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संत रविदास जयंती पर भाषण

Speech on Sant Ravidas Jayanti in Hindi: निर्गुण भक्ति शाखा के महान कवि संत रैदास जी का जीवन अपार और कर्म पर निर्भर था। शिरोमणि संत रैदास जी अपने कर्म पर विश्वास करते थे। उनका कहना था कि महान कर्म करने से ही सफलता प्राप्त होती है।

शिरोमणि संत रैदास को कबीर दास जी का समकालीन माना जाता है क्योंकि कबीर दास की तरह श्री संत रैदास भी निर्गुण शाखा के तथा निराकार भगवान की उपासना करते थे। इनके दोहे में निराकारता तथा कर्म की प्रधानता दी गई है।

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Image : Speech on Sant Ravidas Jayanti in Hindi

हम इस आर्टिकल में आपको संत रविदास जयंती पर भाषण (Speech on Sant Ravidas Jayanti in Hindi) के बारे में बेहद सरल भाषा में माहिति प्रदान करेंगे। यह भाषण हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

संत रविदास जयंती पर भाषण | Speech on Sant Ravidas Jayanti in Hindi

संत रविदास जयंती पर भाषण (500 शब्द)

आदरणीय प्रधानाचार्य तथा सभी अतिथि गण महोदय और इस विद्यालय के समस्त छात्र, छात्राओं को आज शिरोमणि संत रविदास जी की जयंती पर ढेरों शुभकामनाएं देना चाहूंगा तथा उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करना चाहूंगा।

महान समाज सुधारक शिरोमणि संत रविदास जी का जन्म 1376 ईस्वी को वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। समाज सुधारक संत रविदास जी जाति के हरिजन थे। परंतु वे पेशे से संत थे। वह मोची का कार्य किया करते थे। उनके मन में किसी भी प्रकार का छल कपट नहीं था।

वह समाज को एक नई दिशा की ओर ले जाने के लिए प्रेरित करते थे। वह हिंदू मुस्लिम जैसे जाति वर्गों का विरोध करते थे। उनका कहना था कि भगवान एक है। उसका कोई वर्ग नहीं है। उन्होंने समाज के लिए बहुत कार्य किए हैं तथा उनका जीवन समाज को सुधारने की ओर प्रेरित था।

संत रविदास जी के द्वारा 40 ऐसे उपदेशों को दिया गया, जिनको आज ग्रंथों में स्थान प्राप्त है। संत रविदास जी मन के बड़े सत्य तथा साफ दिल के व्यक्ति थे। उनके अंदर कभी भी किसी भी प्रकार का अहंकार वह लालच नहीं था।

कई बड़े बड़े राजा रानियां उनसे मिलने आते थे और उपहार में उनको कई सारी सोने के तथा चांदी के सिक्के भी देते थे लेकिन शिरोमणि संत रविदास जी उनको नहीं लेते थे और उन्हें वापस जे जाने के लिए कहते थे।

संत रविदास जी ने समाज के लिए अनेकों कार्य किए, इसलिए समाज भी उनके जन्म दिवस को बड़े ही उल्लास और प्रशंसा के साथ मनाते है। संगीत नृत्य तथा उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण करके समाज को एक नई दिशा तथा उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को अनुसरण करने के लिए आज भी कई लोग प्रेरित करते हैं।

संत रविदास जी अपने कर्म को ही अपना धर्म मानते थे। संत रविदास जी के द्वारा दिए गए उपदेशों से कई लोगों में आत्म सम्मान तथा आत्मरक्षा की शक्ति उत्पन्न हुई तथा वे अपने धर्म के लिए लड़ने को तैयार हो गए।

इन्हीं शब्दों के साथ में अपनी अंतिम वाणी को विराम देते हुए बस इतना कहना चाहूंगा कि समाज तथा देश का युवा अगर पुराने ग्रंथों और महान पुरुषों के बारे में पढ़ें, तो आज कोई भी अपनी राह से भटक नहीं सकता।

धन्यवाद।

संत रविदास जयंती पर भाषण (500 शब्द)

