kcc na chukane par kya hota hai: भारतीय बैंकों के द्वारा कई तरह के लोन प्रदान किए जाते हैं, उन्ही में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण लोन है कृषि लोन, जो कि किसानों को खेती के लिए दिया जाता है।
ज्यादातर लोन सुरक्षित श्रण श्रेणी में रखा गया है, जिसका मतलब होता है कि बैंक का पैसा आपके पास पूरी तरह सुरक्षित है। सुरक्षित लोन जब बैंक देती है तो उसके बदले में गिरवी के रूप में कोई संपत्ति या कोई तीसरे पक्ष की गारंटी जमा करवाई जाती है।
कृषि लोन भी सुरक्षित श्रण श्रेणी में ही आता है। ऐसे में यह जानना बहुत ही जरूरी है कि अगर आप कृषि लोन नहीं चुका पाते हैं तो क्या होता है? (kcc na chukane par kya hota hai)
इस लेख में किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर और किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर क्या होता है की जानकारी विस्तार से दी है।
किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होता है?
अगर आप किसान क्रेडिट कार्ड लोन चुकाने में असक्षम है तो बैंक तुरंत एक बार में पैसे को रिकवर नहीं करती है। बैंक को भारतीय कानून के अनुसार स्टेप बाय स्टेप चलना पड़ता है।
जब आप कृषि लोन के पहली या दूसरी किस्त को नहीं जमा कर पाते हैं तो ऐसे में बैंक आपको फोन कॉल करती है। अगर आप लगातार तीन महीने की किस्त को जमा नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में बैंक अपने रिकवरी एजेंट को आपके घर पर भेजती है।
रिकवरी एजेंट आपके घर पर केवल ईएमआई कलेक्ट करने के लिए जाता है, वह आपके साथ किसी भी तरह का बदतमीजी नहीं कर सकता। रिकवरी एजेंट के संपर्क के बावजूद अगर आप लोन का किस्त नहीं जमा करते हैं तब अंत में बैंक आपको नोटिस भेजती है।
आप यह नोटिस का जवाब देकर अपने लोन का सेटलमेंट बैंक मैनेजर के पास जाकर कर सकते हैं। लेकिन अगर आप नोटिस का जवाब नहीं देते हैं तो बैंक आगे की कार्रवाई आप पर करेगी।
डिफॉल्ट एवं एनपीए
नोटिस भेजने के बावजूद अगर आप कोई भी जवाब नहीं देते हैं तो बैंक सबसे पहले आपको डिफाल्टर घोषित करते हुए आपके लोन को एनपीए के कैटेगरी में डाल देती है।
ऐसे में आपका सिबिल स्कोर तुरंत खराब हो जाता है और फिर भविष्य में आपको दोबारा कोई भी लोन किसी भी बैंक से आसानी से नहीं मिल पाएगा।
कोर्ट केस
आपका लोन एनपीए की कैटेगरी में आने के बाद आपका मामला अदालत तक चला जाता है। एक बार लोन एनपीए में बदलने के बाद कोर्ट में आपका लंबा केस चलता है। जब तक कोर्ट फैसला नहीं सुनाता तब तक आपको कोर्ट जाते रहना पड़ता है।
अदालत में सबसे पहले बैंक के दलील को सुना जाता है और फिर ज्यादातर यही उम्मीद होती है कि जमीन नीलामी का आदेश दिया जाएगा। कोर्ट के आदेश के अनुसार नीलामी की प्रक्रिया आगे बढ़ती हैं।
संपत्ति की नीलामी
कोर्ट से संपत्ति नीलामी का आदेश मिलने के बाद आपकी प्रॉपर्टी की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लोन लेते समय आपने जिस भी संपत्ति को गारंटी के तौर पर जमा किया था, उस संपत्ति की नीलामी होती है।
नीलामी से जितना भी रुपए होता है, उसे सबसे पहले बैंक के लोन को अदा किया जाता है। इतना ही नहीं कानूनी कारवाही और अदालत में जो भी खर्च आता है, वह खर्चा भी नीलामी के पैसे से ही वसूला जाता है। इन सब के बावजूद अगर कुछ पैसे बच जाते हैं तो वह आपको वापस मिल जाता है।
जमीन नीलामी के बावजूद कृषि लोन न चुका पाने पर क्या होता है?
अगर नीलामी के बावजूद आप बैंक के कृषि लोन को चुका पाने में उतनी राशि नहीं इक्ट्ठा कर पाते हैं तो बैंक आप पर फौजदारी का केस चला सकता है। ऐसे में आपको जेल जाना पड़ सकता है।
किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर
अगर कृषि लोन धारक की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे में लोन की राशि उसके उत्तराधिकारी को चुकानी पड़ती है। लोन धारक लोन लेते समय अपनी संपत्ति को गारंटी के तौर पर रखता है। ऐसे में उस संपत्ति का जो हकदार होता है, उन सबको मिलकर लोन की राशि को जमा करना पड़ता है।
लेकिन अगर मृतक की संपत्ति पाने वाला दूर-दूर तक कोई भी ना हो तो ऐसे में बैंक पूरी संपत्ति को नीलामी कर देती है और ऋण वसुलने के बाद जो पैसा बच जाता है, उसे सरकारी फंड में डाल दिया जाता है।
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