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मुर्गी पर निबंध

Essay on Hen in Hindi: आज हम मुर्गी पर निबंध लिखने जा रहे है। निबंध में हम मुर्गी की हमारे जीवन में उपयोगिता, मुर्गी के क्या क्या कार्य होते हैं, कौन-कौन सी किस्म की भारत में मुर्गियां पाई जाती हैं, मुर्गी के चूजे को किस तरह से अंडों से निकाला जाता है, लोग मुर्गी पालन का व्यवसाय क्यो करते हैं, मुर्गियों को पालतू पक्षी के लिए भी क्यो पाला जाता हैं, आज हम मुर्गी के बारे में ये सभी जानकारियां प्राप्त करेंगे।

Essay on Hen in Hindi

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मुर्गी पर निबंध | Essay on Hen in Hindi

मुर्गी पर निबंध (250 शब्द)

हमारे देश में मुर्गियां अलग-अलग प्रकार की पाई जाती हैं। लोग इनको घर में भी पालते है। मुर्गियों की लंबाई कम होने के कारण यह बहुत कम ऊंचाई तक उड़ जाती हैं। इनके दो पंख होते हैं, ज्यादातर मुर्गियों को अपने पैरों से तो ना बहुत पसंद होता है, उड़ने से ज्यादा दौड़ना पसंद करती है। मुर्गियों का आकार अन्य पक्षियों की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है। इसके कारण मुर्गी बहुत कम ऊँचाई तक ही उड़ पाती है।

हमारे देश के गांव में ही अक्सर ज्यादा मुर्गियों को देखा जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर लोग मुर्गी पालन का व्यवसाय करते हैं।  कुछ लोग तो अंडे और मांस के लिए भी मुर्गी रखते हैं क्योंकि मुर्गी के जो अंडे होते हैं। उनसे प्रोटीन की मात्रा पायी जाती है, इसलिए भारी संख्या में लोग मुर्गियों को पालने का व्यवसाय करते हैं।

मुर्गी रोजाना एक ही या दो अंडे देती है। साल भर में कम से कम तीन सौ के करीब अंडे मुर्गी देती है। मुर्गी अपने अंडों पर बैठकर खुद के शरीर की गर्माहट के उन अंडों को देती है, जिससे उन अंडे में से चूजे निकल जाते हैं। मुर्गी पालन का व्यवसाय बहुत कम पैसे में भी शुरू किया जा सकता है।

मुर्गियां मुख्य रूप से खाने में कीड़े मकोड़ों को ही खाती हैं। मुर्गियों की आवाज मुर्गों की अपेक्षा में बहुत कम होती है। मुर्गे की आवाज से सभी लोग उठ जाते हैं। एक मुर्गी का जीवनकाल 5 से 10 साल तक का होता है, और अलग- अलग किस्म की मुर्गियां भारत में पाई जाती हैं। आजकल तो मुर्गियों को दौड़ में भी शामिल किया जाता है। मुर्गियों से कुश्ती भी करवाई जाती है। इसके लिए बड़े बड़े आयोजन हमारे देश में बहुत जगह किए जाते हैं।

मुर्गी पर निबंध ( 1200 शब्द )

प्रस्तावना

मुर्गी हमारे देश में पाए जाने वाला एक पालतू पक्षी है। आज के समय में मुर्गी को लोग व्यवसाय के रूप में भी पालते हैं। अधिकतर मुर्गियों को गांव में पाला जाता है। मुर्गी के शरीर का आकार अन्य पक्षियों की तुलना में थोड़ा बड़ा होता है । ग्रामीण भागों में तो मुर्गा और मुर्गी दोनों ही पाए जाते हैं। मुर्गी ऐसा पक्षी है दिखने में बहुत प्यारा लगता है, और यह अलग-अलग प्रकार के रंग-बिरंगे मिलते हैं। अलग अलग किस्म की मुर्गियां हमारे देश में पाली जाती हैं।

