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15 अगस्त 1947 का इतिहास क्या है और 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है?

15 अगस्त 1947 का इतिहास भारत देश के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसी दिन आजाद भारत की नींव रखी गई थी। अर्थात इसी दिन हमारा देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था।

उससे पहले हमारा देश लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम था और उससे पहले सैकड़ों वर्षो तक मुगलों का। लंबे समय के बाद क‌ई पीढ़ियां गुजर जाने के बाद भारत ने अपनी आजादी देखी। लेकिन यह आजादी इतनी आसानी से नहीं मिली।

आजादी के लिए लाखों की संख्या में लोगों ने अपना बलिदान दिया और उससे पहले मुगलों के समय में लाखों ही नहीं बल्कि करोड़ों सैनिकों सहित राजा महाराजा ने भी अपना बलिदान दिया था।

वर्तमान समय में भारत दुनिया का एक लोकप्रिय और महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु बन चुका है। लेकिन ब्रिटिश कालीन भारत अत्यंत कमजोर था, क्योंकि अंग्रेजों ने भारत का सारा खजाना और यहां से मिलने वाला कर ब्रिटेन भेज दिया था। भारत पूरी तरह से कमजोर हो गया।

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जब अंग्रेजों ने भारत को आजाद किया तब भारत की आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर थी। पूरे देश में भुखमरी फैल चुकी थी, लोग भूख की वजह से मर रहे थे, लेकिन आज ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आज भारत में अत्यधिक तरक्की की है और हर क्षेत्र में विकास किया है।

लगभग भारत को आजाद हुए 77 वर्ष हो चुके हैं। यह आजादी लंबे समय तक हुए संघर्ष अनेक सारी कठिनाइयां परेशानियों, लाखों की संख्या में लोगों का बलिदान और नरसंहार के बाद मिली है। अंग्रेज अत्यंत क्रूर और निर्दई थे, उन्होंने सीधे-साधे और गरीब भारतीयों पर अत्याचार किया था।

अनेक सारे शासकों ने और लोगों ने विरोध भी किया था। इसीलिए अंग्रेजों ने अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए काला पानी जैसी सजा का प्रावधान शुरू किया था। अनेक सारे भारतीय क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने काला पानी की सजा दी और फांसी की सजा भी दी थी।

15 अगस्त क्यों मनाया जाता है?

लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों के शासन करने के बाद भारत अंग्रेजों से 15 अगस्त 1947 के दिन आजाद हुआ। इसीलिए प्रतिवर्ष हमारे देश में इस दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में राष्ट्रीय ध्वज से फहराकर धूमधाम से देश के संपूर्ण कोने कोने में मनाया जाता है।

यह पर्व हमें याद दिलाता है कि अंग्रेजों की गुलामी कितनी खतरनाक थी और किस तरह से अंग्रेजों ने अपनी जकड़ में भारत को जकड़ गया था, जिसके बाद भारत को मिली आजादी कितनी खुशी की बात है। इस बात का प्रतीक 15 अगस्त 1947 का दिन है।

सन 1947 में 15 अगस्त को भारत को आजादी मिली। लेकिन इस दिन भारत ने अपना बहुत कुछ खोया था। भारत के लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान भारत को इस रूप में देखने के लिए नहीं दिया था। क्योंकि अंग्रेजों ने भारत को आजाद करते समय उसके टुकड़े कर दिए थे।

धर्म के आधार पर अंग्रेजों ने भारत के कुल 2 टुकड़े किए, जो बाद में तीन टुकड़े हो गए और उससे पहले अंग्रेजों के शासन काल से पहले ईरान की सीमा के पास बसा हुआ अफगानिस्तान भी पहले भारत का हिस्सा था, जो सबसे पहले विदेशी आक्रांताओं के हाथ लगा और वह विदेशी आक्रांताओं का गढ़ बन गया। जिसके बाद यह भारत से पूरी तरह से टूट चुका था।

अंग्रेजों ने ब्रिटिश भारत के तत्कालीन मुस्लिम लीग के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की बात मानते हुए भारत के दो टुकड़े कर दिए। जिसमें मुस्लिम अधिकृत क्षेत्र को पाकिस्तान नाम देकर एक अलग स्वतंत्र देश बना दिया गया, जो आगे चलकर एक मुस्लिम राष्ट्र बन गया।

जबकि भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बना दिया गया। लेकिन भारत कभी भी हिंदू राष्ट्र नहीं बन सका, क्योंकि भारत आजाद होते ही जिन लोगों के हाथ में लगा, उन लोगों ने भारत को धर्मनिरपेक्ष रखा यानी कि यहां पर सभी लोगों का सम्मान होगा। सभी धर्म के लोगों को सम्मान समझा जाएगा।

