Mohenjo Daro History in Hindi: मोहन जोदड़ो दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है, जो कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में आता है। इसका निर्माण आज से लगभग 4600 वर्ष (2600 ईसा) पूर्व हुआ था। यहां पर सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ अवशेष पाए गए है। सिंधु सभ्यता के सबसे बड़े शहरों में मोहनजोदड़ो का नाम शामिल है।
मोहन जोदड़ो प्राचीन मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस की सभ्यताओं के रूप में एक ही समय में मौजूद थे। आज से हजारों वर्षों पहले यहां पर लोग सभ्य, स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन जी रहे थे। मोहन जोदड़ो दक्षिण एशिया के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है।
बता दें कि मोहन जोदड़ो को हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है। इस शहर की खोज भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की गई थी, जो कि एक योजनाबद्ध तरीके से बसा हुआ शहर है। मोहनजोदड़ो का अर्थ “मुर्दों का टीला” होता है।
मोहन जोदड़ो का इतिहास एवं विनाश का कारण | Mohenjo Daro History in Hindi
मोहनजोदड़ो कहां पर स्थित है?
वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित सिंधु नदी के पश्चिम में मोहन जोदड़ो स्थित है। लरकाना शहर से लगभग 28 किलोमीटर दूर सिंधु नदी घाटी के बाद मैदानी क्षेत्र के बीच बने टीले पर है। उस समय सिंधु घाटी सभ्यता का यह टीला प्रमुख था, जिस पर शहर के सभी लोग बाढ़ के समय ठहरते थे। परंतु बाढ़ के कारण इस टीले का अधिकांश भाग रेत में दब गया था।
मोहन जोदड़ो विश्व की सबसे प्राचीनतम संस्कृति-सभ्यताओं में से एक है। विश्व की मुख्य सिंधु संस्कृति के प्रमुख शहरों में मोहनजोदड़ो, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी, कालीबंगा इत्यादि शामिल है।
मोहन जोदड़ो की मुख्य एवं प्रमुख विशेषताएं
पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई से मिले कुछ अवशेषों के आधार पर मोहनजोदड़ो की अनेक सारी विशेषताएं हैं, जो नीचे बताई गई है।
- भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर मोहनजोदड़ो की सिंधु घाटी सभ्यता का पता चला है। यह सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम एवं विकसित नगर सभ्यता है।
- भारतीय पुरातत्व विभाग को खोज के दौरान इस बात का पता चला है कि मोहनजोदड़ो हजारों साल पहले योजनाबद्ध तरीके से बसाया हुआ एक विशाल समृद्ध शहर था। यहां के लोग अत्यंत सभ्य तथा स्वस्थ तरीके से बेहतरीन जीवन यापन करते थे।
- भारतीय पुरातत्व विभाग को खोज के दौरान इस बात का भी पता चला है कि यहां के लोग हजारों सालों पहले गणित का भी ज्ञान रखते थे, इसीलिए वे इतने सभ्य तथा विकसित थे।
- मोहनजोदारो से खुदाई के दौरान कुछ लिपि मिली है, जिनसे यह पता चलता है कि उस समय के लोग पढ़ना-लिखना जानते थे, उन्हें गणित का ज्ञान था तथा वे वस्तु कला में निपुण थे। उन्हें मापना, तोलना, जोड़ना, घटाना, कम, ज्यादा, सुनियोजित तरीके से बनाना, विकसित करना तथा समृद्धि से जीवन यापन करना आता था।
- भारतीय पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान प्राप्त हुए सामानों में से एक विशेष प्रकार की इंटे भी शामिल थी, जो सभी के एक ही साइज तथा एक ही वजन की है। इससे पुरातात्विक विभाग ने यह दावा किया है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व मोहन जोदडो के लोग मापना, जोड़ना, तोलना इत्यादि सब जानते थे। उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से एक समृद्ध शहर को बसाया था।
