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बेटी बचाओ पर भाषण

Speech on Save Girl Child in Hindi: आधुनिक दुनिया में बेटियों को भी सम्मान दिया जाता है लेकिन प्राचीन भारत में लड़कियों और औरतों को पर्दे में रखकर अशिक्षित तथा घर के कामकाज के लिए प्रेरित किया जाता था। आज भारत में उनको भी शिक्षा जैसे बड़े अधिकार को प्राप्त करने तथा लोगों के बीच समानता का अधिकार मिला है। लेकिन फिर में देश में ऐसी कई जगह है जहां लड़की को जन्म देना आज भी अशुभ माना जाता है।

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Image : Speech on Save Girl Child in Hindi

हम इस आर्टिकल में आपको बेटी बचाओ पर भाषण ( Speech on Save Girl Child in Hindi) के बारे में बेहद सरल भाषा में माहिति प्रदान करेंगे। यह भाषण हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

बेटी बचाओ पर भाषण | Speech on Save Girl Child in Hindi

बेटी बचाओ पर भाषण (500 शब्द)

आदरणीय सभी अध्यापक और और हमारे प्रधानाचार्य तथा विद्यालय के समस्त सहपाठियों और आए हुए अतिथि महोदय को मेरा शुभ प्रभात।

मैं अभिषेक कुमार विद्यालय का छात्र हूं। मुझे यह अवसर प्राप्त करके अत्यंत खुशी मिली है कि मैं आज बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के उपलक्ष में अपने शब्दों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं। यह मेरा सौभाग्य ही नहीं अपितु उन सबके यह सवाल भी है जो आज भी बेटियों को अभिशाप मानते हैं अर्थात उन लोगों के घर जन्मी लड़कियों को बोझ समझते हैं।

प्राचीन काल में होता रहा है की बेटियों को अभिशाप माना जाता था लेकिन ऐसा क्यों यह सवाल हमारे मन मस्तिष्क में ऐसे बैठा हुआ है की आखिर ऐसा क्यों होता था? जिस स्त्री से, जिस पुत्री से पुरुष जनता है उसी स्त्री को अभिशाप जैसे बड़े अपराध की ज्वाला में झोंका जाता था।

उसके साथ घिनोने बर्ताव किया जाता था। उसे पर्दे में रखकर किसी भी प्रकार की समानता का अधिकार नहीं दिया जाता था। एक मानव जाति के लिए और हमारे समाज के लिए छोटी और घटिया विचार रखने वाले लोगों को समाज से बाहर निकल जाना ही उचित होगा।

आप सब से मेरा एक सवाल है अगर स्त्री या बेटी न होती इस संसार की कल्पना करना संभव नहीं था। परंतु आज स्कूल कॉलेज तथा अन्य कई बड़े शहरों में हमें यौन शोषण बलात्कार जैसे कई अपराध सुनने को मिलते हैं। किसी लड़की के ऊपर तेजाब डाल दिया गया, किसी का बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गई इन सारे अपराध को सुनकर हमारे अंदर इंसान तो मर ही जाता है।

मैं इन सवालों के उत्तर चाहता हूं आखिर उस स्त्री उस लड़की की गलती क्या है? जिसे गर्भ में ही मार दिया जाता है। जिसके जन्म लेते ही लोगों को दुख होता है। मैंने सुना है कि लोग पूजा स्थलों बड़े-बड़े देवी देवताओं तथा मंदिरों में पुत्र जन्म की आराधना करते हैं। लेकिन पुत्री के लिए कोई आराधना नहीं करता आखिर ऐसा क्यों।

आज कई ऐसी भारत की पुत्रियां और बेटियां जिन्होंने भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। फिर वह कल्पना चावला हो या गीता फोगाट या पीवी सिंधु जैसी इत्यादि बेटियों ने इस भारत देश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर ही नही ,अंतर्राष्ट्रीय अस्तर पर ही रोशन किया है।

यदि वही स्त्री अपने कार्यों तथा बच्चों को जन्म देने से मना कर दे तो क्या होगा? क्या आपने ऐसा कभी सोचा है कि वह अपनी जिम्मेदारियों से हट जाए तो क्या होगा? क्या पुरुष सारे कार्यों को संभाल सकता है? क्या जीवन सिर्फ पुरुष पर आधारित होता है? क्यों पुरुष अपने खुद को शासन तथा स्त्रियों से बेहतर मानते हैं।

