Essay on New Education Policy in Hindi: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 29 जुलाई 2020 को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी की गई। शिक्षा नीति में यह बदलाव कुल 34 वर्षों के बाद हुअ है, इससे पहले जो राष्ट्र में शिक्षा नीति चल रही थी वो नीति सन 1986 में बनी थी।
शिक्षा किसी भी देश और समाज के विकास की महत्वपूर्ण आधार होता है। शिक्षा के बलबूते ही किसी भी देश का विकास तेजी से किया जा सकता है। हालांकि समय के साथ-साथ हर चीजों में बदलाव आता है और उसके अनुसार शिक्षा में भी बदलाव किया जाना चाहिए।
क्योंकि पहले के समय में टेक्नोलॉजी का इतना विकास नहीं हुआ था लेकिन अब दिन प्रतिदिन टेक्नोलॉजी का विकास होते जा रहा है, लोग मॉडर्न टेक्नोलॉजी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे में बालकों को न केवल किताबी ज्ञान बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान और टेक्निकल ज्ञान भी दिया जाना चाहिए ताकि अपनी योग्यताओं को बढ़ा सकें और उसके बलबूते अपने भविष्य को बेहतर बना सके।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए साल 2020 को संसद में नई शिक्षा नीति को लाने के लिए बिल पास किया गया। यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। इससे पहले दो बार शिक्षण के तरीके में बदलाव हो चुका है पहला इंदिरा गांधी के दौरान और दूसरा राजीव गांधी के दौरान। बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए इस नई शिक्षा नीति के बारे में हर बच्चे और उनके माता-पिता को जानकारी होनी चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने एक निबंध के रूप में नई शिक्षा नीति के बारे में पूरी जानकारी शेयर की है तो आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध 250 शब्दों में (nai shiksha niti par nibandh)
समय के साथ शिक्षा नीति में परिवर्तन आवश्यक होता है ताकि देश की उन्नति सही तरीके से और तेजी से हो सके। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति को 34 वर्षों के बाद लाया गया है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य पालको केवल किताबी ज्ञान देना नहीं है बल्कि उन्हें व्यवहारिक ज्ञान भी देकर उनकी मानसिक बौद्धिक क्षमता को और भी ज्यादा प्रबल बनाना है।
इस नई शिक्षा के माध्यम से बच्चों के मन में नए-नए चीजों को सीखने के प्रति रुचि जगाना है। ताकि बच्चे जीवन में अपनी योग्यताओं के बलबूते एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकें। इसके अतिरिक्त अपने मातृभाषा को बढ़ावा देना भी इस शिक्षा नीति का उद्देश्य हैं। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के पाठ्यक्रम को 5+ 3+ 3+ 4 के मॉडल में तैयार किया जाएगा। पहले यह 10+2 के अनुसार था।
इस मॉडल के अनुसार प्रथम 5 वर्षों को फाउंडेशन स्टेज के रूप में रखा गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों के बेहतरीन भविष्य के लिए मजबूत नींव को तैयार करना है। इन 5 वर्षों के पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी के द्वारा तैयार किया जाएगा। इसमें प्राइमरी के 3 और पहली और दूसरी कक्षाओं को सम्मिलित किया जाएगा। इस नई मॉडल के कारण बच्चों के लिए किताबों का बोझ हल्का हो जाएगा अब वे आनंद लेते हुए सीख पाएंगे।
इसके अगले 3 वर्षों में तीसरी, चौथी और पांचवी कक्षाओं को शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना है और इन कक्षाओं के बच्चों को गणित, कला, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाया जाएगा। इसके बाद के 3 वर्षों को मध्यम स्तर की तरह माना जाएगा, जिसमें 6, 7, और 8 वीं कक्षाओं को शामिल किया जाएगा। इन कक्षाओं के बालकों को एक निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाया जाएगा।
इतना ही नहीं इन पाठ्यक्रम के अतिरिक्त बच्चो को टेक्निकल ज्ञान भी दिए जाएंगे। बच्चों को कोडिंग भी सिखाया जाएगा, जिससे वे भी चाइना के बच्चों की तरह ही छोटी उम्र में ही सॉफ्टवेयर और ऐप बनाना सीख पाएंगे। आगे के 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं को अंतिम स्तर में रखा जाएगा, जिसके दौरान बच्चे अपने मनपसंद विषयों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर पाएंगे।
