देश की युवा पीढ़ी यदि गलत रास्ते पर चले जाएं तो इसमें नुकसान केवल उन युवा पीढ़ी का ही नहीं होता बल्कि इसमें देश का भी नुकसान होता है। युवा पीढ़ी के गलत राह पर चले जाने से देश की तरक्की रुक जाती है क्योंकि इन्हीं से तो देश की तरक्की है। लेकिन आज की युवा पीढ़ी नशे के राह पर जा रही हैं। इससे ना केवल उस व्यक्ति का भविष्य और जीवन खराब होगा बल्कि उसके परिवार वालों की भी जिंदगी खराब हो जाती है।
एक व्यक्ति जब नशा करना शुरू कर देता है तो उसका घर परिवार का जीवन में अंधेरा छा जाता है। दुख तो इस बात का है कि यह सब जानने के बावजूद भी युवा पीढ़ी नशे का सेवन करना नहीं छोड़ रही है। इसीलिए स्कूल कॉलेजों में बच्चों को नशा और युवा पीढ़ी पर निबंध के जरिए नशीली पदार्थ के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसलिए आज के इस लेख में हम 250 और 800 शब्दों में नशा और युवा वर्ग पीढ़ी पर निबंध लेकर आएं हैं।
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नशा और युवा वर्ग पर निबंध
नशा और युवा वर्ग पर निबंध (250 शब्द)
भारत दुनिया के देशों में सबसे अत्यधिक युवा पीढ़ी वाला देश है। यह भारत के लिए शान की बात है क्योंकि युवा पीढ़ी पर ही देश की तरक्की होती है। लेकिन जब युवा पीढ़ी गलत राह पर चली जाएं तो फिर देश की तरक्की कैसे हो सकती है। आज नशा इस कदर युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है जैसे एक दीमक लकड़ी को बर्बाद कर देता है। नशा नाश के समान होता है और आज भारत की युवा पीढ़ी बहुत तेजी से नशाखोरी की प्रवृत्ति अपना रही है। यहां तक कि एक अनुमान के मुताबिक 130 करोड़ की आबादी में 10 करोड़ लोगो को नशे की लत है।
ज्यादातर युवा पीढ़ी अपने तनाव को दूर करने के लिए नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं। कुछ युवा पीढ़ी अपने से व्यस्क लोगों को नशीली पदार्थों का सेवन करते हुए देख नशीले पदार्थों का सेवन करना शुरू कर देते हैं, कुछ लोग बुरी संगत में आकर नशीली पदार्थों का सेवन शुरू कर देते हैं। युवा वर्ग के लिए नाशा एक फैशन बन चुका है।
आजकल तो लड़कियां भी नशे की राह पर चलने लगी है। क्या इन सब चीजों को रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकार की है? सरकार के साथ युवा पीढ़ी के परिवारों की भी उतनी ही जिम्मेदारी है। उनका फर्ज है कि वह अपने बच्चों को नशे के राह पर जाने से रोके। बच्चों के सामने यदि व्यस्क लोग नशा करेंगे तो, निश्चित ही उसका गलत प्रभाव उनके बच्चे पर पड़ेगा, जो आगे चलकर खुद भी नशे की राह पर चलना शुरू कर देंगे।
यदि आज के युवा वर्ग को नशीली पदार्थ के सेवन से बचाना है, उन्हें नशे की राह पर जाने से रोकना है तो नशीली पदार्थों की बिक्री पर कठोरता से रोक लगानी पड़ेगी। यह नशीली पदार्थों ‘हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती है’ लिखकर उसे बेचा जाता है ताकि दुकानदार इसके लिए जिम्मेदार ना हो।
हालांकि जो लोग नशे के सागर में डूब चुके हैं वह तो, नशीली पदार्थों को खरीदेंगे ही चाहे उस पर कितने भी निर्देश लिख दिए जाएं। लेकिन इसमें दोस्तों नशीली पदार्थ बनाने वाली कंपनियों की है। सरकार को नशीली पदार्थ बनाने वाली कंपनियों पर रोक लगानी चाहिए और खुलेआम दुकानों पर बेचने पर भी रोक लगाने चाहिए, तभी जाकर युवा पीढ़ी नशीली पदार्थों के सेवन से बच पाएंगी।
