा एवं सत्संग के वीडियो लोड किए जाते हैं, जिन्हें लोगों का खूब प्यार मिल रहा है।
बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज
श्री सत्यप्रकाश जी महाराज अपने ज्ञान के लिए जाने जाते हैं। भागवत कथा के आयोजित कार्यक्रम तथा सत्संग कार्यक्रम में वे अपने अर्जित किए हुए ज्ञान को लोगों तक पहुंचाते हैं। महाराज शास्त्री और आचार्य की डिग्री हासिल कर चुके हैं, उन्हें संस्कृति तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है।
अपने उपदेश के द्वारा अंग्रेजी भाषा बोलते हैं और संस्कृत में दोहे भी पढ़ते है। लेकिन उन्हें मारवाड़ी भाषा अत्यंत प्रिय है। आमतौर पर वे कथा वाचन के दौरान मारवाड़ी भाषा तथा हिंदी भाषा में प्रवचन देते हैं।
महाराज के मारवाड़ी कथा, हिंदी भाषा के प्रेम को देखते हुए लोगों द्वारा उन्हें काफी पसंद किया जाता है। स्थानीय लोग महाराज को पूज्य संत कहकर पुकारते हैं। बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों का ज्ञान लोगों तक पहुंचा रहे हैं तथा अपना सन्यासी जीवन यापन कर रहे हैं।
आज के समय में इतनी प्रसिद्धि हासिल करने के बाद भी महाराज ने विवाह नहीं किया तथा सभी तरह के घर गृहस्ती और पारिवारिक जीवन से दूरी बनाई हुई है। वर्तमान समय में सत्यप्रकाश जी महाराज अपने गुरुवर के पास जोधपुर में ही रहते हैं। यहां से प्रदेश के कोने-कोने में आयोजित कथा वाचन कार्यक्रम में भाग लेते हैं और लोगों को ज्ञान की रोशनी प्रदान करते हैं।
सत्यप्रकाश जी महाराज के माता-पिता उनके सन्यासी जीवन से अत्यंत खुश एवं प्रभावित हैं। बचपन में वह काफी दुखी हुए थे, लेकिन अब वे गर्व महसूस करते हैं। किसी भी जगह पर संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज के दिखाई देने पर आसपास की कथा वाचक सभाओं में काफी भीड़ देखने को मिलती है।
श्री सत्यप्रकाश जी महाराज के विचार और उद्देश्य
- महाराज सभी लोगों को शाकाहारी जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका कहना है कि बेजुबान जानवरों को मारकर खाने की बजाय उन्हें सहायता प्रदान करनी चाहिए, क्योंकि ईश्वर ने उन्हें मनुष्यों के सहारे छोड़ा है।
- महाराज कहते हैं कि व्यक्ति को 100 वर्ष की बजाय 10 वर्ष ही जीना चाहिए, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करते हैं कि वह 100 वर्ष किस तरह से जीना चाहते हैं, 10 वर्ष उन्हें किस तरह से जीना चाहिए।
- जीवन में प्रेरणा देने के लिए महाराज कहते हैं कि हमेशा लोगों को आत्मविश्वास के सहारे जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। मनुष्य जीवन में अनेक तरह की कठिनाइयां और उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लेकिन उन्हें अपने आत्मविश्वास के सहारे आगे बढ़ना चाहिए।
- युवाओं को अपने लक्ष्य पर ध्यान देने के लिए महाराज कहते हैं कि दुनिया कई प्रकार की होती है। कुछ लोग बुराइयां करेंगे, कुछ लोग अच्छाई करेंगे, तो कुछ लोग तरह-तरह की कमियां निकाल लेंगे, लेकिन आपको अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- महाराज अपने कथा शिविरों में जात-पात और ऊंच-नीच को खत्म करने पर काफी ज्यादा जोर देते हैं। वे कहते हैं कि सभी इंसान एक समान है।
- संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज ज्यादा से ज्यादा सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि सनातन धर्म के धर्मशास्त्र पढ़ने से एक नई सृष्टि का विकास होगा।
- महाराज कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा मीठी वाणी बोलनी चाहिए। यानी मधुर वचन बोलना चाहिए। इससे व्यक्ति का कद बढ़ता है और समाज में उसकी इज्जत होती है।