इस तरीके से नई शिक्षा नीति के माध्यम से न केवल बालकों के पाठ्यक्रम में बदलाव होगा बल्कि बच्चों के शिक्षण के तरीके में भी सुधार है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 निबंध 850 शब्दों में (nayi shiksha niti 2020 essay in hindi)
प्रस्तावना
बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले, इसीलिए समय के साथ शिक्षण प्रणाली में बदलाव करते रहना चाहिए। इसीलिए साल 2020 में बच्चों के शिक्षण प्रणाली को और भी ज्यादा बेहतर बनाने के लिए नई शिक्षा नीति को लाई गई, जो पहले की 10 + 2 मॉडल पर ना होकर 5 + 3 + 3 + 4 के फॉर्मेट में तैयार किया जाएगा।
इस फॉर्मेट में प्रथम 5 वर्षों को फाउंडेशन स्टेज की तरह माना गया है, जिसमें बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए मजबूत नींव तैयार करना है। अगले 3 वर्षों का उद्देश्य बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करना है, जिसमें तीसरी से पांच कक्षा को सामिल किया गया है।
इसकी अगले तीन वर्षों में छठी से आठवी कक्षा को शामिल किया गया है, जिससे मध्यम स्तर माना जाएगा। उसके बाद के नौवी से बारवी कक्षा को अंतिम स्तर में शामिल किया गया है।
नई शिक्षा नीति का बच्चों पर प्रभाव
नई नीति के बाद ग्यारवी और बारहवीं के पाठ्यक्रम में स्ट्रीम सिस्टम खत्म हो जाएगा। अब बच्चे अपने मनपसंद के अनुसार कोई भी विषय का चयन कर सकते हैं। जैसे यदि कोई साइंस स्ट्रीम का विद्यार्थी हैं और वह आर्ट स्ट्रीम के किसी विषय को पढ़ने की रूचि राखता है तो वह उसे भी पढ़ सकता है।
इन सबके अतिरिक्त नौवीं से 12वीं तक की परीक्षा सेमेस्टर वाइज ली जाएगी, जिसके अनुसार साल में दो बार परीक्षा होगी और दोनों सेमेस्टर के मार्क्स को जोड़कर फाइनल रिजल्ट पेश किया जाएगा। ऐसे में अब बालकों को पूरे साल पढ़ाई करनी पड़ेगी। क्योंकि पहले ज्यादातर बच्चे जिन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता था, वे एग्जाम में पास होने के लिए सिर्फ फाइनल एग्जाम के कुछ दिन पहले तैयारी करते थे और रटा मारकर पासिंग मार्क्स तक ले आते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
अब बच्चे को परीक्षा में पास होने के लिए रखना नहीं बल्कि समझ कर पढ़ना होगा। इसके साथ ही यदी बच्चे को किसी भी विशेष विषय में रुचि है और वह उसका प्रैक्टिकल ज्ञान लेना चाहता है तो वह इंटर्नशिप भी प्राप्त कर पाएगा। अपने इंटर्नशिप कार्य को वह स्कूल के दौरान ही कर सकता है।
इससे यह फायदा होगा कि कोई भी बालक जिस विषय में उसको रूचि है, उस विषय में वह स्कूली शिक्षा के दौरान ही बेहतर बनने की तैयारी कर सकता है। अब बोर्ड की परीक्षाओं के तरीके भी काफी बदल जाएंगे। बोर्ड का परीक्षा बच्चों के लिए बोझ नहीं रहेगा, बच्चे अपने मनपसंद भाषा में बोर्ड का परीक्षा दे पाएंगे।
इसके अतिरिक्त मार्कशीट भी पहले की तरह तैयार नहीं की जाएगी, उसमें भी काफी बदलाव होगा। अब जो मार्कशीट तैयार होगा, उसमें ना केवल बच्चों के विषय के मार्क्स बल्कि उसके व्यवहार, मानसिक क्षमता और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी को भी ध्यान में रखा जाएगा। इससे यह फायदा होगा कि अब बच्चो को केवल पढ़ाई के प्रति ही नहीं बल्कि अन्य गतिविधियों में रुचि लेने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
कॉलेज के छात्रों पर नई शिक्षा नीति का प्रभाव
सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति न केवल स्कूली बच्चों के लिए है बल्कि यह कॉलेज के छात्रों के लिए भी लागू होता है। जो बच्चे अपने स्कूल पास आउट कर चुके हैं और अब वे कॉलेज में एडमिशन कराने वाले हैं तो उनके लिए यह नीति काफी फायदेमंद होने वाली है। क्योंकि अब कॉलेज के पाठ्यक्रम भी पहले की तुलना में काफी बदल जाएंगे।
