Home > Essay > दहेज प्रथा पर निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध

Dahej Pratha Par Nibandh: दहेज़ प्रथा जो हमारे समाज की सबसे कुरीति है, इसको रोकना बहुत जरूरी है। भारत में दहेज प्रथा एक ऐसी कुप्रथा बन गई है, जिसकी शुरुआत किसी अच्छे के लिए हुई थी।

लेकिन आज के समय में दहेज प्रथा सबसे बड़ी कुप्रथा बन चुकी हैं। देशभर में चारों तरफ दहेज प्रथा से संबंधित मामले सामने आ रहे हैं। हर इंसान दहेज प्रथा से परेशान है लेकिन फिर भी इसके खिलाफ आवाज उठाने से पीछे हट रहा है।

Dahej Pratha Par Nibandh
Dahej Pratha Par Nibandh

यहां पर हम दहेज प्रथा पर निबंध (Essay on Dowry System in Hindi) शेयर कर रहे है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध | Dahej Pratha Par Nibandh

दहेज प्रथा पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Dahej Pratha in Hindi)

दहेज प्रथा एक ऐसी प्रथा है, जिसे सामाजिक कुरीतियां मैं शामिल किया जा सकता है। यह सदियों से चली आ रही प्रथा है। इस प्रथा को वर्तमान में रोकने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी यहां प्रथा पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।

दहेज प्रथा का मतलब होता है कि लड़की की शादी के समय लड़की के साथ दहेज के रूप में बहुत कुछ संभाल लड़के परिवार वालों को देना पड़ता है। लेकिन गरीब परिवार के लोग यह सभी करने में असमर्थ होते हैं और उसके पश्चात लड़के पक्ष के लोगों द्वारा दहेज प्रथा के नाम पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है या दहेज के लिए विवश किया जाता है।

इसीलिए इस प्रथा को सामाजिक कुरीति मानते हुए प्रतिबंधित करने का फैसला सरकार द्वारा लिया गया। सरकार द्वारा दहेज को पूरी तरह से रोकने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अभी भी लोगों में पूरी तरह से जागरूकता नहीं फैली है। दहेज को देना और लेना लोग अच्छा काम मानते हैं लेकिन यह अच्छा काम नहीं है। यदि आप भी इस प्रकार के कार्य कर रहे हैं तो आप इस सामाजिक कुरीति को बढ़ावा दे रहे हैं, जो वर्तमान और भविष्य के लिए उचित नहीं है।

दहेज प्रथा को रोकना वर्तमान में बहुत ही जरूरी है। यदि यह प्रथा ऐसे ही चलती रही तो लाखों जिंदगियां तबाह होती रहेगी। लोगों के मन में दहेज को लेकर जो सवाल खड़े होते हैं, उन सवालों को पूरी तरह से मिटाना होगा। दहेज की वजह से महिलाओं के साथ अत्याचार भी हो रहे हैं।

दहेज के नाम पर चली आ रही यह प्रथा सदियों पुरानी है लेकिन वक्त इस प्रथा को खत्म करने का नंबर आ चुका है। मतलब ऐसे कह सकते हैं कि इस प्रथा को अभी से खत्म करना बहुत ही जरूरी है। अन्यथा आने वाली पीढ़ी के लिए यह प्रथा और भी ज्यादा खतरनाक साबित होगी। दहेज को लेकर घर घर में लड़ाई होती है और महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है।

Dahej Pratha Par Nibandh

दहेज प्रथा पर निबंध 400 शब्दों में (Dahej Pratha Essay in Hindi)

प्रस्तावना

हमारा देश जहां विकास तो हो रहा है लेकिन कई ऐसी कुप्रथाएँ आज भी चल रही है, जो देश को पीछे की ओर धकेल रही है। जिसमें दहेज प्रथा का नाम मुख्य रूप से शामिल है। दहेज प्रथा जिसे हमारे देश के लोगों के द्वारा भी बढ़ावा दिया जा रहा है। लोग इसे एक परंपरा मानते हुए बढ़ावा दे रहे हैं।

लेकिन यह हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है और इसे रोकना बहुत ही जरूरी है। इसे पूरी तरह से खत्म करना हमारे लिए एक चुनौती है और हम सभी को एक संकल्प लेकर इस दहेज प्रथा को जड़ से खत्म करना होगा।

दहेज प्रथा क्यों चल रही है?

