Mulayam Singh Yadav Biography in Hindi: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर 2022 की सुबह सोमवार के दिन उनका निधन हो गया है। वो 82 साल के थे। उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके चलते उन्हें 2 अक्टूबर को मेदांता अस्पताल में तबीयत अचानक खराब होने के कारण भर्ती कराया गया था।
हालांकि 3 साल से इनकी तबीयत खराब चल रही थी और हर महीने इन्हें हॉस्पिटल का चक्कर लगाना पड़ता था लेकिन अगस्त से इनका हालत ज्यादा बिगड़ते चला गया। उन्हें यूरीन संक्रमण और ब्लड प्रेशर की समस्या थी।
उत्तर प्रदेश के राजनीती में मुलायम सिंह यादव का इतिहास काफी ज्यादा लंबा रहा है लगभग 30 सालों तक वे राजनीति के सफर में रहे हैं। देश के रक्षा मंत्री के पद से लेकर उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी की स्थापना तक दशकों की अपनी सियासी यात्रा में कई महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान रहे हैं।
जिसके बारे में आज के इस लेख में हम विस्तारपूर्वक जानेंगे इसके साथ ही हम मुलायम सिंह यादव का प्रारंभिक जीवन और उनके परिवार के बारे में भी जानेंगे।
मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय | Mulayam Singh Yadav Biography in Hindi
मुलायम सिंह यादव के बारे में संक्षिप्त जानकारी
नाम | मुलायम सिंह यादव |
जन्म | 22 नवंबर 1939 |
जन्मस्थान | सैफई, उत्तरप्रदेश, भारत |
पेशा | भारतीय राजनीतिज्ञ |
पद | तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ,सांसद |
उम्र | 83 साल (2022 |
धर्म | हिंदू |
जाति | यादव |
शिक्षा | एम.ए, भी.ए, भी.टी |
कॉलेज | के.के. कॉलेज, इटावा, ए.के. कॉलेज, शिकोहाबाद बी.आर. कॉलेज, आगरा |
राजनीति दल | समाजवादी पार्टी |
भाषा | हिंदी अंग्रेजी |
राशि | सिंह |
वैवाहिक जीवन | विवाहित |
पहली शादी | 1957 |
दूसरी शादी | साल 2003 |
संपत्ति | 200000000 से भी ज्यादा |
वर्तमान पता | 16, अशोक रोड, |
वर्तमान पद | सासंद |
निधन | 10 अक्टूबर 2022 |
---|---|
ई मेल (Mail ID) | Mulayamsingh.yadav@sansad.nic.in |
मुलायम सिंह यादव का परिवार
माता का नाम | मूर्ति देवी |
पिता का नाम | स्व. श्री सुघर सिंह यादव |
बहन का नाम | कमला देवी यादव |
भाइयों का नाम | शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह यादव, अभय राम यादव, रतन सिंह यादव |
पहली पत्नी का नाम | स्व. मालती देवी |
दूसरी पत्नी का नाम | स्व. साधना गुप्ता |
पहली पत्नी के बेटे का नाम | अखिलेश यादव |
दूसरी पत्नी के बेटे का नाम | प्रतीक यादव |
बहू का नाम | डिंपल यादव (अखिलेश यादव की पत्नी) |
अर्पणा यादव (प्रतीक यादव की पत्नी) |
मुलायम सिंह यादव कौन है?
