Essay on Soil Pollution in Hindi: धरती हम सभी जीव जंतुओं और पेड़-पौधों को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान करती है। वर्तमान समय में मृदा प्रदूषण काफी बढ़ चुका है अतः पूर्ण रुप से मृदा प्रदूषण फैल जाने के कारण धरती पर आने वाले समय में जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है।
आज हम आप सभी लोगों को अपने इस निबंध के माध्यम से मृदा प्रदूषण के विषय में विस्तार पूर्वक से जानकारी बताने वाले हैं।
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मृदा प्रदूषण पर निबंध | Essay on Soil Pollution in Hindi
मृदा प्रदूषण पर निबंध (250 शब्दों में)
पृथ्वी माननीय जीवन एवं प्राकृतिक संसाधनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवा और औद्योगिक कचरों के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले जहरीले तत्वों के माध्यम से मृदा काफी ज्यादा प्रदूषित हो रही है, जिसके कारण पृथ्वी पर वनस्पतियों का धीरे धीरे क्षय हो रहा है। मृदा प्रदूषण के कारण धीरे-धीरे पृथ्वी की उर्वरता घटती जा रही है, जिसके कारण फसलों का विकास पूर्ण रुप से नहीं हो पा रहा है।
खेतों और औद्योगिक स्तर पर उपयोग किए जाने वाले रासायनिक संसाधनों के माध्यम से मिट्टी में अवांछनीय तत्वों की भारी मिलावट के कारण मृदा प्रदूषण काफी तेजी से मिट्टी के पोषकता को कम कर रहा है। यदि एक बार प्रदूषक पदार्थ मिट्टी में मिश्रित हो जाते हैं, तो वह पहले ही लंबे समय तक अपना प्रभाव वहां पर छोड़ते हैं।
अनेकों जगहों पर उपजाऊ मिट्टी में औद्योगिकीकरण और विभिन्न प्रकार के उर्वरकों की भारी मात्रा के कारण लगातार मिट्टी की संरचना एवं उसके रंग में परिवर्तन आता ही जा रहा है, जो कि मानव जीवन के लिए भविष्य में खतरा बन सकता है।
परमाणु रिएक्टर, विस्फोटक, अस्पतालों एवं वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं जैसे अन्य स्रोतों के माध्यम से निकलने वाले कचरे को मिट्टी में थोड़ी ही नीचे किसी गड्ढे में डाल दिया जाता है, जिससे कि मिट्टी का प्रदूषित होना तय हो जाता है। मृदा प्रदूषण न केवल वनस्पतियों के लिए बल्कि मानवीय जीवन के लिए भी बहुत खतरनाक है, क्योंकि यदि विषाक्तता युक्त रसायन पदार्थ हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं, तो शरीर के संपूर्ण आंतरिक प्रणाली को काफी नुकसान हो सकता है, जिसके कारण हम किसी ना किसी रोग का शिकार हो सकते हैं।
मृदा प्रदूषण पर निबंध (800 शब्दों में)
प्रस्तावना
मृदा प्रदूषण मिट्टी के प्रति जन स्तर को कम कर देता है, जिसके कारण मिट्टी की उर्वरता में दिन-प्रतिदिन कमी आने लगती है। बैक्टीरिया, शैवाल, केंचुआ, घोंघा, कवक, प्रोटोजोआ इत्यादि जैसे जैविक एजेंट मिट्टी के साथ मिलकर भौतिक, रासायनिक तथा जैविक वातावरण को बहुत ही ज्यादा प्रभावित करते हैं, अतः मृदा प्रदूषण का कारण भी बन जाते हैं। मृदा प्रदूषण मानवीय स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि मिला प्रदूषण के कारण विषाक्त रसायन खाद्य पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और हम किसी ना किसी बड़ी बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं।
मृदा प्रदूषण का प्रमुख वाहक विस्फोटक, परमाणु रिएक्टर, कृषि के लिए उपयोग किए जाने वाले उर्वरक तथा उद्योगों से निकलने वाले विषाक्त युक्त कचरे को माना जाता है। वर्तमान समय में कृषि क्षेत्रों में अनेकों प्रकार के दवाओं का उपयोग किया जाता है, जिससे कि मिट्टी की उर्वरता काफी क्षीण हो जाती है, अतः मृदा प्रदूषण होने का खतरा बन जाता है।
मृदा प्रदूषण क्या होता है?