देश में कानून होने के बावजूद भी दहेज प्रथा आज भी चल रही है। इसकी क्या वजह है? दहेज प्रथा आज भी चल रही है। इसकी कई वजह है, जो कुछ इस प्रकार है:

1. कानून का सख्त नहीं होना

हमारे देश में सन 1961 में दहेज प्रथा के खिलाफ कानून बनाया गया और सजा का प्रावधान भी रखा गया। लेकिन कानून सख्त नहीं होने की वजह से दहेज प्रथा आज भी चल रही है और ऐसा ही रहा तो कानून के लिए दहेज प्रथा को रोकना मुश्किल हो जाएगा। दहेज प्रथा के खिलाफ सरकार को और अधिक सख्त कदम उठाने चाहिए।

2. परंपरा के नाम पर दहेज प्रथा को बढ़ावा देना

हमारे देश के लोग भी दहेज प्रथा को बढ़ावा दिए जा रहे हैं, उनको इस बात का अंदाजा है कि दहेज प्रथा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है। फिर भी इस प्रथा को देश में बढ़ावा दिया जा रहा है। क्योंकि लोगों का ऐसा मानना है कि यह हमारी परंपरा है और इसे पूरा करना हमारा कर्तव्य है।

लेकिन सच्चाई की बात तो यह है कि जिस मकसद की वजह से दहेज प्रथा को शुरू किया गया था। आज उसी मकसद का कोई नामोनिशान नहीं है और आज के समय में दहेज प्रथा समाज पर एक अभिशाप है।

3. अपना महत्व बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा के तौर पर

हमारे समाज में लोग एक दूसरे से कंपटीशन बहुत अधिक करते हैं और इसी प्रतिस्पर्धा के चलते दहेज प्रथा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। किसी दूसरे ने ऐसा किया है तो मुझे इससे अच्छा करना है। इसी सोच की वजह से लोग दहेज प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं और अपने आप को बोझ में डाल रहे हैं।

दहेज प्रथा को रोकना बहुत जरूरी है

सरकार के द्वारा भी दहेज प्रथा को रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन हम सभी को मिलकर दहेज प्रथा को रोकने के लिए संकल्प लेना होगा। दहेज प्रथा को रोकने के लिए देश के हर नागरिक को ना तो दहेज लेना है और ना ही लेना है। इस बात का ध्यान रखते हुए मुद्दा उठाना होगा और देश के हर व्यक्ति को दहेज प्रथा के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करना होगा।

दहेज प्रथा पर निबंध 600 शब्दों में (Dahej Pratha Par Nibandh Hindi Mein)

प्रस्तावना

दहेज देने की प्रणाली भारतीय समाज का एक बहुत प्रमुख हिस्सा रही है। कई जगहों पर यह भारतीय संस्कृति में अंतर्निहित होने के लिए जानी जाती है और उन जगहों पर यह परंपरा से भी बढ़कर है। दुल्हन के माता-पिता ने इस अनुचित परंपरा को शादी के दौरान नकद और कई महंगे उपहार बेटियों को देकर उनकी मदद के रूप में शुरू किया, क्योंकि उन्हें शादी के बाद पूरी तरह से नई जगह पर अपना जीवन शुरू करना पड़ता था।

शुरुआत में ऐसे अन्य उपहार दिए जाते थे, परंतु इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य समय गुजरने के साथ बदल गया और अब उपहार दूल्हा और उसके माता-पिता रिश्तेदारों को दिए जाते हैं। इस प्रथा में लिंग असमानता और सख्त कानूनों की कमी जैसे कई कारणों को भी जन्म दे दिया है।