नशा और युवा वर्ग पर निबंध (850 शब्द)
प्रस्तावना
देश के विकास में युवा पीढ़ी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यदि युवा पीढ़ी ही नशे जैसी भयानक राह पर चली जाएं तो फिर देश की तरक्की कैसे होगी? नशे से भले ही उन्हें दो पल के लिए सुख और मजा आता हो लेकिन इससे पूरा जिंदगी दुख से भर जाता है। नशे को अपना लत बना चुका व्यक्ति जीवन के महत्व को ही भूल जाता है। वह अपने परिवार के साथ समय बिताने और जिंदगी को आनंद पूर्वक जीने के बजाय नशे की दलदल में धंसते चला जाता है।
नशे से मानसिक सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बुरा असर पड़ता है। घर में यदि एक व्यक्ति नशा करता है तो उसका प्रभाव उसके बच्चों पर पड़ता है, जो आगे चलकर वह भी नशे को अपना सहारा बना लेते हैं। इतना ही नहीं जो व्यक्ति नशा करता है, शारीरिक रूप से उसे बहुत कष्ट सहने पड़ते हैं। कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। लेकिन दुख की बात है कि इतना कुछ जानने के बावजूद वह अपने आपको नशे से दूर नहीं रख पाता।
नशे को फैशन समझना
आज की युवा पीढ़ी नशे को फैशन समझने लगी है। उन्हें लगता है कि नशे करने में बहुत शान की बात है। दूसरों की देखादेखी में भी नशा करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि जो नशा कर रहे हैं वे आधुनिक जीवन जी रहे हैं।
इस तरह अपने आप को आधुनिक बनाने के चक्कर में वे भी नशे के चंगुल में फंस जाते हैं। सोशल मीडिया पर नशे से जुड़ी वीडियोस को देखकर वे भी नशे की राह पर चलना शुरू कर देते हैं। इस तरह आज की युवा पीढ़ी का नशे की राह पर जाने में सोशल मीडिया भी जिम्मेदार है।
तनाव को कम करने का माध्यम बनाना
आज के युवा वर्ग की यही समस्या है कि उनकी सहनशक्ति बहुत कम हो चुकी है। वे बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं। किसी चीज मे सफलता नहीं मिलता तो, उन्हें लगता है कि अब उनकी जिंदगी खत्म हो चुकी है। इसका परिणाम यह होता है कि वह डिप्रेशन में चले जाते हैं और फिर नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। इससे उन्हें केवल उनके माता-पिता ही बचा सकते हैं।
उनके माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चे को ऐसे हालात से लड़ना सिखाएं, उन्हें मजबूत बनाएं। उनके असफलता पर उन्हें डांटने के बजाय उन्हें दोबारा प्रयास करने के लिए हिम्मत बढ़ाएं। जिंदगी में बहुत सारी राह है। एक राह पर सफलता नहीं मिली तो शायद दूसरी राह पर सफलता मिल जाए लेकिन चलना बंद नहीं करना है।
गलत संगत में फसना
ज्यादातर युवा पीढ़ी गलत संगत में रहने के कारण ही नसे के चंगुल में फंस जाते हैं। जो लोग पहले से नशे की लत में है, वह दूसरों को नशा ना करने की सलाह देने के बजाय उन्हें भी नशे के दलदल में खींचने की कोशिश करते हैं। इसमें युवा खुद अपने आप को गलत संगत में फसने से बचा सकते हैं।
यदि कोई भी परेशानी आएं तो पहले माता-पिता को बताएं क्योंकि इस जीवन में माता-पिता से बढ़कर और कोई भी अच्छा दोस्त नहीं है। वे जितने अच्छे से आपकी समस्या को समझेंगे कोई अन्य नहीं समझेगा।
संस्कार की कमी
बच्चों पर माता-पिता की परवरिश बहुत ज्यादा प्रभाव डालती हैं। कुछ अमीर मां-बाप के कारण उनके बच्चे नशे की राह पर चले जाते हैं। उनके माता-पिता भी इस बात पर ध्यान नहीं देते कि उनका बच्चा क्या कर रहा है?
