History of Kumbhalgarh Fort in Hindi: भारतीय इतिहास में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है। राजस्थान में बहुत से भारतीय एवं प्राचीन संस्कृति का समावेश है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, राजस्थान बहुत ही प्रसिद्ध एवं धनी राजवाड़ाओ की भूमि रही है, अतः यहां पर बहुत से किले भी बनाए गए हैं। इन सभी किलो के ऐतिहासिक स्थल बड़ी ही आसानी से देखें भी जा सकते हैं।
आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से बताने वाले हैं, राजस्थान में स्थित एक ऐसे ऐतिहासिक किले के बारे में जो कि राजस्थान राज्य के राजसमंद जिले में स्थित है। हमारे इतना कहने के बाद आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां! आप सभी लोगों ने बिल्कुल सही समझा हम बात कर रहे हैं, राजस्थान के राजसमंद में स्थित कुंभलगढ़ किले के विषय में।
राजस्थान राज्य में स्थित कुंभलगढ़ किला भारत के सबसे प्राचीन एवं ऐतिहासिक किलो में से एक है। कुंभलगढ़ किला अपनी शानदार नक्काशी और आकार एवं इतिहास के कारण संपूर्ण विश्व भर में प्रसिद्ध है।
आज आप सभी लोगों को इस लेख में जानने को मिलेगा कि कुंभलगढ़ किले का इतिहास क्या है? कुंभलगढ़ किले के विषय में कुछ महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य इत्यादि। यदि आप कुंभलगढ़ किले के विषय में सभी जानकारियां विस्तार पूर्वक से प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया आप हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अंत तक अवश्य पढ़े।
कुम्भलगढ़ किले का इतिहास और रोचक तथ्य | History of Kumbhalgarh Fort in Hindi
कुंभलगढ़ किले का इतिहास
कुंभलगढ़ किला भारतीय इतिहास का सबसे प्राचीन किला माना जाता है। कुंभलगढ़ किले के इतिहास के विषय में संपूर्ण जानकारी तो अब तक मौजूद नहीं है, परंतु कुछ प्रसिद्ध लोगों के द्वारा ऐसा कहा जाता है कि कुंभलगढ़ किले का प्राचीन समय में नाम मच्छिंद्रपुर किला था। इतना ही नहीं अलग-अलग लोगों ने कुंभलगढ़ किले के इतिहास को लेकर इसका अलग अलग प्राचीन नाम बता चुके हैं।
कुछ इतिहासकारों का ऐसा कहना है कि कुंभलगढ़ किले का प्राचीन नाम मच्छिंद्र पुर था। भारत के माने जाने इतिहासकार साहिब हकीम के अनुसार ऐसा कहा गया है कि इस किले का प्राचीन नाम माहौर है।
इतना ही नहीं राजस्थान की कुछ स्थानीय मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है वास्तविक किले का निर्माण मौर्यवंशी साम्राज्य के प्रसिद्ध राजा सम्प्रति के द्वारा छठी शताब्दी में किया गया है। इसके बाद वर्ष 1303 ईस्वी में मुगल वंश के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने कुंभलगढ़ किले पर आक्रमण कर दिया और तभी से इतिहास के पन्नों पर यह नाम दर्ज हो चुका है कि कुंभलगढ़ किले का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 ईस्वी में किया था।
वर्तमान समय में हम सभी लोग कुंभलगढ़ किले को देख रहे हैं, वह कुंभलगढ़ किला भारतीय संप्रदाय के सिसोदिया राजपूतों के द्वारा निर्मित किया गया है और यही सिसोदिया राजपूत कुंभलगढ़ किले पर राज करते थे। कुंभलगढ़ किले का निर्माण करने वाले राजा राणा कुंभा का राज रणथंभौर से लेकर ग्वालियर तक फैला हुआ था।
