Psychology क्या होता है (Psychology Kya Hai): आपने साइकोलॉजी का नाम जरूर सुना होगा। साइकोलॉजी एक वैज्ञानिक पढ़ाई है, जिसके माध्यम से हमारे मस्तिष्क के फंक्शन और ह्यूमन बिहेवियर को समझना पड़ता है। ह्यूमन बिहेवियर का मतलब मनुष्य के व्यवहार को समझना होता है।
डाटा को संग्रहण करने के लिए साइकोलॉजी, न्यूरोसाइंस, फिजियोलॉजी इत्यादि क्षेत्र की मदद लेनी पड़ती है। आज का हमारा यह आर्टिकल जिसमें हम Psychology के बारे में बात करने वाले हैं।

मनोविज्ञान क्या होता है? इसकी शाखाएं और इतिहास | Psychology Kya Hai
विषय सूची
Psychology क्या होता है?
साइकोलॉजी जिसे मनोविज्ञान की शाखा माना जाता है। इससे हमारे मस्तिष्क फंक्शन और मनुष्य के व्यवहार को समझा जाता है। मनोविज्ञान की अलग-अलग शाखाएं होती है। मनुष्य के आधार पर और उम्र के आधार पर मनोविज्ञान की अलग-अलग शाखाएं विभाजित की गई है। मनोविज्ञान की कितनी शाखाएं हैं इसके बारे में जानकारी नीचे दी गई है।
मनोविज्ञान की शाखाएं
ऐसे तो मनोविज्ञान की बहुत सारी शाखाएं हैं। मनोविज्ञान के शाखाओं की संख्या देखी जाए तो 50 से अधिक हो सकती है। लेकिन आज हम इस आर्टिकल में कुछ मुख्य शाखाओं के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिसका सीधा संबंध मनुष्य के व्यवहार और मस्तिष्क के फंक्शन के अध्ययन को लेकर होता है।
1) सामान्य मनोविज्ञान: मनोविज्ञान की यह पहली शाखा है। इसे सामान्य मनोविज्ञान के अंतर्गत मनुष्य के हर सामान्य व्यवहार को पढ़ा जाता है। सरल शब्दों में बताया जाए तो इस मनोविज्ञान की शाखा के जरिए मनुष्य के व्यवहार के बारे में साधारण जानकारी का अध्ययन किया जाता है।
2) असामान्य मनोविज्ञान: जाहिर सी बात है कि मनुष्य सामान्य व्यवहार के अलावा कई बार असामान्य व्यवहार भी लोगों के साथ रखता है। ऐसे में इस शाखा के जरिए हर मनुष्य के असामान्य व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। दूसरे शब्दों में बात की जाए तो असामान्य मनोविज्ञान के अंतर्गत व्यक्ति के दूसरी पर्सनैलिटी की चीजें शामिल होती है।
3) शिक्षा मनोविज्ञान: मनुष्य के जीवन में नियमों व सिद्धांतों का उपयोग करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में मनुष्य क्या करता है। उसके बारे में जानकारी शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत आती है।
4) पशु मनोविज्ञान: इसके अंतर्गत मानव और पशु के बीच सामान्य व और सामान्य व्यवहार की तुलना की जाती है और मनुष्य को पशुओं के बीच अलग-अलग व्यवहारों की तुलना करते हुए हर अध्याय को पढ़ा जाता है।
5) बाल मनोविज्ञान: बाल मनोविज्ञान नाम से ही पता चलता है कि बाल मनोविज्ञान के अंतर्गत बच्चों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। बच्चों के व्यवहार के अध्ययन से संबंधित ज्ञान को बाल मनोविज्ञान के अंतर्गत रखा गया है।
6) किशोर मनोविज्ञान: जिस प्रकार से आप नाम देख रहे हैं किशोर। मनोविज्ञान इससे पता चलता है कि 13 से 18 वर्ष के किशोर और किशोरियों के व्यवहार का अध्ययन किस शाखा के अंतर्गत आता है। इस शाखा के अंदर किशोरों के व्यवहार और मानसिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
मनोविज्ञान का इतिहास
वैज्ञानिक काल से पहले मनोविज्ञान की उत्पत्ति हुई है। Psychology शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग Rudolf Gockel नामक वैज्ञानिक ने सन 1590 में किया था। साइकोलॉजी शब्द को ग्रीक भाषा के दो शब्द को शामिल करके बनाया गया है। साइकोलॉजी के लिए प्रयोग किए गए दो ग्रीक भाषा के शब्द Psyche+Logo हैं।
16वीं शताब्दी में मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना जाता था। आत्मा का विज्ञान मानने वाले वैज्ञानिकों में प्लेटो, अरस्तु और भारतीय ऋषि मुनि शामिल थे। उसके पश्चात 17 वीं शताब्दी में वैज्ञानिकों ने इसे मन की विज्ञान कहा। सन 1879 के दौरान मनोविज्ञान की पहली बार प्रयोगशाला आरंभ की गई और उसके पश्चात मनोविज्ञान सब्जेक्ट को एक नई पहचान मिली।
19वीं शताब्दी के दौरान वैज्ञानिकों ने मत के अनुसार चेतना का विज्ञान कहकर इस सब्जेक्ट को पुकारना शुरू किया। उसके पश्चात प्रसिद्ध वैज्ञानिक विलियम जेम्स द्वारा को नया नाम दिया। वर्तमान तक इस विज्ञान की 50 से अधिक शाखाएं बन चुकी है।
