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दादा-दादी पर निबंध

Essay on Grandparents In Hindi: यहां पर दादा-दादी पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

Essay on Grandparents In Hindi
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दादा-दादी पर निबंध | Essay on Grandparents In Hindi

दादा-दादी जी पर निबंध (200 शब्द)

मेरे दादा दादी का स्वभाव बहुत ही सरल है। मेरी दादी जी हम सबको शाम को कहानियां सुनाती है जो कि बहुत ही प्रेरणादायक होती है। कहा जाता है कि परिवार में बुजुर्ग उस परिवार के लिए रीड की हड्डी होते हैं। जिस परिवार में दादा-दादी होते हैं, उस परिवार में रौनक अलग ही होती है।

हमारे जीवन में कभी-कभी ऐसे मोड़ आते हैं कि हम उदास होकर बैठ जाते हैं तो हमें लगता है कि हमें भी कोई राह दिखाने वाला हो तो उस समय हमें दादा दादी की ही याद आती है। मेरे दादा दादी जी अब वृद्ध हो चुके हैं लेकिन बातें भी अभी जवान जैसी ही करते हैं। मेरे दादाजी मेरे बचपन के सबसे पहले मित्र है और मेरी दादी जी मेरे पहले प्रेरणा स्रोत है, उन्हें देखकर मुझे भी उर्जा मिलती रहती है।

मेरे दादाजी पहले खेती ही करते थे। लेकिन अब वह बुजुर्ग होने के कारण उन्होंने यह काम छोड़े बहुत साल हो गए हैं।मेरे दादाजी को अभी भी पहले जितना ही अनुभव है। वह अपनी पुरानी बातें हमारे साथ शाम को बैठकर शेयर करते हैं, जिससे हमें बहुत ही ज्ञान मिलता है। मेरे दादा दादी मेरा सही मार्गदर्शन करते रहते हैं, जिससे कि मुझे उर्जा मिलती रहती है और मैं मोटिवेटेड रहता हूं। वो मुझे कठिन परिस्थिति से लड़ने की ताकत प्रदान करते हैं। मैं मेरे दादा दादी जी का बहुत ही सम्मान करता हूं।                                           

हमारे पास दादा-दादी को होना बहुत ही जरूरी है क्योंकि वह अपने ज्ञान के मोती हमारे आसपास भी करते रहते हैं, जिससे कि हमें ऊर्जा मिलती रहती है। हम उनके शब्दों का वर्णन ही नहीं कर सकते, उनमें इतना अनुभव भरा रहता है। दादा-दादी द्वारा दिया गया प्यार बेमिसाल होता है।

हमें दादा दादी जी की इज्जत करनी चाहिए और रोज सुबह कहीं भी जाने से पहले उन्हें प्रणाम करके जाना चाहिए, जिससे कि हमारे शरीर के अंदर सारे दिन स्फूर्ति बनी रहती है और हमें थकान भी महसूस नहीं होती है, उनके आशीर्वाद में इतनी ही ताकत होती हैं। हम सभी पर अपने दादा दादी का प्यार बना रहे यही हमारी भगवान से मनोकामना है। दादा दादी का प्यार नसीब वालों को ही मिलता है।

निष्कर्ष

लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि बढ़ते एकल परिवारों ने संयुक्त परिवारों की परंपरा को ही बिखेर दिया, जिससे कि आजकल के बच्चे अपने दादा दादी का प्यार ही महसूस नहीं कर पाते हैं।

दादा-दादी जी पर निबंध (700 शब्द)

हम एक ऐसे भारतीय समाज में रहते हैं, जहां अपने से बुजुर्ग दादा दादी को इतना सम्मान दिया जाता है कि शायद ही किसी अन्य देश में दिया जाता है। दादा-दादी और पोते-पोतियो के संबंध में तो विस्तार ही नहीं किया जा सकता। क्योंकि हर परिवार में बच्चों का संबंध अपने माता-पिता से ज्यादा अपने दादा-दादी के साथ होता है।

दादा दादी को ही पूछ कर परिवार वाले काम को करते हैं। क्योंकि दादा दादी को अपने लंबे जीवन का अनुभव होता है जोकि सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है। दादा दादी अपने पोते पोतियो के नैतिक मूल्य एवं नैतिक आदतों का भी विकास करते है। कहा जाता है कि बच्चों की पहली पाठशाला परिवार ही होती है, वह पहला शिक्षक बच्चे की माता ही होती है लेकिन हकीकत में तो बच्चे के पहले शिक्षक दादा-दादी होते है।

