Essay on Save Tiger In Hindi: भारत में बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया है। बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के पश्चात बाघ संरक्षण को लेकर भारत में काफी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। आज का हमारा यह आर्टिकल जिसमें हम बाघ संरक्षण पर निबन्ध के बारे में जानकारी देने वाले है।
Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध
बाघ संरक्षण पर निबंध | Essay on Save Tiger In Hindi
बाघ संरक्षण पर निबंध (250 शब्द)
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है। बाघ एक मांसाहारी जानवर होता है। बाघ की प्रजाति बिल्ली समुदाय से संबंधित है। मतलब ऐसे कह सकते हैं कि बाघ बिल्ली प्रजाति के जानवर है। बाघ का वैज्ञानिक नाम पेन्थेरा टाइग्रिस है। भारत में बाघ की कुछ ही प्रजातियां जीवित है। भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ को इसीलिए घोषित किया गया है ताकि बाघ की प्रजातियों को सुरक्षित रखा जा सके। पुराने जमाने में बाघ का शिकार करना राजा महाराजाओं की फैशन बन गया था और उसी के चलते बाघ की अधिकतम जातियां विलुप्त हो गई। वर्तमान समय में बाघ की कुछ जातियां भारत में अलग-अलग वन्य अभ्यारण में सुरक्षित है।
राजा महाराजा बाघ का शिकार करके अपनी हवेलियों में बाघ की खाल लगाते थे। बाघ का शिकार इसीलिए किया जाता था क्योंकि बाघ का शिकार करके उसकी चमड़ी से कई प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती थी।
बाघ संरक्षण के लिए भी सरकार द्वारा कई प्रकार के कदम उठाए गए, जिसकी वजह से वर्तमान में मांग की कुछ प्रजातियां सुरक्षित है। अन्यथा आज तक बाघ सभी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी होती। बाघ के बारे में बात करें तो बाघ की उम्र 19 से 20 वर्ष की होती है। मादा बाघ एक बार गर्भधारण करने के पश्चात करीब 95 से 115 दिन के बीच तीन से चार बच्चों को जन्म देती है। नर बाघ का वजन 100 किलो के आसपास का है, तो दूसरी तरफ मादा बाघ का वजन करीब 1.7 गुना अधिक होता है।
बाघ संरक्षण पर निबंध (800 शब्द )
प्रस्तावना
भारत में बहुत सी वन्य प्रजातियां है, जिनमें से एक बाघ हैं, जो कि हमारा राष्ट्रीय पशु हैं। बाघ बिल्ली की ही सबसे बड़ी प्रजाति हैं। वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली वन्य जीव हैं। समय के साथ-साथ बाघ प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं। भारत की शान बने बाघ धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं।
इसीलिए ही बाघों के संरक्षण व उनकी सुरक्षा के लिए सरकार ने बाघ के शिकार पर नियंत्रण लगा दिया हैं और उन्हें अनुकूलित वातावरण देने के लिए 12 से अधिक सेंचुरी बनाई गई हैं। पृथ्वी पर जीवन मनुष्य तथा जानवर के सहयोग से ही संभव हैं। भोजन बनाने को सही रूप से संचालित रखने के लिए बाघों का होना बहुत आवश्यक हैं।
बाघों को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर में चलाया। बाघों को बचाना संपूर्ण मानव जाति का दायित्व हैं।
बाघ की प्रजातियां
पूरे विश्व में बाघ की नो प्रजातियां थी। जिसमें से तीन प्रजातियां पुरी तरह से लुप्त हो चुकी हैं। अन्य सभी प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं।
सरकार द्वारा बाघ संरक्षण
