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हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व

हरियाली अमावस्या सावन महीने में आती हैं। सावन का महीना सनातन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है।

इस महीने में सनातन धर्म से संबंधित अनेक सारे पर्व एवं त्योहार आते हैं। विशेष रूप से सावन के महीने को भगवान शिव के लिए जाना जाता है।

भगवान शिव के अत्यंत प्राचीन और प्रमुख मंदिरों में सावन के महीने में देश के कोने-कोने से लोग दर्शन के लिए जाते हैं।

सावन के महीने में बारिश भी बहुत ज्यादा होती है। भारत में सनातन धर्म के अनुसार विशेष पर्व और त्योहारों की सूची में हरियाली अमावस्या भी शामिल है।

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सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना की जाती है। भगवान शिव को पूजा जाता है। इस समय किसान खेतों में न‌ई फसल उगाते हैं।

लोग भगवान शिव को सावन के महीने में अपनी श्रद्धा से पूजते हैं। इसी महीने में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं, क्योंकि इस समय खेत हरे-भरे दिखाई देते हैं।

हर तरफ हरियाली ही हरियाली होती है, बारिश से हरा भरा नजारा देखने को मिलता है। भगवान शिव के पवित्र माह सावन की अमावस्या को “हरियाली अमावस्या” के नाम से पर्व के आधार पर माना जाता है।

हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है?

हरियाली अमावस्या क्या है?

हिंदू धर्म में त्यौहार एवं पर्वों को अत्यधिक महत्व दिया गया है। सावन का माह हिंदू धर्म की दृष्टि से पावन महीना होता है।

इस महीने में भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। इस महीने में आने वाली अमावस्या को “हरियाली अमावस्या” नाम से संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।

हरियाली अमावस्या को लोग अपनी श्रद्धा से आस्था का प्रतीक मानकर मनाते हैं। संपूर्ण देश के किसान भी हरियाली अमावस्या को विशेष महत्व देते हैं।

हरियाली अमावस्या के बाद ही खेतों में नए धान की उपज होती है और खेत हरे-भरे दिखाई देते हैं। हरियाली अमावस्या को स्थानीय लोग हरियाली अमावस भी कहते हैं।

आमतौर पर हरियाली अमावस्या को राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, गोवा इत्यादि इन राज्यों में मनाया जाता है। इन राज्यों के लोग हरियाली अमावस्या को अत्यधिक महत्व देते हैं।

हरियाली अमावस्या वाले दिन लोग जल्दी उठकर स्नान करते हैं। पशु-पक्षियों को दाना पानी देते हैं। बैलों को गुड़ खिलाते हैं।

कृषि एवं कृषि से संबंधित उपकरणों की पूजा करते हैं। भगवान शिव की पूजा करते हैं एवं बरसात की कामना करते हैं।

हरियाली अमावस्या का महत्व क्या है?

हरियाली अमावस्या सावन महीने में आती है और सावन के महीने को बारिश का महीना कहा जाता है, क्योंकि इस महीने से बरसात की शुरुआत होती है, जिससे सभी जगह हरियाली हो जाती है। पहाड़ी मैदान जंगली मैदान खेत खलियान सब कुछ हरे-भरे दिखाई देते हैं।

खेतों में हरी हरी फसलें लहराती नजर आती है, किसानों के चेहरे पर खुशी नजर आती है। इसीलिए हरियाली के महत्व को देखते हुए इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। यह अमावस्या प्रकृति का सौंदर्य महत्व एवं उद्देश्य प्रकट करती है।

हरियाली अमावस्या के दिन किसान और हिंदू धर्म के लोग जल्दी उठकर स्नान करते हैं और दिन भर पेड़ पौधे लगाते हैं।

धर्म शास्त्र कहते हैं कि हरियाली अमावस्या के दिन पेड़ पौधे लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। पेड़ पौधे लगाने वालों को पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन लोग पशु पक्षियों को दाना पानी देते हैं।

गायों और बैलों को गुड़ खिलाते हैं, मोटे अन से बने हुए मीठे व्यंजन बनाते हैं। धर्म शास्त्रों में इस दिन को पितरों का दिन माना गया है। इस तरह से हरियाली अमावस्या को मनाया जाता है।

तमिलनाडु हरियाली अमावस्या

दक्षिण भारत में अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु में विशेष तौर पर तमिल लोग अमावस्या को विशेष दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि तमिलनाडु अमावस्या को श्राद्ध एवं तर्पण का दिवस मानते हैं।

इस दिन में पुण्य करते हैं, भगवान की पूजा अर्चना करते हैं, पवित्र नदी में स्नान करते हैं, भगवान के दर्शन हेतु तीर्थ यात्रा करते हैं, तीर्थ धाम जाते हैं। संपूर्ण तमिलनाडु के लोग इस दिन पूजा करवाते हैं।

हवन करवाते हैं, पवित्र नदियों में नहाने के लिए जाते हैं। अमावस्या के दिन कावेरी नदी के घाट पर लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं, तर्पण करते हैं।

भगवान की पूजा अर्चना करके, इस दिन को विशेष रुप से धार्मिक महत्व से मनाते हैं। अमावस्या के दिन तमिल लोग उपवास रखकर दिन में केवल एक समय ही खाना खाते हैं।

