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स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर निबंध

Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi: भारत को आजादी दिलाने के लिए और अंग्रेजों के चंगुल से भारत माता को आजाद करने के लिए किस तरह से लाखों-करोड़ों लोगों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

आज भारत आजाद देश है। आज हम जहां चाहे वहां जा सकते हैं, हम अपनी इच्छा के अनुसार रह सकते हैं, अपने आपको व्यक्त कर सकते है। देश को मिली आजादी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के कारण है। हम सभी देशवासी अपने स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कृतज्ञ हैं। क्योंकि उन्होंने अपना सर्वस्व अर्पण करके देश की आजादी के लिए खूब संघर्ष किया।

देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में जो उनकी भूमिका थी, उनका संघर्ष, उनके द्वारा सहे गए उत्पीड़न, कष्ट को ब्यां कर सके ऐसा कलम आज तक नहीं हुआ। न जाने कितने ही वर्षों तक हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों का सामना किया तब जाकर 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों के शासन से मुक्त हुआ।

देश को आजाद कराने के लिए स्वाधीनता की भावना देश के कोने-कोने में बसे लोगों में थी और यह भावना जाति और संप्रदाय, क्षेत्र और धर्म से परे थे। तभी तो देश के हर कोने से कई स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

हालांकि इतिहास में कुछ ही स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में स्पष्ट किया जा सका। लेकिन उनके अतिरिक्त भी कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने निस्वार्थ भावना से अपने दिल में देश की आजादी का एकमात्र लक्ष्य लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

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स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध (Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi)

हम यहां पर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर निबंध (Essay on Freedom Fighters in Hindi) शेयर कर रहे है। इस स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध हिंदी में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध | Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (250 शब्द)

हमारे भारत की भूमि को आजादी दिलाने के लिए कुछ महान क्रांतिकारी नेताओं ने अपने त्याग और समर्पण से इस देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाया था। अंग्रेजों ने हमारे देश पर करीब 200 वर्षों तक राज किया था। जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजादी दिलाई, उन्होंने अपने वतन को आजाद करवाने के लिए तन, मन, धन, सब कुछ देश के नाम कर दिया था।

भारत में महात्मा गांधी, वीर भगत सिंह, राजगुरू, सहदेव, महाराणा प्रताप, झांसी की रानी, तात्या टोपे जैसे बहुत से स्वतंत्रता सेनानी हुए, जिन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए अपने प्राणों को त्याग दिया था। देश को आजादी दिलवाने के लिए कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाले व्यक्ति भी थे, वह भी स्वतंत्रता सेनानी ही कहलाए।

उन स्वतंत्रता सेनानियों के कारण ही आज हमारा देश भारत आजाद हुआ और हम सब आज एक आजाद देश के नागरिक हो गए। यह हमारे लिए एक बहुत ही गर्व का विषय रहा है क्योंकि इन स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से देश के लिए किए गए त्याग, बलिदान और उनका जो देश की आजादी में योगदान रहा, उन सबसे देश मे एक अलग ही क्रांति की लहर सी दौड गयी है।

उन सब महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों को दिल से सभी लोगों को सम्मान करना चाहिए। उनके द्वारा दी गई कुर्बानी को यह देश कभी नहीं भूल पाएगा। क्योंकि हर स्वतंत्रता सेनानी ने बहुत ही कठिनाइयों का सामना मरते दम तक किया था।

उनके खून के बदले ही हमें अपने देश के लिए आजादी प्राप्त हुई थी, उनमें कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के नाम तो प्रसिद्ध हो गए और कुछ सेनानियों के नाम गुमनाम ही रह गए। लेकिन उन सब की वजह से हमें आजादी मिली यह बात हम कभी नही भूल पाएंगे।

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Image: swatantrata senani par nibandh

स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम सेनानी पर निबंध (500 शब्द)

प्रस्तावना

भारत देश अंग्रेजों के गुलाम था, जिसे सन 1947 में स्वतंत्रता मिली। स्वतंत्रता दिलाने में भारत के कई सेनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में कई ऐसे गुमनाम सेनानी भी शामिल थे, जिनका आज तक किसी भी किताब में जिक्र नहीं किया गया है।

