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छुआछूत पर निबंध

Essay on Untouchability in Hindi : इस निबंध के माध्यम से हम आपको दलित जाति के लोगों को किस किस तरह का समाज में सामना करना पड़ता है। सरकार के द्वारा दलितों के उत्थान के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं। भीमराव अंबेडकर की निम्न वर्ग के लोगों के लिए क्या काम किए , इन सब चीजों के बारे इस निबंध में बात करेंगे। हम यहां पर छुआछूत पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में छुआछूत के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Essay on Untouchability in Hindi

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छुआछूत पर निबंध | Essay on Untouchability in Hindi

छुआछूत पर निबंध ( 250 शब्द)

हमारे देश में छुआछूत की धारणा को निचली जाति के लोगों को उच्च जाति से अलग करने के लिए और उनको विशेष प्रकार के नौकरी प्रदान करने के लिए परिभाषित की गई है। हमारे देश में वैसे दलित वर्गों को अछूत माना जाता है, इसीलिए ऊंची जाति के लोगों के द्वारा दलितों का बहुत तिरस्कार किया जाता है। यह प्रथा हमारे देश में बहुत सालों से चली आ रही है। कई लोग दलितों के उद्धार के लिए आये, लड़े लेकिन वह सफल नहीं हो पाए।

प्राचीन काल से जब भारत का विभाजन हुआ था, तो लोगों के जाति का विभाजन उनके पेशे के आधार पर किया गया था। आज के समाज में इन सभी को नौकरी में बदल दिया गया है क्योंकि जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अस्पृश्यता अभ्यास को जारी रखता है और निम्न जाति के लोगों को वह निराश करता है।

हमारे देश में जातियों को अलग-अलग तरीके से बांटा गया है। यह प्रथा आज से ही नहीं जबकि प्राचीन काल से चली आ रही है क्योंकि हमारे यहां जाति को 4 वर्गों में बांटा गया है, ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, और शुद्र। सबसे नीची जाति शुद्र होती है। इन लोगों को दलित भी कहा जाता है क्योंकि हमारे धर्म ग्रंथों में इन लोगों का स्थान पहले के समय में सफाई करने,गंदगी या उठाने कूड़ा कचरा उठाने इन सभी कार्यों के लिए होता था। तभी से लोगों के मन में इन लोगों के प्रति एक घृणा की भावना पैदा हो गई है और इन लोगों को अछूत मान लिया गया है।

 आज बदलते समय के साथ में लोगों को बदलना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि आज हमारे समाज में ऊंच-नीच,भेदभाव, जातियां कुछ नहीं होती है। सिर्फ एक इंसानियत की भावना से सभी को एक साथ रह कर आगे बढ़ना चाहिए।

छुआछूत पर निबंध ( 1100 शब्द )

प्रस्तावना

हमारे देश के संविधान में दलित जाति के लोगों के लिए बहुत नए नए प्रावधान है। फिर भी लोग जाति के आधार पर अभी हमारे समाज में भेदभाव करने के लिए तैयार रहते हैं। अक्सर देखा गया है कि जो राजनेता होते हैं, वह भी अपने वोट बैंक बढ़ाने के लिए और सत्ता हासिल करने के लिए दलितों का उपयोग करते हैं। लेकिन आजकल शहरों में जो दलितो के युवा वर्ग के बच्चे हैं वह इन सब चीजों में बहुत कम संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनको हमारे भारतीय संविधान के नियम कानून के बारे में सब कुछ पता होता है तो उन लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं होता, अगर ऐसा होता भी है तो वह लोग उनको रोक देते हैं।

दलित वर्ग में अछूत कौन

हमारे देश में दलित वर्ग के लोगों हमेशा ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य, शूद्र के आधार पर विभाजित किया है। इसमें शूद्र जाति के लोगों को ही दलित वर्ग में शामिल किया गया है। समाज में बहुत तिरस्कार अपमान दलितों को सहा जाता है। इन सब बातों के बाद भी यह दलित वर्ग के लोग देश गांव शहर सभी की बड़ी मेहनत के साथ में साफ सफाई का कार्य करते हैं।

इसके अलावा भी आदिवासी लोगों को तथा कुछ बीमारियों संक्रमण से जो पीड़ित लोग हैं, उन सभी को अछूत वर्ग में ही माना गया है। उन लोगों को हमारे समाज का एक जरूरी हिस्सा भी नहीं माना जाता। दलितों को समाज में कोई मान प्रतिष्ठा इज्जत प्राप्त नहीं होती है।

दलित वर्ग के लोगों के लिए समाज में भेदभाव

हमारे समाज में आज से ही नहीं पहले के समय से ही दलितों के लिए बहुत तरह के भेदभाव किए जाते हैं। इसके कारण लोगों को बहुत नीचा देखना पड़ता है। इसमें उन लोगों का तो कोई दोष नहीं होता कि उन्होंने दलित वर्ग के घरों में जन्म लिया है। समाज के द्वारा जो दलित वर्ग के लोगों को भेदभाव किए जाते हैं वह निम्नलिखित है