मनोविज्ञान से जुड़े कुछ प्रयोग का अध्ययन
मनुष्य के मस्तिष्क में बहुत सारी गतिविधियां एक साथ चलती है। मनुष्य का मस्तिष्क काफी कॉन्प्लेक्स होता है। जिसकी वजह से हर दिन कोई न कोई बात दिमाग में चलती रहती है। हमारे दिमाग का जो फंक्शन और मनुष्य का व्यवहार होता है। उसके बारे में रोजाना उतार-चढ़ाव और कुछ नया होता रहता है। Psychology से जुड़े कुछ प्रयोग के अध्ययन के बारे में जानकारी नीचे निम्नलिखित रुप से दी गई है:
- आप दुनिया में जो चीज देखते हैं, उसी पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की फिल्म और टीवी सीरियल देखना पसंद करते हैं।
- लोग दुनिया में होने वाली क्राइम और घटनाओं के बारे में देखते हैं तो उसी प्रकार की फिल्म और टीवी सीरियल देखना पसंद करते हैं।
- जो व्यक्ति कॉमेडी पर ज्यादा ध्यान देता है। वह व्यक्ति फिल्म और टीवी सीरियल भी कॉमेडी देखता है और दुनिया में हरदम हंसमुख रहता है।
- मनुष्य के मस्तिष्क की एक्टिविटी कल्चर के आधार पर निर्भर करती है। प्रयोगों में सामने आया है कि एशियन कंट्री के लोगों का मस्तिष्क काफी प्रोग्रेस कर रहा है। एशियन देशों की तुलना में वेस्टर्न देशों की बात की जाए तो एशियन देशों का मस्तिष्क काफी तेजी से प्रोग्रेस कर रहा है।
- प्रयोगों में सामने आया कि एशियन देशों के लोगों में प्रॉब्लम को सॉल्व करने के नए तरीके बहुत जल्द मिल रहे हैं। सामने दिखने वाली चीजों के पीछे छुपे हुए राज को ढूंढने में लोगों की क्षमता बढ़ रही है।
- साइकोलॉजी के आधार पर पता चला है कि व्यक्ति एक समय में 150 लोगों के साथ नजदीक रिलेशन सेव रख सकता है।
- गति सोशल मीडिया पर या अपने फ्रेंड सर्किल में कितने भी लोगों से जुड़ा हुआ क्यों ना हो, लेकिन 150 व्यक्ति को ज्यादा लोगों के साथ एक साथ क्लोज रिलेशनशिप नहीं रख सकता हैं।
- जब भी हमारे मन में नियम बहुत कठिन लगने लगते हैं। तब ऐसा लगता है कि हमारी स्वतंत्रता छिनी जाती है और रूल तोड़ने का मन करता है। उसके बाद गुस्सा करके भी मन को जबरदस्ती शांत करवाया जाता है।
- इसके अलावा एक रिसर्च में पाया गया कि व्यक्ति दूसरों की बात को तब मानना पसंद करता है। जब उसे लगता है कि यह काम उसकी मर्जी के पक्ष में हो रहा है।
- रिसर्च में पाया गया कि व्यक्ति को अपनी पहली चीज बहुत याद आती है। जैसे स्कूल का पहला दिन, कॉलेज का पहला दिन लाइफ के नए मोड़ का पहला दिन, अपना पहला kiss, अपना पहला क्रश इत्यादि।
- व्यक्ति के दिमाग में हर समय विपरीत लिंग को देखते ही फिजिकल अट्रैक्शन होता है। इस पल हमारे दिमाग का सारा डोपामिन रिलीज होता है और उसकी वजह से हमें विपरीत लिंग का सामना होता ही अट्रैक्शन शुरू होता है।
- रिसर्च में पाया गया कि रीवार्ड मिलने पर खुशी का अनुभव दिमाग के डोपामिन रिलीज होने से होता है।
- साथ ही साथ जब व्यक्ति को फिजिकल अट्रैक्शन का अनुभव होता है तब व्यक्ति के हृदय की गति बढ़ जाती है।
- इसके अलावा एक रिसर्च में पाया गया है कि जब भी किसी विपरीत लिंग के साथ ज्यादा समय तक रिलेशनशिप में रहते हैं। तो उसके साथ फिजिकल अट्रैक्शन खत्म हो जाता है और हृदय की गति बढ़ना भी बंद हो जाता है।
- साइकोलॉजी में कहा जाता है कि जब कोई भी व्यक्ति अपने पार्टनर पर पूरी तरह से विश्वास कर लेता है। यहां तक पहुंचते-पहुंचते रिलेशनशिप का पागलपन भी खत्म हो जाता है। जब व्यक्ति रिलेशनशिप को लेकर पागलपन की तरह महसूस करता है। तब व्यक्ति के दिमाग में कई प्रकार के केमिकल रिलीज होते हैं।
- जब व्यक्ति के दिमाग में डोपामिन के साथ-साथ एंड रोमांस रिलीज होता है तो व्यक्ति के हर समय दिमाग में प्यार को लेकर बातें घूमती रहती है।
- साइकोलॉजी के जरिए सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ने पर व्यक्ति के दिमाग में रोमांटिक लव को लेकर पागलपन क्रिएट होता है। ऐसा होने पर व्यक्ति नेगेटिव चीजों को इग्नोर करते हुए पॉजिटिव चीजों को फोकस करता है।
निष्कर्ष
Psychology Kya Hai बहुत ही बड़ा अध्याय है। Psychology से जुड़ी बहुत कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हमने इस आर्टिकल “मनोविज्ञान क्या होता है? इसकी शाखाएं और इतिहास (Psychology Kya Hai)” में आप तक उपलब्ध है। उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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