उनका भारत की स्वतंत्रता में मुख्य योगदान रहा था। भारत की स्वतंत्रता का जश्न तो प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लेकिन गुमनाम सेनानियों के बारे में कोई जिक्र ही नहीं करता।

गुमनाम सेनानियों की सूची

भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले गुमनाम सेनानियों की सूची एक के बाद एक नीचे निम्नलिखित रुप से दी गई है।

उल्लास्कर दत्ताः इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में मुख्य भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही अलीपुर बम मामले में भी इन्होंने अपना जबरदस्त योगदान देश की सेवा में दिया था। भारत की स्वतंत्रता में कई आंदोलनों में भी इन्होंने भाग लिया था। उसके पश्चात अलीगढ़ बम मामले की वजह से इन्हें 2 मई 1908 को गिरफ्तार कर दिया गया था। गिरफ्तार करने की कुछ ही महीनों बाद इनको फांसी की सजा सुना दी गई। लेकिन दया याचिका अपील करने के बाद में इनके फांसी की सजा को डालकर आजीवन कारावास में भेजने की सजा सुनाई। उसके पश्चात इन्हें अंडमान सेल्यूलर जेल में भेज दिया गया था।

ननीबाला देवीः ननी बाला देवी को भारत के बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन ननी बाला देवी भारत की स्वतंत्रता सेनानी थी। इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने वाले और अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों का बहुत समर्थन किया था।

दुकारी बाला देवी: इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ खुलेआम लड़ाइयां लड़ी। साथ ही साथ भारत की सशस्त्र स्वतंत्रता सेनानियों की मुखिया भी रह चुकी है, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के खिलाफ कई आंदोलन में भाग लिया है। लेकिन कुख्यात आर्म्स एक्ट के तहत इन को दोषी ठहराते हुए गिरफ्तार कर दिया। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में गिरफ्तार होने वाली पहली फाइटर महिला के रूप में भी इनको जाना जाता है।

सतीश चंद्र सामंतः इनका नाम भी भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची नहीं आता है। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया। स्वतंत्रता के पश्चात यह 1952 से लेकर 1977 तक लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।

पुनिल बिहारी दासः पुनील बिहारी दास जो भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ ढाका अनुशीलन समिति के संस्थापक और अध्यक्ष भी रह चुके थे। इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ भारत के क्रांतिकारी में मुख्य रूप से योगदान दिया और कई आंदोलनों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी।

पीर अली खानः पीर अली खान जो भारत के शुरुआती विद्रोहियों में से एक थे। जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी जी जान लगा दी थी और भारत में होने वाले स्वतंत्रता आंदोलनों के मुख्य हिस्सा भी रहे हैं। लेकिन फिर भी इनके बारे में आज तक किसी को भी पता नहीं है। इनको 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में गिरफ्तार करके 14 विद्रोहियों के साथ खुलेआम में फांसी पर लटका दिया गया था।

मातंगिनी हाजराः इन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भी मुख्य रूप से भाग लिया था। मातंगिनी हाजरा जो पूरी तरह से गांधीवादी रूप से भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तत्पर थे और कई आंदोलन में सक्रिय रूप से रूचि भी रखते थे। 1932 में इन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

निष्कर्ष

भारत को स्वतंत्रता दिलाने में हजारों लोगों के नहीं लाखों लोगों की भूमिका रही है। लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में कुछ लोगों के नाम किताबों में अंकित हुए हैं। कई ऐसे गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपने प्राण त्याग दिए।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

भारत में स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा अंग्रेजों को बाहर करके देश को आजादी दिलाने के संघर्ष को भारत मे कोई नहीं भूल पाएगा। क्योंकि भारत को अंग्रेजों के अत्याचार शासन से मुक्त कराने के लिए जिन-जिन लोगों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

उनका नाम आज हमारे भारत के इतिहास के पन्नों में लिख दिया गया है, क्योंकि आज हम उन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों को देखें तो उनके द्वारा किए गए कार्य सही आज हम स्वतंत्र हो पाए हैं।

भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व

स्वतंत्रता सेनानियों की सबसे महत्वपूर्ण बात, स्वतंत्रता सेनानियों ने दूसरों को अन्याय से लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लोगों को उनके अधिकारों और उनकी शक्ति के बारे में जागरूक किया तथा वह स्वतंत्रता आंदोलन में एक स्तंभ की तरह खड़े रहे थे। यह स्वतंत्रता सेनानियों के कारण है कि हम किसी भी प्रकार के उपनिवेशवादियों या अन्याय से मुक्त देश में समृद्ध हुए।

