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ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण

Speech on Global Warming in Hindi : दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं, जिनका प्रभाव पर्यावरण पर बहुत देखने को मिल रहा है। इन्हीं प्राकृतिक आपदाओं में ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है, जिससे पृथ्वी निरंतर प्रभावित होती जा रही है।

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हम इस आर्टिकल में आपको ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण (Speech on Global Warming in Hindi) के बारे में बेहद सरल भाषा में माहिति प्रदान करेंगे। यह भाषण हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण | Speech on Global Warming in Hindi

ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण (500 शब्द)

आदरणीय प्रधानाचार्य तथा आए हुए सभी अतिथिगण और इस विद्यालय के समस्त अध्यापक गण और छात्र छात्राओं को मेरा नमस्कार।

आज इस पावन पर्व पर आज ग्लोबल वार्मिंग के विषय में चर्चा करेंगे। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी आपदा है, जिसका जिम्मेदार इस पृथ्वी पर उपस्थित हर मनुष्य है अर्थात निरंतर मनुष्य के नए-नए आविष्कार तथा अनेकों प्रकार के प्रयोगी कार्य पृथ्वी को क्षति पहुंचाती हैं तथा पर्यावरण में बदलाव लाती है।

ग्लोबल वार्मिंग का कोई एक देश जिम्मेवार नहीं है अर्थात इसके लिए पूरा विश्व जिम्मेदार हैं। इसमें पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करने से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो जाती है और यह एक ऐसा संकेत है, जो जीवन के अंत की ओर जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग को हम ऐसे समझ सकते हैं कि सूर्य प्रकाश की किरणें जब पृथ्वी पर पड़ती हैं, तो वह पृथ्वी से वापस न जाकर पृथ्वी पर अवशोषित हो जाती है, जिससे कि पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। उनके वापस जाने के मार्ग में कुछ गैसे प्रतिरोध का काम करती हैं, जिन गैसों को पृथ्वी वासी अर्थात मानव जाति के द्वारा बढ़ाया जा रहा है। उन्हीं गैसें को ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है।

कार्बन डाई ऑक्साइड, जल वाष्पीकरण, न्यूट्रीयस ऑक्साइड, मीथेन आदि को ग्रीन हाउस गैसेस कही जाती है। ग्रीनहाउस गैसेस का सबसे बड़ा प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग में देखने को मिला है। यदि इसे रोका न गया तो यह निरंतर बढ़ता रहेगा और मानव जाति के लिए खतरनाक साबित होगा।

ग्लोबल वार्मिंग एक बढ़ती हुई समस्या है, जो निरंतर बढ़ती जा रही है। पर्यावरण में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि, जो एक प्रतिरोध के रूप में कार्य करती हैं और सूर्य की किरणों को पारदर्शिता करके पृथ्वी पर ही अवशोषित कर देती हैं जिससे कि पृथ्वी पर होने वाली ताप में वृद्धि से कई जीव जंतुओं को अत्यधिक हानि होती है तथा कई पेड़ पौधों की प्रजातियां लुप्त होती जा रही हैं।

अर्थात इसका कारण ग्रीन हाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग ही माना जा रहा है। अनेक वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया है तो पता चला है कि इसका सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग को दिया गया है।

ग्लोबल वार्मिंग को यदि रोका न गया तो यह निरंतर बढ़ता रहेगा तो वैज्ञानिकों द्वारा अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक पृथ्वी पर ताप की वृद्धि 4 से 5 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाएगी। पिछले कुछ दशकों में ताप में एक से दो परसेंट वृद्धि देखी गई है और यह संकेत मनुष्य के जीवन तथा पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीव जंतु और पेड़-पौधों के विनाश की ओर संकेत करता है।