उन्हे लगता है पैसा है तो, बच्चा कुछ भी करें कोई समस्या नहीं। एक युवा पीढ़ी के नशे में जाने के कारण अन्य युवा भी उसके देखा देखी नशे को अपना लत बना लेता है।
नशीली पदार्थों का प्रचार प्रसार
आज पैसे के लालच में बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटी नशीली पदार्थों का प्रचार प्रसार करते हैं। जिसे देख युवा पीढ़ी उनसे प्रभावित हो जाती हैं और वे नशा करना शुरू कर देते हैं। इस तरह कहीं ना कहीं आज के युवा को नशे के दलदल में धकेलने में टीवी ऐड और फिल्म भी जिम्मेदार है, जिसमें नशीली पदार्थों का प्रचार प्रसार किया जाता है।
युवा पीढ़ी को नशे से मुक्त करने के लिए उठाए गए कदम
नशा मनुष्य के जिंदगी को तबाह कर देता है। जिंदगी सिगरेट के धुए से नहीं चलती बल्कि सुविचार और सुशिक्षा से चलती है। देश की युवा पीढ़ी को नशे से मुक्त करने के लिए भारत सरकार के द्वारा कई नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की गई है, जो लोगों में नशे को बंद करने के लिए जागरूकता फैलाती है।
युवा पीढ़ी जो नशे को अपना लत बना चुकी हैं। उनके नशे को छुड़वाने में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त वे अवैध रूप से नशीली पदार्थों की तस्करी करने वाले लोगों को या नशीली पदार्थ बेचने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाती है। कई सारी काउंसलिंग सेंटर है, जो जिंदगी से हार कर नशे की लत में पड़े इंसानों को जिंदगी की खूबसूरती से अवगत कराती है।
इस तरह नशे से युवाओं को मुक्त करने के लिए कई सारी संस्थान कार्य कर रही हैं लेकिन केवल इन संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है। युवाओं के माता-पिता और खुद युवाओं को भी जिम्मेदार होने की जरूरत है।
निष्कर्ष
नशा एक दीमक की तरह होता है जिस तरीके से दीमक लकड़ी को धीरे-धीरे खत्म कर देता है, वैसे ही नशा भी एक व्यक्ति को धीरे-धीरे खत्म कर देती है। इससे ना केवल एक व्यक्ति का अस्तित्व खत्म हो जाता है बल्कि इससे इसके परिवार के लोगों की भी जिंदगी नरक बन जाती है।
आज सरकार और बहुत सारी ऐसी संस्थान है, जो युवा पीढ़ियों को नशा मुक्त करवाने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम आयोजित करती हैं। लेकिन उनके साथ युवा पीढ़ी को भी समझने की जरूरत है कि वह पढ़े लिखे हैं, अच्छे बुरे की पहचान भली-भांति कर सकते हैं। इसीलिए नशीली पदार्थों को अपना लत ना बनाएं।
अंतिम शब्द
हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में नशा और युवा वर्ग पर 250 और 800 शब्दों में लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें क्योंकि यह लेख ना केवल ज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि युवा पीढ़ी को नशे की लत छूडवाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेख को पढ़कर कोई भी युवा पीढ़ी यदि नशीली पदार्थों का सेवन करना बंद कर दें, तो यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात होगी। लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताएं।
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yah nibandh padhne bahut hi ruchikar raha aise hi nibandh likhte rahe