लाभ पंचमी कब है और लाभ पंचमी क्यों मनाया जाता है?

Labh Panchami Kyu Manaya Jata Hai: भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। क्योंकि भारत में प्रत्येक तीसरे दिन कोई ना कोई त्यौहार आता है। आए दिन हमें कोई ना कोई छोटे बड़े त्यौहार देखने के लिए मिल जाते हैं।

संपूर्ण भारतवर्ष में अलग-अलग समूह संप्रदाय के लोग अलग-अलग रीति रिवाज के अनुसार सनातन धर्म के विभिन्न प्रकार के पर्व एवं त्योहार मनाते हैं, जिनमें से एक लाभ पंचमी का त्यौहार भी शामिल है। लाभ पंचमी नाम से ही पता चलता है कि इससे लाभ की उत्पत्ति होती है। आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि आम तौर पर लाभ पंचमी के दिन कोई भी नया कार्य शुरू करने के लिए यह दिन शुभ माना जाता है।

सनातन धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर आप कोई नया कार्य लाभ पंचमी के दिन शुरू करते हैं, तो आपको उस व्यवसाय में उस कार्य में अतिथि गुलाब की प्राप्ति होगी तथा आप उस कार्य में सफल रहेंगे।

Labh Panchami Kyo Manaya Jata Hai
Image: Labh Panchami Kyu Manaya Jata Hai

ऐसी स्थिति में हमें यह देखने को मिलता है कि लोग किसी नए कार्य को शुरू करने के लिए या कोई महंगी वस्तु खरीदने के लिए लाभ पंचमी का इंतजार करते हैं और कहते हैं कि लाभ पंचमी के दिन वह इस वस्तु को खरीदेंगे या नया कार्य शुरू करेंगे। इस बात से आप समझ सकते हैं कि भारतीय समाज में सनातन धर्म के अंतर्गत रोगों में लाभ पंचमी को लेकर कितनी आस्था देखने को मिलती है।

लाभ पंचमी के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है जबकि जैन समुदाय के लोग ज्ञानवर्धक पुस्तक की पूजा करते हैं। इस दिन लोग अधिक ज्ञान तथा बुद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से लाभ की प्राप्ति होती है ज्ञान में वृद्धि होती है। बुद्धि का विकास होता है।

इस दिन से व्यापारी और व्यवसाय नए बहीखाता शुरू करते हैं और पुराने बही खातों को इसी दिन पर समाप्त कर देते हैं। विशेष रूप से गुजरात में इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं कि लाभ पंचमी कब है? (Labh Panchami Kab Hai) लाभ पंचमी क्यों मनाई जाती है? इसका महत्व क्या है? तथा लाभ पंचमी की पूजा विधि एवं इससे संबंधित जानकारी आइए जानते हैं।

लाभ पंचमी 2023 कब है?

लाभ पंचमी का त्यौहार सनातन धर्म के अंतर्गत आने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। क्योंकि यह पर्व सनातन धर्म का मुख्य और सबसे बड़े त्यौहार दीपावली का ही एक हिस्सा है। इस वर्ष लाभ पंचमी का त्यौहार 18 नवंबर को है।‌ हर वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष के अंतर्गत पंचमी के दिन लाभ पंचमी का पर्व मनाया जाता है।

इस दिन दीपावली के सभी पर वह समाप्त हो जाते हैं। यह दीपावली का आखिरी पर्व होता है। दीपावली के 5 दिन बाद लाभ पंचमी का त्यौहार आता है। ऐसे संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। लेकिन मुख्य रूप से गुजराती लोग इस त्यौहार को व्यवसाय से जोड़ कर मनाते हैं।

लाभ पंचमी क्यों मनाई जाती है? (Labh Panchami Kyu Manaya Jata Hai)

लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी भी कहा जाता है। क्योंकि इस पर्व को मनाने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इसीलिए लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दीपावली के 5 दिनों बाद पंचमी के दिन मनाया जाता है।

इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है तथा सांसारिक कामनाएं पूर्ण होती है। हर तरह से घर में समृद्धि और प्रगति देखने को मिलती है।‌ इसीलिए इस दिन भगवान श्री गणेश की भी पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश व्यापार में तरक्की प्रदान करते हैं।

लाभ पंचमी का महत्व

लाभ पंचमी का महत्व घर परिवार के सुख-समृद्धि, खुशहाल जीवन तथा व्यापार और व्यवसाय में तरक्की के लिए जाना जाता है। इस दिन व्यापारी व्यापार के लिए नई पुस्तकों को शुरू करते हैं। इसे व्यापारियों की भाषा में बहीखाता कहते हैं। आमतौर पर इस पर्व को मुख्य तौर पर गुजरात में मनाया जाता है।

गुजरात के व्यापारी बड़ी धूमधाम से पर्व को मनाते हैं। सभी व्यवसाई इस दिन पुरानी बहीखाता को बंद करके बहीखाता शुरू करते हैं। इसलिए माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है यह पर्व मुख्य रूप से व्यापारियों से संबंध रखता है।‌ इसीलिए जैन समुदाय के लोग भी इस दिन ज्ञानवर्धक पुस्तक की पूजा करके ज्ञान और बुद्धि की कामना करते हैं।

