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मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध

MerMera Priya Mitra Par Nibandh: आज के आर्टिकल में हम मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध के बारे में बात करने वाले है। दोस्त सबके पास होता है। इन्सान के हर नये मोड़ पर नया दोस्त बनता है। लेकिन कुछ खास सम्बन्ध बहुत कम लोगो से हो पाता है। जिन्दगी में हर इन्सान केएक या दो सच्चे मित्र जरुर होते है। जिनके साथ वह अपनी हर बात शेयर कर सकता है। आज के आर्टिकल में Mera Priya Mitra Par Nibandh के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलने वाली है।

Mera Priya Mitra Par Niband
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मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध | Mera Priya Mitra Par Nibandh

मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध (200 शब्द)

मेरा नाम हिमांशु गोयल है और मैं उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल का रहने वाला हूं। मेरी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रसिद्ध स्कूल सेंट पॉल्स मार्थोमा इंटरनेशनल स्कूल में हुई। उसी समय दसवीं क्लास में मुझे मेरे जीवन में पहला सच्चा दोस्त मिला जिसका नाम रविंद्र कुमार था।

मेरा दोस्त रविंद्र कुमार शुरू से ही पढ़ने में होशियार था। और उसका स्वभाव हमेशा से ही बहुत शांत और सरल था। उसको क्रिकेट खेलने को देखने में सबसे ज्यादा रुचि थी और पढ़ाई के विषय में उसकी सबसे ज्यादा रुचि टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष विज्ञान में थी। वह हमेशा से ही नई-नई चीजें देखने का और सीखने का प्रयास करता रहता था। उसके पिताजी इनकम टैक्स ऑफिसर डिपार्टमेंट में अधिकारी थे, उसके पिताजी का स्वभाव बहुत ही सरल था।

रविंदर और मैं हमेशा साथ साथ पढ़ते थे और उसका घर मेरे घर के पास होने के कारण हम दोनों साथ-साथ ही स्कूल जाते थे और साथ-साथ स्कूल से आते थे। वह हमेशा क्लास में प्रथम स्थान प्राप्त करता था और वह मुझे हमेशा गाइड करता रहता था, कि जीवन में शिक्षा के अलावा ऐसा कोई भी मार्ग नहीं है, जिससे हम सफल हो सके।

मेरे दोस्त की विशेषताएं

मेरा दोस्त रविंदर हमेशा समय पर सुबह उठता था। अपने स्कूल का कार्य हमेशा समय पर करता था। वह अपने माता पिता और मेरे माता पिता और अपने से बड़े बुजुर्गों का हमेशा कहना मानता था और उनका आदर करता था। वह उसके सरल स्वभाव के कारण लोगों के बीच हमेशा चर्चा का विषय बना रहता था।

उसने दसवीं क्लास पास करने के बाद विज्ञान संकाय ले लिया और मैंने वाणिज्य संकाय ले लिया, लेकिन फिर भी हम दोनों अलग-अलग संकाय में होने के कारण अपनी दोस्ती को बरकरार रखें। वह नशे पत्ते करने वाले लोगों से दूर ही रहता था। क्लास में लड़ाई करने वाले लड़कों से भी दूर ही रहता था।

मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध (600 शब्द)

प्रस्तावना

भगवान हमें ऐसे लोगों के साथ भेजते हैं, जिन्हें हम माता-पिता, रिश्तेदार, भाई-बहन आदि कहेंगे। लेकिन हम जो अपने दम पर बनाते हैं वह दोस्ती है। यह उस समय की याद दिलाने के लिए एक खूबसूरत चीज है। जो बीत चुका है, हम अपने पुराने समय में लौटते हैं और महसूस करते हैं, कि इतना कुछ था कि हम हमेशा याद रख सकते थे और समझ सकते थे।

मैं हमेशा एक अंतर्मुखी लड़का हूं मुझे अभी भी ग्रुप का असभ्य, अभिमानी लड़का कहा जाएगा। क्योंकि मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं पहली बार लोगों से बात कर रहा था। इसलिए मैं अपनी किताब के साथ बैठूंगा और क्लास में चुपचाप अपना टिफिन खाउगा। लेकिन कहा जाता है कि एक गुमसुम व शांत स्वभाव के आदमी को भी दोस्त की बहुत आवश्यकता होती है। इसलिए हम सभी को एक दोस्त बनाना बहुत जरूरी है।

मेरा दोस्त

जब मे क्लास 6 में था तब मुझे एक लड़के से दोस्ती हुई, जिसका नाम सुनील यादव था। वह बहुत शांत व सरल स्वभाव का था। वह पढ़ने में शुरू से ही बहुत ज्यादा तेज और वह सब की ही रेस्पेक्ट भी करता था। उसे हमारे क्लास का मॉनीटर बनाए गया था और वह हमेशा मेरे साथ बैठता था।

उसके पापा एक शांति वास्ते और मेरे पापा भी किसान परिवार से ते तो हम दोनों की केमिस्ट्री बहुत  ही जचने लगी थी। वह हमेशा मेरे लिए ऐसा खाना लेकर आता था। हम दोनों में से स्कूल में साथ ही रहते थे। वह साथ स्टडी करते थे और हम दोनों के घर एक किलोमीटर के आस पास थे। तो दोनों साथ ही जाया करते थे।

