मशहूर भारतीय गीतकार और टेलीविजन स्क्रिप्ट राइटर मनोज मुंतशिर को आज के समय में आखिर कौन नहीं जानता है। अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता के कारण मनोज मुंतशिर भारत के श्रेष्ठ गीतकारों में जाने जाते हैं।
इन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे है। लेकिन उनकी सफलता की कहानी आसान नहीं रही। कई संघर्षों से गुजरने के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
इस लेख में मनोज मुंतशिर बायोग्राफी (Manoj Muntashir Biography in Hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे। जिसमें बचपन से सफलता तक के सफ़र के बारे जानकारी प्राप्त करेंगे।
मनोज मुंतशिर का जीवन परिचय (Manoj Muntashir Biography in Hindi)
रियल नाम | मनोज शुक्ला |
प्रसिद्ध नाम | मनोज मुंतशिर |
पेशा | स्क्रिप्ट राइटर |
जन्म और जन्मस्थान | 27 फरवरी 1976, गौरीगंज, अमेठी (उत्तर प्रदेश) |
पिता का नाम | शिव प्रताप शुक्ला |
माता का नाम | प्रेमा शुक्ला |
शिक्षा | ग्रेजुएशन |
कास्ट | ब्राह्मण |
मनोज मुंतशिर प्रारंभिक जीवन
मनोज मुंतशिर एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के गौरीगंज अमेठी में 27 फरवरी 1976 को हुआ था। इनका असली नाम मनोज शुक्ला है। इनके पिता का नाम शिव प्रताप शुक्ला है, जो कि पेशे से किसान थे। वहीं उनकी माता का नाम प्रेमा शुक्ला है।
इनके पिता पेशे से किसान थे लेकिन घर की आर्थिक दिक्कतों के कारण 6 महीने खेती और 6 महीने पुरोहिती का भी काम करते थे। इनकी माता पेशे से एक सरकारी टीचर थी।
मनोज मुंतशिर की शिक्षा
मनोज मुंतशिर बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी तेज थे। उन्हें बचपन से कविता लिखने का भी शौक था। लेकिन कविता लिखने के लिए उन्हें उर्दू सीखने की जरूरत थी।
लेकिन एक ब्राह्मण परिवार से होने के कारण उनके आसपास उर्दू का माहौल नहीं था। इसलिए एक दिन वे किसी मस्जिद के पास से एक सेकंड हैंड उर्दू की किताब दो रुपए में खरीद ले आए।
फिर उस किताब से उर्दू के शब्दों को हिंदी में ट्रांसलेशन करके उर्दू सीखी। लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से उन्होंने बिजनेस में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
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करियर के लिए बदला अपना सरनेम
मनोज मुंतज़िर लखनऊ के ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे, इसलिए उनका सरनेम मनोज शुक्ल था। लेकिन वह अपने उपनाम को शुक्ला की जगह मुंतशीर करना चाहते थे।
घर वालों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इन्हें काफी समझाया। लेकिन मनोज अपने निर्णय पर अड़े रहे। उन्होंने ठान लिया था कि वे फिल्मों में मनोज मुंतशिर के नाम से ही गाने लिखेंगे।
लेकिन उनके पिता ये नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने मनोज को लालच देते हुए कहा कि अपना सरनेम बदलने के लिए तुम्हें क्या चाहिए। तब मनोज मुंतशिर ने अपने पिता से ₹300 की मांग की।
क्योंकि उन्हें मुंबई जाना था और उस समय मुंबई जाने की टिकट की कीमत लखनऊ से ₹300 लगती था। पिता ने मुंबई जाने का कारण पूछा था। मनोज मुंतशिर ने कहा कि वह लेखक बनना चाहते हैं।
पिता ने एक शर्त पर उन्हें रकम दे दी कि वह मुंबई गए और अगर सफल नहीं हुई तो वापस आकर अपना सरनेम बदल देंगे। मनोज ने हामी भर दी लेकिन उन्हें दोबारा अपना सरनेम बदलने की जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि मुंबई गए तो सफल होकर लौटे।