दहेज प्रणाली के खिलाफ कानून

दहेज प्रथा आर्य समाज के सबसे जघन्य सामाजिक प्रणालियों में से एक है। इसने कई तरह के मुद्दे जगह कन्या भूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परिवार में उनकी समस्या पर पैसे कमाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करना, बहू का भावनात्मक और शारीरिक शोषण करने जैसी नई समस्याओं को पैदा किया हैं।

इस समस्या को रोकने के लिए सरकार ने दहेज को दंडनीय अपराध बताते हुए कानून बना है और यहां इन कानूनों का हिसाब से जानकारी दी गई हैं।

दहेज प्रथा पर लगे मुख्य कानून

दहेज प्रथा एक बहुत ही रूढ़िवादी पड़ता है और इस प्रणाली के माध्यम से लड़की को और उसके परिवार को बहुत परेशान किया जाता हैं। दहेज प्रथा के कारण कई लड़कियों ने अपनी जान भी गंवाई हैं, इसलिए सरकार ने इस प्रथा को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कानून बनाए हैं, जो निम्नलिखित हैं:

दहेज निषेध अधिनियम, 1961

सरकार द्वारा जारी किए गए इस अधिनियम के माध्यम से दहेज देने और लेने की निगरानी करने के लिए एक कानूनी व्यवस्था लागू की गई है। इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेन-देन की स्थिति में जुर्माना लगाया जा सकता हैं। पूजा में कम से कम 5 वर्ष का कारावास और ₹15000 तक का जुर्माना राशि के आधार पर शामिल किया गया हैं।

दहेज की मांग करना दंडनीय अपराध है। अगर कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की मांग करता है तो उसे 6 महीने का कारावास और ₹10000 का जुर्माना भरना पड़ सकता हैं।

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिला का संरक्षण

दहेज प्रथा के कारण बहुत सी महिलाओं के साथ ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग को पूरा करने के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दूर किया जाता हैं। इस तरह के खिलाफ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस कानून को लागू किया गया हैं।

यह महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है। शारीरिक भावनात्मक मौखिक आर्थिक और यौन सहित सभी प्रकार के इस कानून के तहत अपराध हैं। विभिन्न प्रकार की सजा और दुरुपयोग की गंभीरता अलग-अलग रखी गई हैं।

दहेज प्रणाली को समाप्त करने के संभावित तरीके

सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के बावजूद दहेज प्रणाली की अभी भी समाज में एक मजबूत पकड़ है। इस समस्या को समाप्त करने के लिए यहां कुछ समाधान दिए गए हैं:

शिक्षा

दहेज प्रथा जाति भेदभाव और बाल श्रम जैसे सामाजिक संस्थाओं के लिए शिक्षा का अभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। लोगों को ऐसे विश्वास प्रणालियों से छुटकारा पाने के लिए तार्किक और उचित सोच को बढ़ावा देने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए। अगर संपूर्ण समाज में शिक्षा का अभाव बढ़ जाए तो ऐसी बुरी प्रथाएं खत्म हो सकती हैं।

महिला सशक्तीकरण

अपनी बेटियों के लिए एक अच्छी तरह से स्थापित दूल्हे की तलाश में और बेटी की शादी में अपनी सारी बचत का निवेश करने के बजाए लोगों को अपनी बेटी की शिक्षा पर पैसा खर्च करना चाहिए और उसे स्वयं खुद पर निर्भर करना चाहिए।

महिलाओं को अपने विवाह के बाद भी काम करना जारी रखना चाहिए और ससुराल वालों के व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के प्रति झुकने की बजाए अपने कार्य पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करना चाहिए। महिलाओं को अपने अधिकारों और वे किस तरह खुद को दुरुपयोग से बचाने के लिए इनका उपयोग कर सकती हैं से अवगत कराया जाना चाहिए।

लैंगिक समानता

हमारे समाज में दहेज प्रणाली का मुख्य कारण लिंग असमानता हैं। बहुत कम उम्र यदि बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि पुरुषों और महिलाओं का सम्मान अधिकार होता है और कोई भी एक दूसरे से बेहतर या कम नहीं होता हैं।

