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ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव पर निबंध

Essay on Greenhouse Effect in Hindi: आज के इस आर्टिकल में हम ग्रीन हाउस गैस प्रभाव पर निबंध पर जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं। इस निबंध में ग्रीन हाउस गैस प्रभाव के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

इस निबंध के माध्यम से हमारे पर्यावरण पर ग्रीन हाउस गैसों का किस प्रकार प्रभाव पड़ रहा है तथा ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव से हमारे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि आदि सभी बातों के बारे में आपको बताने जा रहे है।

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ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव पर निबंध | Essay on Greenhouse Effect in Hindi

ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव पर निबंध (250 शब्द)

ग्लोबल वार्मिंग के कारण हमारे धरती , सागर, महासागरों, के तापमान में भी बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ के ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं। जिससे महासागरों के पानी का स्तर बहुत बढ़ता जा रहा है। उसके कारण जन हानि हो रही है। इससे हमारी जलवायु बहुत प्रभावित हो रही है। गर्म जलवायु होने के कारण वाष्पीकरण की प्रतिक्रिया तेजी से बढ़ रही है, इसकी वजह से मौसम में भी बहुत बदलाव हो जाते हैं।

जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक संसाधनों को विभिन्न तरीकों से भारी नुकसान पहुंचा रहा है जैसे कि बर्फ की टोपी का पिघलना, जंगल की आग, भूकंप और कई अन्य आपदाएँ। यह सब हम पिछले कुछ वर्षों से अनुभव कर रहे हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, जो चीजें हम अभी अनुभव कर रहे हैं, वे सिर्फ एक ट्रेलर हैं, और जो चीजें अभी बाकी हैं, वे अब जो हम अनुभव कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा खराब हैं।

वन क्षेत्रों की कटाई मानवीय गतिविधियां और ईंधन की वजह से ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव ज्यादा पड़ता है क्योंकि ग्रीनहाउस गैस जब हमारे वातावरण में रहेंगी, इससे ग्लोबल वार्मिंग होगी और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होगी पूरा सिस्टम बिगड़ जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव सभी मनुष्यों के लिए बहुत ही हानिकारक है।

तेज गति से हमारे यहां औद्योगिकरण हो रहा है। इससे वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव भी बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। हमारे वातावरण का तापमान भी अधिक हो गया है। इसीलिए जब हम ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव के कारण मानव औद्योगिकरण को जिम्मेदार मानते हैं । बढ़ते हुए प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव में मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है।

ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव पर निबंध ( 850 शब्द)

प्रस्तावना

बहुत तेज गति के साथ मानव निर्मित औद्योगिकरण में बड़ी वृद्धि हुई है, इसके साथ-साथ वह प्रदूषण भी बढ़ गया है। इससे हमारे वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का बहुत ज्यादा प्रभाव देखने को मिला है। ग्रीन हाउस के प्रभाव के कारण पृथ्वी का तापमान बहुत गर्म हो जाता है और हमारे वातावरण में सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरण को सौर ऊर्जा संयंत्रों के द्वारा उपयोग में ले कर पृथ्वी पर आने से उनको रोक लेती है।

क्या है ग्रीन हाउस गैस

हमारे धरती के तापमान में हो रही वृद्धि के लिए ग्रीनहाउस गैस जिम्मेदार है। पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव ज्यादा बढ़ रहा है। ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड,मेथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, हाइड्रो फ्लोरो कार्बन, परफ्लोरोकार्बन, सल्फर, हेक्साफ्लोराइड गैस इसमे शामिल है। ग्रीन हाउस में उपस्थित गैस हमारे पृथ्वी की ऊष्मा को सोख लेती हैं। जिससे ग्रीनहाउस का प्रभाव पड़ता है।

कौन कौन है ग्रीन हाउस गैसों के कारण

ग्रीन हाउस गैसों को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारण है –

1. प्रकृति के कारण

  • हमारी धरती पर प्राकृतिक रूप से कुछ हानिकारक गैस पाई जाती हैं कार्बन डाइऑक्साइड समुद्र में मीथेन पेड़ पौधों में क्योंकि पेड़ पौधों में आग लगाने का कार्य करती है नाइट्रोजन ऑक्साइड भूमि और पानी में इन सभी गैस की वजह से ग्रीन हाउस गैसों का निर्माण होता है।
  • जलवाष्प के कारण हमारी धरती की ऊर्जा को सुख लिया जाता है जिससे धरती के तापमान में वृद्धि होती है क्योंकि हमारी धरती पर मौजूद  वायु सूखी हो जाती है।
  • जानवरों के द्वारा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैस की अधिकता बढ़ जाती है। ग्रीन हाउस गैसों प्रभाव प्रभाव पड़ता है। यह सबसे प्रमुख कारण है।

2. मनुष्य के द्वारा निर्मित कारण

  • मनुष्य के द्वारा तेल और कोयले को जलाने से जो हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है,उससे ग्रीनहाउस गैस पर प्रभाव पड़ता है, और जब हम कोयले और तेल के लिए खास खदानों को खोदते हैं इसे मीथेन गैस के निकलती है, जिससे वह ग्रीन हाउस पर बहुत प्रभाव डालती है।
  • वनोन्मूलन के द्वारा हमारे धरती पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जिससे ऑक्सीजन गैस कम हो रही है कार्बन डाई ऑक्साइड गैस की मात्रा अधिक बढ़ रही है।
  • औद्योगिक क्षेत्रों के कार्यों से हानिकारक गैसें निकल रही है। जो हमारे ग्रीन हाउस गैसों पर बहुत प्रभाव डाल रही है। मेथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, फ्लोराइड, यह सभी जैसे औद्योगिक गैसों के रूप में आती है।
  • लोग पशुओं को पालने के लिए वनों की कटाई कर बड़े-बड़े फार्म हाउस बना रहे हैं। जानवर अपना खाना खाकर इधर-उधर गोबर करते रहते हैं, क्योंकि वह खाना उनके पेट में पच नहीं पाता जिससे उनके पेट मे मिथेन गैस बन जाती है। जो गोबर की वजह से वायुमंडल में उसकी गैस मिल जाती है जिससे ग्रीन हाउस का कारण बन जाती है।