मेरे दादा-दादी

जब से मैं समझदार हूं मतलब कि मैंने कुछ समझना शुरू किया तो मैं अपने माता-पिता से ज्यादा अपने दादा दादी पर भरोसा करने लगा। मुझे मेरे दादा दादी बहुत ही प्यारे लगते थे और वह हर बात पर मेरा साथ देते थे। जब भी पापा यह मम्मी मेरे को डांटते थे तो दादा-दादी ही मेरा साथ देते थे और मेरे को पापा मम्मी की मारपीट से बचाते थे। पापा मम्मी जब मेरे पर गुस्सा होते थे तो दादा और दादी मेरा ही बचाव करते थे।

मेरे दादाजी का नाम श्रीमान वेदा राम जी चौधरी और मेरी दादी जी का नाम श्रीमती भूली देवी है। मेरे दादाजी शुरुआत से ही बहुत मेहनती आदमी थे। मेरे दादा जी को खेती में बहुत ही अधिक रुचि है। वह अपना अधिकांश हम बच्चों के साथ वह खेत में बिताते हैं। मेरे दादा दादी प्रभात के समय सबसे पहले उठ जाते हैं और वह अपने नित्य क्रिया कर्म से फ्री होकर हम बच्चों के साथ खेलने लग जाते हैं और वह हमें अखबार पढ़ना भी सिखाते हैं।

मेरे दादाजी अपना कार्य बड़ी ही शिद्दत से करते हैं। मेरे दादाजी हम सभी को सुबह उठते ही मॉर्निंग वॉक पर ले जाते हैं तथा हमें ताजगी भरी हवा में दौड़ आते हैं। हमारी दादी जी हम सब को शाम को कहानियां सुनाती है, जो बहुत ही रोमांचक होती है और उन कहानियों से में प्रेरणा भी मिलती है। हमारे समाज में दादा दादी को एक जड़ के रूप में माना जाता है जो अपने पेड़ रूपी संपूर्ण परिवार को सिचते हैं।

बड़े बुजुर्ग हमारे परिवार की रीड की हड्डी होते हैं, हमें उनके आदर्शों को मानना चाहिए। हमारे दादा दादी हमारे लिए अमूल्य धरोहर है। उनके द्वारा दी गई सभी सभी सीखो को मानना चाहिए, जिससे कि हमारा जीवन सफल हो जाए। हमारे दादा दादी द्वारा सिखाए गए जान को हम किताबों में से भी नहीं प्राप्त कर सकते हैं और ना ही उन्हें हम कहीं से पढ़कर सीख सकते हैं। मेरे दादाजी हमारे को बहुत ही ज्ञान की बातें बताते हैं जो कि हमारे लिए लाभदायक होती है।हमारे परिवार के बड़े बुजुर्ग हमें बहुत ही अच्छी शिक्षा देते रहते हैं।

दादा-दादी का प्यार बहुत ही असीमित होता है जब हम अपनी कोई बातें माता-पिता को नहीं बता सकते हैं। वह बातें हम अपने दादा-दादी के साथ शेयर कर लेते हैं, जिससे कि हमारे मन का बोझ हल्का हो जाता है और हम अपनी सीक्रेट बातें भी अपने दादा दादी के साथ ही शेयर कर सकते हैं। क्योंकि वह हमें एक दोस्त की तरह समझते हैं और हम भी उन्हें दोस्त की तरह समझते हैं। इस संसार में बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त उनके दादा-दादी ही होते हैं।

निष्कर्ष

हमारे लिए और हमारे स्वास्थ्य के लिए संयुक्त परिवार की प्रथा ही बेहतर होती है जबकि आजकल के लोग अपने एकल परिवार को ही अच्छा समझते हैं जो कि बहुत ही आनी कारक है। हमें अपने दादा-दादी के बातों पर ध्यान देना चाहिए और उनका कहना मानना चाहिए, जिससे कि हमारा जीवन सफल हो सके। हमें अपने दर्द जगदीश एक मजबूत संबंध बनाना चाहिए जो कि हमारे आगे वाले जीवन के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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