“दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है”
जिस व्यक्ति को अपने आप पर विश्वास नहीं है वो कभी भी ईश्वर पर पूर्णरूप से विश्वास नहीं कर सकता।
लोग मृत्यु को बुरा नहीं मानते | अगर जान जाते की असल में मरना है क्या?
अगर किसी दूसरे का दुःख देखकर आपको भी दुःख होता है , तो समझ लेना भगवान ने आपको इंसान बना कर कोई गलती नही की ।
“मेरा जन्म नहीं हुआ है; भला मेरा जन्म या मृत्यु कैसे हो सकती है”
अहंकार द्वारा ही मानवता का अंत होता है। अहंकार कभी नहीं करना चाहियें बल्कि ह्रदय में सेवा भाव रख जीवन व्यतीत करना चाहियें।
भक्ति के बिना इंसान, भगवान् का एहसास नहीं कर सकता है |
न कोई हिन्दू है न मुसलमान है, सभी मनुष्य है, सभी समान है।
Shri Guru Nanak Dev Quotes in Hindi
“अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए. विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए”
सांसारिक प्रेम की लौ जलाओ और राख की स्याही बनाओ, हृदय को कलम बनाओ, बुद्धि को लेखक बनाओ, वह लिखो जिसका कोई अंत या सीमा नहीं है।
जो सभी व्यक्तियों को एक समान दृष्टि से देखता है, वही व्यक्ति असल मे धार्मिक है।
सिर्फ वही शब्द बोलना चाहिए जो शब्द हमे सम्मान दिलाते है ।
“प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ”
ईश्वर की सीमायें और हदें सम्पूर्ण मानव जाती की सोच से परे हैं।
भगवान को न तो स्थापित किया जा सकता है और ना ही बनाया ही जा सकता है। वो निराकार होकर भी खुद में असीम रूप से पूर्ण है।
जिसे खुद पर विश्वास नही है वह कभी भगवान पर विश्वास नही कर सकता ।
“ये पूरी दुनिया कठनाइयो में है. वह जिसे खुद पर भरोसा है वही विजेता कहलाता है”
भगवान के दरबार में सभी कर्मों का लेखा-जोखा होता है।
मैं पैदा नहीं हूं! मेरा जन्म या मृत्यु कैसे हो सकता है!
दुनिया मे किसी भी व्यक्ति को भम्र मे नही रखना चाहिए , बिना गुरू के कोई भी दुसरे किनारे तक नही जा सकता है ।
“बंधुओं ! हम मौत को बुरा नहीं कहते, यदि हम जानते कि वास्तव में मरा कैसे जाता है”
Shri Guru Nanak Dev Quotes in Hindi
बिना गुरु के कोई दूसरे किनारे पर नहीं जा सकता।
चाहे कितनी भी ग़लतफ़हमियाँ पाल लो | बिना गुरु के नैया पार नहीं लग सकती।
“भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है”
धन को जेब तक ही रखें उसे ह्रदय में स्थान न दें। जब धन को ह्रदय में स्थान दिया जाता है तो सुख शांति के स्थान पर लालच, भेदभाव और बुराइयों का जन्म होता है।
असंख्य रूपो में भगवान एक है । वह सभी का निर्माता है और वह स्वयं मानव का रूप लेता है।
संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारो पर विजय पाना अत्यावश्यक है ।