15 अगस्त 1947 को भारत ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया था। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में तिरंगा झंडा फहरा कर देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया था। उस दिन भारतीय लोग अत्यंत खुश हुए लेकिन उन्हें अपने देश के टुकड़े होते हुए देखना पड़ रहा था।

लेकिन वे कुछ भी नहीं कर सके, क्योंकि उस समय भारत के लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के दो टुकड़े कर दिए थे, जिनमें एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान अलग राष्ट्र बन गया। दोनों देशों के बंटवारे के समय बहुत कुछ विभाजित किया गया था। जिनमें पुस्तकें, लाइब्रेरी, गांव, कस्बे, पुलिस थाने, पैसे, संपत्ति इत्यादि सब चीजों पर आधा-आधा हिस्सा पाकिस्तान को दिया गया।

वर्ष 1947 से पहले आजादी

15 अगस्त 1945 से पहले भारत 26 जनवरी के दिन स्वतंत्रता दिवस मनाता था। क्योंकि 26 जनवरी 1930 को अंग्रेजों ने भारतीयों को कुछ आजादी दी थी। लेकिन यह पूर्ण आजादी नहीं थी। विशेष रूप से शासन अंग्रेजों का ही था।

इसीलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन जो लाहौर में संपन्न हुआ, उसमें भारतीय लोगों से यह निवेदन किया गया कि हमें पूर्ण आजादी लेने के बाद ही स्वतंत्रता दिवस मनाना चाहिए, वही हमारा मुख्य स्वतंत्रता और हमारी आजादी होगा।

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भारत के आजादी की तारीख

आज हम 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस यानी देश को मिली आजादी के रूप में मनाते हैं। लेकिन इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है। 15 अगस्त के दिन ही अंग्रेजों ने भारत को आजाद क्यों किया गया, इसके पीछे की कहानी आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताते हैं।

बता दें कि अंग्रेजों के जमाने में भारत में आखिरी समय में लॉर्ड माउंटबेटन भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा था। इसीलिए लॉर्ड माउंटबेटन ने ही 15 अगस्त की तारीख भारत की आजादी के लिए रखीं।

लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजाद करने की तारीख निर्धारित की, क्योंकि उस से ठीक 2 वर्ष पहले 15 अगस्त 1945 के दिन ही ताकतवर देश जापान ने ब्रिटेन की सेना के सामने अपना आत्मसमर्पण किया था।

इसीलिए उस समर्पण के दूसरी वर्षगांठ पर यानी 15 अगस्त 1947 के दिन ही भारत को आजाद करना चाहते थे और उन्होंने इसी तारीख को निर्धारित किया। बता दें कि इससे पहले भारत की स्वतंत्रता की तारीख 3 जून तय की गई थी, लेकिन उसके बाद लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त निर्धारित कर दिया।

लॉर्ड माउंटबेटन ने जब 15 अगस्त की तारीख भारत की आजादी की तारीख निर्धारित कर ली थी, तब भारत के ज्योतिष और धर्मगुरुओं ने इसका विरोध किया क्योंकि ज्योतिष गणना के अनुसार 15 अगस्त 1947 का दिन अशुभ था, जो भारत के भविष्य के लिए अमंगलकारी है।

लॉर्ड माउंटबेटन को दूसरी तारीख भी बताई और सुझाव दिया, लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर ही अड़ा रहा क्योंकि यह तारीख उनके लिए अत्यंत खास थी। इस तारीख को ही जापान जैसे शक्तिशाली देश ने उनके सामने समर्पण किया था।

आखिरकार समस्या का हल निकालते हुए 14 अगस्त और 15 अगस्त के बीच का रास्ता निकाला और 15 अगस्त की मध्य रात्रि का समय निर्धारित किया गया। हिंदू धर्म के अनुसार सूर्योदय के साथ ही नए दिन का उदय होता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर रात की 12:00 बजने के बाद नये दिन की शुरुआत मानता है।

इसलिए यह समय दोनों के लिए निर्धारित हो गया। ज्योतिष ने सत्ता के परिवर्तन का भाषण 48 मिनट की अवधि के बीच ही पूर्ण करना तय किया। यह मुहूर्त 11:51 से शुरू होकर 12:39 तक पूर्ण होता है। देश की स्वतंत्रता का पहला भाषण पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा निर्धारित किया गया था।

ऐसे मिली भारत को आजादी

भारत की आजादी के लिए लाखों की संख्या में देश के लोगों ने अपना बलिदान दिया और हजार की संख्या में देश के लोगों को अंग्रेजों ने मौत के घाट उतार दिया तथा क‌ई लोगों को काला पानी की सजा और फांसी की सजा भी दी गई थी। लेकिन फिर भी अंग्रेज भारत को आजाद करने के लिए विवश नहीं हुए।

