History of Jaisalmer Fort in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम आप सभी लोगों के सामने लेकर प्रस्तुत हुए हैं, एक ऐसे किले के इतिहास को लेकर जोकि भारत का ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया का सबसे बड़ा किला है। इस किले की स्थापना 1156 ईस्वी में राजपूताना शासक के अंतर्गत राजपूत रावल जैसल के द्वारा किया गया था।
अब आप समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, आप सभी लोगों ने बिल्कुल सही समझा हम बात कर रहे हैं, जैसलमेर किले के बारे में। आज आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखे गए इस लेख के माध्यम से जैसलमेर किले के विषय में रोचक तथ्य और इसके संपूर्ण इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
आज आप सभी लोगों को हमारे इस लेख में जाने को मिलेगा कि जैसलमेर किले का इतिहास क्या है? (History of Jaisalmer Fort in Hindi), जैसलमेर किले की वस्तु कला क्या है? जैसलमेर का किला सोने जैसा क्यों चमकता है सूर्य की रोशनी में? जैसलमेर का रोचक तथ्य इत्यादि।
यदि आप जैसलमेर के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया आप हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अवश्य पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं, अपना यह महत्वपूर्ण लेख और जानते हैं जैसलमेर किले के इतिहास और रोचक तथ्य के विषय में।
जैसलमेर किले का इतिहास और रोचक तथ्य | History of Jaisalmer Fort in Hindi
जैसलमेर किले का इतिहास क्या है?
हम सभी लोग इतना तो अवश्य ही जानते हैं कि जैसलमेर किले का निर्माण किसके द्वारा किया गया था, यदि नहीं जानते हैं, तो आइए जानते हैं। जैसलमेर किले का निर्माण वर्ष 1156 ईसवी में राजा रावल जैसल ने किया था। राजा जैसल को गौर के सुल्तान के द्वारा की गई साजिश का मुखिया बनाया गया था, ताकि वह अपने भतीजे भोज दे उसे अपने राज्य को बचा सके। जैसलमेर किले में वर्ष 1276 इससे में एक अप्रिय घटना घटी जिसमें जाटों के द्वारा जैसल राजा ने सुल्तान पर हमला कर दिया।
जैसल राजा के द्वारा की गई इस हमले में इन्होंने 3700 सैनिकों के साथ मिलकर 56 किले की किलेबंदी कर दी। इस हमले से सुल्तान काफी ज्यादा गुस्से में था और ठीक 8 वर्षों के आक्रमण के बाद सुल्तान ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर राजा जैसल के द्वारा बनाए गए इस महल को नष्ट कर दिया।
जब सुल्तान ने इस महल को नष्ट किया था तब उसके बाद इस महल पर भाटियों ने अपना नियंत्रण कर लिया परंतु उनके पास कोई विशेष ताकत ना होने के कारण वर्ष 1324 भी में राठौर से बाहर कर दिए गए और दूदू की बहादुरी देखते हुए उन्हें वहां की रानी के रूप में घोषित कर दिया।
इसके बाद इन्होंने किले का निर्माण दोबारा से करना शुरू कर दिया। इसके बाद इसके लिए पर रावण मुगल साम्राज्य का हमला हो गया, जिस हमले को यह लोग सहन ना कर सके और इसके बाद इन्हें 1570 ईस्वी में अकबर की शरण लेनी पड़ी। दूदू के पिता ने अपनी पुत्री का विवाह अकबर से करने का फैसला किया और इन्होंने अपनी बेटी की शादी उनसे कर भी दी।
इन सब घटनाओं के बाद मध्ययुगीन काल में इन्होंने पारसी, अरब, मिश्र और अफ्रीका के साथ मिलकर अपनी एक प्रमुख भूमिका निभाई। इन्होंने किले की दीवार को इतनी भव्य तरीके से निर्माण करवाया कि इस किले की दीवारें लगभग तीन मंजिला इमारत इतनी ऊंची थी। इन्होंने किले का निर्माण करते समय इसकी बाहरी और निचली परत को इतने ठोस पत्थरों से बनवाया कि इसे तोड़ना किसी के भी बस की बात ना रही।