भारत को आजादी दिलाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण योग्यदान

भारत को आजादी दिलाने के लिए जिन-जिन योद्धाओं ने अपना त्याग और बलिदान देकर देश को आजादी दिलाई, उनमें से कुछ नामों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।

महात्मा गांधी: भारत को आजादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी का बहुत महत्वपूर्ण योग्यदान रहा। भारत मे अंग्रेजी शासन काल के सबसे प्रमुख नेता के रूप में महात्मा गांधी रहे।

बाल गंगाधर तिलक: बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, पत्रकार, समाजसुधारक, वकील और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख कार्यकर्ता रहे। इसके साथ ये भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले नेता के रूप में भी जाने जाते थे। ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें “भारतीय अशांति का जनक” कहा।

शहीद भगतसिंह: भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में एक माना गया था। भगत सिंह एक बहुत बड़े समाजवादी थे। लोग आज उनको शहीद भगतसिंह के रूप में जानते हैं। क्योंकि उन्हीने मरते दम तक अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उनको 23 वर्ष की आयु में फांसी दे दी गयी थी। उनके इस बलिदान से भारत मे को भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया और वे आधुनिक भारत में एक युवा मूर्ति बन गए।

जवाहर लाल नेहरू: भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहर लाल नेहरू ने शपथ ली और 20वीं शताब्दी में भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय व्यक्ति जवाहर लाल थे। वह महात्मा गांधी के संरक्षण के तहत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे ऊपर नेता के रूप में उभरे थे और 1947 से उनकी मृत्यु तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत पर प्रधानमंत्री के रूप में शासन किया। वो जीवनकाल के दौरान पंडित नेहरू के रूप में लोकप्रिय थे। उनको बच्चे बहुत पसंद थे, इसलिए बच्चे उन्हें प्यार से “चाचा नेहरू” के नाम से जानते थे।

डॉ भीमराव आंबेडकर: भीमराव अंबेडकर एक भारतीय अर्थशास्त्री राजनीतिक और समाज सुधारक के रूप में लोग इन्हें जानते हैं। इन्होंने दलितों, महिलाओं, श्रमिको के खिलाफ समाज मे हो रहे भेदभाव के खिलाफ एक अभियान चलाया। साथ ही भीमराव अंबेडकर ने भारत में न्याय व्यवस्था को भी सही किया। भारत सविधान के नियम भी इन्होंने ही बनाये। अपने शुरुआती कैरियर में वो एक अर्थशास्त्री प्रोफेसर और वकील भी रहे। इसके बाद उन्होंने अपने जीवन में राजनीतिक गतिविधियों की तरफ ध्यान दिया, वहां उन्होंने दलितों के लिए उनके राजनीतिक अधिकार और सामाजिक स्वतंत्रता के लिए वकालत की। आज इनको बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता हैं।

चन्द्रशेखर आजाद: चंद्रशेखर आजाद आजादी के आंदोलन में सोशलिस्ट आर्मी से भी जुड़े थे। राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 1925 के काकोरी कांड में भी भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर वहां से भाग निकले। इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में उन्होंने समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। उनका यह कहना था कि अगर वह ब्रिटिश सरकार के आगे वो कभी घुटने नहीं टेकेगें। 27 फरवरी 1931 को इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने इलाहाबाद के इसी बाग में खुद को गोली मार के अपने प्राण भारत माता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

सुभाष चंद्र बोस: सुभाष चंद्र बोस ने द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। उन्हें आज सभी नेताजी के नाम से भी जानते हैं। सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय युवा कांग्रेस के एक बड़े नेता थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद सेना का भी निर्माण भी किया था।

रानी लक्ष्मी बाई: अगर महिला क्रांतिकारियों की बात की जाए तो उसमें सबसे पहले रानी लक्ष्मीबाई का नाम आता है। भारत की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 की क्रांति में में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके साहस और धैर्य की तारीफ तो अंग्रेजों ने भी की थीं। अंग्रेजों से संघर्ष के दौरान ही लक्ष्मीबाई ने एक सेना का संगठन किया, जिसमें उन्होंने महिलाओं को युद्ध प्रशिक्षण में पूर्ण तरह से शिक्षा दी थी।