- पुरातात्विक विभाग को खोज के दौरान सिंधु घाटी सभ्यता से आज से हजारों वर्ष पूर्व मोहन जोदड़ो के लोगों द्वारा खेती में उपयोग किए जाने वाले उपकरण भी मिले हैं, जिनसे यह पता लगाया जाता है कि उस समय के लोग उन उपकरणों से अच्छी तरह से खेती किया करते थे। उन्हें अनेक प्रकार की खेती की जानकारी थी, जिन से वे अपने जीवन यापन के लिए खेती किया करते थे।
- मोहन जोदड़ो के लोग उस समय “गेहूं तथा जौं” यह दो तरह की खेती किया करते थे। उस समय जौं वह गेहूं दो फसलें प्रमुख रूप से उगाई जाती थी।
- यहां पर आपको एक हैरान करने वाली बात बता दें कि उस समय मोहनजोदड़ो में जो गेहूं के दाने काले पड़ गए थे, उन्हें आज भी सुरक्षित संभाल कर रखा गया है। जो कि एक आश्चर्यचकित करने वाली बात है कि आखिर इतने हजारों साल बाद भी गेहूं के काले दानो को कैसे रखा गया है और वह अभी तक कैसे सुरक्षित हैं।
- इतिहासकारों के अनुसार खेती से उपजे सामानों को भी सुनियोजित तरीके से रखने का प्रबंध था। खाने पीने तथा महत्वपूर्ण सामानों को भी पानी से बचाने की भी व्यवस्था थी।
- खोजकर्ताओं के अनुसार मोहन जोदड़ो में पक्के घर, पक्के ईटों से बने हुए शौचालय, स्नानघर तथा पूरे शहर में पानी निकलने के लिए सुनियोजित तरीके से बनी हुई पक्की नालियां से पता चलता है कि उस समय के लोग वास्तुकला में निपुण थे।
मोहन जोदड़ो की संस्कृति सभ्यता
भारतीय पुरातत्व विभाग को मोहन जोदड़ो में हुई खोज के दौरान इस बात का पता चला है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व मोहन जोदड़ो के लोग अत्यंत सभ्य थे, वे संस्कृति को मानते थे। उनकी वेशभूषा, उनका रहन-सहन, उनके आभूषण तथा उनके खाने-पीने के मिले अवशेषों से यही पता चलता है कि वह अत्यंत ही सभ्य और स्वस्थ तरीके से जीवन यापन करते थे।
खोज के दौरान मिले तथ्यों से इस बात का पता चला है कि उस समय के लोग आज की तरह वस्त्र पहनते थे, उन्हें हर तरह के वस्त्र पहनने का ज्ञान था। खोज के दौरान कुछ ऊनी वस्त्र भी मिले हैं, जिनसे इस बात का पता लगाया गया है कि उस समय के लोग मौसम के अनुसार वस्त्र पहनने में भी सक्षम थे। वह हर मौसम में मौसम के अनुसार अनुकूलित वस्त्र पहनते थे।
विश्व की सबसे विकसित एवं प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मौसम के अनुसार पहनने वाले वस्तुओं के अलावा सोने-चांदी तथा धातु से बने हुए गहने भी पहनते हैं, जिनके अवशेष भारतीय पुरातात्विक विभाग को मोहनजोदारो में हुई खुदाई के दौरान मिले हैं।
इस बात से पता लगाया जाता है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व भी लोग धातु तथा सोना चांदी से बने हुए आकर्षक तथा अत्यंत सुंदर गहने धारण करते थे। मोहनजोदारो शहर के बीचो बीच में बना स्विमिंग पूल (सार्वजनिक स्नान ग्रह) प्रमुख आकर्षक का केंद्र था। यहां पर लोग शौक से नहाने व तैरने के लिए आते थे। इस विशाल सार्वजनिक स्नान ग्रह के आसपास व्यापारिक बाजार लगता था, जो इस केंद्र का आकर्षण और भी बढ़ा देता था।
