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इंडिया गेट पर निबंध

Essay on India Gate in Hindi: इंडिया गेट एक भारतीय ऐतिहासिक प्राचीन स्मारक है, जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक इंडिया गेट भारत के शहीदों की याद में बनाया गया था। हम यहां पर इंडिया गेट पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में इंडिया गेट के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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इंडिया गेट पर निबंध | Essay on India Gate in Hindi

इंडिया गेट पर निबंध (250 शब्द)

वैसे तो भारत में कई ऐतिहासिक स्मारक है, लेकिन इन सब में इंडिया गेट हर भारतवासियों के लिए सबसे खास है। इंडिया गेट भारत का राष्ट्रीय स्मारक है,जिसका मूल नाम अखिल भारतीय युद्ध स्मारक है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जो भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए रूप में बनाया गया है। इस ऐतिहासिक स्मारक को बनने में 10 साल लग गए थे।

साल 1921 में इंडिया गेट को बनाना शुरू किया था और साल 1931 में उनका उद्घाटन किया गया था। भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया गेट की डिजाईन सर एडवर्ड लुटियन ने तैयार की थी। लाल बलुआ पत्थरों से बना हुआ यह स्मारक 42 मीटर ऊँचा और 9.1 मीटर चौड़ा है। 90000 ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की स्मृति में तैयार हुआ इंडिया गेट 13,300 शहीदों के नाम लिखे हुए हैं।

भारत सरकार ने 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान बहादुरी से लड़ने वाले भारतीय सैनिकों को एक विशेष युद्ध स्मारक अमर जवान ज्योति समर्पित किया, जो आज इंडिया गेट का हिस्सा बन गई। इस स्मारक में एक उलटी राइफल के साथ काले संगमरमर का एक आसन है। राइफल में युद्ध का हेलमेट लगा है। इसके चारों ओर चार ज्योति है जो कि हमेशा जलती रहती है।

हर शाम 19:00 से 21:30 बजे तक जगमगाने वाला यह गेट आज दिल्ली का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण है। गणतंत्र दिवस परेड राष्ट्रपति भवन से शुरू होती है और इंडिया गेट से होकर गुजरती है।

सच में इंडिया गेट दुनिया की सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों में से एक है, जिसे न केवल अपनी सुंदरता और स्थापत्य कौशल के लिए याद किया जाता है, बल्कि उन शहीदों की भी याद दिलाता है जिसने देशप्रेम दिखाया।

इंडिया गेट पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

इंडिया गेट एक प्राचीन युद्ध स्मारक है, जो भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। इंडिया गेट राष्ट्रपति भवन से लगभग 2.3 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग राजपथ के पूर्व तरफ है। इंडिया गेट का वास्तविक नाम अखिल भारतीय युद्ध स्मारक रखा गया था। इंडिया गेट भारत की एक सुंदर वास्तुकला का प्रतिक है। शौर्य और बलिदान का प्रतीक इंडिया गेट दिल्ली की पहचान है। यह केवल भारत का राष्ट्रीय स्मारक नहीं है, लेकिन यह भारतवासियों की देशभक्ति, प्रगति और एकता का प्रतिनिधित्व भी करता है।

इंडिया गेट का इतिहास

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जिन 90,000 भारतीय सेना के सैनिकों ने अपनी जान गवाई थी, उन शहीदों को श्रध्धांजलि देने के रूप में ब्रिटिश सरकार ने इंडिया गेट की स्थापना करने का विचार किया। इंडिया गेट की संरचना पेरिस के ‘आर्क डि ट्रायम्फ’ के स्मारक से काफी मिलती है। इंडिया गेट की दीवारों पर युद्ध में अपने प्राण का बलिदान देने वाले 13,218 शहीद सैनिकों और सेना के महिला स्टाफ नर्स का नाम लिखा हुआ है।

इंडिया गेट का निर्माण

इंडिया गेट की नींव 10 फरवरी, 1921 में ड्यूक ऑफ़ कनॉट द्वारा रखी थी। उस समय वहा पर कमांडर इन चीफ, फ्रेडेरिक थिसीगर और भारत के प्रथम वायसराय विस्कॉन्ड चेम्सफोर्ड भी उपस्थित थे। इस स्‍मारक को बनने में पूरे 10 वर्षों का समय लगा था। यह विश्व का सबसे बड़ा युद्ध स्मारक है जिसकी ऊंचाई 42 मीटर है। इंडिया गेट का व्यास 625 मीटर, क्षेत्र फल 360,000 वर्ग मीटर और चौड़ाई 9.1 मीटर है।