इस संसार की सोच को बदलना होगा। इस संसार की सोच को बदलने से पहले हमें अपनी सोच को बदलना होगा। आज भारत में तथा पूरे विश्व में लड़कियां लड़कों के बराबर तथा घरेलू कार्य करती हैं, जो लड़के करते हैं। उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं। लेकिन वह हिंसा का शिकार हो जाती हैं। बलात्कार जैसे बड़े अपराध के चंगुल में फंस जाते हैं।

मैं अंतिम शब्दों में बस इतना ही कहना चाहूंगा की इंसान अपनी इंसानियत पर आए और वह स्त्री और पुरुष के बीच का भेदभाव खत्म करके समानता का जीवन जिए धन्यवाद।

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बेटी बचाओ पर भाषण (500 शब्द)

आदरणीय प्रधानाचार्य तथा आए हुए सम्मानित मुख्य अतिथि विधायक जी तथा इस विद्यालय के समस्त अध्यापक गण और प्रिय सहपाठी युवकों मेरा सुप्रभात।

आज मैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे बड़े अभियान के बारे में बोलना चाहूंगा। सबसे पहले तो मैं धन्यवाद करना चाहूंगा इस विद्यालय का, इस विद्यालय के अध्यापकों का जिन्होंने मुझे यह अवसर दिया।

भारत एक ऐसा देश है, जहां पर सभी प्रकार की समानता लोकतंत्र तथा गणराज्य का अधिकार हैं। परंतु कहीं ना कहीं इस भारत में गलतियों का सार भरा हुआ है। हम स्पष्ट रूप से देख रहे हैं और कह सकते हैं कि आज भारत जैसे बड़े देश में स्त्रियों की स्थिति क्या है? उनकी प्रतिशतता में गिरावट आ रही है।

उनकी जनसंख्या में कमी आ रही है। पुरुषों के अनुपात में स्त्रियों का अनुपात निरंतर गिरता जा रहा है। यह एक सामान्य मुद्दा नहीं अपितु यह मुख्य मुद्दा साबित है। यदि इस पर निर्णय न लिया गया या इसे नजर अंदाज किया गया तो यह पृथ्वी पर जीवन की कल्पना को समाप्त करने की और एक संकेत साबित हो सकता है।

बेटी बचाओ जैसे बड़े अभियान को लेकर भारत में कुछ प्रमुख अभियान चलाएं जा रहे है। बेटियों की संख्या में गिरावट और उनकी मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी ने बेटी पढ़ाओ नारा दिया।

भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में अपना विकास जारी रखा तथा वह लगातार विकास की गति पर चलता रहा परंतु भारत में स्त्रियों पर हिंसा तथा उनके प्रति बुरा व्यवहार आज भी बरकरार हैं। स्त्रियों की हिंसा को लेकर जड़ें इतनी गहरी है कि इसे समाज से उखाड़ फैंकना इतना आसान नहीं है परंतु यह असंभव भी नहीं है।

यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को समझें और अपने नजरिए को बदले तो समाज सुधर सकता है और ऐसी बुरी मानसिकता को उखाड़ कर फेंका जा सकता है। भारत में ऐसे कई बेटियों को जन्म दिया है जिसने अपने क्षेत्र में पूरे भारत का नाम रोशन किया है।

कल्पना चावला ,पीवी सिंधु और मिताली राज, प्रतिभा सिंह पाटिल ,लता मंगेशकर जैसी प्रतिभाशाली महिलाओं ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है।

समाज बेटियों से इतनी घृणा तथा मानसिकता रखता है कि वह नई नई टेक्नोलॉजी जैसे सीटी स्कैन अल्ट्रा सेंसर, सेवर मोड को गर्भाशय में ही नष्ट करवा देता है। लिंग का पता लगना इत्यादि सुविधाओं से स्त्रियों तथा बेटियों का जीवन इस दुनिया में आने से पहले ही नष्ट हो जाता है। सरकार ने इस पर कानूनी प्रतिबंध लगाए हैं तथा जुर्माना भी लगाया है।

मेरा इस समाज से यही प्रार्थना करता हूं कि उस स्त्री को हिंसा का शिकार ना बनाएं। जिसने हमें जन्मा है, जिसने इस परिवार को जन्मा है, जिसने इस संसार को चलाया है। उसके बिना इस संसार की कल्पना नहीं की जा सकती धन्यवाद।

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बेटी बचाओ पर भाषण (500 शब्द)

आदरणीय प्रधानाचार्य जी तथा विद्यालय के सभी अध्यापक गण और आए हुए श्रोता को मेरा सुप्रभात।

