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मेरे दादाजी पर निबंध

Essay On Grand Father In Hindi: यहां पर मेरे दादाजी पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।

Essay On Grand Father In hindi
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मेरे दादाजी पर निबंध | Essay On Grand Father In Hindi

मेरे दादाजी पर निबंध (200 शब्द)

दादाजी का किरदार परिवार के लिए काफी अहम होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि परिवार में बुजुर्गों का होना जरूरी है। कई जगह आपने देखा भी होगा कि बुजुर्गों के बिना परिवार सुना होता है। जहां पर बुजुर्गों की सलाह नहीं सुनी जाती है, उन घरों में रोजाना लड़ाइयां होती है। बुजुर्ग इंसान हर व्यक्ति को अच्छा ज्ञान देता है। मेरे दादाजी भी मुझे रोजाना नई-नई कहानियां सुनाकर बेहतरीन सलाह देने का प्रयास करते हैं।

मेरे दादाजी मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। मैं स्कूल से फ्री होते ही दादाजी के पास अपना समय व्यतीत करता हूं और दादा जी के साथ ही खेलता हूं। मैंने अपने दादा जी के साथ एक मित्र का रिश्ता बना लिया है और इस रिश्ते से मैं और मेरे दादाजी दोनों बहुत खुश है। अवसर और त्यौहार पर दादाजी मेरे लिए नए गिफ्ट लाते हैं और जब भी मुझे मम्मी या पापा की डांट पड़ती है तो दादाजी उल्टा उन्हीं को डांट देते हैं।

स्कूल में पेरेंट्स टीचर मीटिंग में भी मैं अपने दादा जी को भी साथ लेकर जाता हूं और मेरे अध्यापक भी मेरी पढ़ाई के बारे में सारा विचार-विमर्श दादा जी के साथ ही करते हैं। मैं अपने दादा जी को भगवान के रूप में देखता हूं और उनकी कही हुई बातों को कभी नहीं टालता हूं।

मेरे दादाजी पर निबंध (600 शब्द)

प्रतावना

हमारी जिंदगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिसे हम बहुत ही ज्यादा प्रभावित होते हैं। जो हमसे बहुत प्यार करते हैं। हमें देखते ही उनके चेहरे खिल उठते हैं। मेरे दादाजी भी कुछ ऐसे ही थे। मेरे दादाजी मेरे जीवन के पहले मित्र थे और मैं उनका आखिरी मित्र था।

मेरे दादाजी

मेरे दादाजी बहुत ही अच्छे इंसान थे। वह बहुत ही ज्यादा स्वाभिमानी व्यक्ति थे। मैं जब छोटा था, तब मुझे मेरे दादाजी से बहुत ज्यादा लगाव था। मेरे पिताजी उस वक्त दूसरे शहर में नौकरी किया करते थे। हम लोग अक्सर छुट्टियों में गांव आया करते थे। मेरे दादा जी व दादीजी गांव में रहा करते थे। इसलिए मैं उन्हें सिर्फ छुट्टियों में ही मिल पाता था। मेरे दादाजी मुझसे बहुत ज्यादा प्रेम करते थे।

उनके सभी पोता पोती मैं से सबसे ज्यादा उनका पसंदीदा था। वह मेरी हर जिद्द पूरी करते थे। मैं जब भी जो भी उसे मांगता था, वह मुझे दिलाने के लिए मेरे साथ चलते थे। हम जब भी गांव जाते थे, तो दादाजी मुझे मेले में ले जाया करते थे और मुझे वह खूब सारे झूले झूलाते थे। खिलौने और खाने की चीजें भी दिलाते थे।

मैं उनके साथ शाम को खेतों में जाया करता था। वहां उनकी बहुत सारी गाय थी। दादा जी के बहुत बड़े बड़े खेत थे। वह खेती किया करते थे। वह बहुत ही ज्यादा ईमानदार व्यक्ति थे और बहुत ज्यादा मेहनत करते थे। गांव के लोग उनकी इज्जत किया करते थे। गांव मे सबसे बडे होने की वजह से लोग उनकी सलाह लेने आया करते थे। वह लोगों का मार्गदर्शन करते थे। मैं अपने दादाजी की हर बात मानता था। वह मुझे बिना बात नहीं डाटते थे, परंतु कोई गलती होने पर या पढ़ाई ना करने पर वह मुझे डांटते थे। मेरे पिताजी उनकी बहुत इज्जत करते थे। दादाजी सवेरे जल्दी उठते थे। मुझे भी साथ उठाते थे। खुद भी जल्दी स्नान करते और मुझे भी खुद नहलाते थे। नहाने के बाद वह घर पर दीया बत्ती करते और मंदिर जाते थे । मैं भी उनके साथ जाता था।