राजस्थान हरियाली अमावस्या

राजस्थान के लोग राजस्थान में हरियाली अमावस्या को अत्यधिक धूमधाम से मनाते हैं। यहां पर लोग हरियाली अमावस्या को त्यौहार की तरह मनाते हैं।

राजस्थान के बड़े-बड़े शहरों में हरियाली अमावस्या के दिन अनेक सारी तैयारियां की जाती है और धूमधाम के साथ हरियाली अमावस्या का त्यौहार मनाया जाता है।

राजस्थान में हरियाली अमावस्या को मनाने की शुरुआत महाराजा फतेह सिंह ने की थी। महाराजा फतेह सिंह ने हरियाली अमावस्या के दिन ही पानी की उत्तम व्यवस्था करने के लिए फतेहसागर झील का निर्माण करवाया था।

फतेहसागर झील या फतेह सागर जलाशय का निर्माण सावन महीने की अमावस्या को पूरा हुआ था। इसीलिए राजस्थान में हरियाली अमावस्या को हरे भरे खेत और प्रकृति की हरियाली के महत्व के साथ फतेहसागर झील की याद में महोत्सव का आयोजन करके हरियाली अमावस मनाते हैं।

राजस्थान में हरियाली अमावस्या का कार्यक्रम दो-तीन दिनों तक चलता है। राजस्थान की पारंपरिक संस्कृति में यहां पर आयोजन कराए जाते हैं, जिसमें देश विदेश के लोग और पर्यटक हिस्सा लेते हैं।

हरियाली अमावस महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में हरियाली अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के लोग हरियाली अमावस्या के दिन जल्दी उठकर मंदिर जाते हैं।

भगवान की पूजा अर्चना करते हैं और बैलों की पूजा करते हैं। इस दिन लोग बैलों को हरा घास खिलाते हैं। गुड़ खिलाते हैं और विशेष रूप से गाय और बैलों की सेवा करते हैं, पूजा करते हैं।

महाराष्ट्र के लोग हरियाली अमावस्या को धूमधाम से मनाते हैं।‌ यहां पर हरियाली अमावस्या के दिन कार्यक्रम आयोजित करवाए जाते हैं।

हरियाली अमावस्या मनाने का तरीका

हरियाली अमावस्या को स्थानीय भाषा में हरियाली अमावस कहते हैं। हरियाली अमावस्या सावन महीने की अमावस को मनाई जाती है। इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं।

सावन के महीने में बरसात की शुरुआत हो जाती है। इसीलिए लोग भगवान शिव की पूजा करके अच्छी बरसात और जीवन में सुख समृद्धि की कामना करते हैं।

हरियाली अमावस्या के दिन लोग भगवान शिव के मंदिर में जा कर पूजा अर्चना करते हैं, नए वस्त्र पहनते हैं, पशु पक्षियों को दाना पानी खिलाते हैं।

भारत में हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने काफी महत्व है। इस दिन लोग नए पेड़ लगाते हैं, दान करते हैं, पुण्य करते हैं, ब्राह्मणों को खाना खिलाते हैं, ब्राह्मणों को दक्षिणा प्रदान करते हैं, पितरों का पिंडदान करते हैं, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, मंदिरों में हवन करवाते हैं।

इस तरह से संपूर्ण भारत में अलग-अलग प्रकार से हरियाली अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है।

हरियाली अमावस्या को सनातन धर्म में धार्मिक महत्व से मनाया जाता है। वहीं पर किसान धार्मिक महत्व के साथ-साथ खेती के लिए भी महत्व देते हैं।

FAQ

हरियाली अमावस्या को हरियाली क्यों कहा जाता है?

हरियाली अमावस्या सावन के महीने में आती है और सावन के महीने में मानसून का शुभारंभ हो जाता है, जिससे खेत हरे-भरे दिखाई जाते हैं, हरे हरे घास के मैदान नजर आते हैं।‌ इसीलिए इस महीने में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं।

हरियाली अमावस्या के दिन किसकी पूजा की जाती है?

हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव और नंदी की पूजा की जाती है।

हरियाली अमावस्या कब आती है?

हर वर्ष सावन के महीने में हरियाली अमावस्या आती है।

सबसे ज्यादा हरियाली अमावस्या को किन राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है?

हरियाली अमावस्या को विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, तमिल नाडु, गुजरात इत्यादि किन राज्यों में अलग-अलग महत्व और पूजा पद्धति के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।

निष्कर्ष

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, क्योंकि यहां पर हर दूसरे और तीसरे दिन एक त्यौहार होता है। ऐसा ही एक त्यौहार हरियाली अमावस होता है, जिसे भारत के लोग धूमधाम से मनाते हैं।

हरियाली अमावस सावन के महीने में अमावस के दिन होती है। इस समय संपूर्ण देश में हरियाली दिखाई देती है।

खेतों में हरी हरी फैसल यार आती है, घास के मैदान पहाड़ी क्षेत्र और हर जगह हरा-भरा नजारा देखने को मिलता है, इसीलिए सावन के महीने में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस कहते हैं।

भारत में हरियाली अमावस का विशेष महत्व है, इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। किसान हरियाली अमावस को विशेष महत्व देते हैं।

इस लेख में हमने हरियाली अमावस्या क्यों मनाई जाती है और यह कब आती है इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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