कुंभलगढ़ के द्वारा मेवाड़ और मारवाड़ को भी अलग-अलग किया जा चुका है और प्राचीन समय में शासकों के द्वारा इन सभी चीजों का उपयोग किया जाता था। कुंभलगढ़ किले के निर्माण का श्रेय राणा कुंभा को जाता है, उन्हीं के नाम पर इस किले का नाम कुंभलगढ़ किला पड़ा।
इन सभी के बाद वर्ष 1535 में एक ऐसी घटना घटित हुई कि पूरे मेवाड़ में सनसनी मच गई। मेवाड़ के राजकुमार उदय जो कि मेवाड़ राज्य के राजा के छोटे राजकुमार थे, उनका मेवाड़ राज्य से अपहरण कर लिया गया। इसके बाद राजकुमार को ढूंढने के लिए पूरे चित्तौड़ में घेराबंदी कर लिया गया। आता बाद में घेराबंदी के फलस्वरूप राजकुमार वापस मिल गए हैं, अतः इसके बाद राजकुमार उदय ने उदयपुर शहर की स्थापना कर दी।
इन सभी के बाद आमेर के राजा मानसिंह मारवाड़ के राजा उदय सिंह मुगल सम्राट अकबर और गुजरात के शासक मिर्जा के राज्यों में पानी की कमी होने लगी, जिसके कारण यहां पर पानी की पूर्ति करने के लिए उनके क्षेत्रों में भेज दिया गया और धीरे-धीरे पानी की कमी होती गई और एक समय ऐसा आ गया कि यहां पर पानी नहीं रहा।
इसके बाद गुजरात के अहमद शाह ने वर्ष 1457 में कुंभलगढ़ किले पर आक्रमण कर दिया, परंतु अहमदशाह की यह कोशिश नाकाम रही और उसे हार का सामना करना पड़ा।
इन सभी के बाद पुणे महमूद खिलजी के द्वारा कुंभलगढ़ किले पर आक्रमण किया गया और महमूद खिलजी भी अपनी इस कोशिश में नाकाम रहा और हार गया। इन सभी के बाद कुछ सन्यासियों के एक समूह ने इसके लिए की सुरक्षा करने का निर्माण कार्य अपने हाथों में ले लिया और इसके कुछ समय बाद ही किले पर मराठा साम्राज्य ने अपना नियंत्रण जमा लिया।
मराठा साम्राज्य के संस्थापक एवं मराठा साम्राज्य के सभी राजा बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली हुआ करते थे, इसी कारण इन्होंने कुंभलगढ़ किले पर अपना राज्य कर लिया।
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कुंभलगढ़ किले में स्थित मुख्य स्मारक
- बादल महल: कुंभलगढ़ किले के अंदर बादल महल नाम का एक 2 मंजिला इमारत है, जिसे पेस्टल रंगों के द्वारा चित्रित किया गया है। बादल महल का निर्माण राणा फतेह सिंह के द्वारा अट्ठारह सौ पचासी से 1930 के मध्य करवाया गया।
- 52 देवी महल: मंदिर के परिसर में 52 मंदिर बनाए गए हैं, जिसमें से दो बड़े-बड़े और 50 मंदिर छोटे आकृति के हैं, अतः इसी के कारण इस मंदिर को 52 देवी मंदिर का नाम दिया गया है।
- पार्श्वनाथ मंदिर: आप सभी लोगों को कुंभलगढ़ किले के अंदर जैन धर्म का एक बहुत ही प्रमुख मंदिर है। कुंभलगढ़ किले में एस्टेट 52 जैन मंदिर और गोल राज जैन मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध मंदिर है। पार्श्वनाथ मंदिर का निर्माण 1513 के मध्य कराया गया।
- कुंभ महल: कुंभलगढ़ किले में गडा पोल के करीब में ही राजपूतों के बेहतरीन संरचना वाले वास्तविक कलाकार उदाहरण देते हुए कुंभ महल स्थापित किया गया है। कुंभ महल लगभग 2 मंजिल का है।
