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सामाजिक समस्या पर निबंध

Samajik Samasya Par Nibandh: सामाजिक समस्या देश के हर कोने कोने में देखने को मिल रही है। सामाजिक समस्या के बारे में संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल में देखने को मिलेगी। यह आर्टिकल जिसमें हम सामाजिक समस्या पर निबंध के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं।

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सामाजिक समस्या पर निबंध | Samajik Samasya Par Nibandh

सामाजिक समस्या पर निबंध (250 शब्द)

हर देश में सामाजिक समस्या देखी जा सकती है। यह एक ऐसी परिस्थिति होती है, जोकि समाज व देश को विकास के रास्ते में परेशानियां पैदा करती है। हर जगह ऐसी कोई ना कोई समस्या जरूर होती है, जो समाज के साथ जुड़ जाती है और समाज भी इसको अपना कर चलता है। सामाजिक समस्या हमारी परिस्थिति को बिगाड़ देती है। सामाजिक समस्या उसे कहते है। जिस परिस्थिति को अधिकांश लोग और समाज द्वारा गलत समझा जाता है। समाज कितना भी पढ़ा-लिखा और शिक्षित हो, परंतु वहां पर कोई ना कोई ऐसी समस्या जरूर होती है। जो कि उनके क्षेत्र के विकास में बाधा बनती है।

सामाजिक समस्या कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे -आर्थिक समस्या जोकि समाज में गरीबी और बेरोजगारी के वजह से आती है। दूसरा सांस्कृतिक समस्या वो होती है, जो देश के नियम और कानून से उत्पन्न होती है जैसे दहेज प्रथा और किशोर अपराध और जैविक समस्या, जो प्राकृतिक अथवा संक्रमण की वजह से समाज में आती है। जैसे वर्तमान समय में कोरोला एक सामाजिक समस्या बन गया है और भी ऐसी कई सारी समस्या है, जो विविध क्षेत्र से उत्पन्न होती है और यहां की सामाजिक समस्या बन जाती है। अशिक्षित रहना भी समाज की एक समस्या में से एक है।

समाज की सबसे मुख्य समस्या यह है कि यहां कई सारे लोग अशिक्षित हैं। हर जगह शिक्षा की सुविधा देने के बाद भी बहुत से लोग शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं होते। गरीबी समाजिक  समस्याओं में से एक है। आज भारत में गरीबी का स्तर बढ़ता जा रहा है क्योंकि राजनीतिक तौर पर इन पर कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। जिनका हमारे समाज पर प्रतिकूल और हानिकारक परिणाम होता है। वे तब उत्पन्न होते हैं जब जनता प्रकृति या समाज को आदर्श स्थिति से छोड़ देती है।

सामाजिक समस्या पर निबंध (800 शब्द )

प्रस्तावना

भारत एक विशाल देश हैं। जहां विभिन्न धर्मों ,जाति ,समुदाय के लोग रहते हैं। दूसरे शब्दों में अनेकता में एकता हमारी पहचान और गौरव हैं। परंतु यह अनेक समस्याओं क कारक भी हैं। जाति ,भाषा ,रहन-सहन और विभिन्नताओं के बीच कभी-कभी सामंजस्य स्थापित करने में बहुत ज्यादा समस्या होती हैं। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोगों की विचारधारा में विभिन्नताए होती हैं। देश में व्याप्त जातिवाद, संप्रदायवाद, भाषावाद इत्यादि इनका ही दुष्परिणाम हैं। इसके चलते आज देश के सभी राज्य से दंगे ,फसाद ,लड़ाई झगड़े, मारकाट, के समाचार सुनने को मिलते हैं।

समाज की मुख्य सामाजिक समस्या

नारी के प्रति अत्याचार उसके साथ दुर्व्यवहार बलात्कार हमारे समाज की शर्मनाक समस्याएं हैं। प्राचीन काल में जिस नारी को हमारे यहां देवी के रूप में पूजा जाता था वर्तमान में उसकी भावनाओं को दबाया जाता हैं। पुरुष का अहम उसे अपने समकक्ष अधिकार देने का विरोध करता हैं। अशिक्षित ही नहीं बल्कि हमारे सभ्य शिक्षित लोगों में भी दहेज प्रथा बहुत ज्यादा प्रचलित हैं।

प्रतिदिन कितनी ही भारतीय नारियां दहेज प्रथा के कारण लोगों की बर्बरता का शिकार हो जाती हैं। अंधविश्वास , रूढ़िवादिता जैसी समस्याएं हमारे देश को पीछे धकेल रही हैं। अंधविश्वास जैसी समस्या हमारे युवकों को भाग्यवाद की और ले जा रही हैं। जिससे कि उनमें कर्म हीनता उत्पन्न हो रही हैं और वह अपनी असफलताओं के लिए अपने भाग्य को कोसते हैं। इसी प्रकार हमारे देश में कई प्रकार की सामाजिक कुरीतियां हैं।