मुर्गी की विशेषताएं

मुर्गियों का पालन बहुत लोग अपने घरों में करते हैं, इसीलिए मुर्गियों में कुछ विशेषताएं पाई जाती है, इसीलिए तो लोग घर में और व्यवसाय में मुर्गियों का पालन करते हैं ।

मुर्गी की विशेषताएं निम्नलिखित है-

  • मुर्गियों का आज बहुत बड़ी संख्या में व्यवसाय किया जाता है लोग बड़े-बड़े फार्म में अपना जीवन चलाने के लिए  मुर्गी का व्यवसाय करते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुर्गी पालन अंडों के लिए मांसाहार के लिए  करते हैं। लोग अपने शौक के लिए भी मुर्गी अपने घरों में रख लेते हैं।
  • हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मुर्गी के अंडों की बहुत मांग है क्योंकि इसके अंडों में बहुत प्रोटीन पाया जाता है।
  • आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही हमारे देश में मुर्गे मुर्गियों की  कुश्तियों का आयोजन भी किया जाता था। आज मुर्गियां व्यवसाय के साथ-साथ कुश्ती के लिए भी काम में ली जाती है।
  • एक मुर्गी रोजाना दो अंडे देती है साल में तकरीबन 300 अंडे मुर्गी दे देती है।
  • मुर्गियों का जीवनकाल 5 से 10 साल तक का ही होता है।
  • नीली हरी काली पीली हर किस्म की मुर्गी हमारे देश में पायी जाती हैं।

मुर्गी के शरीर की संरचना

मुर्गियां अक्सर अलग-अलग रंग की पाई जाती हैं कोई लाल हरी नीली पीली इन सभी रंग में मर गया हमारे देश में देखी जाती हैं मुर्गी अन्य पक्षियों से कुछ अलग दिखती है क्योंकि इनके सर पर एक हल्की सी बनी होती है जिसके कारण ऐसा लगता है कि इनके सिर पर कोई मुकुत या ताज पहनाया हुआ है, इसीलिए अन्य पक्षियों की तुलना में बहुत अलग सी लगती हैं।

मुर्गियों के दो पंख होते है, जिनसे वह उड़ने का काम करती है । मुर्गी के दो पैर होते हैं, जिनसे एक से तो चलती है, तथा दूसरे पैर को उड़ान भरने के लिए काम में लेती है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुर्गी पालन का व्यवसाय करते हैं। मुर्गियां अपने खाने में कीड़े मकोड़े और कुछ अनाज के दानों को खा लेती हैं, और पेट भर लेती है।

मुर्गी पालन का व्यवसाय के फायदे

  • बहुत कम कीमत में मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू किया जा सकता है। इसको मुर्गी पालन व्यवसाय या कुकुट व्यवसाय भी कहा जाता है।
  • मुर्गी पालन के व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य अंडे, चूजे, और मांसाहार है, इन्हीं की वजह से हमारे देश में बहुत अधिक संख्या में लोग मुर्गी पालन का व्यवसाय करने लग गए हैं।
  • मुर्गी पालन का व्यवसाय बहुत कम पैसे में अच्छा मुनाफा प्राप्त करने के लिए किया जाता है मुर्गी को पालने में इसका व्यवसाय करने में कोई परेशानी भी नहीं होती है क्योंकि मुर्गी बहुत सीधा जानवर है।
  • जब हम मुर्गी पालन का व्यवसाय करते हैं तो उनसे हमें भी प्राप्त होती है जिसको हम कृषि कार्यों में तथा खाद के रूप में भी काम ले सकते है।मुर्गी की बीट कृषि के बहुत फायदेमंद होती है।
  • मुर्गी पालन से हमारे देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 30% लोगों को व्यवसाय प्राप्त हुआ है। अंडे और मांस का व्यवसाय अधिक बढ़ाने के लिए ही मुर्गियों को अधिकतर संख्या में पाला जाता है।
  •  अंडों के लिए उत्पादन के लिए लेयर नाम की मुर्गियों को पाला जाता है, और मांस के लिए  ब्रासलर मुर्गियों को पाला जाता है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 730 मिलियन मुर्गियां थी जिसमें करीब 74 विलियम अंडों की प्राप्ति हुई थी अगर एक तरह से देखा जाए तो दुनिया भर में कुल मुर्गियों का लगभग 3% उत्पादन भारत में ही किया जाता है।
  • मुर्गी पालन का व्यवसाय करने के लिए आपको ऐसी जगह को चुनना होगा जो आपके गांव या शहर से थोड़ा दूरी पर हो और खुला वातावरण हो और थोड़ी ढलान वाली जगह हो, क्योंकि मुर्गियों को खुला वातावरण भी ज्यादा पसंद है।