उसने दसवीं क्लास में 76 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे वह हमारे स्कूल में सबसे ऊपर आया था। हम दोनों घूमने भी साथ ही जाते थे। हम दोनों ने एक साथ जयपुर का हवामहल, आमेर दुर्ग, नाहरगढ दुर्ग, अल्बर्ट हॉल को देखा। उसकी हमेशा से ही इतिहास में रूचि रही है और मेरी भी हमेशा से इतिहास में रूचि रही है। लेकिन सहयोग देखो हम दोनों ने 10 वी क्लास पास करते ही विज्ञान विषय ले लिया। उसने बगरु में बालाजी सोनी नर्सिंग कॉलेज मैं प्रवेश ले लिया और मैंने जयपुर के प्रसिद्ध महाराजा कॉलेज में प्रवेश ले लिया।

हम दोनों एक दूसरे से बिछड़ गए थे, लेकिन फिर भी हम एक दूसरे के साथ रहते थे। वह हमेशा मुझको गाइड करता रहता था। उसने नर्सिंग करके हॉस्टल ज्वाइन कर लिया और मैंने भी प्रयोगशाला सहायक का कोर्स करके हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया। अब हम दोनों भी साथ में ही रहते हैं। उसके माता-पिता और हमारे माता पिता भी बहुत अच्छे हैं, जिन्होंने हम दोनों को साथ रखा।

जीवन में दोस्ती महत्वपूर्ण है, दोस्तों हम बहुत सारी चीजें सीखते हैं, अच्छे और बुरे दोनों। वे हमारे आत्मसम्मान के लिए भी काम करते हैं। हम उनके माध्यम से सामाजिक रूप से खुद को पहचानने में अधिक सक्षम हैं। दोस्ती एक भगवान का बनाया ऐसा पैगाम है, जिसे कोई नहीं भुला सकता है।प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक दोस्त का होना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि एक दोस्त से हम वह बातें साझा कर सकते हैं, जो अपने माता-पिता से नहीं कर सकते।

दोस्ती के उदाहरण

लैला – मजनू की दोस्ती, अकबर बीरबल की दोस्ती, कृष्ण सुदामा की दोस्ती, श्री राम और सुग्रीव की दोस्ती, राधा कृष्ण की दोस्ती और जोधा अकबर की दोस्ती इत्यादि मित्रता है। भारत में प्राचीन काल से प्रसिद्ध है। हमारे भारतीय समाज में रील लाइफ की मित्र ता को तो स्वीकार किया जाता है। परंतु रियल लाइफ की मित्रता को स्वीकार नहीं किया जाता जिससे कुछ दोस्ती अपने आप ही टूट जाती है।

कृष्ण – सुदामा की दोस्ती

प्राचीन समय में भगवान कृष्ण और सुदामा कि दोस्ती के चर्चे आज भी कायम है। दोनों की दोस्ती इतनी पक्की थी, कि भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा का नाम सुनते ही द्वारिका से नंगे पैर हुए भागते हुए सुदामा को द्वार पर लेने आए और सुदामा की संपूर्ण गरीबी को मिटा दिया। दोस्ती में इतनी ताकत होती है कि वह अपने दोस्त के हर सुख दुख का हल निकाल ही लेता है। भगवान श्री कृष्ण द्वारिका के राजा बन गए, लेकिन उन्होंने सुदामा को कभी नहीं भुला।

श्री राम और सुग्रीव की दोस्ती        

जय श्री राम लंका पर आक्रमण करने गए तो उनकी दोस्ती हुई और श्री राम ने सुग्रीव को वचन दिया, कि वह बाली का वध करेंगे और उन्हें किष्किंधा का राजा बनाएंगे। श्री राम ने सुग्रीव को कभी भी अपने से छोटा नहीं समझा अपने दोस्त के समान ही समझा और उन्होंने सुग्रीव को अपने दोस्त के समान ही माना।

बदले में श्री सुग्रीव ने भी अपने संपूर्ण वानर सेना को रावण के विरुद्ध खड़ा कर दिया। दोस्त में इतनी ताकत होती है, कि गलत  को गलत और सही को सही कहने की ताकत होती है।

निष्कर्ष

सच्चा मित्र वह होता है, जिसे हम अपनी निजी जीवन की संपूर्ण बातें बता सकते हैं और वह उन बातों को गुप्त ही रखें, तो अपना सच्चा दोस्त कहलाता है और यह सच्चे दोस्त के एक शानदार गुण है। सच्चा मित्र हमें कभी भी नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करेगा। वह हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए ही प्रेरित करेगा ना कि वह अपनी टांग खिंचाई करेगा।
सच्चा मित्र कभी भी अपने पीठ पीछे बुराई नहीं करेगा।

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने मेरा अच्छा दोस्त पर निबंध (Mera Priya Mitra Par Nibandh) के बारे में सम्पूर्ण जानकरी आप तक पहुचाई है। मुझे उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई सवाल है तो वह हमें कमेंट बॉक्स में बता सकता है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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