- गणेश मंदिर: हम सभी लोगों को कुंभलगढ़ किले के अंदर गणेश भगवान जी का बहुत ही प्राचीन मंदिर देखने को मिल जाएगा। कुंभलगढ़ किले में बने गणेश जी के इस मंदिर को लगभग 12 फीट के मंच पर बनाया गया है। इतना ही नहीं इस किले में गणेश जी के साथ साथ किले के पूर्वी दीवार के किनारे पर नीलकंठ महादेव का भी एक मंदिर विराजमान है।
- वेदी मंदिर: वेरी मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा के द्वारा हनुमान पुल के पास बनाया गया है। यह एक जैन मंदिर है, जो कि तीन मंजिला ऊंचा और अस्टकोणीय है।
कुंभलगढ़ किले के साथ-साथ अन्य कौन-कौन से पर्यटन स्थल है प्रसिद्ध
आप सभी लोगों को दिल्ली में एक कुंभलगढ़ किले के साथ-साथ अन्य पर्यटन स्थल भी देखने को मिल जाएंगे, हालांकि इन सभी में कुंभलगढ़ का किला सबसे प्रसिद्ध माना जाता है। कुंभलगढ़ किले के आसपास घूमने वाली कुछ अन्य जगह भी हैं, जो कि अपने आप में बहुत ही प्रसिद्ध है, आइए जानते हैं, कौन-कौन से अन्य पर्यटन स्थल है प्रसिद्ध।
बागोर की हवेली
बागोर की हवेली कुंभलगढ़ किले के पास स्थित सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल में से एक है। बागोर की हवेली का निर्माण 18 वी शताब्दी में मेवाड़ के शाही दरबार में रहने वाले मुख्यमंत्री अमीरचंद बड़वा के द्वारा किया गया था। एक समय के बाद 1878 ईस्वी में बागोर की हवेली को बागोर के महाराजा राणा शक्ति सिंह का निवास स्थान बनाया गया।
यहां पर बागोर की राजधानी वास करते थे अतः इसी के कारण इस हवेली का नाम बागोर की हवेली पड़ा। कुंभलगढ़ की बागोर की हवेली में लगभग 100 से भी अधिक कमरे मौजूद हैं।
मोति मगरी
यह कुंभलगढ़ किले के पास का एक ऐसा स्थान है, जहां पर महाराणा प्रताप और उनके प्रिय घोड़े चेतक की स्मृति में श्रद्धांजलि दिया गया था, जिसके अंतर्गत मोती मगरी का निर्माण किया गया इस विरासत को कुंभलगढ़ किले के पास का प्रमुख पर्यटन स्थल बताया जाता है। आप सभी लोगों को महाराणा प्रताप से जुड़ी घटनाओं के सभी आश्चर्यजनक कहानियां मोती मगरी में जानने को मिलेगी।
कार संग्रहालय
यदि बात की जाए कुंभलगढ़ किले के आसपास घूमने वाली सबसे अच्छी जगह की, तो उसमें विंटेज कार संग्रहालय तीसरे नंबर पर आता है। जो भी व्यक्ति मोटर कार में दिलचस्पी रखता हो उन लोगों के लिए यह स्थान स्वर्ग से कम नहीं होगा। कुंभलगढ़ किले में स्थित इस संग्रहालय का उद्घाटन वर्ष 2000 में किया गया था अता उद्घाटन के बाद से यह स्थान प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है।
शिल्पग्राम
यह अरावली पर्वत की गोद में स्थित एक ऐसा पारंपरिक कला, शिल्प, ग्रामीण, कला शिल्प परिसर इत्यादि स्थान है, जहां पर यदि कोई व्यक्ति एक बार जाता है, तो वह वहां से वापस नहीं आना चाहता। शिल्पग्राम लगभग 70 एकड़ की भूमि में विस्तृत रूप से फैला हुआ है।
लेक पैलेस उदयपुर
यह एक ऐसा पर्यटन स्थल है, जिसके खूबसूरती का हर कोई व्यक्ति दीवाना है। आप सभी लोग कुंभलगढ़ किले के आसपास घूमने वाले स्थानों में इस स्थान पर जा सकते हैं। लेक पैलेस उदयपुर का सबसे प्रसिद्ध विवाह स्थल भी है, यह उदयपुर शहर के वस्तु कला का चमत्कारों से परिपूर्ण स्थान है।