सिंधु घाटी सभ्यता की समृद्धि का पता इसी बात से लगा जाता है कि उस समय के लोग आज की तरह यातायात के साधनों का उपयोग करते थे। वह यातायात के लिए बैल गाड़ी, घोड़ा गाड़ी इत्यादि का उपयोग करते थे। इनसे वे अपने यातायात तथा लाने-ले जाने की वस्तुओं का कार्य करते थे।
सिंधु घाटी सभ्यता में आज से हजारों वर्ष पूर्व लोग समृद्ध तरीके से और बेहतरीन तरीके से जीवन यापन करते थें, इस बात का पता भारतीय पुरातत्व विभाग की खोज में चला है। जिसमें वहां के लोगों का खान-पान, रहन-सहन, आभूषण, वस्त्र, सुनियोजित तरीके से बसा हुआ शहर, यातायात के साधन, उपकरण, खेती-बाड़ी का सामान इत्यादि वह सब कुछ था जो एक समृद्ध व सुरक्षित व स्वस्थ लोगों के लिए जरूरी होता है।
खोजकर्ताओं त्तथा इतिहासकारों के अनुसार यहां के निवासी संस्कृति को लेकर आकर्षक रहते थे। यहां के लोग मौसम के अनुसार तरह-तरह के कपड़े पहनते थे तथा सुंदर दिखने के लिए सोने-चांदी व धातु के गहने पहनते थे। आभूषण के तौर पर अंगूठी, झुमके, कंगन, हार, माला इत्यादि शामिल थे।
यहां के लोग पहनावा तथा वेशभूषा को काफी ज्यादा महत्व देते थे। खोज के दौरान मिले अवशेषों से यह पता लगाया जाता है कि उस समय के लोग अपनी संस्कृति को लेकर काफी सजग थे।
हजारों वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों को आज की ही तरह फैशन करने का भी उचित ज्ञान था, क्योंकि मोहनजोदारो में हुई भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में क्रीम, साबुन, कंगी तथा सौंदर्य का सामान मिला है। खुदाई के दौरान वहां पर अनेक प्रकार की दवाइयां भी मिली है, जिनसे पुरातत्व ने यह कहा है कि उस समय वहां के लोगों को चिकित्सा का भी उचित ज्ञान था। उस समय चिकित्सक भी होते थे।
खोजकर्ताओं को सिंधु घाटी सभ्यता में खुदाई के दौरान ऐसे अनेक सारे स्थान तथा अवशेष मिले हैं, जिनसे इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वहां के लोग आज से हजारों वर्ष पूर्व कितने भाई-चारा तथा प्रेम से मिलजुल कर रहते थे। इसके अलावा वहां से युद्ध का अब तक कोई भी नाम निशान नहीं मिला है। इससे प्रेम तथा लोगों का आपसी अच्छे संबंध होने का दावा किया जा रहा है।
सिंधु घाटी सभ्यता में हुई खुदाई के बाद खोजकर्ता इतिहासकार तथा जानकार यही कहते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की अत्यंत प्राचीन तथा विशाल सभ्यताओं में से एक है। यह समृद्ध, सुरक्षित व योजनाबद्ध तरीके से बसाया हुआ एक शहर था।
बता रहे हैं कि मोहन जोदड़ो में हुई खुदाई के दौरान जो अवशेष मिले हैं, उन्हें दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित संरक्षित किया गया है।
मूल्यवान मूर्तियां तथा कलाकृति
मोहन जोदड़ो के लोगों की संस्कृति तथा उनके ज्ञान का पता इसी बात से लगाया जाता है कि खुदाई के दौरान अनेक सारी बेशकीमती मूर्तियां तथा वस्तुएं मिली है, जिनमें नाचती हुई लड़की की काश्य की मूर्ति पाई गई है। इसके अलावा कुछ पुरुषों की भी मूर्तियां पर नक्काशी का कार्य किया गया है। वे सभी अलग-अलग रंग की है।
इससे यह साफ पता होता है कि उस समय उन लोगों के पास अनेक प्रकार के उपकरण संसाधन तथा तरह तरह का ज्ञान था, जिनसे वे अपनी संस्कृति व सभ्यता को चार चांद लगाते थे।
खोजकर्ता को मोहनजोदारो में हुई खुदाई के दौरान बेश कीमती पत्थरों से बनी अनेक प्रकार की रंग-बिरंगी तथा अद्भुत मूर्तियां मिली है, जिनमें हाथी के दांत से बने मूर्तियां वश् वस्तुएं भी शामिल है। यह सभी दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई है।