- सत्यप्रकाश जी महाराज गौ रक्षा पर अत्यधिक बल देते हैं। उनका कहना है कि देश में बड़े पैमाने पर गायों की हत्या होती है, इसलिए गौ रक्षा अत्यंत जरूरी है।
हमारा भारत एक अध्यात्मिक देश है। यहां पर “वसुधैव कुटुंबकम” सनातन धर्म का मूल सिद्धांत और संस्कारों की विचारधारा है। इसके तहत लोग जाति धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत देखते हैं तथा धरती को अपना परिवार मानते हैं। यहां के लोग धर्म संस्कृति की रक्षा करते हैं।
ऋषि मुनि, महापुरुष, संत, तपस्वी सभी अपने-अपने तरीके से जनकल्याण कार्य करते हैं। इसी सूची में संत महात्माओं की धरती पर बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज का नाम भी शामिल है। महाराज अपने ज्ञान और धर्म शास्त्रों से लोगों को उपदेश देते हैं तथा जीवन जीने की राह सिखाते हैं। मुफ्त में योग शिविर का आयोजन करवाते हैं तथा लोगों को शांति और समृद्धि से जीवन जीना सिखाते हैं।
श्री सत्यप्रकाश जी महाराज के संपर्क स्रोत
मोबाइल नंबर | 09461173233 |
ओफिसियल वेबसाइट | यहाँ क्लिक करें |
युट्यूब | यहाँ क्लिक करें |
फेसबुक | यहाँ क्लिक करें |
इंस्टाग्राम | यहाँ क्लिक करें |
ट्विटर | यहाँ क्लिक करें |
कू ऐप | यहाँ क्लिक करें |
FAQ
महाराज का जन्म राजस्थान के नागौर जिले में 2 फरवरी 1996 को और हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत 2052, बसन्तोत्सव में चैत्र माह की कृष्ण पक्ष दूज को ब्रह्म मुहूर्त की शुभ वेला में हुआ था।
बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज।
सुख समृद्धि से जीवन यापन करना, युवाओं को लक्ष्य की तरफ ध्यान आकर्षित करना तथा धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानना, इस तरह के उपदेश देते हैं।
श्री सत्यप्रकाश जी महाराज की वाणी अत्यंत मधुर है। वह मधुर वाणी से लोगों को प्रवचन देते हैं, जीवन जीने की राह सिखाते हैं, युवाओं को लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना सिखाते हैं, गौ रक्षा करते हैं, मुफ्त में योग शिविर का आयोजन करवाते हैं तथा राजस्थान के कोने-कोने में कथा वाचन कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं।
निष्कर्ष
हमारे देश भारत और राजस्थान की भूमि सदियों से ही संत महात्मा, महापुरुष, ऋषि-मुनि, सन्यासी एवं धर्म गुरुओं की धरा मानी जाती है। यहां पर ऋषि-मुनि, साधु-संत, सन्यासी और धर्मगुरुओं को विशेष महत्व दिया जाता है। उनकी पूजा की जाती है क्योंकि वह समाज कल्याण की भावना रखते हैं। लोगों को उपदेश देते हैं तथा समृद्धि से जीवन यापन करना सिखाते हैं।
इसी तरह के ज्ञान और उपदेश देने वाले संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज राजस्थान के नागौर जिले में जन्मे वर्तमान समय में काफी ज्यादा लोकप्रिय है। बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज अभी जोधपुर राजस्थान में निवास करते हैं और वे राजस्थान के कोने-कोने में आयोजित कथा वाचन कार्यक्रम में हिस्सा लेते है।
आज के इस आर्टिकल में हमने पूरी जानकारी के साथ राजस्थान के बाल संत श्री सत्यप्रकाश जी महाराज का जीवन परिचय बताया है। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए जरूर उपयोगी साबित हुई होगी। आपको महाराज से प्रेरणा मिली होगी।
अगर आपका इस लेख से संबंधित कोई सुझाव है सवाल हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इस जानकारी को आगे शेयर जरूर करें, जिससे ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में लोगों को जानकारी मिल सके।
यह भी पढ़े
प्रकाश माली (भजन सम्राट) का जीवन परिचय
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय
प्रतापपुरी महाराज का जीवन परिचय
खेमा बाबा का इतिहास और जीवन परिचय
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जीवन परिचय