Lalach Buri bala Hai Essay In Hindi: हर मनुष्य अपने जीवन में कहीं न कहीं पर लालच कर लेता है। लालच मनुष्य के लिए एक बला है लेकिन फिर भी मनुष्य लालच करना छोड़ता नहीं है। लालची लोगों का परिणाम बुरा ही होता है। लेकिन फिर भी मनुष्य से यह अपनी आदत नहीं छूटती है।
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लालच बुरी बला है पर निबंध (Lalach Buri bala Hai Essay In Hindi)
लालच बुरी बला है पर निबंध (250 शब्द)
हर व्यक्ति को ईमानदारी के साथ जीना चाहिए लेकिन मनुष्य के मन में कहीं न कहीं से लालच की अभिलाषा आ ही जाती है। लालच मनुष्य के लिए विनाश जैसी स्थिति पैदा कर सकता है। लालच मनुष्य की दोस्ती और मनुष्य के रिश्तों को खत्म कर सकता है।
लालच की चाह और अभिलाषा रखने वाले लोगों को भविष्य में सफलता नहीं मिलती है। लालच मनुष्य के आत्मविश्वास को कमजोर करता है। अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको ईमानदारी से काम करना होगा। लालच करने से आप अपने लक्ष्य से भटक जाएंगे और आपका आत्मविश्वास पूरी तरह से टूट जाएगा।
लालच के हजारों उदाहरण है और लालच करने वाले व्यक्ति को जब ठोकर लगती है तब उसे लालच ना करने का ख्याल आता है। लेकिन यदि व्यक्ति पहले से ही लालच ना करके ईमानदारी के रास्ते पर चले तो उसे कभी रुकने की जरूरत नहीं रहेगी।
मनुष्य में पैदा होने वाली लालच की आकांक्षा इतनी प्रबल होती है कि वह दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने में जुट जाती है। लालच मनुष्य को सदा के लिए बुरा बना देता है। मनुष्य का सुख लालच छीन लेता है।
लालच के पीछे धन की लालसा व्यक्ति के मन में इतनी बढ जाती है कि व्यक्ति धन पाने की चाह में अपनी दुख भरी जिंदगी से दूर चला जाता है और उसी लालच के पीछे भागते भागते व्यक्ति का जीवन बीत जाता है। इसलिए कहा जाता है कि लालच बुरी बला है। लालच से हमेशा दूर रहना चाहिए। व्यक्ति को किसी भी हालत में लालच नहीं करना चाहिए।
लालच बुरी बला है पर निबंध (850 शब्द)
प्रस्तावना
मनुष्य के जीवन में कई प्रकार की आदतें होती है, जिसमें लालच भी एक बुरी आदत के रूप में मनुष्य के जीवन का हिस्सा बनी हुई है। मनुष्य लालच के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद कर देता है।
लेकिन फिर भी ज्यादातर मनुष्य को लालच जैसी बुरी आदत छोड़ने में प्रॉब्लम भी होती है और मुश्किल भी होती है। मनुष्य को कभी भी लालच नहीं करना चाहिए क्योंकि लालच आपके जीवन को भी बर्बाद कर देगा और आपके रिश्तों को भी खराब कर देगा।
लालच क्या है?