आखिरकार दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई और हर तरफ से ब्रिटेन को हानि पहुंचने लगी। क्योंकि जर्मनी और जापान जैसे ताकतवर देश अंग्रेजों को घुटनों के बल बैठने के लिए मजबूर कर दिया था। हालांकि अमेरिका के युद्ध में भाग लेने से ब्रिटेन को हार का सामना नहीं करना पड़ा।

परंतु द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन पूरी तरह से कमजोर पड़ गया, जिस ब्रिटेन का शासन संपूर्ण दुनिया पर हुआ करता था। लगभग आधे से ज्यादा दुनिया पर ब्रिटेन शासन करता था, अब उसका शासन अपने खुद के देश ब्रिटेन में ही डगमगा लगा। क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भुखमरी फैल गई, गरीबी फैल गई और लोगों के पास खाने तक का धन नहीं बचा।

अब उस ब्रिटेन को अपना संपूर्ण दुनिया पर शासन करना मुश्किल होता जा रहा था। क्योंकि लाखों की संख्या में सैनिकों की मौत और भयंकर तबाही से ब्रिटेन पूरी तरह से कमजोर हो गया, जो ब्रिटेन कहता था कि दुनिया में उसका सूर्य कभी नहीं डूबेगा, अब वह डूबने लगा था।

वर्ष 1945 में ब्रिटेन कमजोर होने की वजह से पूरी दुनिया पर अपनी पकड़ नहीं बना सका और जगह-जगह हो रहे विद्रोह और क्रांति का विरोध भी नहीं कर सका। अंग्रेजों की कमजोरी को देखते हुए भारत में भी बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ।

इसीलिए अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने का फैसला ले लिया। अंग्रेजों ने सबसे पहले वर्ष 1948 को भारत आजाद करने के लिए 3 जून की तारीख तय की। लेकिन भारत के आजाद होने की खबर फैलते ही मोहम्मद अली जिन्ना मुसलमानों के लिए एक अलग देश बनाने पर अड़ गए, जिसकी वजह से संपूर्ण देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए।

मोहम्मद अली जिन्ना के देश के टुकड़े करने की बात पर महात्मा गांधी ने भी नाराजगी जताई लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना नहीं माना। इस वजह से देश के कोने कोने में हुए संप्रदाय के हिंसों में हजारों की संख्या में लोगों की मौत होने लगी।

इसी संप्रदायीक आग को देखते हुए लॉर्ड माउंटबेटन ने वर्ष 1948 की जगह वर्ष 1947 को ही भारत को आजाद करने के लिए चुना और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद करने की घोषणा कर दी।

मोहम्मद अली जिन्ना की जीद पर लॉर्ड माउंटबेटन ने खुद भारत-पाकिस्तान के बीच की लकीर खींची और देश के दो टुकड़े कर दिए। भारत का विभाजन होने के बाद 14 अगस्त 1947 को 1 दिन पहले पाकिस्तान आजाद हो गया।

इसीलिए हर वर्ष 14 अगस्त 1947 के दिन पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। जबकि इसके ठीक 1 दिन बाद 15 अगस्त को भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।

भारत आजादी के बाद बड़े पैमाने पर विकास किया है और दुनिया में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। वर्तमान समय में भारत में आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है।

इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आजादी के 75 की वर्षगांठ के लिए आयोजित किया है। देशवासियों में 15 अगस्त को लेकर अत्यधिक उत्साह देखने को मिल रहा है।

निष्कर्ष

गुलामी से 100 गुना अच्छी आजादी होती है, इसीलिए इसी आजादी के लिए हमारे देश के लाखों ही नहीं बल्कि करोड़ों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश की आजादी के लिए करोड़ों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, विद्रोही और आजादी के रखवाले इस आजादी को नहीं देख पाएं। क्योंकि उन्होंने देश की आजादी से पहले ही अपने प्राण देश के लिए न्योछावर कर दिए थे।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कमजोर पड़े अंग्रेज अब पूरी दुनिया पर अपनी पकड़ नहीं बना कर रख सकते थे। इसीलिए ब्रिटेन ने भारत को आजाद करने का फैसला लिया।‌ यह फैसला लंबे समय से चले आ रहे भारत में तरह-तरह के स्वतंत्रता संग्राम की मेहनत का फल था।

इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि 15 अगस्त 1947 का इतिहास क्या है? हमें उम्मीद है यह जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। इसे आगे शेयर जरुर करें।

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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