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कवि सूरदास पर निबंध

Essay on Surdas in Hindi: हिंदी साहित्य के महान गुरु या महान व्यक्ति के रूप में कवि सूरदास जी को जाना जाता हैं। कवि सूरदास जी द्वारा रचित रचनाएं आज भी प्रचलित है। कवि सूरदास जी द्वारा अपने जीवन में कई ऐसी रचनाओं की रचना की गई है। जिनके माध्यम से लोगों को भगवान की भक्ति के प्रति प्रेरणा मिलती है। आज का आर्टिकल जिसमें हम कवि सूरदास पर निबंध के बारे में जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं।

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कवि सूरदास पर निबंध | Essay on Surdas in Hindi

कवि सूरदास पर निबंध (250 शब्द)

उनका जन्म (हरियाणा) फरीदाबाद के पास साही नामक ग्राम में सन 1478 को हुए था। कुछ महान विद्वानों के राय के अनुसार कवि सूरदास जी का जन्म आगरा तथा मधुरा के मध्य स्थिति रुनकता गांव में हुआ था। सूरदास जी कृष्ण भक्ति शाखा के सबसे सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक माने जाते है। सूरदास जी बचपन मे ही मथुरा की गाऊघाट पर रहने के लिये चले गये, वही समय सूरदास जी की मुलाक़ात आचार्यव ल्लभ से हुयी थी। सूरदास जी द्वारा रचित भक्ति के पदों को देखकर वह पूरी तरह से प्रभावित हो गये और उन्होंने सूरदास जी को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया।

सूरदास जी ब्रज भाषा के कवि माने जाते थे। कवि सूरदास जी द्वारा जो भी रचनाएँ रचित की गई थी। वह ब्रज भाषा के क्षेत्र मे रहकर रचनाएँ की गई थी। सूरदास जी के पिताजी का नाम रामदास बैरागी है। उनके पिता सारस्वत ब्राह्मण हुआ करते थे। सूरदास जी के पिताजी गायक थे।

सूरदास जी अपने पिता जी की तरह एक विद्वान व्यक्ति और गायक बनने का उनका भी सपना था। वह जन्म से ही अंधे थे। लेकिन सूरदास जी इतनी सुंदर रचनाओं को रचित की है। लोगो को भरोसा ही नहीं होता है, कि वह जन्म से अंधे है। सूरदास जी की सबसे प्रसिद्ध रचनाएँ – सुरसागर,साहित्यलहरी और सूरसारावली आदि है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध  रचना ‘सूरसागर’ है।

कवि सूरदास श्रीकृष्ण जी के अन्याय भक्त थे। यहाँ पर सूरदास ने श्री कृष्ण के बाल-लीलाओ का वर्णन किया है, यशोदा माता श्रीकृष्ण के बालो तेल लगा कर चोटी बाँधती और उनके आँखों में सुरमा लगाती थी और श्री कृष्ण ख़ुश होकर पुरे आँगन में जैसे -जैसे चलते घुनघुनाहट की आवाज़ से वह नाचने लगते, आदि क्रियाओ को देख सूरदास जी मन अंदर से  श्री कृष्ण के प्रति आनंद -विभोर हो उठता है।

कवि सूरदास पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

कवि सूरदास जी हिंदी साहित्य की कृष्ण भक्ति काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं। सूरदास जी के जन्म स्थान तिथि के संबंध मैं विद्वान एक मत नहीं है। परंतु अधिकांश लोगों का मानना है कि वह जन्म से अंधे थे। मिले हुए तथ्यों के आधार पर माना जाता है, कि सूरदासदास जी का जन्म संवत् 1535 बल्लभगढ़ के समीप सीही गांव में हुआ था। कवि सूरदास जी हिंदी काव्य जगत के मशहूर कवि थे। उनकी कविताओं से उन्होंने जनमानस पर अमिट छाप छोड़ी ।सूरदास जी महाकवि तुलसी और केशव के समकक्ष थे। सूरदास बचपन में ही अपने परिवार से दूर हो गए थे। ताकि वह किसी पर बोझ ना बने उनकी वाणी बहुत ही ज्यादा मधुर थी। जब भी वो भाव-विभोर होकर कृष्ण लीला का वर्णन व गायन करते थे। तो सभी ग्रामवासी से झूमते और मंत्रमुग्ध होकर गायन सुनते थे।