निष्कर्ष

बहुत से ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए भारतमाता के चरणों में समर्पित कर दिया। इस दौरान उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा और अंग्रेजी सेनाओं के बहुत जुल्म भी सहने पड़े।

इसके दौरान बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों को तो फांसी भी दे दी गई। लेकिन उन सबका एक ही लक्ष्य था – भारत को आजाद कराना और आखिरकार अंत मे वह इसमें सफल हो गए। ऐसे महान सेनानियों को हमारा शत शत प्रणाम।

स्वतंत्रता आंदोलन के अनसुने नायक पर निबंध 800 शब्द (swatantrata andolan ke anjane nayak nibandh)

प्रस्तावना

देशप्रेम की भावना, देश की स्वतंत्रता के लिए अपने आपको अर्पण कर देना यह भावना किसी प्रलोभन से उजागर नहीं होता बल्कि यह व्यक्ति के अंतनिर्मित होता है। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान का न्योछावर करने वाले हर एक सेनानी का लक्ष्य एकमात्र देश की आजादी थी।

स्वतंत्रता सेनानियों की देशभक्ति की भावना सभी जात-पात, धर्म और क्षेत्र से ऊपर थी। उस समय कोई हिंदू, कोई मुस्लिम, कोई सिख नहीं था। हर एक स्वतंत्रता सेनानी भारत के निवासी थे जो अपने देश को आजाद कराने के लक्ष्य से ही शायद जन्म लिए थे।

विदेशी शासन से देश को मुक्त कराने के लिए देश की जनता ने जो दीर्घकालीन संघर्ष किया था, वह राष्ट्रीय वीरता की एक बेजोड़ गाथा थी। देश को आजादी दिलाने के लिए जो संग्राम छेड़ा गया था, वह राजनीतिक अधिकारों के लिए नहीं था बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में विदेशी शासन का दमन करके मुक्ति पाने का माध्यम था।

स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा देश की आजादी के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान और उनके निस्वार्थ भावना ने इतिहास के पन्नों में अपनी पहचान दर्ज की और इसी पहचान के बलबूते अमर हो गए। आज भी उन्हें बहुत सम्मान के साथ याद किया जाता है और हमेशा किया जाएगा। इतिहास में लिखी गई घटनाओं के माध्यम से ही हम स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों से अवगत हो पाए।

मंगल पांडे, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह जैसे अनेकों स्वतंत्रता सेनानी जिनके बारे में पूरी दुनिया जानती हैं। लेकिन इन सब के अतिरिक्त भी ऐसे कई स्वतंत्रता सेनानी हुए जो स्वतंत्रता आंदोलन में अपने जीवन को न्योछावर कर दिए। परंतु इतिहास के पन्नों में उनका नाम नहीं दर्ज हो पाया। यही कारण है कि आज भी बहुत से लोग उन स्वतंत्रता सेनानियों से अवगत नहीं है।

मनीराम देवन

मनीराम देवन असम के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। इनका जन्म 17 अप्रैल 1806 में असम के रंगपुर गांव में हुआ था। हालांकि आज यह इलाका बांग्लादेश में आता है। मनीराम देवन उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने असम में चाय बागान स्थापित किया था। उन्हीं लोगों के द्वारा अंग्रेजों को असम में चाय उगाए जाने की जानकारी दी थी।

मनीराम देवन सिंगफो समुदाय के लोगों में आते थे। शुरुआत में इन लोगों का अंग्रेजों के साथ संबंध मैत्रीपूर्ण था। क्योंकि अंग्रेजी भी असम में प्राइवेट चाय बागान की स्थापना करने में रुचि रखते थे। लेकिन धीरे-धीरे अंग्रेजों ने वहां पर भी अपना शासन शुरू कर दिया, जिसके बाद मनीराम ने पीयाली बरवा जैसे अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर अंग्रेजों को भगाने की योजना बनाई।

लेकिन इस योजना का पता अंग्रेजों को चल गया, जिसके बाद मनीराम को ब्रिटिश विरोधी षड्यंत्र की योजना का दोषी करार करके 26 फरवरी 1858 को जोरहाट जेल में सार्वजनिक तौर पर फांसी दी गई। इन्हीं के साथ पीयाली बरूआ को भी फांसी दी गई।

बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा को झारखंड के मुंडा और अन्य जनजातियों का भगवान माना जाता है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन का इन्होंने संचालन और नेतृत्व किया था। इनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के रांची जिले के उलीहातू गांव में हुआ था।

3 फरवरी 1900 को इन्हें अंग्रेजों के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और 3 जून को कारागार में उनकी मृत्यु हो गई थी। बिरसा मुंडा ने भूस्वामी और ब्रिटिश शासकों के दमन एवं शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। इन्होंने अपने समुदाय के सदस्यों को भी प्रेरित किया था और उन लोगों में देश क्रांति की मशाल जलाई थी।

मोजे रीबा

मोजो रिबा को प्यार से अबोह नईजी के नाम से जाना जाता था। यह परोपकार थे और राष्ट्रभक्ति थे। देश के स्वतंत्रता की लड़ाई में इन्होंने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1947 में जब यह गोपीनाथ बोर्दोलोई के समर्थन में कांग्रेस के लिए अभियान चला रहे थे तब अंग्रेजों के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। मोजो रीबा पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने अरुणाचल प्रदेश के दीपा गांव में 15 अगस्त 1947 को राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।

पीर अली खान

देश के स्वतंत्रता आंदोलन के अनसुने नायकों में पीर अली खान का भी नाम है, जिन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए। अंत में 14 अन्य लोगों के साथ इन्हें भी सक्रिय विरोधी के तौर पर फांसी पर चढ़ा दिया गया।

पिंगली वेंकैया

हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज को निर्मित करने का योगदान पिंगली वेंकैया को ही जाता है। इन्होंने ही भारत के तिरंगे के डिजाइन तैयार की थी और इस झंडे को इन्होंने विजयवाड़ा में राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान प्रस्ताव पेश किया था, जिसके मध्य में चरखा बना हुआ था।

गांधी जी के द्वारा इस ध्वज को पसंद किया गया, जिसके बाद इस ध्वज को राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। हमारा स्वयं का राष्ट्रध्वज होना चाहिए इसका सुझाव भी सबसे पहले पिंगली वेंकैया ने हीं महात्मा गांधी को दिया था, जिसके बाद महात्मा गांधी ने इनका समर्थन किया था। पिंगली वेंकैया ने कई मोर्चों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनका जन्म 2 अगस्त 876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के भटलापेनीमारू गांव में हुआ था।

पिंगली वेंकैया ने दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोएर युद्धों में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भी सेवा की थी। उसी दौरान उनका महात्मा गांधी के साथ संपर्क हुआ और वे महात्मा गांधी के विचारधारा से प्रेरित हुए।

इन स्वतंत्रता सेनानियों के अतिरिक्त भी पोटी श्रीरामुलू, सेनापति बापत, मातंगिनी हाजरा, कमला देवी चट्टोपाध्याय, तारा रानी श्रीवास्तव, विजय सिंह पथिक, बेगम हजरत महल, अरुणा आसफ अली, भीकाजी कामा, कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी आदि जैसे कई स्वतंत्रता सेनानी हुए, जो देश के लिए अपने आपको समर्पित करके सदा के लिए अमर हो गए।

निष्कर्ष

देश के आजादी में अपनी जान समर्पित करने वाले तमाम स्वतंत्रता सेनानियों में एक समान देशभक्ति की भावना थी। हालांकि यह बात अलग है कि इतिहास में कुछ स्वतंत्रता सेनानियों का ही नाम दर्ज हो पाया और कुछ अनसुने नायक इतिहास के पन्नों में अपना नाम नहीं दर्ज कर पाए।

देश को आजाद हुए आज 75 साल से भी ज्यादा हो चुके हैं लेकिन आज भी उन स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। आज की पीढ़ी को भी इन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ताकि वह भी गर्व से इन्हें याद कर सके और इनके बलिदान की अनुभूति कर सके।

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर निबंध (Essay on Indian Freedom Fighters In Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह निबन्ध आपको पसंद आया होगा। इसे आगे शेयर जरूर करें।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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