गेट के सामने स्‍थापित छतरी में जार्ज पंचम की एक मूर्ति स्‍थापित थी, जिसे बाद में कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था। इस स्मारक को लाल और पीले रंग के सबसे अनोखे पत्थरों से बनाया गया है।

अमर जवान ज्योति का निर्माण

अमर जवान ज्योति स्मारक इंडिया गेट के नीचे स्थित है, जिसे भारत के प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी द्वारा 26 जनवरी, 1972 के दिन बनवाया गया था। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान अपने प्राण का बलिदान देने वाले शहीद सैनिकों के सम्मान में यह स्मारक बनाया गया था। अमर जवान ज्योति काले मार्बल पत्थर के ऊपर बनाया गया है। पत्थर के बीचों बिच राइफल को उल्टा लगाया है और युद्ध के हेलमेट का डिजाईन बंदूख के साथ जोड़ा गया है।

उसके चारों ओर ज्वालायें है, जो हरदम गैस की मदद से जलती रहती है। पत्थर की एक दिवार पर ‘अमर जवान’ लिखा गया है। अमर जवान ज्योति इंडिया गेट का एक विभिन्न अंग है, जो हमें भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद दिलाती है।

राष्ट्रीय उत्सव में योगदान

संगेमरमर स्मारक इंडिया गेट हर राष्ट्रीय उत्सव के साथ जुड़ा हुआ है। हर साल 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रपति भवन से परेड शुरू होकर यहाँ पहुंचती है और शहीदों को सलामी देती हैं। परेड समारोह गणतंत्र दिवस का मुख्य आकर्षण है। यह भारतीय संस्कृति की एक झलक दिखती है। भारत के राष्ट्रपति के साथ साथ विदेश से आये हुए मेहमान और भारतीय शसस्त्र बलों के द्वारा जिन सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान गवाई है, उनके लिए दो मिनिट का मौन रखते है।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी इंडिया गेट को तिरंगा के साथ रौशनी से सजाया जाता है और वहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। हमारे राष्ट्र के पिता महात्मा गांधी की जयंती के दिन यहाँ पर भजन संध्या जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

प्रमुख पर्यटक आकर्षण

भारत के मुख्य पर्यटक आकर्षण में से एक इंडिया गेट सभी को आकर्षित करता है। हर साल लाखों सैलानी सिर्फ इंडिया गेट को देखने के लिए आते है। रात के अँधेरे में इंडिया गेट को रंग बिरंगी रौशनी से सजाया जाता है। गेट के चारों ओर फैले लॉन की वजह से वहां के स्थानिक लोगों के लिए यह एक पिकनिक प्लेस है। रात के दौरान इंडिया गेट भारत सबसे अच्छी जगहों में से एक है। अद्भुत द्वार, रोशनी, सुगंध, चारों ओर की सजावट किसी भी जन्मदिन की पार्टी या खुली हवा में छोटे संगीत कार्यक्रमों के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।

निष्कर्ष

इंडिया गेट एक केवल स्मारक नहीं है बल्कि भारतीय लोगों की भावना और गर्व का प्रतीक है। इंडिया गेट के इतिहास का अध्ययन करने वाले ही इसकी भव्यता की सराहना कर सकते हैं। यह स्मारक हमें हमेशा उन बलिदानों की याद दिलाती है, जिसने देश के लिए अपने प्राण त्याग दिए। एक आदर्श नागरिक होने के नाते हमारा यह फर्ज है की,हमें इस स्मारक का मान सन्मान करना चाहिए।

इंडिया गेट में अपने आगंतुकों को देने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन फिर भी, यह देखा जाता है कि अलग-अलग लोग सोचते हैं कि यह जगह काफी उबाऊ है। लेकिन जब कोई व्यक्ति इस स्मारक की गहराई को छू लेता, तो वह निश्चित रूप से इसके प्यार में पड़ जाएगा।

अंतिम शब्द

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Ripal
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