लाभ पंचमी पूजा की विधि (labh panchami puja vidhi)

सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लोगों को लाभ पंचमी की पूजा विधि जरूर जान लेनी चाहिए। क्योंकि सनातन धर्म के अंतर्गत यह एक मुख्य त्योहार है तथा जो लोग व्यापार एवं व्यवसाय से संबंध रखते हैं, उन्हें इस पर्व के बारे में जरूर जाना चाहिए।

  • लाभ पंचमी की पूजा विधि के अंतर्गत इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। क्योंकि माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की भी पूजा की जाती है तथा व्रत रखा जाता है। भगवान से और माता लक्ष्मी की कथा का वाचन किया जाता है।
  • लाभ पंचमी के दिन लोग सबसे पहले सुबह जल्दी उठते हैं तथा जल्दी उठकर स्नान करते हैं। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाते हैं जलाभिषेक करने के बाद लाभ पंचमी की पूजा विधि की प्रक्रिया शुरू होती है।
  • अब सबसे पहले पूजा करने के लिए पूजा थाली सजाई जाती है, जिनमें कुमकुम, चावल, चंदन, फूल, धूप, मिठाई, पकवान, भगवान श्री गणेश के लिए मोदक इत्यादि विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री ले जाती है तथा भगवान शिव माता लक्ष्मी और देव गणेश को भोग लगाया जाता है।‌ उनकी पूजा की जाती है और उनका स्मरण किया जाता है।

लाभ पंचमी से संबंधित प्रचलित मान्यताएं

लाभ पंचमी का त्योहार दीपावली के 5 दिन बाद आता है। इस दिन को दीपावली का अंतिम दिन माना जाता है या फिर दीपावली का अंतिम पर्व भी कहा जाता है। लाभ पंचमी को आमतौर पर सौभाग्य पंचमी भी कहते हैं। क्योंकि लाभ पंचमी को लेकर प्रचलित मान्यताओं में कहा गया है कि इस दिन सौभाग्य की प्राप्ति होती है, सफलता मिलती है।

कोई भी नया कार्य शुरू करने पर लाभ की उत्पत्ति होती है तथा घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। कारोबार में व्यवसाय में हमेशा लाभ मिलता है। इस दिन भगवान शिव माता लक्ष्मी और देव गणेश की पूजा करने से हर काम सफल होते हैं। यही वजह है कि लाभ पंचमी को मुख्य रूप से व्यापारी एवं व्यवसाय धूमधाम से मनाते हैं।

मुख्य रूप से लाभ पंचमी का त्यौहार गुजरात में तथा व्यापारियों के बीच नव वर्ष की तरह मनाया जाता है। इस दिन गुजराती तथा गुजरात के व्यापारी अपने व्यवसाय से जुड़े हुए बहीखाते शुरू करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन न‌ए बहीखाते शुरू करने से पूरे वर्ष भर उन्हें समृद्धि धन-दौलत और वृद्धि देखने को मिलेगी।

लाभ पंचमी को क्या सावधानियां रखें?

लाभ पंचमी नाम से ही पता चलता है कि इस दिन लाभ की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि अक्सर लोग किसी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए लाभ पंचमी का इंतजार करते हैं तथा लाभ पंचमी के दिन ही शुभ कार्य शुरू करते हैं।

लेकिन आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि लाभ पंचमी के दिन किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले आपको शुभ मुहूर्त देख लेना चाहिए। अगर आप बिना शुभ मुहूर्त देखे किसी शुभ कार्य को करने जा रहे हैं तो आप उसमें नुकसान भी हो सकता है। इसीलिए लाभ पंचमी के दिन अच्छा समय देखकर शुभ मुहूर्त के अनुसार शुभ कार्य कर सकते हैं।‌ इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

FAQ

लाभ पंचमी कब है?

लाभ पंचमी 18 नवंबर 2023 को है।

लाभ पंचमी क्यों मनाई जाती है?

इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है तथा सांसारिक कामनाएं पूर्ण होती है। हर तरह से घर में समृद्धि और प्रगति देखने को मिलती है।‌ इसीलिए इस दिन भगवान श्री गणेश की भी पूजा की जाती है। भगवान श्री गणेश व्यापार में तरक्की प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष

लाभ पंचमी का त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी या पंचमी के दिन आता है। इस दिन लोगों को लाभ की प्राप्ति होती हैं, इसीलिए इसे लाभ पंचमी कहते हैं। लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग कोई नया कार्य या शुभ कार्य शुरू करते हैं तथा व्यापार एवं व्यवसाय से जुड़े हुए लोग नए बहीखाते शुरू करते हैं।

आज के इस आर्टिकल में लाभ पंचमी कब और क्यों मनाया जाता है? (Labh Panchami Kyu Manaya Jata Hai) के बारे में आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार पूर्वक लाभ पंचमी के बारे में बताया हैं।

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