ग्रीन हाउस गैसों के दुष्परिणाम

ग्रीन हाउस गैसों के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

1. मौसम में बदलाव – जिस प्रकार से हमारी धरती पर लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है, गर्मी बहुत पड़ रही है । ग्रीन हाउस के कारण हमारे मौसम में लगातार बदलाव हो रहे हैं। जिस तरह से गर्मी पड़ रही है उससे तो हमारी खेती पर भी बहुत गलत प्रभाव पड़ रहा है। अकाल और सूखा पड़ने की संभावना आ गई है और आंधी तूफान बाढ़ सभी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में आने लग जाएंगे।

2. बर्फ का पिघलना – ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियर बहुत अधिक संख्या में पिघल रहे हैं। जिसके कारण वह बर्फ का पानी हमारे समुद्र के स्तर को बहुत ऊंचा बढ़ा दिया है। समुद्र के जल में ज्यादा बढ़ने से महासागर के तटीय इलाके डूब जाएंगे और लाखों लोग बेघर हो जाएंगे। जो खेती योग्य भूमि है,वह भी पानी में ही डूब जाएगी।

3. मनुष्य के जीवन पर प्रभाव – ग्रीन हाउस गैसों के कारण हमारे पेड़ – पौधों, जीव जंतुओं का जीवन तथा साथ में मनुष्य के जीवन पर भी बहुत असर पड़ा है। मनुष्य के शरीर में तरह-तरह के शारीरिक,रोग,चर्म रोग आदि में बहुत वृद्धि हुई है । जंतुओं और पेड़ पौधों पर भी इसका असर दिखने लगा है। ग्रीन हाउस गैसों की वजह से पेड़ पौधों के पत्ते झड़ने लगे हैं और बड़े-बड़े जंगल जल जाते हैं। पशुओं के पोषण में भी कमी दिखने लग गई है। उनकी अनुवांशिक संरचना में परिवर्तन की अधिक आशंका देखने को मिल सकती है।

ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से बचने के उपाय

जिस तरह से हमारे धरती और हमारे वायुमंडल को ग्रीन हाउस कैसे प्रभावित कर रही है उनसे बचने के उपाय निम्न है

  • जिस तरह से हमारे भाई मंडल में और पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा अधिक बढ़ गई है इसके लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे उगाने चाहिए और लोगों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए क्योंकि पेड़ पौधों के द्वारा ही हम ग्रीन हाउस गैसों पर नियंत्रण कर सकते हैं।
  • पेड़ पौधों की कटाई को बंद करना चाहिए और हमें वनों के विस्तार को भी अधिक बढ़ाना चाहिए।
  • जिस तरह से कोयला तेल औद्योगिक गतिविधियों के द्वारा जो हानिकारक गैसें निकलती है उनके लिए नए नए विकल्पों की खोज करनी चाहिए ताकि हमारा हमारा वायु मंडल इन गैसों से प्रभावित ना हो।
  • फ़्रीआन गैस पर पूर्णतया प्रतिबंध होना चाहिए।
  • जिस प्रकार से कारखानों से निकलने वाले दोएस ए ग्रीनहाउस गैस पर प्रभाव पड़ रहा है इसी के लिए हमें प्रतिबंध लगाने पर तथा वाहनों की संख्या पर नियंत्रण करने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए इसके लिए विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन करना चाहिए।
  • प्रदूषण उपकरणों पर रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि इन प्रदूषण उपकरणों की वजह से मानव का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है और इस तरह के ऊर्जा के स्रोतों की खोज होनी चाहिए जो ग्रीन हाउस का प्रभाव उत्पन्न ना करें।
  • संचार के साधनों के माध्यम से लोगों को अधिक से अधिक ग्रीनहाउस गैस से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना चाहिए।

निष्कर्ष

पूरे दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं बचा है, जो ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से प्रभावित ना हुआ हो। हमारे वायुमंडल में ज़हरीली गैसों को नियंत्रित करने के लिए सरकार के द्वारा विभिन्न संगठनों के मदद से लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। सरकार इनको रोकने के लिए भी प्रयास करने चाहिए। जिस तेज गति के साथ वनों की कटाई हो रही है, उसके लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाया जाना चाहिए। 

ग्रीनहाउस गैस और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जो हानिकारक गए थे। इससे हमारे वायुमंडल में ओजोन परत में भी छेद हो गया है, जो आने वाले समय के साथ हमारे सब के लिए बहुत बड़ा संकट का कारण बन सकता है, इसीलिए सभी लोगों को अधिक से अधिक संख्या में जागरूक होना चाहिए।

अंतिम शब्द

उम्मीद है आपको हमारा यह आर्टिकल ‘ ग्रीन हाउस गैस पर प्रभाव निबंध’ बहुत पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो आप इसको लाइक कर सकते है और कोई भी जानकारी के लिए आप हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते हैं ।

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