हमारे देश की मुर्गियों की नस्लें

हमारे देश में मुर्गी की लाल जंगली मुर्गा असील चटगांव कड़कनाथ, घोघस प्रकार की नस्लें आदि मुर्गी की नस्ले इनका पालन मुख्य रूप से मांसाहार के लिए किया जाता है।

विदेशी मुर्गियों की नस्लें

विदेशी मुर्गियों की नस्लों में रोड आइलैंड रेड, प्लाईमाउथ रॉक, ब्रह्मा, लेग हार्न, वाइट लेग हार्न, कार्निस, सिल्की आदि सभी विदेशी मुर्गियों की नस्लों के रूप में पायी जाती हैं। विदेशी मुर्गियों की नस्लों के द्वारा व्यवसाय में बहुत बढ़ोतरी होती है, क्योंकि हमारे देसी मुर्गियों की नस्ल की अपेक्षा विदेशी मुर्गियां की नस्ल ज्यादा अच्छी होती हैं। सबसे अधिक अंडे देने वाली विदेशी मुर्गियों की नस्ल में वाइट लेग हार्न को सबसे अच्छा माना जाता है।

मुर्गी के चूजे का पालन पोषण

मुर्गी के अंडों से प्राप्त चीजों का पालन पोषण तो प्रकार से किया जाता है एक तो प्राकृतिक,दूसरा कृत्रिम।

  • प्राकृतिक कारणमुर्गी जब अंडे देती है तो उन अंडों पर पंख फैला कर बैठ जाती है मुर्गी के शरीर की गर्माहट के कारण अंडे 20 दिन में चूजे निकल कर बाहर आ जाते हैं। मुर्गी के शरीर की गर्माहट इतनी तेज होती है कि उससे बन जाते हैं। इसको प्राकृतिक क्रिया कहा जाता है।
  • कृत्रिम कारणबिना मुर्गियों के अंडों को ब्रूडिंग हाउस में रखा जाता है वहां पर सभी अंडों को आर्टिफिशियल गरमाहट दी जाती है। जिससे अंडे में से चूजे बाहर निकल आते हैं। इसके बाद उन चूजों को  ब्रूडिंग हाउस में दाना,गर्माहट और जो भी जरूरी कार्य है वह सभी किए जाते हैं। यह कृत्रिम प्रक्रिया कहलाती है।

निष्कर्ष

मुर्गी बहुत ही अच्छा पालतू पक्षी है, इसको पालना बहुत आसान सा होता है। इसके अलावा लोग बहुत अधिक संख्या में कम पैसे में मुर्गी पालन का व्यवसाय भी कर सकते हैं। अक्सर मुर्गियों को लोग व्यवसाय के साथ-साथ, खेलकूद, मनोरंजन के लिए भी अपने घरों में रखते हैं। बहुत से लोग तो मुर्गियों की दौड़ प्रतियोगिता का भी आयोजन करवाते हैं।

अंतिम शब्द

आशा करते हैं आपको यह मुर्गी पर निबंध ( Essay on Hen in Hindi) बहुत पसंद आया होगा, अगर आपको यह पसंद आया तो आप इसको लाइक कर सकते हैं तथा इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट भी कर सकते हैं।

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Ripal
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