मुलायम सिंह यादव एक भारतीय राजनीतिज्ञ है और उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और समाजवादी पार्टी के संस्थापक भी हैं। यह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार में इन्होंने रक्षा मंत्री के पद पर भी काम किया है और लंबे समय से सांसद रह चुके हैं।
मुलायम सिंह यादव का जन्म
मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश राज्य के इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। मुलायम सिंह के पिता का नाम सुघर सिंह यादव एवं माता का नाम मूर्ति देवी था।
मुलायम सिंह के पांच भाई बहन हैं जिनमें इनके चार भाई एवं एक बहन है। इनकी बहन का नाम कमला देवी यादव है। मुलायम सिंह के सबसे बड़े भाई का नाम राम यादव है एवं अन्य भाईयों के नाम रतन सिंह यादव ,राजपाल सिंह यादव है एंव शिवपाल सिंह यादव है। शिवपाल सिंह सबसे छोटे भाई हैं।
मुलायम सिंह यादव की शिक्षा
मुलायम सिंह यादव ने राजनीति विज्ञान में 3 डिग्री प्राप्त की है। इन्होंने उत्तर प्रदेश के इटावा के कर्मक्षेत्र कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की उसके बाद आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति में एमए की डिग्री प्राप्त की और शिकोहाबाद की ए.के कॉलेज से बी.टी की डिग्री प्राप्त की।
मुलायम सिंह का विवाह
बात करें मुलायम सिंह के विवाह की तो मुलायम सिंह ने दो शादियां की है। इनकी पहली पत्नी का नाम मालती देवी था, जिनसे उन्होंने 1957 में शादी किया था और उनकी पहली पत्नी से उनका एक बेटा अखिलेश यादव हुआ।
अखिलेश यादव साल 2012 से साल 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। यह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। साल 2003 में अखिलेश यादव की मां मालती देवी का निधन हो गया जिसके बाद मुलायम सिंह अपनी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता साधना गुप्ता को अपनी पत्नी का दर्जा सार्वजनिक तौर पर दिये।
साधना सिंह की शादी 1986 में बिजनेसमैन चंद्र प्रकाश गुप्ता से हुआ था, जिससे इन्हें एक बेटा हुआ जिसका नाम प्रतीक है। लेकिन 1 साल के बाद ही उनके वैवाहिक जीवन में तकरार शुरू हो गया 2 साल तक वे एक दूसरे से अलग रहे और फिर उनका तलाक हो गया।
तलाक होने के बाद साधना सिंह मुलायम सिंह की पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में काम की। उसके बाद इन दोनों की नजदीकियां बढ़ती गई। धीरे-धीरे इन दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। उसके बाद तो साधना अपने बेटे प्रतीक का स्कूल में उसके पिता का नाम मुलायम सिंह लिखवाती थी।
वैसे अखिलेश यादव को साधना गुप्ता बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। जिस कारण खबरों में एक बार यह भी सुना गया था कि अखिलेश यादव और मुलायम सिंह में एक समझौता भी हुआ था जिसमें अखिलेश यादव नहीं चाहते थे कि साधना गुप्ता और उनके बेटे राजनीति में कदम रखें।
हालांकि साधना गुप्ता और उनके बेटे ने बाद में राजनीति में कदम तो नहीं रखा लेकिन उनके बेटे की पत्नी अर्पणा यादव राजनीति में जरूर आई। साल 2011 में अर्पणा यादव से प्रतिक की शादी होने के बाद अर्पणा बीजेपी में शामिल हुई थी।
जुलाई 2022 को मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता का भी 62 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में निधन हो गया उनके निधन का कारण इनके लंबे समय की बीमारी बताई जा रही थी।
मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर
समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं नेता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक सफर 30 सालों तक की रही है। 1960 के दशक में मुलायम सिंह, राम मनोहर लोहिया एवं राजनारायण जैसे समाजवादी आंदोलन के बड़े नेताओं के साथ जुड़े हुए थे। हालांकि इनके पिताजी इन्हें पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन इन्होंने पहलवानी के साथ-साथ रेलियो एवं आंदोलन में भी भाग लिया।