मनोज मुंतशिर का करियर
मनोज मुंतशिर का करियर मुंबई आने के बाद 1999 से शुरू हुआ। हालांकि उससे पहले भी गीतकार बनने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया था। 1997 में इलाहाबाद आकाशवाणी में काम करते थे। उस समय उन्हें 135 रुपए सैलरी मिलती थी।
1999 में मुंबई आ गए। मुंबई में उनकी मुलाकात अनूप जलोटा से हुई, जिन्होंने इन्हें भजन लिखने का काम दिया। हालांकि मनोज मुंतशिर ने पहले कभी भजन लिखा नहीं था। लेकिन पैसे की तंगी के कारण उन्होंने इस काम को करना शुरू कर दिया।
इन्हें पहले भजन के लिए ₹3000 मिले थे, जो उनके जीवन की पहली कमाई थी और पहली बार उन्होंने इतनी बड़ी रकम कमाई थी।
साल 2004 में मनोज मुंतशिर को फिल्म रंगरसिया के लिए गीत लिखने का मौका मिला था। लेकिन कुछ कारणों से वह फिल्म 10 साल के बाद 2014 में रिलीज हुई। मुंबई में मनोज मुंतशिर ने काफी संघर्ष किया था। कई रातें उन्हें वहां पर फुटपाथ पर बितानी पड़ी थी।
अपने संघर्षों को झेलते हुए एक बार उनकी मुलाकात स्टार टीवी के अधिकारी से हुई। उस अधिकारी ने उन्हें अमिताभ बच्चन से मिलवाया। अमिताभ बच्चन की पहल पर मनोज मुंतशिर को कौन बनेगा करोड़पति शो के लिए गीत लिखने का काम मिल गया।
यह मौका उनके करियर के लिए जबरदस्त टर्निंग साबित हुआ। उसके बाद वे कभी रुके नहीं और फिर आगे उन्हें कई सारे इंडियन टेलीविजन शो के लिए स्क्रिप्ट, गीत और पटकथाएं लिखने का काम मिलता रहा।
झलक दिखला जा, इंडियास गोट टैलेंट, इंडियन आइडल जूनियर जैसे कई रियलिटी शो के लिए इन्होंने पटकथाएं लिखी। देखते ही देखते कवि, गीतकार और पटकथा लेखक के रूप में इन्होंने बॉलीवुड में अपना नाम जमा लिया और आज एक बड़ी हस्ती बन चुके हैं।
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मनोज मुंतशिर के द्वारा लिखे गए गीत
- फिल्म ‘एक विलेन’ (2014)- ‘गलियां’
- फिल्म ‘बाहुबली: द बिगिनिंग’ (2015)
- फिल्म ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ ( 2016)
- फिल्म ‘जय’ गंगाजल’ (2016)
- फिल्म ‘रुस्तम’ (2016)
- फिल्म’ दो लफ्जों की कहानी – ‘कुछ तो है’(2016)
- फिल्म ‘बाहुबली 2: द कन्क्लूजन’ (2017)
- फिल्म ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ – ‘फिर कभी’ (2017)
- फिल्म ‘बाधासहो’ (2017)
- फिल्म ‘जीनियस’ – ‘दिल मेरा न सुनी’ (2018
- फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालु’ – ‘दिल चाहता है’ (2018)
- फिल्म ‘केसरी’ – ‘तेरी मिट्टी’ (2019)
- फिल्म ‘कबीर सिंह’ (2019)
मनोज को प्राप्त सम्मान एवं पुरस्कार
- आइफा अवार्ड
- अरब इंडो बॉलीवुड अवार्ड
- मिर्ची म्यूजिक अवार्ड्स
- सर्वश्रेष्ठ गीत अवार्ड्स
- द इंडियन आइकन फिल्म अवार्ड्स
- सर्वश्रेष्ठ गीत हंगामा सर्फर्स च्वाइस अवार्ड
- क्रिटिक्स अवार्ड ऑफ़ द ईयर IIFA अवार्ड्स
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने जाने-माने प्रसिद्ध गीतकार, कवि और पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर की जीवनी (Manoj Muntashir Biography in Hindi) के बारे में जाना।
इस लेख में आपने मनोज मुंतशिर का प्रारंभ जिवन, इनकी शिक्षा, इनका परिवार, इनका करियर और इन्हें मिले पुरस्कार और सम्मान के बारे में जाना।
हमें उम्मीद है कि इस लेख में मनोज मुंतशिर से जुड़े सभी प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया होगा। यदि यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरीए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।