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नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध

नशा समाज के लिए एक अभिशाप है। व्यक्ति अपनी तनाव, चिंता और दुख को दूर करने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देता है। नशीली पदार्थ ना केवल एक व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर बना देता है बल्कि उसके परिवार को भी कमजोर बना देता है। उस व्यक्ति के परिवार के सुख को छीन लेता है। दुख तो इस बात का है कि पढ़ा लिखा इंसान जिसे नशीली पदार्थों की हानि के बारे में पता है, वह भी अपने आपको इसका आदि बनाने से रोक नहीं पाता। आज युवा पीढ़ी इसे अपने आनंद का माध्यम समझती है।

जिस देश की युवा पीढ़ी नशा को अपना राह बना ले उसका भविष्य और उसके देश का भविष्य में तो केवल अंधकार छाया हुआ है। इसीलिए इस नशे को पूरी तरीके से खत्म करना बहुत ही जरूरी है। आज के इस लेख में हम 250 और 850 शब्दों में नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध लेकर आए हैं। यह लेख ना केवल शिक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने वाला है बल्कि लोगों को जागृत करने में भी मदद करेगा।

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नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध

नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध (250 शब्द)

नशा जो एक दीमक की तरह है जो इंसान को पूरी तरीके से खोखला कर देता है। नशीली पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति अपनी संवेदनशीलता और स्मृति अस्थाई रूप से खो देता है। उसे होश नहीं रहता कि वह क्या कर रहा है? जिस कारण व्यक्ति नशे में गलत कार्य को अंजाम देता है। इस मादक द्रव्य का उल्लेख 2000 ईसा पूर्व के विभिन्न ग्रंथों में भी मिलता है, जिसमें विभिन्न उत्सवों पर सोम रस के सेवन करने का जिक्र है। लेकिन आधुनिक युग में पाश्चात्य संस्कृति से नशे को नया रूप मिला है और इसके विशेष रूप इस प्रकार हैं गांजा, भांग, चरस, हेरोइन, शराब आदि।

वैसे तो ज्यादातर लोग नशे को अपने दुख का साथी बना लेते हैं। जो तनाव, चिंता में होते हैं तो, आराम महसूस करने के लिए नशे का सेवन करते हैं। लेकिन यही नशा जो वे कुछ समय के दुख और तनाव को दूर करने के लिए सेवन करते हैं, वह जिंदगी भर का दुख बन जाता है। भले ही कोई भी व्यक्ति कुछ क्षण के आनंद पाने के लिए नशे का सेवन करता है लेकिन वह भूल जाता है कि यह नशा उसे जिंदगी भर दुख के खाई में धकेलने वाली है।

हालांकि जिन्हें पता भी होता है लेकिन वह कुछ नहीं कर पाते क्योंकि जिसे एक बार नशे का लत लग जाता है, वह कितना भी अपने आपको समझा ले लेकिन अपने आपको नियंत्रित नहीं कर पाता। जो व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है नशा उसे एक चुंबक की तरह आकर्षित करता है।

हालांकि सरकार और कई संस्थान नशे को बंद करने के लिए कई अभियान चला रही है। लेकिन आज के समय में लोग पैसे कमाने के लिए और लालच में आकर नशीली पदार्थों की बिक्री करते हैं। कुछ लोग तो समाज में ऐसे भी हैं जो अपनी बिक्री के लिए लोगों को नशे की ओर जानबूझकर धकेल देते हैं।

यहां तक कि टीवी न्यूज़ पेपर के एडवर्टाइजमेंट में भी नशीली पदार्थों का प्रचार प्रसार किया जाता है। इसमें न केवल नशा करने वाला व्यक्ति जिम्मेदार है बल्कि नशीली पदार्थों का प्रचार प्रसार करने में शामिल हर वह व्यक्ति जिम्मेदार है।

नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध (850 शब्द)