वैसे मुलायम सिंह यादव की असली राजनीतिक सफर 1967 में उत्तर प्रदेश की जसवंता नगर विधानसभा चुनाव में जीत प्राप्त करने से हुई। उस समय उन्हें यहां से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट तो मिल गया था लेकिन इनके पास साइकिल के अलावा प्रचार-प्रसार करने के लिए कुछ भी नहीं था।
लेकिन गांव के लोगों के सहयोग ने इन्हें यहां का विधायक बना दिया आगे भी वे इस विधानसभा से 8 बार विधायक का चुनाव जीते थे। इंदिरा गांधी के द्वारा साल 1975 में भारत में आपातकाल लागू करने के दौरान मुलायम सिंह को जेल भी जाना पड़ा था जहां ये 19 महीने रहे थे।
साल 1977 में मुलायम सिंह पहली बार राज्य मंत्री बने। उसके बाद 1980 में इन्हें उत्तर प्रदेश में पीपुल्स पार्टी के प्रेसिडेंट बनाया गया। इसके बाद चौधरी चरण सिंह के लोक दल में यह अध्यक्ष के रूप में चुने गए लेकिन वे विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाए।
जिसके बाद चौधरी चरण सिंह ने हीं इन्हें विधान परिषद में मनोनीत करवाया जिससे साल 1982 में मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष नेता के रूप में चुने गए और वे इस पद पर 1985 तक रहे थे।
1989 में उत्तर प्रदेश में जब सरकार का गठन होने वाला था उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह यादव और अजीत सिंह दो उम्मीदवार थे। अजित सिंह अमेरिका से लौट कर आए थे जबकि मुलायम सिंह जनाधर वाले नेता थे। लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह अजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे।
लेकिन मुलायम सिंह को यह मंजूर नहीं था जिस कारण मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए चिमनभाई पटेल जो गुजरात के समाजवादी नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री थे उन्हें लखनऊ बुलाया गया।
यहां पर भी विश्वनाथ प्रताप सिंह ने चिमनभाई पटेल पर दबाव बना के रखा था कि वह मुख्यमंत्री के रूप में अजीत सिंह को ही फाइनल करें लेकिन मुलायम सिंह यादव का यहां पर राजनीतिक चातुर्य का प्रदर्शन बहुत जबरदस्त था।
जिसके कारण लखनऊ से लौटते ही चिमन भाई पटेल ने मुलायम सिंह के नाम को फाइनल कर दिया। इस तरह 1989 में मुलायम सिंह प्रथम बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किये।
साल 1992 में लोक दल पार्टी का विभाजन होने के बाद मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी का गठन किया। उसके बाद 1993 में विधानसभा के चुनाव में मुलायम सिंह की पार्टी ने भाजपा नेता मायावती के समर्थन के साथ गठबंधन बना कर दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने में सफल हुए। जून 1995 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे। जिसके बाद कांग्रेस ने उनका समर्थन वापस ले लिया।
1996 में दोबारा 11वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ उस समय वह मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और देश के रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किए गए थे। उस समय तो मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने के लिए बात चली थी। यहां तक कि वे इस दौड़ में सबसे आगे खड़े थे लेकिन उनके सजातियों के साथ न देने के कारण नहीं बन पाए।
उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के संभल से खड़े हुए हालांकि वे कन्नौज भी जीते थे लेकिन उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को वहां का सांसद बनाया था। साल 2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार को खड़े किए थे।
साल 2003 में मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री बने। 2004 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में वे गुन्नौर सीट से चुनाव लड़े थे जहां पर उन्होंने भारी बहुमत से जीत प्राप्त की थी। उस समय कुल डाले गए मतों में से 92 प्रतिशत मत इन्हीं को प्राप्त हुए थे।
अपने राजनीतिक सफर में मुलायम सिंह ज्यादातर चुनाव में जीत प्राप्त किए थे।साल 2009 में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत भी प्राप्त किए। इसी साल में गन्नौर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भी खड़े हुए थे और इसमें उन्होंने जीत हासिल की।