सूरदास जी भ्रमण करते हुए मथुरा गए परंतु वह वहा अधिक दिन नहीं रुक सके। उसके पश्चात वह मथुरा-आगरा की सड़क पर स्थित ग्रामघाट पर रहने लगे। घाट पर जब पुष्टि समाज के महान गुरु बल्लभाचार्य जी पधारे तब उनकी सूरदास जी मुलाकात हुई। बल्लभाचार्य जी सूरदास जी के पदों से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए। सूरदास जी को बल्लभाचार्य जी से दीक्षा प्राप्त हुई उन्होंने सूरदास जी को जीवन भर कृष्ण- लीला का गायन करने के लिए प्रेरित किया। इसके पश्चात सूरदास कृष्ण-भक्ति में पूर्णतया लीन हो गए। वह हर दिन कृष्ण भक्ति से संबंधित पदों की रचना करने लगे।

कवि सूरदास जी द्वारा रचित रचनाएँ

सूरदास जी ने अपने 105 वर्षों के दीर्घ जीवनकाल में 100 से अधिक पदों की रचना हैं। हालांकि इनमें से कुछ ही पद आज पाठकों के लिए उपलब्ध हैं। सूरदास जी ने कई काव्य ग्रंथों की रचना की सूरसागर,सुर-सरावली और साहित्य लहरी आदि हिंदी जगत की अति महत्वपूर्ण प्रसिद्ध काव्य कृतियां हैं। सूरसागर अत्यंत अनूठा आदित्य ग्रंथ हैं। भगवान श्री कृष्णा के बाल्यकाल का जो अनूठा चित्रण सूरदास जी ने किया वह अतुलनीय हैं।

सूरदास जी की 10 रचनाओं में कृष्ण के बाल-जीवन,गोपियों के साथ हास-परिहास और असुरों के वध से संबंधित वर्णन किया गया। सूरदास जी के द्वारा कृष्ण के बाल जीवन का बहुत ही अनूठा गायन किया गया हैं। सूरदास जी ने कृष्ण व राधा के प्रेम का भी बहुत ही अच्छे से गायन किया हैं। जिससे कि सुनने वाला भाव -विभोर हो जाता हैं। सूरदास जी की रचनाओं में वात्सल्य, करुणा, प्रेम आदि शृंगार रस भरपूर मात्रा में मिलता हैं।

मानव जीवन के अनुभूति पूर्ण रंगों का प्रभावशाली ढंग से सूरदास जी ने प्रयोग किया आज भी सूरदास जी के पदों का गायन हमारे भजनों में किया जाता हैं। जिसे सुनकर भक्तजन भाव -विभोर हो जाते हैं। सूरदास जी का संपूर्ण जीवन कृष्ण को समर्पित था। वास्तविक रूप में कविवर सूरदास जी हिंदी काव्य जगत के शिरोमणि कवि थे। जिनके काव्य प्रतिभा का आलोक आज भी प्रकाशमान हैं।

कवि सूरदास जी द्वारा रचित रचनाओं का महत्व

आज भी उनकी रचनाएं जनमानस को मंत्रमुग्ध करती हैं और ईश्वर भक्ति से जोड़ती है। सूरदास जी हिंदी काव्य जगत के अनमोल रत्न जिन्हें सभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके कृतियां सदैव जगत को उनकी याद दिलाती रहेगी।

वास्तविक जीवन में कवि सूरदास जी काव्य जगत के शिरोमणि कवि थे। कवि सूरदास जिनके द्वारा रचित रचनाएं आज भी बहुत ज्यादा लोकप्रिय है। कवि सूरदास काव्य प्रतिमा का आलोक आज भी बहुत ज्यादा प्रचलित है। लाखों लोगों के मन की भावनाओं को कवि सूरदास द्वारा रचित रचनाएं भगवान की भक्ति के प्रति उनके मन को जोड़ती है।

हिंदी साहित्य के अनमोल रतन के रूप में कवि सूरदास को जाना जाता है। कवि सूरदास का पूरा जीवन कृष्ण भक्ति में लीन था और उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण भगवान की भक्ति में ही समर्पित कर दिया मनुष्य जीवन के रंगों का प्रयोग प्रभावशाली रूप से कवि सूरदास जी द्वारा किया गया संगीत के प्रति लोगों को जागरूक किया और संगीत के शास्त्र का ज्ञान लोगों तक पहुंचाया।

निष्कर्ष

कवि सूरदास जी जिन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण रचनाएं रची थी। जो आज भी देश भर में बहुत ज्यादा विख्यात है। कवि सूरदास जी द्वारा लिखी गई रचनाओं से मनुष्य को एक अलग प्रकार की प्रेरणा मिलती है। कवि सूरदास जी द्वारा रचित रचनाओं के माध्यम से लाखों लोगों के मन में भगवान की भक्ति को लेकर एक नई भावना उजागर हुई है।

अंतिम शब्द

आज का हमारा ही आर्टिकल जिसमें हमने कवि सूरदास पर निबंध (Essay on Surdas in Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें पूरी उम्मीद है,कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से जुड़ा कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकता है। हम आपके कमेंट का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।

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Ripal
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