दादा जी के साथ बिताये कुछ पल

वह बहुत ही ज्यादा आध्यात्मिक व्यक्ति थे। हम लोग मंदिर से आकर नाश्ता करते थे और वह मुझे कई बार पार्क ले जाया करते थे। वहां मेरे जैसे ही बहुत सारे बच्चे और बूढ़े व्यक्ति आया करते थे। हम बच्चे खेलते थे। दादाजी बाकी बुजुर्गों के साथ बैठकर बातचीत करते थे। दादा जी बहुत ही ज्यादा मिलनसार व्यक्ति थे। फिर हम घर आकर सब साथ में मिलकर खाना खाया करते थे। मैं अक्सर दादा जी के साथ ही सोता था। दादाजी सोने से पहले मुझे कहानियां सुनाते थे। यह कहानियां बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती थी। उनसे अंत में कुछ ना कुछ सीखने को मिलता था। दादा जी रात को दूध पिया करते थे और मुझे भी साथ साथ पिलाते थे। दादा जी और मैं कई बार मिलकर धार्मिक नाटक टी.वी पर देखते थे।

दादा जी ज्यादातर रामायण और गीता का पाठ करते थे। वह मुझे बहुत सी शिक्षाएं दिया करते थे। वह मुझे हमेशा सही गलत की पहचान करवाते थे। वह मुझे सबके साथ मिलजुल कर रहने की सीख देते थे। दादा जी और दादी जी मुझसे बहुत प्रेम करते थे। दादा जी बड़ा सा चश्मा धोती कुर्ता और लकड़ी अपने पास रखे थे। दादा जी मुझे बड़ों का आदर करना सिखाते थे।

दादा जी की सिखाई गई बातें

मुझे ईमानदारी के रास्ते पर चलने की सीख देते थे। भ्रष्टाचार से दूर रहने की सीख देते थे। वह मुझे कभी-कभी कॉमिक्स पढ़ने देते थे और हम दोनों मिलकर कॉमिक्स पढ़ते थे। मैं उन्हें कंप्यूटर चलाना सिखाता था। उन्हें सीखने की बहुत ज्यादा इच्छा थी। वह बहुत ही ज्यादा जिज्ञासु व्यक्ति थे। उन्हें हर नई चीज को जानने की इच्छा थी। उन्हें नई तकनीकी चीजों में भी बहुत ज्यादा रुचि थी।

दादा जी ज्यादातर रामायण और गीता का पाठ करते थे। वह मुझे बहुत सी शिक्षाएं दिया करते थे। वह मुझे हमेशा सही गलत की पहचान करवाते थे। वह मुझे सबके साथ मिलजुल कर रहने की सीख देते थे। दादा जी और दादी जी मुझसे बहुत प्रेम करते थे। दादा जी बड़ा सा चश्मा धोती कुर्ता और लकड़ी अपने पास रखे थे। दादा जी मुझे बड़ों का आदर करना सिखाते थे। वह बहुत ही ज्यादा आदर्शवादी व्यक्ति थे और उनका जीवन बहुत ही ज्यादा अनुशासित था। वह कहते थे, जो व्यक्ति अनुशासन से चलता है। वह जिंदगी में कभी असफल नहीं होता। मैं हमेशा से अपने दादाजी के जैसा बनना चाहता हूं। मैं अपने दादा जी को बहुत याद करता हूं।

निष्कर्ष

हर बच्चे को दादा की गोद में जो सुकून मिलता है और कहीं नहीं मिल पाता है। दादा जी का प्यार हर कोई लेना चाहता है और मैं अपने दादाजी के साथ बहुत ज्यादा मस्ती करता हूं। दादा जी के साथ मेरा रिश्ता मित्र के समान है।

अंतिम शब्द

इस आर्टिकल में हमने Essay On Grand Father In Hindi के बारे में आपको विस्तृत जानकारी दी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल है, तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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