इसके बाद इन्होंने किले के दूसरी और बीच की परतों कि चारों और सांपों के जैसी आकृति में बनवा दिया। एक बार राजपूतों पर हुए आक्रमण में राजपूतों ने इन्हीं दीवारों के ऊपर से दुश्मनों के ऊपर उबला हुआ पानी और उबला हुआ तेल ही गिरा दिया और इन्होंने दुश्मनों को चारों तरफ से घेर लिया। इन्होंने किले की सुरक्षा करने के लिए 99 दुर्ग का निर्माण करवाया, जिनमें से 92 जातियां 1633 ईस्वी और 1647 ईस्वी के मध्य बनाई गई।
इन सभी के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर 13वीं शताब्दी में आक्रमण कर दिया और इसे अपने अधीन कर लिया। इसके बाद 9 वर्षों के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने इसके लिए पर अपने नियंत्रण को संजोए रखा। जब यह किले की घेराबंदी की जा रही थी, तब राजपूत महिलाओं ने खुद को अपने पति के याद में समर्पित कर दिया।
वर्ष 15 से 41 ईसवी में इस किले पर हुई दूसरी लड़ाई में जब मुगल शासक हुमायूं ने जैसलमेर किले पर हमला किया तब इन्होंने अलाउद्दीन खिलजी को हरा दिया और इसके लिए पर अपना अधिकार कर लिया। यह युद्ध काफी लंबा चला था, 1541 के हमले से लेकर 1742 तक इस युद्ध की प्रक्रिया जारी रही और इस युद्ध में राजा हुमायूं ने जीत हासिल की।
मुगल शासक का नियंत्रण हो जाने के बाद जैसलमेर किले पर महारावल मूलराज का नियंत्रण हो गया, क्योंकि यह किला एक ऐसे स्थान पर बसा हुआ है, जो काफी एकांत में स्थित है।
इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी और मूलराज के बीच 12 दिसंबर 1818 को समझौते के कारण वहां के राजा को उत्तराधिकारी बना दिया गया और किसी भी हमले के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा उन्हें सुरक्षा भी प्रदान किया गया। वर्ष 1820 ईसवी में मूलराज की मृत्यु हो गई और मूलराज की मृत्यु के बाद उसके पोते गज सिंह को वहां का राजा घोषित कर दिया गया।
जैसलमेर किला इतना ज्यादा विशाल था कि इस किले में लगभग लाख और लोग रह सकते हैं और वर्तमान समय में भी लगभग 4000 लोग वहां रहते भी हैं, जिसमें दरोगा समुदाय और ब्राह्मण समुदाय है। जैसलमेर साम्राज्य इतना बड़ा है, कि उसे दुनिया के सबसे बड़े किले के रूप में उपाधि भी प्राप्त है।
इस किले में रहने वाले सभी लोग पुराने समय में भाटी शासकों की देखरेख में काम किया करते थे और तभी से यह लोग उसके लिए में रह रहे हैं, हालांकि वर्तमान समय में इनके वंशज हैं, जो इस किले में रहते हैं। जैसे-जैसे जैसलमेर की आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे यह लोग त्रिकूट पर्वत पर जाकर रहने लगे कुछ लोग त्रिकूट पर्वत के नीचे तो कुछ लोग त्रिकूट पर्वत के ऊपर निवास करने लगे।
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किले का नाम क्यों पड़ा जैसलमेर किला?
जैसा कि मैने आपको ऊपर ही बताया जैसलमेर किले का निर्माण वर्ष 1156 ईस्वी में जैसलमेर के राजा रावल जैसल ने किया था, अतः राजा जैसल ने ही इस किले के भव्य निर्माण आयोजन की नींव रखी थी। इन्होंने किले को काफी शानदार रूप से बनवाया भी था।
बाद में बहुत से ऐसे शासक आए, जो इस किले को और भी ज्यादा भव्य बनाने के लिए सुधार करते रहे, धीरे धीरे इन सभी राजाओं ने इस किले को बनवाते रहे और यह किला धीरे-धीरे विशाल रूप लेने लगा और बाद में यह किला दुनिया के सबसे बड़े किले के रूप में घोषित हो चुका है। जैसलमेर किले का निर्माण राजा रावल जैसल के द्वारा किया गया था, अतः इन्हीं के नाम पर ही इस किले का नाम जैसलमेर किला पड़ा।
क्या है जैसलमेर किले की वास्तुकला?
