sadhu bhagwa kapde kyon pehnate hai: सनातन धर्म की पहचान भगवा रंग से मानी जाती है, जिसको लेकर हर साधु-संत भगवा रंग के ही कपड़े पहनते हैं। अधिकतर भारत के अंदर जितने भी साधु संत है चाहे वह उच्च पदों पर बैठे हो या मंदिरों में हो या फिर निम्न पदों पर हो, वह सभी भगवा रंग के ही कपड़े पहनते हैं।
आखिर साधुओं के कपड़े का रंग भगवा ही क्यों होता है? वह दूसरे अन्य रंग के कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं? इस आर्टिकल में हम इस बात से पर्दा उठाएंगे कि sadhu bhagwa kapde kyon pehnate hai और भगवे रंग की महिमा क्या है?
भगवे रंग की महिमा क्या है?
प्राचीन काल से ही भागवे रंग की महिमा का गान साधु संतों के मुख से और धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिल जाता है, जिसमें भगवे रंग को लेकर बहुत कुछ लिखा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवा रंग अग्नि का प्रतीक होता है, जिसे शुद्ध रूप में माना जाता है।
इसीलिए किसी भी भक्ति या कथा या फिर भगवान से संबंधित कोई भी पूजा पाठ हो, उसमें भगवा रंग के वस्त्र का ही इस्तेमाल होता है। जिसे सनातन धर्म में शांति का प्रतीक और शुद्ध वस्त्र के रूप में जाना जाता है।
साधु-संत भगवा रंग के अलावा अन्य रंग के कपड़े क्यों नहीं पहनते है?
एक सवाल सब के मन में आता है कि आखिर साधु-संत भगवे रंग के अलावा अन्य रंग के कपड़े क्यों नहीं पहनते हैं? तो इसका उत्तर है कि ग्रंथो में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि सनातन धर्म की नींव ही भगवा के ऊपर रखी गई है, जिसमें प्राचीन काल से जितने भी सनातन धर्म के भगवान या देवी देवता हैं, वह सब भगवे रंग से ही मिलते-जुलते और भगवा रंग के ही कपड़े पहनते हैं।
इसी रीत को आगे बढ़ते हुए आज के दौर में भी साधु और बड़े-बड़े संत भगवे रंग को ही मानते हैं। क्योंकि यह एक साधारण कपड़ा होता है, जिसे पहनने के बाद उनका मन सब कार्यों से हटकर भगवान की शरण में ही लगा रहता है।
इसके अलावा भगवा रंग की महिमा के रूप में देखे तो साधु-संत भगवा कपड़े पहनकर समाज सेवा को सची-निष्ठा और मान-सम्मान से करते हैं।
आखिरकार साधु-संत भगवा रंग का कपड़ा ही क्यों पहनते हैं?
जैसे कि आप सबको पता है कि आज के दौर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भगवे रंग के कपड़े में ही देखा जाता है। क्योंकि उनका जुड़ाव राजनीति में आने से पहले एक संत के रूप में था। जहां पर वह पूजा, पाठ, यज्ञ, आहुति और वगैरा इत्यादि करते थे। इसीलिए आज भी वह भगवे रंग के कपड़े ही पहनते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि जब साधु-संत प्राचीन काल में यज्ञ, पूजा और पाठ करते थे तो वह अपने साथ हमेशा अग्नि को लेकर चलते थे। लेकिन आज के दौर में यह संभव नहीं है।
इसलिए समय के बदलाव के अनुसार भगवे रंग को अग्नि का रूप मानकर, साधु-संत धारण करते हैं और उसे हमेशा अपने साथ सनातन धर्म शांति का प्रतीक और अग्नि की सच्ची आहुति के रूप में देखते हुए रखते हैं।
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