बाघ वर्तमान में बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बन गया हैं। भारत दुनिया की आबादी का 2 /3 जंगली बाघों का घर हैं। उनकी कम होती संख्या ने सरकारी अधिकारियों को सजग तथा निरीक्षण करने के लिए प्रेरित किया। सरकार पहले से ही बाघ का संरक्षण करने के लिए विभिन्न प्रकार की परियोजनाएं बना रही हैं।
भारत के अलावा अन्य देशों बांग्लादेश ,चीन ,कंबोडिया, इंडोनेशिया ,मलेशिया, म्यांमार ,लाओस ,भूटान, नेपाल आदि में बाघ की प्रजातियां पाई जाती हैं।
बाघ संरक्षण कैसे किया जाए
1. बाघ का संरक्षण करने के लिए हमें सबसे पहले जनता में जागरूकता उत्पन्न करनी होगी। हम विज्ञापन ,इंटरनेट और विभिन्न प्रकार की वेबसाइटों के द्वारा बाघ संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता उत्पन्न कर सकते हैं।
2.संरक्षण के लिए हमें अवैध शिकार को रोकना चाहिए। सरकार ने बाघ के शरीर व त्वचा की बिक्री पर रोक लगा दी हैं। परंतु फिर भी बाघ का अवैध शिकार निरंतर चल रहा हैं। इस अवैध कार्य को बंद करना बहुत ज्यादा जरूरी हैं।
3.हमें जंगलों की रक्षा करनी चाहिए। अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। बाघों के लुप्त होने का एक अन्य कारण जंगलों का खत्म होना भी हो सकता हैं। जंगल के खत्म होने के कारण बाघ जैसी प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं।
4.बाघों को संरक्षित व विकसित करने की अनुकूल पारिस्थितिकी नहीं होना भी बाघों के विलुप्त होने का प्रमुख कारण हैं। इसलिए हमारे लिए जंगल का संरक्षण भी करना बहुत ज्यादा जरूरी हैं। हाल ही में डब्ल्यू .डब्ल्यू .एफ के अध्ययन के अनुसार 2017 तक समुद्र स्तर एक फुट बढ़ जाएगा। जो कि पूरे सुंदरबन बाग निवास को खत्म कर सकते हैं।
5.हमें बाघ की चमड़ी से बनी चीजों का परित्याग करना चाहिए। हाल ही के अध्ययन के अनुसार बाघों की 97% प्रतिशत प्रजाति विलुप्त हो गई हैं। बाघों को बचाने के लिए सेव टाइगर प्रोजेक्ट चला गया। जो कि बाघों के लिए अनुकूल वातावरण उत्पन्न करने का कार्य कर रहा हैं जो कि वर्तमान में 3000 से ज्यादा हैं ।
6.जिम कार्बेट नेशनल पार्क जहां इस परियोजना को पेश किया गया था। भारत में बाघों के संरक्षण पर केंद्रित सबसे बड़ा बाघ अभयारण्य हैं। इस परियोजना का उद्देश्य वर्तमान में उपस्थित बाघों की संख्या में वृद्धि करना इसके प्रयासों के स्वरूप 2014 की संख्या 2226 से बढ़कर 2019 मे 2967 हो गई हैं।
निष्कर्ष
बाघों का संरक्षण करना ना केवल हमारा कर्तव्य हैं। बल्कि हमारी जिम्मेदारी भी हैं। हमें बागों का संरक्षण करने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई परियोजनाओं के सही संचालन में उनका सहयोग करना चाहिए। ताकि बाघो की स्वस्थ आबादी मौजूद रहे। हमें पता होना चाहिए कि जब हम प्रकृति से कुछ मांगते हैं। तो हमें भी प्रकृति को देने के लिए तैयार रहना चाहिए। यदि प्रकृति हमारे अस्तित्व के लिए जिम्मेदार हैं। तो हमें भी इस के अस्तित्व के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहना चाहिए यह हमारा कर्तव्य हैं।
अंतिम शब्द
भारत में बाघ सरक्षण को लेकर कौन-कौन से मुख्य कदम उठाए गए हैं। इसके बारे में आज के इस आर्टिकल में हमने बात की है। आज का यह आर्टिकल जिस पर हम ने बाघ संरक्षण पर निबंध( Essay on Save Tiger In Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।
Read Also: