Essay on Odd Even Formula in Hindi: भारत मे दिल्ली सरकार द्वारा के द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट की अनुमति पर ऑड-ईवन योजना को पहली बार साल 2016 में और साल 2017 में लागू किया गया था। दिल्ली सरकार ने जनवरी 2016 और अप्रैल 2016 में ऑड-ईवन व्यवस्था लागू की थी।
साल 2016 में इसे दो बार 01 जनवरी से 15 जनवरी और 15 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच लागू किया गया था। उसके बाद इस योजना को साल 2017 में 13 नवंबर से 17 नवंबर तक फिर से शुरू किया गया था।
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ऑड इवन फार्मूला पर निबंध | Essay on Odd Even Formula in Hindi
ऑड इवन फार्मूला पर निबंध (250 शब्दों में)
हमारे देश में समय-समय पर सरकार के द्वारा ओड इवन फार्मूले को लागू कर दिया जाता है, जिस प्रकार बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने दिल्ली में ओड इवन नंबर की गाड़ियों का फार्मूला लागू किया था। हालांकि इस योजना में पहली बार महिलाओं को तो छूट दे दी गई थी।
ऑड ईवन का फार्मूला सुबह 8:00 से रात को 8:00 बजे तक लागू किया गया था। इसी योजना के अंतर्गत गाड़ी की जो नंबर प्लेट है, उसके आखरी संख्या के ऑर्डर एवं नंबर के हिसाब से गाड़ी को ना चलाने पर ₹2000 का जुर्माना भी लगाया गया। सरकार के अनुसार ऑड संख्या वाली कारों को ऑड की तिथि पर चलाने की अनुमति दी गई थी और इवन संख्या वाली कारों को इवन की तिथि पर चलाने की अनुमति प्रदान की गई थी।
इसके अलावा जब संपूर्ण देश में कोरोना महामारी से लड़ रहा है तो ऐसे में लोग अपने कामकाज को लेकर बहुत परेशान हो रहे हैं तो इसके लिए सरकारों के द्वारा सभी राज्यों में जो व्यवसायी लोग हैं, अपने कामकाज को लेकर परेशान हैं, उन सभी के लिए सरकार ने ओड एवन फार्मूले से अपनी-अपनी दुकान, शोरूम और अन्य व्यवसाय को खोलने की अनुमति दी थी।
क्या हैं ओड इवन फार्मूला?
वैसे तो ऑड ईवन का फार्मूला अपने-अपने निजी वाहन और यातायात के साधनों के लिए चलाया गया था। लेकिन अभी करोना महामारी सभी लोग बहुत परेशान हैं, इसके लिए सरकार ने ऑड इवन फार्मूला इन सभी व्यवसायी और दुकानदारों के दुकान को ओड इवन फार्मूले पर खोलने की अनुमति प्रदान करने के लिए चलाया गया।
इसके अलावा ऑड इवन फार्मूला के अंतर्गत अपने निजी वाहन जिनकी पंजीकरण प्लेट की आखिरी संख्या ऑड होगी तथा दूसरे दिन उस वाहन को चलाने की इजाजत नहीं होगी। दूसरे दिन इवन संख्या वाले साधन को चलाने की अनुमति होगी।
ऑड इवन फार्मूला पर निबंध (850 शब्दों में)
प्रस्तावना
हमारे देश में ओड इवन फार्मूला लागू हुआ, उससे पहले विदेशों में भी बहुत पहले ऑडिबल फार्मूले को लागू किया गया था, जिनमें से एथेंस ग्रीस में सन 1982 में पहली बार ऑड इवन फार्मूला लागू किया गया। इसके बाद 1989 में मेक्सिको सिटी में इस फार्मूले को लागू किया गया। फिर इसके बाद कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में 1998 में इस फार्मूले को लागू किया गया।
इसके बाद चीन फ्रांस इटली बाकी अन्य देशों में भी इस फार्मूले को लागू किया गया। इस फार्मूले के अंतर्गत जो यातायात के साधनों के द्वारा बढ़ता प्रदूषण से हमारी आसपास का वातावरण बहुत दूषित हो रहा है। इसीलिए इस फार्मूले के अंतर्गत ओड इवन साधनों को चलाया जाता है। इससे वायु प्रदूषण, ट्रैफिक की कमी, ईंधन की बचत भी होती है।
भारत में कब लागू हुआ ओड इवन फार्मूला
भारत में दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर 2015 को देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए कहा कि दिल्ली में जो प्रदूषण की स्थिति है, वह बहुत ही भयानक है और चिंताजनक भी हैं। इसीलिए हाईकोर्ट में कहा कि दिल्ली में रहना गैस चेंबर में रहने के बराबर है। इस पर दिल्ली सरकार अपनी हरकत में आई और इस पर तुरंत एक्शन लिया और 1 जनवरी 2016 से ओड इवन स्कीम को लागू करने की घोषणा कर दी थी।
क्या होता है ओड इवन फार्मूला
ऑड इवन फार्मूला दिल्ली सरकार के द्वारा लिया गया था। दिल्ली में बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस फैसले को लिया। ऑड इवन फार्मूला के अंतर्गत अगर आपकी गाड़ी का नंबर प्लेट आखरी नंबर 1, 3, 5, 7, 9 है तो आप महीने की 3, 5, 7, 9, 11, 13, 15 तारीख को अपनी गाड़ी चला सकते हैं। क्योंकि इन तारीख में ही और नंबर की गाड़ियां चल सकेंगी। इसी प्रकार से अगर आपकी गाड़ी का नंबर इवन 2, 4, 6, 8, 0 है तो आप महीने की 4, 6, 8, 10, 12, 14 तारीख को ही अपनी गाड़ी चला पाएंगे।
ईंधन की बचत होगी
ईंधन एक ऐसा स्त्रोत है, जो समय के साथ अगर खत्म हो जाए तो इससे लोगों को बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए सरकार ना केवल तेल कंपनियां समय-समय पर ईंधन की बचत के लिए अपने कैंपेन चलाती है और लोगों को इसके लिए अपील करती है कि ईंधन को कैसे बचाया जाए।
आमतौर पर ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है। इसीलिए जो ऑड इवन फार्मूला है, उसको लागू होने के बाद में सड़कों पर गाड़ियों की संख्या में लगभग आधी कमी एक उदाहरण के तौर पर अगर आम दिनों में लगभग 12 लाख लीटर ईंधन खर्च होता है तो ऑड इवन फार्मूले से यह है। खर्च आधा हो जाएगा, इससे ईंधन की बहुत बचत होगी।
प्रदूषण में कमी
जब से हमारे देश की राजधानी दिल्ली में ओड इवन फार्मूला लागू हुआ है तो इससे राजधानी में जो बढ़ रहा प्रदूषण है, उसमें बहुत कमी देखने को मिली है। इस पर बहुत लोगों ने अपने-अपने अलग-अलग राय भी रखी है और जब से लागू हुआ है, उसमें जो पिछली बार के कई सर्वे किए गए थे। उनमें इस फार्मूले को लागू होने के बाद में प्रदूषण में कमी आई है।
जब सड़कों पर वाहनों की संख्या काफी कम हो जाएगी तो सीधी सी बात है कि उनमें कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। कार्बन उत्सर्जन कम होगा तो प्रदूषण पर बहुत फर्क पड़ेगा। हमारा वातावरण एकदम स्वच्छ साफ रहेगा और हम चैन से उसने साथ ले पाएंगे।
सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी
ऑड इवन फार्मूला को लागू होने पर जब सड़कों पर गाड़ियां कम चलेंगी तो इससे लोग अपनी-अपनी साधनों को ज्यादा तेज और आपाधापी की स्थिति में अपने साधनों को नहीं चलाएंगे। गाड़ियां बहुत आसानी से दौड़ सकेंगी। आपस में टकराएंगे भी नहीं, इससे दुर्घटना की आशंका कम रहेगी।
इसके साथ जो रोड की घटना है, उसमें भी कमी आएगी। अक्सर आपने देखा होगा कि जब जल्दी पहुंचने के चक्कर में जाम की स्थिति हो जाती है तो ऐसे में एक गाड़ी दूसरी गाड़ी से छू जाती है। कई लोग आपस में फिर इससे लड़ मरते हैं, गुस्से में मारपीट हो जाती है, इसीलिए ऑडिबल फॉर्मूले के द्वारा सड़कों पर गाड़ियां कम चलेंगी और इन सड़को पर होने वाली दुर्घटना से भी बहुत हद तक फायदा मिलेगा।
ऑड़ इवन फार्मूले के अंतर्गत किस किसको मिलेगी छूट
ऑड इवन फॉर्मूले के अंतर्गत दोपहिया वाहनों को शामिल नहीं किया गया है। इसके साथ ही जो Cng से चलते हैं, उन साधनों को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है और जो महिला चालाक है, उनके साथ 12 साल तक के बच्चों को छूट दी गई है। जो विकलांग लोग हैं, उनको भी इसमें छूट दी गई है।
नियम तोड़ने वालों को भरना पड़ेगा जुर्माना
हमारी सरकार के द्वारा लागू किया गया ओड इवन फार्मूला जो भी व्यक्ति इसको नहीं मानेगा तो उसके लिए उसको सजा के रूप में ₹2000 का जुर्माना भरना पड़ेगा। यह जुर्माना ट्रैफिक पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों के द्वारा लिया जाएगा।
निष्कर्ष
ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू होने की वजह से दिल्ली की सड़के फिर से सांस लेने लगी हैं और वायु की क्वालिटी पर भी इससे बहुत असर पड़ा है और भी बहुत कुछ सुधार हुआ है। लेकिन इसके लिए दिल्ली सरकार को एक बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है। दिल्ली सरकार द्वारा ऑड-ईवन फॉर्मूले के लिए जिन अतिरिक्त बसों को लगाया था, उनका खर्चा रोजाना करीब तीन करोड़ आ रहा था। जबकि टिकटों की बिक्री से मात्र 20 लाख रुपए की आमदनी हो रही थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार ऑड ईवन फॉर्मूले के लागू होने के बाद जहां डीटीसी बसे खाली जा रही हैं, वहीं दिल्ली मेट्रो की राइडरशिप भी बढ़ी। खाली जा रही बसों के कारण डीटीसी को बहुत नुकसान हो रहा था और वहीं मेट्रों में भीड़ बढ़ गई। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस योजना से सिर्फ नुकसान ही हो रहा हो। इस ओड इवन फार्मूला के लागू होने के कारण सरकारी खजाना भी भर गया।
अंतिम शब्द
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