लेक पैलेस का निर्माण पिछोला झील में स्थित एक द्वीप पर किया गया है। लेक पैलेस का निर्माण प्राचीन समय के महाराजा महाराणा जगत सिंह के द्वारा 1746 ईस्वी में किया गया था। लेक पैलेस को 1960 के दशकों में अनेकों बॉलीवुड एवं हॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जा चुका है।
जगदीश मंदिर
यह मंदिर उदयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है। जगदीश मंदिर का निर्माण प्राचीन समय में भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पण करने के लिए किया गया था। वर्तमान समय में लोग जगदीश मंदिर को उदयपुर का लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
यदि आप कुंभलगढ़ किले देख को देखने के लिए आए हैं और इसके बाद आप किसी अन्य स्थान पर जाना चाहते हैं, तो आप अवश्य ही जगदीश मंदिर जाएं। जगदीश मंदिर की वास्तुकला इतनी ज्यादा अच्छी है, कि आप इस मंदिर के सुंदरता, भव्यता, नक्काशी और अन्य कई आकर्षक मूर्तियां को देखकर इसकी तरफ आकर्षित हो जाएंगे।
पिछोला झील
पिछोला झील लेक पैलेस के पास में ही स्थित एक ऐसा झील है, जिसे प्रकृति के द्वारा नहीं बल्कि मानव के द्वारा निर्मित किया गया है। पिछोला झील का निर्माण प्राचीन समय के आदिवासी पिच्छू बंजारा ने करवाया था। पिछोला झील इतना ज्यादा सुंदर था, कि इसकी सुंदरता से मुक्त होकर राजा उदय सिंह ने पिछोला झील के किनारे एक शहर का निर्माण किया जिसे आज हम उदयपुर के नाम से जानते हैं।
पिछोला झील को उदयपुर की सबसे बड़ी एवं पुरानी झील के नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है। पिछोला झील का खूबसूरत दृश्य पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है और पिछोला झील उदयपुर में घूमने वाली सबसे अच्छी जगहों में से एक मानी जाती है।
कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए कौनसा समय ठीक रहेगा?
यदि आप कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए जाना चाहते हैं, तो आपके लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम होगा। यदि आप कुंभलगढ़ किले को देखने के लिए गर्मियों के दौरान जाते हैं, तो यह यात्रा आपके लिए बहुत ही ज्यादा थकान हो सकती है, क्योंकि उस समय जलवायु बहुत ही ज्यादा शुष्क एवं गर्म होती है।
अतः कुंभलगढ़ किले को घूमने के लिए सबसे अच्छा समय ठंडी का मौसम ही रहेगा, क्योंकि इस समय में दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने में काफी मजा आता है और थकान महसूस नहीं होती। कुंभलगढ़ का शाही किला 9:00 बजे खुलता है और शाम को 6:00 बजे तक बंद कर दिया जाता है।
आपको इतना ही समय में कुंभलगढ़ किला घूमना पड़ेगा। यदि आप अधिक समय तक कुंभलगढ़ किले में घूमना चाहते हैं, तो आपको दोबारा से दूसरे दिन जाना होगा।
कुंभलगढ़ का प्रसिद्ध भोजन
हालांकि कुंभलगढ़ में वहां का कोई स्थानीय व्यंजन नहीं है, परंतु आपको बहुत ही अच्छी चीजें हैं, जो कि कुंभलगढ़ में खाने को मिलेंगे। आप सभी लोगों को कुंभलगढ़ में राजस्थानी दक्षिण भारतीय पंजाबी इत्यादि कई प्रकार के भोजन मिल जाएंगे।