साल 2014 में हुए गृह मंत्रालय की स्थाई समिति एवं श्रम और सलाहकार समिति के सदस्य नियुक्त हो गए इसी साल साल भी लोकसभा में भी वे आजमगढ़ से सांसद चुने गए 2019 में भी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में खड़े हुए और सांसद बने।
इस तरह मुलायम सिंह यादव 11वीं 12वीं 13वीं और 15वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए थे। तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। ये राष्ट्रवाद, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र के सिद्धांतों में अटूट आस्था रखते थे।
मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक सफर में भारत की संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए निरंतर संघर्ष किया और राजनीतिक सफर में वे स्विजरलैंड, पोलैंड, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और नेपाल जैसे देशों की यात्रा भी किए थे।
मुलायम सिंह यादव का निधन
10 अक्टूबर 2022 की सुबह में मुलायम सिंह ने मेदांता अस्पताल में अस्पताल में अपनी आखरी सांस ली। वो पिछले कई सालों से बीमारी से लड़ रहे थे।
मुलायम सिंह यादव की कुल संपत्ति
मुलायम सिंह यादव की कुल संपत्ति साल 2019 में लोकसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के अनुसार 20 करोड़ से भी ज्यादा है।
मुलायम सिंह यादव से जुड़े विवाद
मुलायम सिंह यादव पर कारसेवकों पर गोली चलाने का भी आरोप लग चुका है। दरअसल यह बात 30 अक्टूबर 1990 की है उस समय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और उस समय अयोध्या में कारसेवा के लिए हजारों राम भक्त जमा हुए थे। विरोधी के कार्यक्रम से मुलायम सिंह यादव बहुत ज्यादा तिलमिलाए हुए थे जिस कारण उन्होने जानबूझकर जबरदस्त सख्ती करवा दी थी।
लेकिन कारसेवकों ने जब राम मंदिर की तरफ बढ़ना शुरू किया तो पुलिस का लाठीचार्ज उन पर शुरू हो गया और मुलायम सिंह यादव के आदेश पर पुलिस ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी जिसमें कारसेवकों की मौत भी हो गई थी।
जिस कारण 1991 में विधानसभा के चुनाव में मुलायम सिंह बहुत बुरी तरह से हार गई थे और भाजपा सरकार बनाने में सफल हुई थी। मुलायम सिंह यादव ने अपनी यह गलती 6 फरवरी साल 2014 को मैनपुरी जिले में आयोजित एक जनसभा में स्वीकारा था।
मुलायम सिंह यादव विवाद में तब फंस गए थे जब मुरादाबाद में आयोजित एक रैली में उन्होंने बलात्कार के मामले में ऐसा बयान दिया था कि बलात्कार के मामले में फांसी की सजा देना सही नहीं है। लड़कों से गलती हो जाती है कभी कबार लड़कों को फसाने के लिए भी उन पर झूठा आरोप लगा दिया जाता है।
लड़कों से तो गलती हो जाती है, फांसी की सजा देना सही नहीं है। इसलिए इस कानून को बदलने की जरूरत है। जिस कारण मुलायम सिंह का यह बयान तत्कालीन समय में देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ था। यही नहीं आगे भी उन्होंने एक बलात्कार मामले के दौरान ऐसा ही विवादास्पद बयान दिया थि।
साल 2014 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बहुत बड़ा दंगा हुआ था और उस दंगे की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि मुलायम सिंह यादव ने सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन कर दिया था जिस कारण मीडिया में उनकी बहुत आलोचना की गई थी।
मुलायम सिंह यादव वोट बैंक के लिए महिला कार्यकर्ताओं का गलत उपयोग करने के आरोप के विवाद में भी फस चुके हैं। कुछ साल पहले मुलायम सिंह यादव का यह विवादित बयान सामने आया था जिसमें उन्हें कहते हुए दिखाया गया था कि वे ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को अपने पार्टी में शामिल करने की बात कर रहे हैं।
ताकि ज्यादा से ज्यादा वोट मिले क्योंकि ऐसा प्रयोग उन्होंने पहले भी किया है। यहां तक कि उनका यह विवादित बयान के चर्चे कई समय तक उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में होते रहता था।