सभी सम्मानित अतिथि महोदय तथा हमारे विद्यालय के प्रमुख प्रधानाचार्य तथा हमारे विद्यालय के समस्त छात्र, छात्राओं को आज शिरोमणि संत रविदास जी की जयंती पर ढेरों सारी शुभकामनाएं देता हूं तथा उनके विषय में अपने विचार प्रकट करने का अवसर जो मिला है उसे मैं पूर्णतया आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहूंगा।

संत रविदास जी समाज सुधारक तथा जाति के हरिजन थे। उन्होंने समाज के लिए ही नहीं अपितु युवा के लिए कई ऐसे उपदेश दिए, जिनसे उनके जीवन में अनेक बदलाव देखने को मिल सकते हैं यदि वे अपने जीवन में उनके उपदेशों का अनुसरण करें। शिरोमणि संत रविदास जी का जन्म 15वी शताब्दी में हुआ था। इनकी जयंती माघ महीने के पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इन्हें समाज सुधारक एक बहुत बड़े उदाहरण के रूप में याद किया जाता है।

संत रविदास जी का जन्म एक गरीब और हरिजन परिवार में हुआ था। इनका जन्म माघ पूर्णिमा के दिन सीर गोवर्धन गाँव, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी जन्मभूमि अब श्री गुरु रविदास जनम स्थली के रूप में पूरे विश्व में विख्यात है।

संत रविदास जी को रोहिदास तथा और कई नामों से भी जाना जाता है। इनको आसपास के क्षेत्र जैसे पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश में इनको गुरु की उपाधि प्राप्त हुई। संत रविदास समाज सुधारक थे। संत रविदास रचनाएं तथा कविताएं लिखते थे इसलिए उनको कवि की उपाधि भी दी जाती है।

संत रविदास जी निर्गुण की उपासना करते थे, परंतु ईश्वर के सबसे बड़े भक्त हैं अर्थात उनका कहना था कि ईश्वर को पाने के लिए हमें मंदिर जाने की आवश्यकता नहीं है। हमारे हृदय में ही हमारा इश्वर, हमारा परमात्मा विद्यमान है। सिख धर्म के अनुयायियों ने संत रविदास जी की रचनाओं के प्रशंसा की तथा कहा तुम ही ईश्वर के सबसे बड़े भक्त हो।

कहा जाता है कि एक बार संत रविदास जी अपने कार्य के लिए एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे तथा उधर से उनके मित्र आ रहे थे और संत रविदास जी से कहा कि, रविदास चलो गंगा स्नान के लिए चलते हैं। संत रविदास जी ने मना कर दिया और कहा कि नहीं मित्र मैं नहीं जा सकता। परंतु मेरा कार्य करोगे। उनके मित्र उनके कार्य के लिए सहमत हुवे। उन्होंने एक रुपए के सिक्के को निकालकर उनको दिया और कहां यह मेरी तरफ से गंगा जी में डाल देना।

उनके मित्र उसके बाद गंगा स्नान के लिए चलते हैं और उन्हेंने जब गंगा के पानी में सिक्का डाला तो, उसमें से एक आवाज आई और उस पानी से एक हाथ निकला। उनके मित्र ने देखा की वह सिक्का सोने का बन चुका है और उनके मित्र को कहा गया कि यह सिक्का संत रविदास को दे देना। वह दौड़ते हुए अपने मित्र से पूछने आए कि यह कैसे हुआ मित्र यह तुमने कैसे किया संत रविदास का उत्तर था।

” मन चंगा तो कठौती में गंगा”

अर्थात हमारा मन साफ होना चाहिए हमें ईश्वर की प्राप्ति हमारे हृदय में बसे मन से ही होती है। इतना सुनकर उनके मित्र ने उनको प्रणाम किया और वह भी निराकार ईश्वर की उपासना करने लगे।

लोग उन्हें धर्म के विरोधी के रूप में जानते हैं। परंतु कुछ लोगों द्वारा उन्हें समाज सुधारक और संत के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कभी किसी का बुरा नहीं किया। उनका पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित था।

अंतिम शब्दों में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि समाज में जाति धर्म तथा अंधविश्वास जैसे विचारों को दूर करके ही समाज को एक बेहतर समाज बनाया जा सकता है धन्यवाद।