आइए जानते हैं जैसलमेर किले की वस्तु कला को। यदि हम बात करें जैसलमेर किले की बनावट की, तो जैसलमेर किला लगभग 460 मीटर लंबा, 230 मीटर चौड़ा और 76 मीटर ऊंचे पहाड़ पर स्थित है। जैसलमेर किले का गढ़ ही केवल 15 फीट लंबा है। किले में एक श्रृंखला का भी निर्माण किया गया है, जो कि लगभग 30 फीट का है। जैसलमेर के शहर से होते हुए इस किले में पहुंचने के लिए चारों तरफ से भव्य द्वार बनाए गए हैं।
किले में जल निकासी के लिए एक शानदार और शाही जल निकास प्रणाली बनाया गया है, इस जल निकासी प्रणाली का नाम पुराने समय में चूहा डाली था। इसका यह काम था कि बारिश के समय किले के चारों दिशाओं में बारिश के पानी का जमाव ना हो और बारिश का पानी बड़ी आसानी से नदियों में चला जाए। इसे इतनी अच्छी कलाकृति के द्वारा बनाया गया है कि से देखने पर ऐसा लगता है कि जैसल राजा ने इसे अट्रैक्शन के दृष्टिकोण से बनाया था।
जैसलमेर किला में कई मंजिला इमारत है। जैसलमेर किले के सभी मंजिलों पर हजारों कमरे हैं। इतना ही नहीं जैसलमेर किले के सभी खिड़कियों को शाही अंदाज में बनवाया गया है और वर्तमान समय में भी सभी खिड़कियों एवं कमरे को शाही अंदाज में ही सजाया गया होता है। जैसलमेर किले के बालकनी और दरवाजे की बनावट इतनी अच्छी की गई है, कि लोग इसकी कलाकृति देखते ही इसकी तरफ अट्रैक्ट हो जाते हैं। जैसलमेर किले की बहुत से कमरे को मिलाकर वर्तमान समय में एक संग्रहालय बना दिया गया है, परंतु जैसलमेर के किले में वर्तमान समय में भी अनेकों परिवार निवास करते हैं।
सूर्य की रोशनी में क्यों चमकता है सोने जैसा?
जैसलमेर किला सूर्य की रोशनी में बिल्कुल सोने की तरह चमकता है, इसे सोने की तरह चमकने के कारण ही इस किले को गोल्डन फोर्ट अर्थात सोनार किला के नाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर किले को बनाने के लिए अनेकों प्रकार के पीले एवं सुनहरे पत्थरों का उपयोग किया गया है, जिस पर किसी भी प्रकार की कोई रंग आवट नहीं है, यही कारण है, कि इन पत्थरों का कलर आज भी बरकरार है।
यही कारण है कि सूर्य की रोशनी पढ़ते ही यह किला इतनी तेज चमक उठता है कि जैसे लगता है कि यह किला पूरी तरह से सोने का ही बना है। यह किला पुराने समय में हो रही किलेबंदी में सबसे पहले स्थान पर आता है, क्योंकि इस किले की किलेबंदी संपूर्ण विश्व में हुए किलेबंदी से काफी ज्यादा बढ़ा है।
जैसलमेर किले के विषय में रोचक तथ्य
- जैसलमेर किले पर अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण किया और इसे अपने कब्जे में कर लिया।
- स्क्रीन की किलेबंदी के समय इसे तीन दीवारों की परतों से बनाया गया है, जिसके कारण यह काफी ज्यादा मजबूत है और इसे हिलाना भी किसी के बस की बात नहीं।
- इस किले का निर्माण भाटी राजपूत राज शासक राजा रावल जैसल ने 1156 इसमें में करवाया था। राजा जैसल के नाम से ही इस किले का नाम जैसलमेर किला पड़ा।
- जैसलमेर किला त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है इस किले पर कई ऐसी लड़ाइयां हुई है, जो कि वर्तमान समय में इतिहास के पन्ने पर दर्ज हैं, इतिहास के पन्नों के साथ-साथ यह सभी लड़ाइयां इसकी दीवारों पर भी अंकित की गई हैं।
- जैसलमेर किला राजपूत एवं मुस्लिम वस्तु कला की शैलियों से मिश्रित है, क्योंकि इस पर कई मुस्लिम राजाओं ने भी शासन किया है।
- बड़े पैमाने पर लोग पीले बलुए पत्थर की दीवारों को शहद के रंग की पीली चमक के कारण जानते है। इसके पर जैसे ही सूर्य की रोशनी पड़ती है, यह किला सोने की तरह चमक उठता है।
- जैसलमेर के स्थानीय लोग इस किले को सोनार किला अर्थात गोल्ड फोर्ड कहते हैं।
भाटी राजा रावल जैसल
वर्ष 1156
राजस्थान के त्रिकुटा पर्वत के ऊपर
सोनार किला या रेड फोर्ट
अलाउद्दीन खिलजी
निष्कर्ष
हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं, कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख “जैसलमेर किले का इतिहास और रोचक तथ्य (History of Jaisalmer Fort in Hindi)” अवश्य ही पसंद आया होगा और आपको जैसलमेर किले की इतिहास के विषय में जानकारी भी प्राप्त हुई होगी।
यदि हां! तो कृपया आप हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अवश्य शेयर करें। यदि आपके मन में इसलिए को लेकर किसी भी प्रकार का कोई सवाल है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
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