स्कूली बच्चों की तरह अब कॉलेज के बच्चे भी अपने मनपसंद के अनुसार विषय का चयन कर पाएंगे। यही नहीं बल्कि जो बच्चे बारवी में खराब मार्क्स लाने के कारण अच्छे कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाते थे। अब उनको एक और मौका दिया जाएगा। जो बच्चे 12वीं में अच्छे मार्क्स नहीं लाए हैं, वे कोमन एप्टिट्यूड टेस्ट दे सकते हैं और फिर इस टेस्ट में जो मार्क्स लाया जाएगा, उससे उनके बारहवीं कक्षा के मार्क्स के साथ जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाएगा और फिर इस अनुसार वे अपने मनपसंद और अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले पाएंगे।
यही नहीं अब ग्रेजुएशन कोर्स को 3 और 4 साल में बांट दिया गया है। पहले ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के लिए पूरे 3 साल या 4 साल के कोर्स को कंप्लीट करना पड़ता था, उसके बाद ही ग्रेजुएशन की डिग्री मिलती थी। बीच में यदि कोई विद्यार्थी शिक्षा छोड़ देता था तो उसे ग्रेजुएशन की डिग्री नहीं मिलती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
अब जो बालक अपने ग्रेजुएशन कोर्स के दौरान यदि 1 साल में पढ़ाई छोड़ देते हैं तो उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वहीं यदि वे 2 साल के बाद फोर्स को छोड़ते हैं तो उन्हें डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा, वहीं यदि 3 साल के कोर्स को पूरा करने के बाद छोड़ते हैं तो उन्हें बैचलर की डिग्री दी जाएगी।
यदि कोई बालक ग्रेजुएशन की डिग्री 4 साल में करता है तो उसे रिसर्च सर्टिफिकेट के साथ बैचलर डिग्री दी जाती है। इससे उन बालकों के लिए फायदा होगा, जो कॉलेज के दौरान किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे होते हैं।
इस तरीके से अब ग्रेजुएशन के दौरान बच्चे किसी परिस्थितियों के कारणवश चाहे तो वह अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़ भी सकते हैं और उसके अनुसार उन्हें सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा और फिर बाद में परिस्थिति ठीक होने के बाद यदि वे आगे दुबारा पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं और ग्रेजुएशन की डिग्री पूरा कंप्लीट करना चाहते हैं तो उन्हें दोबारा शुरुआत से पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि जहां उन्होंने ड्रॉप किया था उसके बाद से ही उन्हें पढ़ने को मौका मिलेगा।
नई शिक्षा नीति से स्कूल कॉलेज के फीस पर प्रभाव
नई शिक्षा नीति से न केवल स्कूल कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदलाव आएंगे बल्कि मनमाने ढंग से बच्चों से फीस वसूलने का काम भी बंद हो जाएगा। अब कोई भी स्कूल या उच्च शिक्षा संस्थान अपने अनुसार बच्चों से फीस नहीं लेगा बल्कि एक निश्चित अमाउंट फीस के तौर पर तय किए जाएंगे और उस निश्चित माउंट से ज्यादा कोई भी स्कूल या कॉलेज बच्चों को फीस देने के लिए बाध्य नहीं कर पाएगी।
निष्कर्ष
स्कूल कॉलेज में अन्य विषयों के अतिरिक्त संस्कृत के पढ़ाई पर भी जोर दिया जाएगा। उच्च शिक्षा संस्थानों में भी आर्ट्स और ह्यूमनिटीज के विषय पढ़ाए जाएंगे, जिससे विज्ञान के बालक भी अन्य क्षेत्रों में अपनी योग्यता से कुछ बेहतर कर पाएंगे। इस तरीके से नई शिक्षा नीति के कारण बच्चे व्यवहारिक ज्ञान लेकर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा पाएंगे।
नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध 1800 शब्दों में (Essay on New Education Policy in Hindi)
परिचय
“शिक्षा करेगी नव युग का निर्माण,
आने वाला समय देगा इसका प्रमाण।”
पूरे 34 वर्षों के अंतराल के बाद शिक्षा नीति में बदलाव लाया गया है और बदलाव लाना जरूरी भी था। समय की जरूरत के अनुसार यह पहले ही हो जाना चाहिए था। लेकिन कोई नहीं पहले ना सही अब नई नीति को मंजूरी मिल चुकी है। उचित बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
सूखी जीवन जीने के लिए तैयार होने के लिए एक बच्चे के विकास में शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण तत्व है। भारत सरकार द्वारा 2030 तक नीतिगत पहलुओं को प्राप्त करने के उद्देश्य से नई शिक्षा नीति तैयार की गई है। यह विद्यार्थी की आत्म-क्षमताओं और अवधारणा पर आधारित सीखने की प्रक्रिया है न कि रटने वाली प्रक्रिया।
इसके साथ ही केन्द्रीय सरकार ने एक और फैसला लिया, मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है।
‘शिक्षा’ क्या है?
शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया। मगर केंद्र सरकार द्वारा 1986 की शिक्षा नीति के अंदर ना तो कोई सीखने को मिला और ना ही कोई सिखाने वाली वस्तु। केवल उस नीति के अंदर बच्चे ने रटने का ज्ञान लिया और कक्षा उत्तीर्ण (पास) करने के डर लगा रहता था।
शिक्षा के शाब्दिक अर्थ को सार्थक करते हुए और बच्चे के सर्वांगीण विकास वाली नई शिक्षा नीति 2020 (Rashtriya Shiksha Niti 2020) को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है।
नई शिक्षा नीति 2020 की आवश्यकता क्यों आई?
पहले की शिक्षा नीति 1986 मूल रूप से परिणाम देने पर ही केंद्रित थी, मतलब कि विद्यार्थियों का आकलन उनके द्वारा अर्जित अंकों के आधार पर किया जाता था, जो कि एक एकल दिशा दृष्टिकोण है।
नई शिक्षा नीति 2020 ठीक इसके विपरीत है, यानि Nai Shiksha Niti बहुल दिशा दृष्टिकोण पर केंद्रित है। जिसके द्वारा विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होगा और यही इस नीति का उद्देश्य है।
इसके अलावा नई शिक्षा नीति में छात्र किताबी ज्ञान के अलावा भौगोलिक/बाहरी ज्ञान को भी अच्छे से समझ व सीख पाएगा। बच्चे को कुशल बनाने के साथ-साथ, जिस भी क्षेत्र में वह रुचि रखता हैं, उसी क्षेत्र में उन्हें प्रशिक्षित करना है। इस तरह, सीखने वाले अपने उद्देश्य और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम होंगे। बस इसी उद्देश्य के कारण शिक्षा नीति में बदलाव लाने की आवश्यकता पड़ी।
नई शिक्षा नीति का गठन
नई शिक्षा नीति पहले की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 का पुनर्मूल्यांकन है। यह नई संरचनात्मक रूपरेखा द्वारा शिक्षा की संपूर्ण प्रणाली का परिवर्तन है।
नई शिक्षा नीति (National Education Policy) में रखी गई दृष्टि प्रणाली को एक उच्च उत्साही और ऊर्जावान नीति में देखा जा रहा है। शिक्षार्थी को उत्तरदायी और कुशल बनाने का प्रयास होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में शिक्षक की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं के सुधार पर भी जोर दिया गया है। इस नीति को लाने में कितने साल लगे वो निम्नलिखित है:
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वर्तमान नीति, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की जगह ले चुकी है।
- नई शिक्षा नीति के बारे में चर्चा जनवरी 2015 में कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमणियन के नेतृत्व में समिति द्वारा शुरू की गई थी और 2017 में समिति द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी।
- 2017 की रिपोर्ट के आधार पर बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक मसौदा, 2019 में पूर्व इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) प्रमुख कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में नई टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जनता और हितधारकों के साथ परामर्श के बाद मसौदा नई शिक्षा नीति की घोषणा की गई थी।
- नई शिक्षा नीति 29 जुलाई, 2020 को अस्तित्व में आई।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिन्दु
नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु निम्न है:
स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान
नई शिक्षा नीति में 5 + 3 + 3 + 4 डिज़ाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है, जो 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल करता है।
- पाँच वर्ष की फाउंडेशनल स्टेज – 3 साल का प्री-प्राइमरी स्कूल और ग्रेड 1, 2
- तीन वर्ष का प्रीपेट्रेरी स्टेज – ग्रेड 3, 4, 5
- तीन वर्ष का मध्य (या उच्च प्राथमिक) चरण – ग्रेड 6, 7, 8
- 4 वर्ष का उच्च (या माध्यमिक) चरण – ग्रेड 9, 10, 11, 12
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत HHRO द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।
भाषायी विविधता का संरक्षण
नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
मोटे तौर पर कहे तो अगर कोई छात्र अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ना चाहे तो वो बेझिझक उस भाषा में पढ़ पाएगा।
स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा। परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
शारीरिक शिक्षा
विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धता के अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार
- इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
- कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप की व्यवस्था भी की जाएगी।
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
- छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
- छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में परख (PARAKH) नामक एक नए राष्ट्रीय आकलन केंद्र की स्थापना की जाएगी।
- छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाएगा।
शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार
- शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा वर्ष 2022 तक शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (NPST) का विकास किया जाएगा।
- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFTE) का विकास किया जाएगा।
- वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।
उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा, ताकि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।
नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया, क्योंकि एम. फिल. का पाठ्यक्रम पीएचडी से मिलता-जुलता है।
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भारतीय उच्च शिक्षा आयोग
नई शिक्षा नीति में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये एक एकल नियामक अर्थात् भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) का गठन किया जायेगा, जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्यक्षेत्र होंगे। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में कार्य करेगा।
HECI के कार्यों के प्रभावी निष्पादन हेतु चार निकाय-
- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatroy Council-NHERC): यह शिक्षक शिक्षा सहित उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक नियामक का कार्य करेगा।
- सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council – GEC): यह उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिये अपेक्षित सीखने के परिणामों का ढाँचा तैयार करेगा अर्थात् उनके मानक निर्धारण का कार्य करेगा।
- राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council – NAC): यह संस्थानों के प्रत्यायन का कार्य करेगा जो मुख्य रूप से बुनियादी मानदंडों, सार्वजनिक स्व-प्रकटीकरण, सुशासन और परिणामों पर आधारित होगा।
- उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council – HGFC): यह निकाय कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के लिये वित्तपोषण का कार्य करेगा।
नोट: गौरतलब है कि वर्तमान में उच्च शिक्षा निकायों का विनियमन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) जैसे निकायों के माध्यम से किया जाता है।
देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (MERU) की स्थापना की जाएगी।
कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (दोनों नई और पुरानी नीतियों के बारे में)
पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986
- इस नीति का उद्देश्य असमानताओं को दूर करने विशेष रूप से भारतीय महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये शैक्षिक अवसर की बराबरी करने पर विशेष ज़ोर देना था।
- इस नीति ने प्राथमिक स्कूलों को बेहतर बनाने के लिये “ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड” लॉन्च किया।
- इस नीति ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के साथ ‘ओपन यूनिवर्सिटी’ प्रणाली का विस्तार किया।
- ग्रामीण भारत में जमीनी स्तर पर आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिये महात्मा गांधी के दर्शन पर आधारित “ग्रामीण विश्वविद्यालय” मॉडल के निर्माण के लिये नीति का आह्वान किया गया।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
- अंतिम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी जिसमें वर्ष 1992 में संशोधन किया गया था।
- वर्तमान नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
- नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
- नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
निष्कर्ष
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक अच्छी नीति है। क्योंकि इसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को समग्र, लचीला, बहु-विषयक बनाना है। जिसमे नीति का आशय कई मायनों में आदर्श प्रतीत होता है। लेकिन यह वह कार्यान्वयन है, जहां सफलता की कुंजी निहित है।
नई शिक्षा नीति कई उपक्रमों के साथ रखी गई है, जो वास्तव में वर्तमान परिदृश्य की जरूरत है। नीति का संबंध अध्ययन पाठ्यक्रम के साथ कौशल विकास पर ध्यान देना है। किसी भी चीज के सपने देखने से वह काम नहीं करेगा, क्योंकि उचित योजना और उसके अनुसार काम करने से केवल उद्देश्य पूरा करने में मदद मिलेगी। जितनी जल्दी एनईपी के उद्देश्य प्राप्त होंगे, उतना ही जल्दी हमारा राष्ट्र प्रगति की ओर अग्रसर करेगा।
नई शिक्षा नीति पर निबंध PDF (Essay on New Education Policy in Hindi PDF)
हमने नई शिक्षा नीति पर निबंध PDF में भी उपलब्ध किया है, जिसे आप प्रिंट करके अपने प्रोजेक्ट या फिर किसी अन्य काम में उपयोग में ले सकेंगे।
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Thanku sir itna achha content provide krne k liye…
Although isme koi kami nii h sir but phir bhi agr aap starting me slogan se krte to or bhi accha hota
Akanksha verma जी, आपके सुझाव के लिए धन्यवाद!
आपके सुझाव के अनुसार हमने शुरूआत में स्लोगन जोड़ दिया है।
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Krishna जी, प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद!
हमने यह निबंध पीडीऍफ़ (PDF) के रूप संलग्न कर दिया है, अब आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं।
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