संत रविदास जयंती पर भाषण (500 शब्द)

आए हुए सभी सम्मानितगण महोदय तथा हमारे मुख्य अतिथि विधायक जी तथा विद्यालय के समस्त शिक्षक गणों और विद्यार्थियों को इस संत रविदास जी की जयंती पर ढेरों शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

शिरोमणि संत रविदास जी का जन्म सन 1433 ईसवी में वाराणसी, गोवर्धन गांव में हुआ था। इनका जीवन बचपन से ही समाज कार्यों में लगता था। परंतु समाज के तानों से इनका जीवन भयभीत होता रहा है क्योंकि जाति से यह हरिजन थे और हर कदम पर जाति बोध जैसी समस्याएं का सामना करना पड़ रहा था।

इनका जन्म बड़े साधारण परिवार में हुआ था। इनके पिता जुते बनाने का काम करते थे। इनकी माता का नाम, जो धार्मिक महिला थी तथा इन्होंने अपने समाज के लिए कई कार्य किए। शिरोमणि संत रविदास जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया संत रविदास के दो पुत्र थे, जिन को संत रविदास जी ने अपने द्वारा दी गई शिक्षाओं से पाला तथा उन्हें आदर सम्मान तथा समाज के प्रति सहानुभूति जताने की शिक्षा दी।

संत रविदास जी अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए जूते सिलने का काम करते थे। परंतु उनके अंदर किसी भी प्रकार का छल कपट जैसी भावनाएं नहीं आई। लोगों की सहायता निस्वार्थ भाव से करते थे।

संत रविदास जी का मन बड़ा ही कोमल था तथा वे निर्गुण उपासना करते थे। उनका मानना था कि ईश्वर सभी के हृदय में विद्यमान है। वह बचपन से ही कीर्तन भजन जैसे सम्मेलनों में जाया करते थे। बचपन से ही उनको ऐसी संगति मिलने से उनका जीवन परिवर्तित हो गया और वे संत की उपाधि ले ली। उनके द्वारा कई ऐसी कविताएं तथा रचनाएं लिखी गई जो वृद्धि को प्रेरित करते हैं।

भला किसी का कर सको, तो बुरा किसी का मत करना।

संत रविदास जी बचपन से ही बड़े होशियार और पढ़ने लिखने के चतुर थे लेकिन हरिजन जाति के होने के कारण उन्हें छुआछूत जैसे बुरी मानसिकता के लोगों द्वारा ताने मिलते थे। उन्होंने अपनी शिक्षा को घर पर ही रहकर अध्ययन किया। उनके गुरु पंडित शरद नाथ जी ने उनकी शिक्षा में सहायता की और उन्होंने कई रचनाएं तथा दोहे लिखे और अपनी शिक्षा को पूरा की।

उनकी शिक्षक को उनमें वह दिखा जो किसी को उनमें नहीं दिखा। वे जान चुके थे कि यह बालक साधारण बालक नहीं है यह आगे चलकर जरूर एक महान पुरुष बनेगा।

संत रविदास जी को रैदास के नाम से भी जाना जाता था। सदियों से चली आ रही छुआछूत की प्रथा को समाप्त करने के लिए संत रविदास जी ने आवाज उठाई तथा इसके विरोध में उन्होंने भक्ति का रास्ता बनाया। जाति के चमार होने के कारण उनका आवाज उठाना कई लोगों को बुरा लगा परंतु उनके रास्ते में आने वाली हर समस्याएं टूट जाती थी।

वह जाति के चमार होने के कारण चमड़े को निकालते थे उनका मानना था कि कर्म ही पूजा है। कर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। परंतु वे जाति धर्म छुआछूत जैसी प्रथाओं को दूर करने के लिए आवाज उठाई और एक महान पुरुष तथा  समाज सुधारक के रूप में पूरे विश्व में प्रख्यात हुए।

अंतिम शब्दों में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि कर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं है। यदि कर्म करते रहेंगे तो परिणाम अवश्य मिलेगा।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको संत रविदास जयंती पर भाषण (Speech on Sant Ravidas Jayanti in Hindi) पसंद आये होंगे। इसे आगे शेयर जरूर करें और कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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