खुदाई के दौरान सिंधु घाटी सभ्यता से खेलने के खिलौने तथा म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट भी पाए गए हैं, जिन से खोजकर्ता ने यह अनुमान लगाया है कि आज से हजारों वर्ष पूर्व भी आज की तरह म्यूजिक, स्पोर्ट्स, डांसिंग तथा मौज मस्ती के शौकीन थें। उनके लिए अलग से विशेष कक्ष बने हुए थे, जहां पर यह सब होता था।
इसके अलावा खुदाई के दौरान भारतीय पुरातात्विक विभाग को बड़ी-बड़ी इमारतें, मुद्राएं, मूर्तियां, खेती के उपकरण, ईट, तराशे हुए पत्थर, जल कुंड, सुंदर भवन, कपड़े, मिट्टी और धातु के बने बर्तन और भी ना जाने बहुत सी अलग-अलग चीजे मिली।
खोजकर्ताओं तथा इतिहासकारों का कहना है कि मोहनजोदारो से ही पूरी दुनिया भर में पानी की नालियां बनाने की योजना शुरू हुई थी। बता दें कि मोहनजोदारो में पानी की नालियां काफी योजनाबद्ध तरीके से बनाई गई थी, जो इतिहासकारों व खोजकर्ताओं सोचने पर मजबूर कर रही है।
मोहन जोदड़ो से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण एवं रहस्यमयी तथ्य
मोहन जोदड़ो का सिंधी भाषा में अर्थ “मृतकों का टीला” होता है, जो कि सिंधु नदी के पूर्व किनारे वर्तमान पाकिस्तान में स्थित हैं।
मोहन जोदड़ो की खोज मशहूर भारतीय इतिहासकार “रखलदास बनर्जी” (जो कि पुरातत्व विभाग के सदस्य भी थे) ने वर्ष 1922 में की थी।
मोहन जोदड़ो की खुदाई से पहले इंजीनियर को सबसे पहले सिंधु घाटी के पास बसे सभ्यता के बारे में पता चला।
मोहन जोदड़ो की खुदाई का कार्य कसा नाथ नारायण ने आगे बढ़ाया था। इसके बाद सिंधु घाटी सभ्यता को इतिहासकारों द्वारा प्रागैतिहासिक काल में रखा गया।
खोज के दौरान मोहन जोदड़ो व सिंधु घाटी सभ्यता में पक्के घर तथा पक्के इंटों से बने हुए शौचालय व स्नानघर मिले।
खुदाई के दौरान मिले कंकालों का निरीक्षण किया गया, जिससे यह बात पता चली कि उस समय के लोग भी नकली दातों का इस्तेमाल करते थे तथा उस समय डॉक्टर भी हुआ करते थे।
आज से हजारों वर्षों पूर्व मोहन जोदड़ो के लोग आज की तरह धरती की पूजा करते थे, क्योंकि वे लोग धरती को अन्न, फल, फूल व सब्जियां उगाने वाली देवी मानते थे। सिंधु घाटी सभ्यता के लोग आज की तरह प्रकृति प्रेमी भी हुआ करते थे।
वे नदियां भगवान तथा पेड़ पौधों की पूजा करते थे। खुदाई के दौरान सूर्य आराधना, स्वस्तिक चिन्ह तथा शिव पूजा के कुछ प्रमाण मिले हैं। जिनसे उनकी संस्कृति तथा उनके आस्था के बारे में पता लगाया जा सकता है।
खोज के दौरान इस बात का पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग जानवरों का शिकार करते थे, मछली पकड़ते थे तथा व्यापार भी करते थे। तथ्यों तथा अवशेषों में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि उस समय के लोग महिलाओं को मान-सम्मान देते थे तथा नारी पूजा पर भी बल दिया जाता था। जो प्रमाण मिले हैं, उसके अनुसार उस समय सिंधु घाटी सभ्यता में वेश्यावृत्ति तथा पर्दा प्रथा होने की भी जानकारी मिलती है।
सिंधु घाटी सभ्यता पर पहली बार वैज्ञानिक जब पहुंचे तब उन्हें मरे हुए जानवर पशु-पक्षी तथा मानव कंकाल मिले थे। इसीलिए इस नगर को “मोहन जोदड़ो” अर्थात “मौत का टीला” कहा जाता हैं।
मोहन जोदड़ो का इतिहास काफी गौरवशाली तथा रहस्यों से भरा हुआ है। मोहन जोदड़ो का सबसे मुख्य तथा प्रमुख रहस्य यह है कि इतने सभ्य, विशाल तथा योजनाबद्ध तरीके से बसे हुए शहर का विनाश आखिर कैसे हुआ?