प्रदूषक पदार्थों का मृदा में मिलकर मिट्टी की उर्वरता को घटा देना और मिट्टी में विषाक्तता उत्पन्न करना ही मृदा प्रदूषण कहलाता है। मृदा प्रदूषण के कारण मिट्टी की उर्वरता क्षीण हो जाती है, जिसके उपरांत पुनः मृदा को उपयोग में लाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। मृदा प्रदूषण के कारण माननीय स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है, क्योंकि मृदा प्रदूषण के कारण विषाक्तता युक्त खाद्य पदार्थ हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे हम पर किसी ना किसी प्रकार की बीमारी का खतरा बना रहता है।
मृदा प्रदूषण के कारण एवं स्रोत
मृदा प्रदूषण के फैलने के मुख्य स्रोत और कारण निम्नलिखित हैं;
- अस्पतालों स्कूलों और बाजारों में उपयोग किए जाने वाले सामग्री में प्लास्टिक डिब्बे इत्यादि का उपयोग किया जाता है, जिसमे ठोस अपशिष्ट पदार्थ बायोडिग्रेडेबल और कुछ गैर बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जिसके कारण मृदा प्रदूषण होता है।
- मृदा प्रदूषण रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों जैसे कीटनाशक दवा, उर्वरक इत्यादि के अधिक उपयोग से भी फैलते हैं।
- मानवीय जरूरतों की पूर्ति के लिए रहने और कृषि योग्य उपयुक्त भूमि के लिए पृथ्वी से वृक्षों को काफी तेजी से काटा जा रहा है, जिससे मिट्टी का कटाव काफी तेजी से होता जा रहा है और मिट्टी के कटाव से उर्वरता कम हो जाती है, अतः मृदा प्रदूषण का एक मुख्य कारण पर वनों की कटाई भी है।
- उद्योगों से निकलने वाले विषाक्त युक्त कचरे को मिट्टी में मात्र कुछ ही फीट गड्ढे में डाल दिया जाता है, जिसके कारण भी मृदा प्रदूषण फैलता है।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण बारिश होने के दौरान हवा में उपस्थित दूषित पदार्थ जमीन पर सीधे आते हैं और भूमि को दूषित कर देते हैं, जो कि मृदा प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है।
मृदा प्रदूषण के दुष्परिणाम
- यदि किसी स्थान पर अपशिष्ट पदार्थों को कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाए तो उनसे दुर्गंध पैदा होने लगती है और धीरे-धीरे करके मैदा का क्षरण भी होने लगता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।
- मृदा प्रदूषण के कारण आसपास के क्षेत्रों में जमीनों की कीमत अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी ज्यादा कम हो जाती है, क्योंकि इस क्षेत्र में ना तो कोई उपजाऊ युक्त भूमि रह पाती है और ना ही शुद्ध वातावरण।
- भूमि प्रदूषण के कारण सबसे भारी नुकसान वनस्पतियों का होता है, क्योंकि मृदा प्रदूषण के कारण वनस्पतियां भी दूषित हो जाती हैं और समाप्त हो जाती हैं।
- वनस्पतियों के अलावा मृदा प्रदूषण का सबसे बड़ा दुष्परिणाम आसपास के इलाकों के बच्चों को होता है, क्योंकि बच्चे सदैव मिट्टी में ही खेलते हैं, अतः मृदा प्रदूषण के कारण मिट्टी से वायरस, बैक्टीरिया सीधा उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता हैं।
- भूमि प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार का कैंसर होता है।
मृदा प्रदूषण से बचाव
- हमें कृषि के लिए ज्यादातर बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का ही उपयोग करना चाहिए, अतः यदि हम बायोडिग्रेडेबल ख्वाबों का उपयोग करते हैं, तो कृषि योग्य भूमि को मृदा प्रदूषण से बचा सकते हैं।
- उद्योगों से निकलने वाले जहरीले अपशिष्ट पदार्थों को मिट्टी के अंदर 5 से 6 फीट नीचे डालना चाहिए, ताकि उसका प्रभाव मृदा पर कम से कम पड़े।
- हमें मार्केट या कहीं और से भी खरीदारी करते समय कागज या फिर कपड़े की थैलियों का ही उपयोग करना चाहिए, जिसके उपयोग से हम मृदा प्रदूषण से बच सकते हैं।
- हमें टिशू पेपर के स्थान पर कपड़े या पुनः उपयोग में लाए जाने वाले डस्टर का उपयोग करना चाहिए।
- मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए हमें खुद के साथ-साथ दूसरों को भी जागरूक करना चाहिए।
- हमें कुछ ऐसी चीजों का उपयोग करना चाहिए, जिनका उपयोग हम एक बार करने के बाद पुनः भी कर सकें।
निष्कर्ष
हम इस निबंध को पढ़ने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, कि भूमि हमारे लिए प्राकृतिक संसाधनों में से बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। मृदा प्रदूषण के कारण वनस्पति एवं मानवीय जीवन का कल्पना करना व्यर्थ है। यदि भूमि इसी प्रकार से प्रदूषित होती रही, तो आने वाले समय में सभी प्राणियों का जीवन असंतुलित व्यवस्था की ओर चला जाएगा, अतः हमें मृदा को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।
अंतिम शब्द
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