दिवाली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार होता है। दिवाली का त्योहार 5 दोनों का होता है, जिसमें इस त्यौहार का अंतिम दिन लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है। दिवाली के पांचों दिन का अपना-अपना महत्व होता है। ठीक उसी तरह लाभ पंचमी का भी एक अलग ही महत्व है।
इस दिन किसी भी नए कार्य को करना शुभ माना जाता है। लाभ पंचमी के दिन पूजा पाठ करके कोई भी कार्य करने पर उसमें लाभ की बढ़ोतरी होती है।
तो चलिए इस लेख में जानते हैं कि साल 2024 में labh panchami kab hai? इस त्यौहार की पूजा विधि क्या है तथा इसे क्यों मनाया जाता है?
लाभ पंचमी कब है?
लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है। 6 नवंबर 2024 बुधवार के दिन लाभ पंचमी है। इस दिन शुभ मुहूर्त में किसी भी कार्य को शुरू करना लाभदायक माना जाता है, इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है।
हर वर्ष यह त्यौहार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष के अंतर्गत पंचमी के दिन मनाया जाता है। वैसे तो यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन मुख्य रूप से यह गुजरात में मनाया जाता है। इस दिन सभी गुजराती व्यवसायी लोग इस त्यौहार को मनाते हैं।
लाभ पंचमी 2024 का मुहूर्त
लाभ पंचमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 को 06 नवंबर को 12:16 पूर्वाह्न से पंचमी तिथि शुरू होगी और अगले दिन 07 नवंबर को 12:41 पूर्वाह्न पर पंचमी तिथि समाप्त होगी।
यह भी पढ़े: छठ पूजा क्यों मनाया जाता है? (इतिहास, महत्व और पौराणिक कथा)
लाभ पंचमी महत्व
- लाभ पंचमी का त्यौहार हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता है।
- इस दिन किसी भी नए बिजनेस को शुरू किया जा सकता है।
- दिवाली के बाद लाभ पंचमी के दिन ही ज्यादातर व्यापारी वर्ग अपने दुकान और प्रतिष्ठा की पुनः शुरुआत करते हैं।
- इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करके अपने व्यवसाय में लाभ वृद्धि की कामना किया जाता है ।
- इस दिन व्यवसायी नई बही खाता का उद्घाटन करते हैं।
- लाभ पंचमी के दिन जो भी पूजा करते हैं, उनके जीवन, व्यवसाय और परिवार में लाभ और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
लाभ पंचमी की पूजा विधि
- लाभ पंचमी के दिन विशेष रूप से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि उन्हें की कृपा से जीवन और व्यवसाय में समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव जी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की कथा का वाचन भी किया जाता है।
- लाभ पंचमी के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठने के बाद स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है। जल अभिषेक करने के बाद ही इसकी पूजा विधि की प्रक्रिया शुरू होती है।
- उसके बाद पूजा की थाली सजाई जाती है, जिसमें चंदन, फूल, चावल, धूप, कुमकुम, मिठाई और भी कई तरह के पकवान शामिल किये जाते हैं।
- उसके बाद चावल के अष्ट दल पर सोपारी में मोली लपेट कर गणेश जी के रूप में विराजित किया जाता है।
- गणेश जी को मोदक का भोग लगाया जाता है। अब अक्षत, फूल, सिंदूर और चंदन से भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव जी की पूजा भस्म, धतूरा, बेल पत्र और सफेद वस्त्र अर्पित करके किया जाता है।
- उसके बाद महालक्ष्मी की पूजा होती है और फिर मन में भगवान का स्मरण किया जाता है।
- सारी पूजा विधि की प्रक्रिया हो जाने के बाद नए बही खाते पर शुभ लाभ लिखकर व्यापार की शुरुआत की जाती है।
लाभ पंचमी के दिन सावधानियां
लाभ पंचमी के दिन किसी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए ही पूजा की जाती है। ऐसे में पूजन विधि का शुभ मुहूर्त देखना जरूरी है। सही मुहूर्त में पूजा होने से ही व्यापार में लाभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने हिंदुओं का त्योहार लाभ पंचमी कब मनाया जाता है, लाभ पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और लाभ पंचमी की पूजा विधि के बारे में जाना।
हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।