मैं अमन कुमार, आज एक ऐसे विषय पर चर्चा करने के लिए तथा लोगों को जागरूक करने के लिए इस मंच पर अपने शब्दों को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहा हूं। इससे शायद आपके अंदर बैठे इंसान का आंख खुल जाए और वह अपने इंसानियत कुछ समाज को सुधारने के लिए उपयोगी हो।

आज समाज में स्त्रियों की स्थिति है वह हिंसात्मक रूप से समानता का अधिकार बिल्कुल ही नहीं देती है। समाज में ऐसे स्त्रियों पर हो रहे हिंसात्मक दुर्व्यवहार से इंसानियत की रूह कांप उठती है। हर रोज अखबार के पहले पन्ने पर बलात्कार, गैंगरेप, दहेज प्रथा आत्महत्या इत्यादि जैसी कई हिंसात्मक दुर्भाग्य देखने को मिलते हैं।

या हमारे समाज का दुर्भाग्य कि जिस स्त्री से इस जीवन की रचना की जाती है उसी स्त्री को समाज में ना ही किसी प्रकार की समानता इज्जत दी जाती है।

मैं आज अमन कुमार कक्षा 12 का छात्र इस प्रश्न को आपके समक्ष रखना चाहता हूं कि आखिर क्यों स्त्रियों को समाज में समानता का अधिकार नहीं है?, क्यों हिंसात्मक व्यवहार उनके साथ किए जाते हैं?, क्यों वे आज भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने पर उन्हें घुटने के बल धकेल दिया जाता है?, समाज से ऐसी घटिया सोच रखने वाले व्यक्तियों को समाज से उखाड़ फेंकना चाहिए।

मैं भारत सरकार श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी की सराहना करता हूं कि उन्होंने स्त्रियों की सुरक्षा के लिए बेटियों की रक्षा के लिए “बेटी बचाओ का अभियान “दिया तथा इसके अंतर्गत “बेटी को पढ़ाओ और बेटी बचाओ” जैसे पढ़े अभियान से भारत में कुछ बदलाव देखने को मिला है।

परंतु यह पूर्णतया नहीं हुआ है लेकिन आज बेटियों को पढ़ाने के बाद कुछ बदलाव अवश्य देखने को मिले हैं। लिंग निरीक्षण जैसी अनेक प्रथाओं पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया, जिससे कि गर्भ में ही भ्रूण को मार दिया जाता था। उन पर कानून जुर्म लगाकर कई, धाराएं लगा दी गई तथा समाज को अब जागरूक होने की आवश्यकता है कि वह स्त्रियों के प्रति सम्मान आदर और उन्हें बराबर का हक दे।

बेटियों की संख्या निरंतर कम होने के साथ-साथ ऐसी भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे तथा इस अभियान को चला कर बेटियों के ऊपर हो रहे दुर्व्यवहार तथा अत्याचार से उनको समाज में बचाने तथा समाज में अधिकार दिलाने का अभियान चलाया गया है।

इस अभियान के पूर्व श्रीमती मेनका गांधी जी ने पाली राजस्थान में ही कहा था कि 1 दिन ऐसा आएगा यदि इस प्रकार की हिंसा को न रोका गया तो स्त्रियों की संख्या निरंतर घटती जाएगी और यह अगर आज भी न रोका गया तो भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

इस अभियान को स्वतंत्रता पूर्वक सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की स्त्रियों बेटियों को जागरूक करने के लिए लिंक अनिरुद्ध, यौन शोषण दहेज, हत्या तथा बलात्कार जैसे दुर्व्यवहार कौन हटाने की मांग तथा उस पर प्रतिबंध लगाया है।

2001 की जनगणना के अनुसार कुछ राज्यों में देखा गया था कि स्त्रियों की संख्या कम हुई है। परंतु उसके बाद अगली जनगणना 2011 के अनुसार राज्यों में इसकी स्थिति में सुधार आया था।

कर्नाटक मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तर प्रदेश के बड़े राज्यों में भी स्त्रियों की जनसंख्या में सुधार देखने को मिला है। इस जनगणना के अनुसार विश्व की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। आज 2022 में 1000 अनुपात 1200 स्त्रियां का अनुपात देखा गया है।

अंतिम शब्दों में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि इस अभियान को ग्रामीण क्षेत्रों तक अवश्य पहुंचाएं, जिससे कि महिलाएं स्त्रियां बेटियां अपने परिवार और अपने समाज की सोच को बदल सकें धन्यवाद।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको बेटी बचाओ पर भाषण ( Speech on Save Girl Child in Hindi) पसंद आये होंगे। इसे आगे शेयर जरूर करें और कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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