मोहनजोदड़ो के विनाश के कारण
मोहन जोदड़ो एक अत्यंत ही विशाल सभ्य तथा योजनाबद्ध तरीके से बसा हुआ शहर था। खोज के दौरान मिले अवशेष के आधार पर इसकी सभ्यता, विशालता, संगमता व संस्कृति इत्यादि सभी बातों का पता लगाया गया लेकिन इसके विनाश को लेकर वैज्ञानिक, खोजकर्ता व पुरातात्विक अलग-अलग राय रखते हैं। कुछ खोजकर्ता एवं वैज्ञानिकों के मुताबिक मोहनजोदारो के विनाश का कारण जलवायु में परिवर्तन तथा प्राकृतिक आपदा है।
मोहन जोदड़ो के विनाश का कारण कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार सिंधु नदी में आई बाढ़ की वजह से हुआ है। सिंधु नदी में आई बाढ़ की वजह से पूरा मोहन जोदड़ो तबाह हो गया। जबकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसके विनाश का कारण भयंकर भूकंप था।
कुछ वैज्ञानिकों ने मोहन जोदड़ो की खुदाई के दौरान मिले नर कंकालों के आधार पर किसी बड़े विस्फोट होने की बात कही है। उन्होंने मोहनजोदारो के विनाश का कारण किसी बड़े विस्फोट का होना बताया है।
मोहन जोदड़ो में हुई खुदाई के खोजकर्ता द्वारा विनाश का कारण महाभारत काल से जोड़ा गया है। मोहनजोदारो के खोजकर्ता के अनुसार महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा द्वारा छोड़ा गया ब्रह्मास्त्र मोहन जोदड़ो के विनाश का कारण बताते हैं।
मोहनजोदारो के खोजकर्ताओं द्वारा मोहनजोदारो की तबाही का कारण एक नहीं बल्कि 2 ब्रह्मास्त्र छोड़ने को बताया है। ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा ने पिता की मौत की खबर सुनकर गुस्से में पांडवा का विनाश करने हेतु ब्रह्मास्त्र छोड़ने की योजना बनाई। अर्जुन का पीछा करके उस पर ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया इस वार को रोकने के लिए अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र छोड़ा था, जिसकी वजह से सिंधु घाटी सभ्यता का विनाश हो गया।
जानकारों के अनुसार महाभारत काल में छोड़े गए ब्रह्मास्त्र आधुनिक युग में बनाए जा रहे Nuclear Power यानी परमाणु बम की तरह होता था। इसीलिए महाभारत काल के ब्रह्मास्त्र को भी मोहन जोदड़ो का तबाही के मुख्य कारण बताया जाता है।
मोहनजोदड़ो पर बनी फिल्म
बता दें कि मोहनजोदारो पर एक बॉलीवुड फिल्म भी बनी हुई है, जिसे निर्देशक आशुतोष गोवारीकर ने बनाया है। इस फिल्म के मुख्य भूमिका में मशहूर बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन है तथा उनके साथ पूजा हेगडे भी लीड रोल में है। मोहन जोदड़ो फिल्म में इस महा विकसित नगर की तबाही का कारण अत्यंत भयानक जल प्रलय अथवा बाढ़ को बताया गया है।
भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा मोहनजोदारो में की गई खुदाई के बाद यहां के पुरातात्विक महत्व को देखते हुए इसे यूनेस्को द्वारा World Haritage यानी विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल किया गया है।
निष्कर्ष
आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल “मोहन जोदड़ो का इतिहास (Mohenjo Daro History in Hindi)” काफी पसंद आया होगा। यदि आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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