अगर इस प्रकार की सोच बच्चों में पहले से ही डाल दी जाए तो इस समाज में लिंग असमानता जैसी समस्या भी खत्म हो सकती हैं। इन सभी के अलावा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए कई अलग-अलग प्रकार के अभियान का भी आयोजन करना चाहिए। जिसके माध्यम से बच्चों के साथ साथ बुजुर्गों को भी इस चीज के बारे में पता चले और वह लिंग भेदभाव को करने से रोक सकें।

निष्कर्ष

दहेज प्रणाली लड़की और उसके परिवार के लिए पीड़ा का कारण हैं। इस कुंती से छुटकारा पाने के लिए समाचारों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इन्हें कानून में भी शामिल करना चाहिए। अगर हमारे समाज से दहेज प्रथा जैसी प्रीति को हमेशा के लिए समाप्त करना है तो हमें एकजुट होकर इसके खिलाफ एक अभियान चलाना होगा।

दहेज प्रथा पर निबंध 850 शब्दों में (Dahej Pratha Nibandh)

प्रस्तावना

भारत देश में दहेज प्रथा का अस्तित्व आज भी है। बाकी अन्य प्रथाएं जैसे सती प्रथा का पूरी तरह से अस्तित्व चला गया है। लेकिन दहेज प्रथा का अस्तित्व आज भी देश पर खतरे के रूप में मंडरा रहा है। दहेज प्रथा जिस को शुरू करने की वजह अलग थी। लेकिन आज के समय इस दहेज प्रथा नहीं एक विकराल रूप ले लिया है, जो हर मनुष्य के लिए भारी पड़ रही है।

पुराने जमाने में दहेज प्रथा को इसलिए चला गया था। क्योंकि नव दंपति अपने नए जीवन की शुरुआत आराम से कर सके। नव दंपति को नए जीवन की शुरुआत के लिए दोनों पक्ष के द्वारा आर्थिक और वित्तीय सहायता प्रदान कराई जाती थी।

लेकिन आज के समय में यह दहेज प्रथा जो पूरी तरह से अलग तरीके से चल रही है और दहेज प्रथा से जुड़े कई मामले दिन प्रतिदिन आ रहे हैं। इसी दहेज प्रथा की वजह से रोजाना कई लोगों की जान भी जा रही है।

दहेज प्रथा क्या है?

शादी के समय दुल्हन के साथ कुछ सामान तौर पर दी जाने वाली वित्तीय सहायता दहेज प्रथा है। पुराने जमाने के लोग इस प्रथा को नए दंपति के द्वारा अपने नए जीवन की शुरुआत के समय होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए शुरू किया था।

इस प्रथा के माध्यम से नए दंपति जब अपना नया जीवन बस आते हैं और नए जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनको वित्तीय सहायता के तौर पर दहेज प्रथा से कुछ सहायता मिलती थी। लेकिन आज यह दहेज प्रथा जो लोगों की जिंदगी ले रही है।

दहेज प्रथा कैसे नुकसानदायक है?

आज के समय में दहेज के नाम पर लोग अलग-अलग प्रकार की डिमांड कर रहे हैं और जिसके चलते लड़की पक्ष के लोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है या तो लड़की का पिता कर्ज लेकर दहेज की डिमांड पूरी करता है और यदि डिमांड पूरी नहीं की जाती है तो जीवन भर उस लड़की को दहेज ना लाने के नाम पर ताने सुने जाते हैं और शारीरिक शोषण से मजबूर किया जाता है।

इस प्रकार के मामले दिन प्रतिदिन देश के कोने कोने से सामने आ रहे हैं दहेज प्रथा के नाम पर हो रहे अत्याचार और क्रूरता दिल दहलाने वाली है।

दहेज प्रथा को कैसे रोके?

जिस प्रकार से भारत में यह कुप्रथा अपना विकराल रूप ले रही है, उसे रोकना बहुत ही जरूरी है लोगों को इसके खिलाफ कदम उठाने चाहिए। सरकार के द्वारा भी इसके खिलाफ कदम उठाए गए लेकिन सख्त कानून ना होने की वजह से दहेज प्रथा आज भी चल रही है।

दहेज के नाम पर लोगों को मजबूर किया जा रहा है, उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए और हर व्यक्ति को दहेज ना तो देना चाहिए और ना ही लेना चाहिए ऐसा करने पर ही इस प्रथा को जड़ से खत्म किया जाएगा। हर व्यक्ति को दहेज प्रथा रोकने का संकल्प लेना होगा।

सरकार के द्वारा दहेज प्रथा को रोकने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए गए?