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्रकार के पेड़ पौधों जीव जंतुओं के लिए अत्यधिक हानिकारक है। यदि इसको समझा न गया तो यह आने वाले समय में एक बहुत बड़े खतरे के रूप में साबित होगी। परंतु इसको समझाने के लिए एक देश जिम्मेदार नहीं हो सकता। हमें पूरे विश्व को इस विषय पर समझना चाहिए तथा इसको रोकने के लिए अथक प्रयास करना चाहिए।

धन्यवाद।

ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण (500 शब्द)

आदरणीय प्रधानाचार्य तथा आए हुए सभी अतिथि गण और इस विद्यालय के समस्त अध्यापक गणों को मेरा नमस्कार।

5 जून के दिन पर्यावरण दिवस हम हर साल मनाते आ रहे हैं परंतु हम इसके विषय में तथा अपनी जिम्मेदारी को समझ नहीं पा रहे हैं। हम पर्यावरण दिवस को सिर्फ एक पौधा लगाकर ही मनाते आ रहे हैं लेकिन क्या यह उपयोगी है? अर्थात क्या यह सही है? एक तरफ हम पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ पौधों को लगा रहे हैं तथा दूसरी तरफ उसी पर्यावरण को पेड़ पौधों को काट कर नुकसान पहुचा रहे हैं।

मानव जाति की इन्हीं गतिविधियों की वजह से आज कुछ प्राकृतिक आपदाएं अपने स्वरूप में इस पृथ्वी पर समस्याएं लेकर उत्पन्न हुई हैं। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग जैसी एक ऐसी समस्या बढ़ती जा रही है, जो भविष्य में मानव जाति के तथा पृथ्वी पर समस्त जीव जंतु पेड़ पौधों के लिए विनाशकारी साबित हो सकती हैं। यदि इसे रोका न गया तो आने वाले समय में अन्य ग्रहों की तरह पृथ्वी पर भी जीवन का अस्तित्व खत्म हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी आपदा है, जो सूर्य से आने वाली किरणों को पृथ्वी से टकराकर वापस न भेज कर पृथ्वी पर ही अवशोषित कर लेती है तथा वापस टकराने के बाद जाने वाली किरणों के मार्ग में अवरोध के रूप में कुछ गैसे उपस्थित होती हैं।

जो उन किरणों को पार नहीं करने देते हैं, जिससे कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है और पृथ्वी पर अनेकों समस्याएं सूखा पानी की समस्या, गर्मी तथा पृथ्वी के तापमान में कुछ परसेंट की बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले कुछ दशकों में पृथ्वी के तापमान में एक से दो डिग्री सेंटीग्रेड की वृद्धि हुई है।

ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण ग्रीनहाउस गैसेस को माना जाता है। इन में उपस्थित गैसें कार्बनडाईऑक्साइड, पानी वाष्पीकरण, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन है, जो सूर्य के प्रकाश को अपने अंदर अवशोषित करके पृथ्वी की ओर आने के लिए मार्ग देती हैं। परंतु वापस जाने के लिए यह अवरोध का कार्य करने लगते हैं।

अर्थात उनके मार्ग में प्रतिबाधा उत्पन्न करते हैं। इसी कारण से पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है और पृथ्वी पर कुछ प्रजातियां व पौधों की प्रजातियां लुप्त होती जा रही है, जिसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग तथा ग्रीन हाउस गैसें मानी गई है।

ग्रीनहाउस गैसेस के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने से पृथ्वी के जल स्तर का गर्म होकर वाष्पीकरण होगा। पृथ्वी के वातावरण में अलग प्रकार का अनुकूलन होगा।

पृथ्वी पर उपस्थित जल का वाष्पीकरण होकर ऊपर चले जाना और बारिश के रूप में पृथ्वी पर वापस आना इन सभी प्रक्रियाओं में ग्लोबल वार्मिंग के कारण कुछ स्थितियां परिवर्तित हुई हैं, जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन खतरे में है। इस समस्या को सभी देश संयुक्त होकर सुलझाने की कोशिश करें धन्यवाद।

ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण (500 शब्द)

विद्यालय के समस्त शिक्षक गण और इस विद्यालय में हमारे सहपाठी तथा विद्यालय के प्रबंधक को मेरा सुप्रभात।

जलवायु परिवर्तन से होने वाले तापमान में वृद्धि से हम लोग परिचित है। इस प्राकृतिक आपदाएं ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि होने से पृथ्वी पर जीवन संकट में है अर्थात आने वाली पीढ़ियों में जीवन यापन तथा अनेक समस्याओं का सामना आने वाली पीढ़ियों को करना होगा। लगातार ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है और उसका कारण ग्रीनहाउस गैसेस हैं यदि इन्हें कम नहीं किया गया, पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व समाप्त होने में देर नहीं लगेगी।

कई वर्षों पहले तापमान में इस प्रकार से वृद्धि नहीं होती थी परंतु वर्तमान में तापमान में वृद्धि लगातार बढ़ती जा रही है। इसका कारण कुछ मुख्य गैसे है जैसे; नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन आदि है। सूर्य से इकट्ठा होने वाला स्रोत इन सभी देशों में अवशोषित होकर पृथ्वी पर ही रह जाता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारे पृथ्वी को बहुत नुकसान हुआ है।

पर्यावरण तापमान वृद्धि होने के कारण अंटार्कटिका के ग्लेशियरों का पिघलना एक बहुत बड़ा संकेत है अर्थात उस क्षेत्र में रहने वाले जीव जन्तुओ को काफी क्षति हुई है। ग्लेशियर पिघलने से समुद्र जल स्तर का ऊपर उठ जाना भी एक समस्या का साधन ही है। अतः बाढ़ जैसी समस्याएं भी इससे उत्पन्न हो सकती हैं।

यह एक प्राकृतिक आपदा न कहकर मानव द्वारा निर्मित कई आपदा है क्योंकि इन गैसों का निर्माण पृथ्वी पर होने वाले सभी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिकल इलेक्ट्रिकल विद्युत चलित मशीनें हैं, जो अनेकों प्रकार की गैस से धूल धुआं इत्यादि उत्पन्न कर के वातावरण में ओजोन परत को नष्ट करती जा रही हैं।

जिससे अल्ट्रा वैलेट किरणे हमारे पृथ्वी पर आकर हमारे अंदर बीमारियां भी उत्पन्न कर रही हैं तथा वहां पर उपस्थित अन्य  गैसें, जो पृथ्वी पर आने वाली प्रकाश की किरणों को परिवर्तित नहीं करने देती है। इसी कारण से पृथ्वी पर तापमान की वृद्धि बढ़ती जा रही है।

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हम मानव जाति को अपने दैनिक जीवन दिनचर्या में सुधार लाना होगा। पेड़ों की कटाई , अपशिष्ट पदार्थों तथा प्लास्टिक जैसे अनुपयोगी पदार्थों का उपयोग बंद करना होगा।

लेकिन यह कुछ दिनों की बात नहीं है न ही एक देश कर सकता है। इसके लिए संयुक्त होकर पूरे विश्व को इस पर कानून तथा प्रबंध बनाना होगा तथा हर व्यक्ति को अपनी समझ को बढ़ाना होगा, जिससे कि वह इन सब प्रकार की समस्याओं को सुलझा सकें और देश और दुनिया को सुरक्षित रख सकें।

हमें अपने दैनिक दिनचर्या में सुधार लाना चाहिए। डीजल तथा पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को अनावश्यक उपयोग न कर के उपयोग में लाना चाहिए। बिजली को कम खपत करके करना चाहिए तथा पेड़ पौधों को न काट कर के अच्छे वातावरण का निर्माण करना चाहिए।

हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए एक कदम बढ़ा सकते हैं। यह एक कदम आपके तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छे और सुंदर वातावरण का निर्माण करेगी। धन्यवाद

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Ripal
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