  • दलित वर्ग के लोगों को सार्वजनिक सेवाओं जैसे बस कुआं धार्मिक स्थान आदि जगहों का प्रयोग करने की उच्च समाज के लोगों के द्वारा अनुमति नहीं है।
  • यह लोग अपने से उच्च जाति में किसी से भी शादी नहीं कर सकते।
  • दलित वर्ग के लोगों के मंदिरों सार्वजनिक स्थान स्कूल हॉस्पिटल इन सभी जगहों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
  • दलित वर्ग के लोग अपने खाने के बर्तनों का भी अलग उपयोग करते हैं और दलित लोगों को उच्च जाति के लोगों के पास बैठने की भी अनुमति नहीं दी जाती है।
  • इनके बच्चों को पढ़ने के लिए भी अलग ही स्कूल में व्यवस्था होती है वह उच्च वर्ग के लोगों के साथ पढ़ भी सकते हैं।
  • आज दलित वर्ग के लोग अपने हक और अधिकारों के लिए भी नहीं लड़ सकते। जबकि उनको हमारे देश में नौकरियों में विशेष प्रकार की छूट का भी प्रावधान है। उसके बाद भी वह लोग समाज में अपना सिर उठाकर चलने में आपत्ति जताते हैं।

दलितों के सरकार के द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदम

दलितों के उत्थान के लिए सरकार के द्वारा बहुत ही अधिक प्रयास किए है। सबसे अधिक प्रयास महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर के द्वारा किए गए थे। इन्होंने हमारे संविधान में कुछ इस तरीके के कानून बनाए, जिनमें दलित वर्ग का उत्थान हो सके तथा समाज में ये लोग भी एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की तरह बैठ सके कोई भी व्यक्ति इनको निम्न जाति के अछूत कहकर ना संबोधित करें।

महात्मा गांधी के द्वारा दलितों के लिए हरिजन आंदोलन

महात्मा गांधी ने भी एक बार दलितों के भलाई के लिए हरिजन आंदोलन चलाया था। इसमें हरिजन का अर्थ भगवान के बच्चे कह कर संबोधित किया गया था। महात्मा गांधी के द्वारा चलाए गए इस आंदोलन का लक्ष्य हमारे समाज में निम्न जातियों के खिलाफ भेदभाव, छुआछूत के  भेद को खत्म करने के लिए था। इस आंदोलन की शुरुआत 1935 में की गई थी यह आंदोलन 9 महीने तक चलाया गया था। इस आंदोलन के द्वारा निम्न जाति के लोगों को साथ दलित वर्ग के लोगों को समाज में राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को समाज में दिलाना था।

दलितों के लिए भारतीय संविधान में संशोधन

भीमराव अंबेडकर के द्वारा दलितों के लिए हमारे संविधान में बहुत से संशोधन हुए थे। उनमें से एक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत की अस्पृश्यता कि भावना को पूरी तरह समाज में खत्म करना था। अगर कोई इस बात को नहीं मानेगा तो उसके लिए सरकार के द्वारा कठोर दंड का प्रावधान दिया गया है। इसके द्वारा समाज में दलित वर्ग के लोगों को किसी भी मंदिर, स्कूल, बस, अस्पताल सभी जगह में जाने की पूर्ण रूप से अनुमति प्रदान की गई थी। इन सभी जगह पर इनको प्रवेश करने से कोई नहीं रोक सकता।

हमारे भारतीय संविधान में इन दलित वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण को भी प्रावधान दिया गया है। आरक्षण के अंतर्गत सरकारी कॉलेज, सरकारी नौकरी इन सभी में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग सभी लोगों को शामिल किया गया है।

निष्कर्ष

हमारे देश में जो कानून बनाया गया है, उसकी नजर में सभी वर्ग के लोगों को एक समान दर्जा प्राप्त हुआ है। आज भी हमारे देश में छुआछूत की समस्या सभी लोगों के बीच में दीवार की बनी हुई है। हरिजन लोगों पर जिस प्रकार के आज के हमारे गांव में अत्याचार से किए जाते हैं वह सब बहुत गलत है । हमारे देश मे किसी को भी नस्ल, रंग, जाति, भौतिक सुविधाएं आदि के आधार पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। सभी लोगों को छुआछूत के भेद को खत्म करके एक साथ भाईचारे के साथ में मिल जुल कर रहना चाहिए। अपने बच्चों को भी यही सिखाना चाहिए ताकि वह भी छुआछूत जैसी किसी भी बात को ना समझे ना माने।

अंतिम शब्द

आशा करते हैं कि आपको यह हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल छुआछूत पर निबंध (Essay on Untouchability in Hindi) बहुत पसंद आया होगा। अगर आपको यह पसंद आया तो आप लाइक जरूर करें और इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए कमेंट बॉक्स में जाकर आप हमें कमेंट कर सकते हैं ।

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Ripal
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