इतना ही नहीं साल 2015 में तो मुलायम सिंह यादव के द्वारा सामूहिक बलात्कारओं को अव्यवहारिक बताया गया था जिस कारण उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उत्तर प्रदेश में स्थित कुलपहर अदालत में उनके खिलाफ समन भेजते हुए बुलाया था।
मुलायम सिंह यादव पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह द्वारा डकैती एवं हत्या का भी आरोप लग चुका है। मुलायम सिंह को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह का यह दावा था कि इन्होंने फूलन देवी सहित तमाम डकैतों को संरक्षण दिया इतना ही नहीं वे उनसे डकैती का हिस्सा भी लेते थे।
यहां तक कि मुलायम सिंह यादव के डकैती एवं हत्या के आरोप के बारे में तो एक अखबार में भी छप चुका था जिसमें मुलायम सिंह के खिलाफ हत्या और डकैती के लगभग 32 मामले दर्ज किए गए थे। जिस कारण लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह का सांसद का टिकट भी वापस ले लिया गया था।
मुलायम सिंह यादव के जीवन पर पुस्तक
मुलायम सिंह यादव के जीवन एवं उनके राजनीतिक सफर को लेकर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं। मुलायम सिंह यादव के जीवन से संबंधित पहली किताब लेखक अशोक कुमार शर्मा ने ” मुलायम सिंह यादव- चिंतन और विचार ” नाम के शीर्षक से संपादित किया था।
अंशुमान यादव एवं राम सिंह ने भी “मुलायम सिंह ए पॉलीटिकल बायोग्राफी” नाम के शीर्षक से मुलायम सिंह यादव के प्रमाणित जीवनी लिखी हैं।
मुलायम सिंह के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य
- मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के ऐसे राजनेता है जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में बहुत कम समय में राजनीति के उच्च शिखर को हासिल कर लिया था।
- मुलायम सिंह यादव एक किसान नेता है यह जनता के बीच “नेताजी” एवं “धरतीपुत्र” के नाम से प्रख्यात हैं।
- मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक है 4 अक्टूबर 1992 में इन्होंने इस पार्टी का गठन किया था।
- 28 मई 2012 को मुलायम सिंह यादव को लंदन में अंतरराष्ट्रीय जूरी पुरस्कार” से नवाजा गया है।
- मुलायम सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके हैं।
- मुलायम सिंह यादव का फिल्म जगत के शहिंशाह कहे जाने वाले सुप्रसिद्ध अमिताभ बच्चन इसके अतिरिक्त जयाप्रदा एवं संजय दत्त जैसे दिग्गज अभिनेताओ एवं अभिनेत्री के साथ बहुत करीबी का रिश्ता है।
- उत्तर प्रदेश में अपने शासनकाल के दौरान मुलायम सिंह यादव ने अमिताभ बच्चन को उत्तर प्रदेश का राजदूत नियुक्त किया था।
- द फ्रैंक हुज़ूर” ने The Socialist: The Definitive Biography of Mulayam Sing Yadav टाइटल से मुलायम सिंह यादव के सामाजिक एवं राजनीतिक जीवनी को लिखा है जिसे वर्ष 2012 में प्रकाशित किया गया।
FAQ
मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के इटावा जिले में हुआ था।
मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक राजनेता है जो पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के संस्थापक हैं।
मुलायम सिंह यादव की दो पत्नियां थीं। जिसमें से पहली पत्नी का नाम मालती देवी था वही उनकी दूसरी पत्नी का नाम साधना सिंह था। मालती देवी से इनका विवाह 1957 में हुआ था एवं साधना सिंह से इनका विवाह 1990 में हुआ था।
मुलायम सिंह के दो बेटे हैं अखिलेश यादव एवं प्रतीक यादव। अखिलेश यादव मुलायम सिंह की पहली पत्नी मालती देवी का पुत्र है वंही प्रतीक यादव की दूसरी पत्नी साधना सिंह का पुत्र है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में आपने भारत के जाने-माने राजनेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद मुलायम सिंह यादव का जीवन परिचय (Mulayam Singh Yadav Biography in Hindi)के बारे में जाना। आज के इस लेख में हमने आपको मुलायम सिंह यादव का परिवार, इनकी प्रारंभिक जीवन ,राजनीतिक सफर और इन से जुड़े कुछ विवाद तथा रोचक तथ्यों के बारे में बताया।
हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों के साथ जरूर शेयर करें। लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में लिखकर जरूर बताएं।
यह भी पढ़ें:
रविंद्र सिंह भाटी का जीवन परिचय