प्रस्तावना

जीवन से बढ़कर कोई भी चीज मूल्यवान नहीं है लेकिन आज की युवा पीढ़ी उसी मूल्यवान चीज का नाश कर रही है। लोग खुद अपने आयु को नशे के दुष्प्रभाव में पबकर कम कर रहे हैं। नशा न केवल किसी एक परिवार और शहर की समस्या है बल्कि यह पूरे देश और विश्व की समस्या है क्योंकि आज विश्व भर के कई लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं।

लेकिन दुख की बात तो यह है कि समस्याओं को कम करने के लिए इतना कोशिश किया जा रहा है फिर भी इसका कुछ सकारात्मक प्रभाव नहीं पड पा रहा। नशे में पड़ने के कारण आज की युवा पीढ़ी अपने जीवन का मकसद ही भूल चुकी है। जिस युवा पीढ़ी को देश के विकास में योगदान देना चाहिए वह नशे की राह पर चलना शुरू कर दी है जो अपने भविष्य को जानबूझकर अंधकार में डाल रहे हैं।

नशे का दुष्प्रभाव

नशीली पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति अपने स्मृति और संवेदनशीलता खो देता है। उसको होश ही नहीं रहता कि वह क्या बोल रहा है?, क्या कर रहा है? नशे की हालत में व्यक्ति गलत कामों को अंजाम देता है। नशे का आदी व्यक्ति कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है, जो व्यक्ति लगातार शराब का सेवन करते हैं। उनका यकृत खराब हो जाता है। तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने वाला व्यक्ति कैंसर जैसे भयानक बीमारी से ग्रसित हो जाता है।

नशा करने वाले व्यक्ति जितना नशे से प्रभावित होता है। उतना ही उसका परिवार भी प्रभावित होता है क्योंकि परिवार में एक व्यक्ति भी नशे का आदी हो जाएं तो उसके घर में दुख ही दुख छा जाता है। परिवार के साथ अच्छे पल बिताने और आनंद करने के बजाय व्यक्ति नशे को अपना दोस्त और जीवनसाथी मान लेता है।

जिस घर में कोई व्यक्ति नशा करता है, तो उसके बच्चों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। पिता या अपने बड़ों को नशा करते हुए देख बच्चे भी इसी राह पर चलना शुरू कर देते हैं। नशे के सेवन करने से दिमाग की कोशिकाओं पर बहुत बुरा असर पड़ता है। व्यक्ति अच्छे और बुरे की पहचान खो देता है।

इस तरह नशे के बढ़ते चलन के पीछे परिवार का दबाव, परिवार के बीच झगड़े, बदलती जीवन शैली और इंटरनेट का अत्यधिक, उपयोग परिवार से दूर रहना पारिवारिक कलह जैसे कई कारण है।

नशीली पदार्थों का सेवन करने का कारण

प्रश्न यह आता है कि जब हर व्यक्ति को मालूम है कि नशा करने से क्या दुष्प्रभाव है? तभी वह नशा करने से बाज क्यों नहीं आते? क्यों वह नशीली पदार्थों को अपना सहारा बना लेते हैं। समस्या यह है कि नशीली पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति अपने दुख, चिंता और तनाव को भूल जाता है। इसीलिए ज्यादातर लोग अपने तनाव को दूर करने के लिए ही नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं।

हालांकि कुछ लोग तनीक क्षण के आनंद और मौज के लिए भी नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं। आज के आधुनिक समय में तो नशीली पदार्थों का सेवन करना मानव फैशन बन चुका है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनेकों ऐसे वीडियो है जिसमें अन्य लोगों को नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। वह देख आज की पीढ़ी उनका देखा देखी करती है।

यही नहीं पैसे के लालच में बड़े-बड़े स्टार भी नशीली पदार्थों का प्रचार प्रसार करते हैं, जिसके प्रभाव में आकर युवा पीढ़ी नशीली पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं। इसके अतिरिक्त गलत संगति का भी असर होता है। कुछ गरीब बच्चे गलत लोगों के संगत में आकर नशा करना शुरू कर देते हैं। नशे की राह पर बच्चों के चलने का कारण कुछ हद तक उनके माता-पिता भी हैं।

कई घर में तो पिता खुद नशा करते हैं, जिसका प्रभाव उनके बच्चों पर पड़ता है और वही बच्चे आगे चलकर नशा करने लगते हैं। यहां तक कि कुछ अमीर मां बाप अपने बच्चों पर नियंत्रण ही नहीं रखते जिस कारण भी बच्चे नशे के ग्रस्त में फंसते चले जाते हैं।

नशे को कैसे रोके?