लालच एक प्रकार की आत्मघाती मनोभावना है, जो व्यक्ति को कभी चैन से नहीं सोने देती है और हमेशा व्यक्ति की चाहा बढ़ाती रहती है। लालच की वजह से ही मनुष्य अपनी ईमानदारी खो बैठता है। इसी लालच के चक्कर में व्यक्ति अपना ईमान बेच देता है।
मनुष्य के जीवन में लालच का प्रभाव
साधारण तौर पर हर मनुष्य लालच करता है। हर काम को मनुष्य अपने मकसद से ही करता है ताकि उसे वहां से कुछ न कुछ फायदा हासिल हो सके। लेकिन कभी-कभी लालच इतना अधिक हो जाता है कि मनुष्य के लिए भारी पड़ जाए।
लालच मनुष्य का एक शत्रु है, जो मनुष्य की आत्मा शक्ति को खत्म कर देता है और मनुष्य को सफलता तक पहुंचने से रोकता है। लालच करने वाला व्यक्ति अपने कार्य में कभी भी सफल नहीं हो सकता है क्योंकि लालच करने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है।
शुरुआत में मनुष्य थोड़े से लालच के लिए अलग-अलग तरह के कदम उठाता है और इसी वजह से भविष्य में उसे बहुत पछताना पड़ता है। लालच मनुष्य को सुख और शांति से दूर करता है और धन की चेष्टा में व्यक्ति अपने सुख को हमेशा के लिए भूल जाता है।
परिवार और भाई-भाई के बीच होने वाले झगड़े भी लालच की वजह से ही होते हैं। सामान्य सर्वे के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि जितने भी परिवार हैं, वहां पर जमीन के विवाद तो अक्सर चल ही रहे हैं और उनके पीछे भी इस लालच का ही हाथ है।
लालच मनुष्य को मनुष्य से अलग करता है और जब यह बढ़ जाता है तो नुकसानदायक साबित होता है। लालच से मनुष्य को नुकसान के अलावा और कुछ नहीं हासिल हो सकता। लालच मनुष्य की जिंदगी को तबाह कर देता है।
लालच की कहानी
एक बार एक व्यक्ति को जमींदार के द्वारा कहा जाता है कि आज पूरे दिन में जिस जमीन पर तू दौड़ करके वापस सूरज ढलने से पहले मेरे पास पहुंचेगा, वह सारी जमीन तेरी होगी। ऐसा सुनकर व्यक्ति के मन में लालच आ जाता है और व्यक्ति सुबह उठते ही दौड़ लगाने के लिए निकल जाता है।
दौड़ते दौड़ते दोपहर हो जाता है और व्यक्ति के मन में और अधिक लालच आता है और वह सोचता है कि मुझे थोड़ी दूर और दौड़ना चाहिए। ऐसे करते-करते शाम होने वाला होता है और तब व्यक्ति को याद आता है कि मुझे वापस घर जाकर जमींदार के पास पहुंचना होगा।
उस समय व्यक्ति वापस अपने घर की ओर दौड़ लगाता है। सूरज ढलता देख व्यक्ति तेजी से दौड़ता है। लेकिन जब तक वह जमीदार के पास पहुंचता है तो सूरज ढल चुका होता है और तब उसे समझ आता है कि मुझे इतना लालच नहीं करना चाहिए था।
यदि मैं दोपहर को ही वापस आ जाता तो आज बहुत सारी जमीन मेरी होती लेकिन सूरज ढल चुका है और अब मुझे कुछ हाथ नहीं आएगा। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति को जितना मिलता है, उतने में ही व्यक्ति को खुश रहना चाहिए। ज्यादा पाने की चाह में व्यक्ति सब कुछ खो बैठता है।
लालच से दूरी बनाकर कैसे रखें?
मनुष्य को लालच से दूर रहना है तो उसे अपने मन में एक संकल्प लेना होगा और ठान लेना होगा कि मुझे किसी भी हालत में लालच नहीं करना है। मनुष्य को जितना हो सके, उतना अपने साधारण जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। लालच के चक्कर में मनुष्य को दूरी बना कर रखना अनिवार्य है।
कम सुख-सुविधाओं में जीने की इच्छा आपको लालच से दूर रख सकती है क्योंकि अधिक सुख सुविधा के चक्कर में व्यक्ति लालच में पड़ जाता है। लालच की अभिलाषा को दूर करने के लिए व्यक्ति को जो है, उसमें खुश रहना सीखना चाहिए।
मनुष्य को अपने जीवन में लालच करने की बजाय ईमानदारी के साथ काम करना चाहिए। व्यक्ति को अपनी ईमानदारी को सबसे आगे रखते हुए काम करना चाहिए ताकि लालच से दूरी बनी रहे।
निष्कर्ष
सच में लालच एक बहुत बुरी बला है, जो व्यक्ति को कभी भी सफल नही होने देती। मनुष्य ही नहीं पशु भी लालच करते हैं लेकिन मनुष्य का लालच अत्यधिक और नुकसानदायक होता है।
लालच को छोड़ने के लिए आपको बचपन से ही अभ्यास करना चाहिए। महेनत से मिलने वाली चीज़ में हमें जो खुशी मिलती है, वो लालच से पायी हुई चीज़ में कभी नहीं मिलती।
अंतिम शब्द
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