क्या है कुंभलगढ़ किले में प्रवेश शुल्क
आप सभी पर्यटकों को हम यह बता देना चाहते हैं, कि आप सभी लोगों से कुंभलगढ़ किले में प्रवेश हेतु कुछ शुल्क देना होता है। यदि आप एक भारतीय पर्यटक हैं, तो आपको कुंभलगढ़ किले में प्रवेश करने के लिए ₹10 देने होंगे और यदि आप एक विदेशी पर्यटक हैं, तो आपको लगभग ₹200 प्रति व्यक्ति के हिसाब से देना पड़ सकता है।
कुंभलगढ़ किले के विषय में रोचक तथ्य
- कुंभलगढ़ किले के वर्तमान स्वरूप का निर्माण वर्ष 1493 में वहां के राजा राणा कुंभा के द्वारा किया गया था, इसी कारण इस किले को कुंभलगढ़ किला नाम दिया गया।
- कुंभलगढ़ किला भारत के सबसे विशाल किलो में से एक माना जाता है। कुंभलगढ़ किला लगभग 1.03 वर्ग मील के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
- कुंभलगढ़ किला अरावली पर्वत की चोटी पर लगभग 11 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यह किला विश्व के प्रसिद्ध किलो में से सबसे ऊंचे किलो के लिस्ट में आता है।
- राजस्थान में स्थित कुंभलगढ़ किला कितना ज्यादा विशाल है कि इसकी सुंदरता देखते ही ऐसा लगता है कि हम कोई राज महल में आ गए हैं।
- कुंभलगढ़ किले में निर्मित किया गया दीवार विश्व का दूसरा ऐसा सबसे बड़ा दीवार है, जो कि लगभग 38 किलोमीटर लंबी और 36 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है।
- आप सभी लोगों को कुंभलगढ़ किले में अनेकों प्रकार के प्रसिद्ध मंदिर देखने को मिल जाएंगे, परंतु इसमें स्थित गणेश जी का मंदिर लगभग 12 फीट ऊंचे मंच पर बनाया गया है, जिसे गणेश जी का सबसे पहला मंदिर भी माना जाता है।
- कुंभलगढ़ किले में आप सभी लोगों को विश्व का प्रसिद्ध टैंक लखोला टैंक भी देखने को मिल जाएगा। कुंभलगढ़ किले में स्थापित इस टैंक का निर्माण वर्ष 1382 से लेकर 14 साल के मध्य राणा लक्ष के द्वारा किया गया था।
- कुंभलगढ़ किले को प्राचीन समय में सुरक्षा प्रदान करने वाली इसके सामने की दीवार लगभग 15 फीट मोटी थी, जिस कारण यह किला अनेकों बार दुश्मनों से बचाने के लिए कामयाब रहा।
- कुंभलगढ़ किले के पूर्वी हिस्से में आप सभी लोगों को नीलकंठ महादेव का मंदिर देखने को मिल जाएगा। नीलकंठ महादेव के इस मंदिर का निर्माण लगभग 14 से 58 ईसवी में किया गया था।
- कुंभलगढ़ किले का निर्माण, शैली, संरचना, इतिहास इत्यादि को देखने पर यूनेस्को के द्वारा कुंभलगढ़ किले को भी विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया है।
वर्ष 1443
कुंभलगढ़ के महाराजा एवं निर्माण करता राणा कुंभा के नाम पर
अरावली पर्वत
लगभग 15 फीट मोटा
निष्कर्ष
हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख “कुम्भलगढ़ किले का इतिहास और रोचक तथ्य (History of Kumbhalgarh Fort in Hindi)” अवश्य ही पसंद आया होगा, यदि हां! तो कृपया हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अवश्य शेयर करें। यदि आपके मन में इसलिए को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
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