ऐसा नहीं है कि सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया। लेकिन सरकार के द्वारा किए गए प्रयास शख्स नहीं होने की वजह से दहेज प्रथा का अस्तित्व आज भी है। अस्तित्व ही नहीं विकराल रूप में दहेज प्रथा आज देश में चल रही है। दहेज के नाम पर लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

सरकार ने 1961 में एक कानून बनाया था, जिसके तहत दहेज देने वाले और लेने वाले को 5 साल की सजा व ₹50000 का जुर्माने के साथ दंडित करने का प्रावधान रखा था। लेकिन इस कानून में शक्ति नहीं होने की वजह से दहेज प्रथा का अस्तित्व खत्म नहीं हुआ है।

दहेज प्रथा के समाज में अभिशाप है

दहेज प्रथा जो समाज के लिए एक अभिशाप है। क्योंकि इस प्रथा की वजह से कई प्रकार की समस्याएं समाज में उत्पन्न हो रही हैं, जो कुछ इस प्रकार से हैः

1. लड़की पर मानसिक बोझ बनाना

दहेज प्रथा की वजह से हजारों लड़कियां शादी के बाद अपने नए जीवन से खुश नहीं है। क्योंकि ससुराल वालों के द्वारा दहेज के नाम पर उन्हें रोज ताने सुनाए जाते हैं और प्रताड़ित किया जाता है, जिससे लड़की के दिमाग पर मानसिक बोझ और मानसिक तनाव बढ़ता है।

2. लड़की के परिवार पर भी दबाव

लड़के पक्ष की तरफ से शादी के समय दहेज की डिमांड करने पर लड़की के परिवार पर भी बड़ा दबाव उत्पन्न होता है। आर्थिक रूप से तंगी होते हुए भी लड़के पक्ष की डिमांड को पूरा करने के लिए या तो लड़की के पिता को कर्ज लेना पड़ता है या फिर अपनी जमीन बेचनी पड़ती है। कर्ज लेने के बाद अपनी जिंदगी लोन की किस्त चुकाने में ही गुजारनी पड़ती है। इसीलिए दहेज प्रथा हमारे समाज में एक अभिशाप है।

3. भ्रूण हत्या का कारण है दहेज प्रथा

आज के समय में भी भ्रूण हत्या के मामले सामने आ रहे हैं। भ्रूण हत्या क्यों की जा रही है, इसके पीछे भी दहेज प्रथा की मुख्य भूमिका है। क्योंकि लोगों को पता होता है कि आगे जाकर दहेज के नाम पर होने वाली बीमारी से पूरी नहीं होगी।

ऐसे में लड़की को लोग बोझ मानते हुए उसे मार देते हैं। अतः इस कुप्रथा को हमारे समाज से हटाना चाहिए। यह कुप्रथा हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है।

उपसंहार

देश में दहेज प्रथा आज भी चल रही है और इसका मुख्य कारण सरकार के द्वारा कानून तो बनाया गया। लेकिन उसकी सख्ती नहीं होने की वजह से है। इसके अलावा देश के नागरिक भी परंपरा के नाम पर इस प्रथा को आगे बढ़ावा दे रहे हैं।

दहेज प्रथा पर निबंध pdf (Dahej Pratha Par Nibandh PDF)

हमने यहाँ पर दहेज़ प्रथा पर निबंध पीडीऍफ़ (Dahej Pratha Per Nibandh) में उपलब्ध किया है, जिन्हें आप आसानी से डाउनलोड करके अपने प्रोजेक्ट आदि के रूप में प्रयोग में ले सकते है।

अंतिम शब्द

हमने यहाँ पर दहेज प्रथा पर निबंध (Dahej Pratha Par Nibandh) शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

यह भी पढ़े

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment