Jaggi Vasudev Biography in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम आप सभी लोगों को एक ऐसे योगी के विषय में बताने वाले हैं, जो कि सद्गुरु के नाम से जाने जाते हैं। इन्होंने भारत में एक ऐसे संगठन की स्थापना की है, जोकि गैर सरकारी लाभकारी संगठन के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह योगी भारत के बहुआयामी व्यक्तित्व वाले लेखक, प्रेरक वक्ता, अध्यात्मिक शिक्षक और परोपकारी शिक्षक के रूप में भी प्रतिष्ठित है।
इन्होंने एक नेत्र रोग विशेषज्ञ के घर में जन्म लिया था और उन्होंने भारतीय रेलवे में भी काम किया। इनके पिता प्राकृतिक उपचार किया करते थे और इसी कारण अक्सर इनका एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना लगा रहता था। इन्हें अपने बचपन से ही यात्रा में काफी रुचि मिली और इसी कारण इनके मन में अज्ञात चीजों का पता लगाने की जिज्ञासा भी पैदा हुई। इनका प्रकृति से काफी लगाव था और अक्सर यह अपने घर के ही पास में स्थित जंगल में चले जाते थे और घंटो तक जंगल में ही रहते थे।
हमारे इतना कहने के बाद आप सभी लोग तो समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, आप सभी लोगों ने बिल्कुल ही सही समझा। हम बात कर रहे हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव के विषय में। सद्गुरु जग्गी वासुदेव जीने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की। इन्होंने अपने इस फाउंडेशन के प्रचार प्रसार के लिए विदेशों की यात्रा की और अलग-अलग संचार माध्यमों से उन्होंने अपने इस फाउंडेशन का प्रचार प्रसार भारत में नहीं पूरे विश्व में किया।
आज आप सभी लोगों को इस लेख में जानने को मिलेगा कि जग्गी वासुदेव कौन थे? (Sadhguru Biography), जग्गी वासुदेव का जन्म, जग्गी वासुदेव (Jaggi Vasudev) को प्राप्त शिक्षा, जग्गी वासुदेव का व्यवसाय, जग्गी वासुदेव का व्यक्तिगत जीवन, जग्गी वासुदेव की यात्रा, जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन की शुरुआत, जग्गी वासुदेव की नेट वर्थ इत्यादि। तो इस लेख के अंत तक बने रहे।
जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) जीवन परिचय | Jaggi Vasudev Biography in Hindi
जग्गी वासुदेव के विषय में संक्षिप्त जानकारी
नाम | जग्गी वासुदेव |
उपनाम | सद्गुरु |
जन्म | 3 सितंबर 1957 |
उम्र | 64 वर्ष |
जन्म स्थान | मैसूर कर्नाटक |
पिता | डॉ वासुदेव |
माता | सुशीला वासुदेव |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | विजयाकुमारी |
गुरु | राघवेंद्र राव |
पेशा | लेखक और योग गुरु |
शौक | यात्रा करना |
पुरस्कार | पद्मा विभूषण |
कुल संपत्ति | अज्ञात |
जग्गी वासुदेव कौन थे?
जग्गी वासुदेव जी एक सद्गुरु हैं, जोगी लोगों को योग की शिक्षा प्रदान करते हैं। जग्गी वासुदेव जी के विचारों को जब कोई भी व्यक्ति बोलते हुए सुनता है तो वह उनकी बातों को सुनता ही रह जाता है और इनकी बातों से लोगों को काफी मोटिवेशन भी मिलता है। ईशा फाउंडेशन की शुरुआत करके उन्होंने लोगों की जिंदगी बदलने के लिए काफी मदद भी की है। लोगों को स्वस्थ रहने के लिए यह सदैव शिक्षा प्रदान करते हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी ईशा फाउंडेशन के संस्थापक होने के साथ-साथ योग गुरु और एक लेखक भी हैं। जग्गी वासुदेव जी की ईशा फाउंडेशन संस्था नॉनप्रॉफिट एबल है। ईशा फाउंडेशन के माध्यम से विश्व भर के लाखों लोगों को योग सिखाने का काम किया जाता है। सद्गुरु जग्गी वासुदेव विश्व के अलग-अलग देशों में बड़े-बड़े कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक जीवन और योग के विषय में विशेष शिक्षा प्रदान करते हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी को हम आध्यात्मिक गुरु मोटिवेशनल स्पीकर के नाम से भी जानते हैं, यह लोगों को मोटिवेट करने के लिए अपने अनमोल विचार लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। सद्गुरु जग्गी वासुदेव किसी भी प्रोग्राम में शामिल होते हैं तो लाखों लोगों की भीड़ उस कार्यक्रम में शामिल हो जाती है और सद्गुरु जी के यूट्यूब पर अनेकों चैनल चलते हैं, जो कि अलग-अलग भाषाओं में ट्रांसलेट किए जाते हैं और लोगों तक पहुंचाएं जाते हैं। हम आप सभी लोगों को यह भी बता देना चाहते हैं कि सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी कई भाषाओं के ज्ञाता भी हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी के यूट्यूब चैनल पर लाखों सब्सक्राइबर है और इतना ही नहीं इनके अन्य सोशल मीडिया अकाउंट पर भी लाखों फैंस फॉलोइंग है। जग्गी वासुदेव जी का ईशा फाउंडेशन लोगों की काफी मदद करता है। लोगों को योग सिखाने में तथा इनका बड़े-बड़े कार्यक्रमों को आयोजित करने में भी ईशा फाउंडेशन काफी मदद करता है। स्वयं श्री सद्गुरु जग्गी वसुदेव जी महाराज लोगों को योग के महत्व को समझाते हैं और योग का अभ्यास भी करवाते हैं।
सद्गुरु जग्गी महाराज एक योग गुरु होने के साथ-साथ महान लेखक भी हैं। जग्गी वासुदेव जी ने बहुत सी कहानियां और बहुत सी किताबें भी लिखी हैं। इन्होंने अपनी किताबों में जिंदगी जीने के लिए नए-नए तरीके, लोगों के द्वारा किए गए प्रश्नों के जवाब बड़े ही सरल एवं सहज भाषा में देते हैं। जग्गी वासुदेव जी के भारत में कई स्थानों पर आश्रम भी बना हुआ है, जिसमें लोगों को योग के विषय में शिक्षा दी जाती है, यह सभी आश्रम ईशा फाउंडेशन के ही ब्रांच हैं।
जग्गी वासुदेव का जन्म
जग्गी वासुदेव जी का जन्म 3 सितंबर वर्ष 1957 में हुआ था। वर्तमान समय में जग्गी वासुदेव जी की उम्र लगभग 64 वर्ष के आस पास हो चुकी है। जग्गी वासुदेव जी अपने योग के माध्यम से अब तक पूर्ण रूप से स्वस्थ है। जग्गी वासुदेव जी का जन्म कर्नाटक के मैसूर में हुआ था। जग्गी वासुदेव जीने अब तक लगभग 100 से भी ज्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं। जग्गी वासुदेव एक सम्मानित योग गुरु है।
जग्गी वासुदेव बचपन से ही एक जिज्ञासु एवं बुद्धिमान बालक थे, इन्हें प्रकृति से काफी ज्यादा लगाव रहता था। जब वह युवा थे तब वह अपने घर के पास के जंगल में सदैव घूमने के लिए चले जाते थे और यह वन्यजीवों को देखते हुए घंटों तक अपना समय जंगल में ही बिता देते थे। सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी जंगल में घूमते समय वन्यजीवों के रूप में विशेष रूप से सांपों को ही देखा करते थे।
जग्गी वासुदेव का पारिवारिक संबंध