नशे के रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कई कड़े कदम लिए जा रहे हैं। नशीली वस्तुओं का धंधा करने वाले लोगों पर कठोरता से कार्यवाही की जा रही है और उन्हें दंड भी दिया जा रहा है। नशीली वस्तुओं की तस्करी और अवैध धंधा करने वाले व्यक्ति को पकड़ कर उस पर कार्यवाही की जाती है।

सरकार के अतिरिक्त भी कई सारे संस्थान समाज से नशे को खत्म करने के लिए कई अभियान चला रही है। कई सारे नशा रोकथाम केंद्र भी सरकार के द्वारा स्थापित किए गए हैं, जहां पर नशे के आदी हो गए व्यक्ति को नशा छुड़ाने में मदद किया जाता है।

लेकिन दुख की बात तो यह है कि पैसे के सामने आज व्यक्ति अपने आदर्श को भूल चुका है। सरकार के द्वारा इतनी कठोर कानून लागू करने और इतने सारे संस्थानों के द्वारा प्रयास करने के बावजूद भी नशे को पूरी तरीके से बंद नहीं किया जा पाया है। पैसे के लालच में बड़े-बड़े स्टार लोग मादक पदार्थों का प्रचार प्रसार करने के लिए तैयार हो जाते हैं। पैसे के लालच में नशीली पदार्थों को बेचने वाले लोग अपनी गलती से बाज नहीं आते।

सरकार के द्वारा कानून और धन के बल पर समाज से नशा जैसी सामाजिक बुराई को दूर नहीं किया जा सकता। यदि लोगों को नशीली पदार्थ से दूर रखना है तो सामाजिक चेतना, जागृति और एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है।

निष्कर्ष

हर एक व्यक्ति को समझने की जरूरत है कि नशा करना कितना खतरनाक साबित हो सकता है। यदि व्यक्ति खुद की इच्छाशक्ति पर काबू करना सीख जाएं तो वह नशीले पदार्थों का आदी नहीं बन सकता। लोग चाहे कितना भी प्रयास कर ले लेकिन जब तक वह खुद अपने आप पर काबू नहीं कर सकता तब तक कोई और उसे नशे के कैद से नहीं छुड़ा सकता।

यदि आने वाली युवाओं को नशे के गिरफ्त में फंसने से बचाना है तो उनके परिवार वालों की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को एक ऐसा माहौल दे, जिससे वे अपने दुख,अपनी परेशानी अपने माता-पिता को बता सकें क्योंकि बहुत बार कुछ बच्चे अपने परेशानी को माता-पिता को बताने का हिम्मत नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर घुटते चले जाते हैं और अंत में वे नशे को अपना सहारा बना लेते हैं। नशे को रोकना है तो जो भी एडवर्टाइजमेंट कंपनियां नशीली पदार्थों का एडवर्टाइजमेंट दिलाती है। उन पर कठोरता से कार्यवाही करने की जरूरत है।

अंतिम शब्द

आज के लेख में हम 250 और 800 शब्दों में नशे के दुष्प्रभाव पर निबंध देखें। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। यह लेख ऐसे विषय पर लिखा गया है जो समाज की सबसे बड़ी बुराई है जिसे दूर करना बहुत ही जरूरी है।

हर एक व्यक्ति को नशे के दुष्प्रभाव से परिचित होना चाहिए ताकि वह अपने आप को नशे की राह पर जाने से रोक सके और आने वाली पीढ़ी को भी नशे की राह पर जाने से रोके। इसीलिए इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव तो आप हमें कमेंट में लिख कर बता सकते हैं।

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Ripal
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