सामाजिक समस्याओं के प्रकार

सामाजिक समस्याओं के प्रकार सामाजिक समस्याएं विभिन्न प्रकार हो सकते हैं। परंतु मोटे तौर पर चार भागों में बांटा जा सकता हैं।

  1. आर्थिक कारक- यह समस्या आर्थिक वितरण में असमानताओं के कारण उत्पन्न होती हैं। जैसे गरीबी बेरोजगारी इत्यादि।
    2.सांस्कृतिक कारक- ऐसी समस्याए जो किसी राष्ट्र या समाज की स्थापित मूल्यों ,कानून और भाषा से उत्पन्न होती हैं। जैसे दहेज ,बाल विवाह, किशोर अपराध आदि।
  2. जैविक कारक- प्राकृतिक आपदा और संक्रामक रोगों आदि के कारण होने वाली समस्याएं।
    4.मनोवैज्ञानिक कारक- बीमार मानसिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य से उत्पन्न समस्याए इसके अंतर्गत आती हैं।

भारत में कौन-कौन से सामाजिक समस्याएं हैं

आज हमारे समाज में जो भी सामाजिक बुराई हैं उन्हें शायद सूचीबद्ध किया जा सकता हैं। उनमें से कुछ प्रमुख हैं किशोर अपराध ,बाल विवाह, दहेज प्रथा ,बाल शोषण, धोखाधडी़, मादक पदार्थों की सप्लाई, मुद्रा तस्करी ,घूसखोरी, भ्रष्टाचार, आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी ,जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, रोजगार के अवसरों में कमी, गरीबी में बीमारी और भुखमरी, अन्याय तथा अधिकार का दुरुपयोग आदि।

सामाजिक समस्याओं का वर्तमान परिदृश्य

हम अपने देश को आधुनिक अग्रगामी देशों के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं और यह सच है कि भारत वैज्ञानिक ,आर्थिक, तकनीकी क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित कराने के साथ-साथ विश्व में प्रगति कर रहा हैं। जहां तक सामाजिक विकास का सवाल हैं अभी भी दूसरे देशों से इस क्षेत्र में पिछडा हुआ हैं।

2013 के लिए भारत का मानव विकास सूचकांक रैंक के दुनिया के 187 देशों में से 135 हैं। जो रिपोर्ट में सूचीबद्ध हैं इससे यह पता चलता हैं कि हम सामाजिक रूप से दूसरे देशों की तुलना में अभी भी रूढ़ीवादी मान्यताओं के लोग हैं जो कि एक दूसरे से समानता और भाईचारे की अवधारणा में विश्वास नहीं करते।

हालांकि कई सरकारी तथा गैर सरकारी एन.जी.ओ मौजूदा सामाजिक स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं। वर्तमान में कन्या भ्रूण हत्या हमारे देश की शर्मनाक सामाजिक समस्या हैं। इसके लिए बहुत सारे के उपाय भी किए गए हैं अभ्यास अभी भी जारी हैं।

इसका प्रमुख कारण हमारे यहां पर पितृसत्तात्मक व्यवस्था होना, जो कि पुरुषों को श्रेष्ठता और औरतों को उनकी अधीनता में रखना पसंद करता हैं।

सामाजिक समस्याओं को मिटाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास

देश में फैल रही सामाजिक समस्याओं को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के कदम उठाए गए हैं। जिसके माध्यम से सामाजिक समस्याओं को खत्म किया जा रहा है। कई प्रकार के अभियान चलाकर लोगों को सामाजिक समस्या से संबंधित जागरूक कराया जा रहा है और सामाजिक समस्या से लड़ने का तरीका भी बताया जा रहा है। सामाजिक समस्या को खत्म करने के लिए स्कूल से पहले जनता का जागरूक होना जरूरी है और जब जनता शिक्षित होगी। तब जनता आसानी से सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक हो पाएगी। इसलिए शिक्षा का सीधा संबंध सामाजिक समस्याओं से निपटने में नजर आ रहा है।

निष्कर्ष

स्थिति में सुधार लाने के लिए बहुत कुछ किया जाना आवश्यक हैं। लोगों की सोच को बदलें बिना यह काम संभव नहीं हैं। इस उद्देश्य से लोगों को विभिन्न समस्याओं के बारे में शिक्षित करना हैं। उन्हें अपनी सोच को बदलने के लिए संवेदनशील करना हैं। क्योंकि लोगों के सहयोग के बिना सरकारी तथा गैर सरकारी सभी प्रयास निरर्थक हैं। देश और सरकार के साथ मिलकर लोगों को समस्याओं के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए।

अंतिम शब्द

देश में फैल रही सामाजिक समस्याओं की वजह से कई प्रकार के घिनौने अपराध बढ़ रहे हैं। देश में सामाजिक समस्याओं और संतुलन पाना बहुत ही जरूरी है। आज के आर्टिकल में हमने सामाजिक समस्या पर निबंध (Samajik Samasya Par Nibandh) के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें पूरी उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से जुड़ा हुआ कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

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Ripal
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