जग्गी वासुदेव जी का पारिवारिक संबंध इनके परिवार के सभी सदस्यों से काफी अच्छा था। जग्गी वासुदेव के माता पिता इनसे काफी प्यार करते थे। जग्गी वासुदेव अपने भाई और बहनों से भी काफी प्यार करते थे। जग्गी वासुदेव के घर में इनके माता-पिता के साथ-साथ इनके एक भाई और दो बहने भी रहती थी। जग्गी वासुदेव के पिता एक सरकारी कर्मचारी भी रह चुके हैं और इसी कारण उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक सदैव जाना पड़ता था।
जग्गी वासुदेव जी के पिता का नाम डॉ वासुदेव था जोकि नेत्र चिकित्सक होने के साथ-साथ भारतीय रेलवे में काम करते थे। वासुदेव जी अक्सर अपने परिवार के साथ रेलवे के कार्य से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाया करते थे, जिसके कारण जग्गी वासुदेव का भी यात्रा के तरफ विशेष आकर्षण था।
जग्गी वासुदेव की माता का नाम सुशीला था, जो कि एक ग्रहणी थी। जग्गी वासुदेव के साथ-साथ इनके माता-पिता के तीन और बच्चे भी थे, जिसमें एक लड़का और दो लड़की थीं। अतः जग्गी वासुदेव की एक भाई और दो बहनें भी थी।
जग्गी वासुदेव को प्राप्त शिक्षा
जग्गी वासुदेव जी ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही योग शिक्षा प्राप्त करने की सोची और इसीलिए उन्होंने मल्लादीहल्ली श्री राघवेंद्र स्वामी जी से जुड़ गए और स्वामी जी के माध्यम से इन्होंने सरल योग आसनों का एक सेट सीखा। जग्गी वासुदेव जी को हिंदी भाषा के साथ-साथ अन्य कई भाषाओं का भी ज्ञान है। जग्गी वासुदेव जी सदैव अपने योग शिक्षा का प्रतिदिन अभ्यास किया करते थे।
जग्गी वासुदेव जी ने अपने प्रारंभिक शिक्षा अपने स्थानीय क्षेत्र के एक स्कूल से प्राप्त की थी। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय में एडमिशन करा लिया। इन्होंने इस विद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री भी प्राप्त। कॉलेज में रहते समय वह मोटरसाइकिल में काफी रूचि रखते थे और मोटरसाइकिल के द्वारा बहुत सी यात्रा भी करते थे।
जग्गी वासुदेव व्यक्तिगत जीवन
जग्गी वासुदेव जी ने वर्ष 1984 ईस्वी में विजयाकुमारी नाम की एक महिला से विवाह किया। जग्गी वासुदेव की पत्नी विजयाकुमारी की मृत्यु उनके विवाह से मात्र 13 वर्षों बाद ही हो गई। अतः विजयाकुमारी की मृत्यु वर्ष 1997 में ही हो गया। जग्गी वासुदेव को उनकी पत्नी विजयाकुमारी से एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम इन्होंने बड़े प्यार से राधे रखा।
जग्गी वासुदेव जी की पुत्री राधे ने भरतनाट्यम की शिक्षा प्राप्त की और एक प्रशिक्षित भरतनाट्यम नर्तकी बनी। वर्ष 2014 ईस्वी में राधे ने अपने पिता के ही Coimbatore आश्रम के एक कार्यकर्ता से विवाह कर लिया, जिनका नाम संदीप नारायण था। संदीप नारायण एक शास्त्रीय गायक थे।
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जग्गी वासुदेव जी का करियर
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद जग्गी वासुदेव जी ने एक व्यवसायिक कैरियर बनाना चाहा, जिसके बाद उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और स्मार्टनेस के साथ-साथ कड़ी मेहनत के माध्यम से इन्होंने एक पोल्ट्री फॉर्म शुरू किया पोल्ट्री फॉर्म से इनकम शुरू होने के बाद इन्होंने ईंटो के निर्माण कार्य शुरू किया और इसके साथ-साथ अन्य व्यवसाय भी शुरू किए।
इसके बाद 23 सितंबर 1982 ईस्वी में जग्गी वासुदेव जी का जीवन पूरी तरह से ही बदल गया। इन्हें इसी समय अध्यात्म का अनुभव हुआ था, जिसने उन्हें अपने जीवन और प्राथमिकताओं के पूर्ण मूल्यांकन के लिए मजबूर किया। जिसके बाद इन्होंने चामुंडी हिल्स में एक चट्टान पर बैठकर एक बहुत ही गहन अध्ययन किया और इन्होंने यह अध्ययन लगभग साडे 4 घंटे तक लगातार किया, जिसके बाद उन्होंने लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान बांटने की सोची।
जग्गी वासुदेव जी ने इसके बाद अपने व्यवसाय को अपने मित्रों के ऊपर सौप दिया और उनसे अपने व्यवसाय को संभालने के लिए कहा और स्वयं रहस्यमई अनुभव के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए निकल पड़े। लगभग 1 वर्षों तक इधर-उधर भटकने के बाद भी उन्होंने महसूस किया कि उन्हें लोगों को योग की शिक्षा और अध्यात्म की शिक्षा देनी चाहिए, जिसके बाद इन्होंने योग विज्ञान का ज्ञान फैलाना शुरू किया।
जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन की शुरुआत
सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी ने भारत भ्रमण पर घूमने के दौरान जगह जगह पर लोगों को योग सिखाने का काम किया करते थे। इसी के बीच इन्होंने अपनी एक संस्था के रूप में नीव रखने की सोची, जिसके कारण उन्होंने वर्ष 1992 ईस्वी में ईशा फाउंडेशन की नीव डाली। यह एक लाभ रहित संस्था है, जो कि लोगों को बहुत ही कम खर्च में मदद किया करती है और उन्हें योग की शिक्षा प्रदान करती है।
इस संस्था के माध्यम से सामाजिक काम करने के साथ-साथ प्रकृति धरोहर की सुरक्षा भी की जाती है। इन्होंने अपने इस संस्था के माध्यम से प्रकृति के धरोहर को बचाए रखने के लिए लगभग 16 करोड वृक्ष लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इन्होंने तमिलनाडु में लगभग 8.52 लाख वृक्ष लगाए भी हैं। इन्होंने ऐसा करके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा लिया है।
ईशा फाउंडेशन के माध्यम से लगभग 2.5 लाख से भी ज्यादा लोग कार्यरत हैं। ईशा फाउंडेशन का मुख्यालय कोयंबटूर में है। हालांकि इसके और भी कई ब्रांचेस है, जो कि देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों में फैले हुए हैं। ईशा फाउंडेशन के माध्यम से स्वयं सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी के द्वारा योग सिखाया जाता है और पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ईशा फाउंडेशन को वर्ष 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
जग्गी वासुदेव को प्राप्त पुरस्कार एवं सम्मान
जग्गी वासुदेव जी को अनेकों प्रकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और इन्हें अनेकों उपाधि भी प्राप्त हैं। आइए जानते हैं, इन्हें प्राप्त पुरस्कारों और सम्मान के विषय में:
- वर्ष 2008 ईस्वी में पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इन्होंने अभी हाल ही में तमिलनाडु में लगभग 8.52 लाख वृक्ष लगाएं, जिसके कारण इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।
- वर्ष 2017 ईस्वी में इन्हें इनके कार्य के लिए पद्मा विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
- माननीय जग्गी वासुदेव जी को योग शिक्षा प्रदान कराने के समय से सद्गुरु की उपाधि भी प्राप्त हुई है।
जग्गी वासुदेव की कुल नेटवर्थ
ज्यादा क्या मैंने आपको ऊपर भी बताया है कि जग्गी वासुदेव जी को अपने कॉलेज के समय में मोटरसाइकिल का काफी शौक था, जिसके कारण इनके पास कई लग्जरी मोटरसाइकिल और कई लग्जरियस कारें भी मौजूद हैं। जग्गू वासुदेव जी के पास अन्य कई गाड़ियां भी मौजूद हैं। हालांकि अब तक जग्गी वासुदेव जी के कुल नेटवर्थ के विषय में कोई विशेष जानकारी नहीं प्राप्त है, जानकारी प्राप्त होते ही अवश्य ही अपडेट किया जाएगा।
3 सितंबर 1957
डॉ वासुदेव
विजयाकुमारी
निष्कर्ष
हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं कि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) जीवन परिचय (Jaggi Vasudev Biography in Hindi) अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख वाकई में पसंद आया हो तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें और यदि आपके मन में इसलिए को लेकर किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल या फिर सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
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