Essay On Fair In Hindi: भारत देश में अलग-अलग त्योहार तथा कई देवी-देवताओं की जन्मतिथि पर मेले का आयोजन होता है। भारत में कई मेले जैसे रामदेव जी का मेला गोगाजी का मेला, पाबूजी का मेला इत्यादि काफी लोकप्रिय है।
भारत में जितने भी मेले होते हैं, उनमें घूमने का मजा बहुत आता है। क्योंकि लोगों के लिए मेले का कार्यक्रम काफी मनमोहक और आनंदित होता है। आज का हमारा ही आर्टिकल जिसमें हम Essay On Fair In Hindi के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाने वाले हैं।
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मेला पर निबंध | Essay On Fair In Hindi
मेला पर निबंध (250 शब्दों में)
हमारे देश हर बड़े त्योहारों पर बड़े बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। गांव और शहरों में आए दिन जब भी कोई त्यौहार आता है तो उस त्योहार पर मेले जरूर लग जाते हैं। मेले का आयोजन एक बहुत बड़े मैदान में किया जाता है। क्योंकि मेलों में बहुत बड़ी संख्या में लोग आते हैं तथा विभिन्न प्रकार की दुकानें मेलों में लगती है, इसीलिए मेलों का आयोजन बहुत बड़े मैदानों में किया जाता है।
हमारे देश की यही खासियत है, कि यहां त्योहारों पर भरपूर आनंद मिलता है तथा त्योहारों के अवसर पर मेले को देखने से भी मनोरंजन प्राप्त होता है। मेलों में ज्यादा से ज्यादा लोग मेला देखने के लिए जाते हैं। मेला हमारे जीवन में बहुत खुशी और आनंद ले कर आता है। मेलो की रौनक बच्चे हों या बड़े सभी के चेहरे पर देखने को मिलती है।
ज्यादातर मेलों का जो उत्साह बच्चों को होता है क्योंकि मेलों में बच्चों के मनोरंजन के बहुत से साधन होते हैं, बड़े-बड़े झूले, सर्कस, जादू के खेल और बच्चों के खाने पीने की चीजें सभी व्यवस्थाएं मेलों में देखी जा सकती है।
हमारे देश में मेलों का आयोजन इसलिए भी होता है कि इस के द्वारा सभी लोग घर परिवार के एक साथ मेले देखने का आनंद दे सकते हैं। मेलों के बहाने ही घर परिवार के लोग एक साथ एकजुट होकर इसके मनोरंजन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मेलो की रौनक देखने लायक होती है।
हमारे यहां पर सभी लोग अपने परिवार जनों के साथ जब मेला देखने जाते हैं। तो बहुत ही खुशी का अनुभव करते हैं, क्योंकि मेलों में विभिन्न तरह के खेलों का आयोजन किया जाता है। भारतीय उत्सव के जो मेले हैं वह मेलों के जान होते हैं। मेलों में विभिन्न तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
मेलों के आयोजन से उत्सव में चार चांद से लग जाते हैं। क्योंकि मेलों में मन को लुभाने वाले बहुत से मनोरंजन वाले दृश्य इनमें देखने को मिलते हैं। आज हर मनुष्य अपने कार्यों में व्यस्त रहता है। इन सभी के लिए तथा मनुष्य की थकान को दूर करने के लिए मनुष्य मेलों में जाकर अपनी थकान को दूर कर सकता है और वहां भरपूर मनोरंजन से खुद को आनंदित कर सकता है।
मेले पर निबंध (850 शब्दों में)
प्रस्तावना
हमारे भारत की भूमि को मेलों का देश भी कहा जाता है। क्योंकि पूरे देश में कहीं ना कहीं हर महीने मेले लगते रहते हैं। मेलों में धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। क्या आपने कभी सोचा है कि मेला किसे कहा जाता है? मेले के लिए किसी भी बड़े स्थान पर बहुत सारे लोगों को किसी सांस्कृतिक या व्यापारी कार्य के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा करना मेला कहलाता है।
हमारे जीवन में मेले का महत्व
मेले में व्यक्ति को बहुत राहत से मिलती है। क्योंकि व्यक्ति अपनी दैनिक दिनचर्या से बहुत थक जाता है तो मेले में जाकर उसको मनोरंजन की सभी चीजों को देखकर उसकी थकान में राहत मिलती है और उसको अच्छा लगता है। मेला बच्चों बड़ों सभी के लिए मनोरंजन का एक बहुत बड़ा स्त्रोत है।
भारत का सबसे बड़ा मेला “कुंभ मेला”
हमारे भारत में सबसे बड़ा मेला कुंभ का मेला लगता है, यह धार्मिक मेला होता है। कुंभ के मेले में लाखों की संख्या में साधु लोग इक्कटे होते हैं। उसके अलावा लाखों की संख्या में ही श्रद्धालु लोग एकत्रित होते हैं। लाखों करोड़ों लोगों की इस भीड़ को कुंभ का मेला कहा जाता है। हमारे देश में कुंभ का मेला प्रतिवर्ष लगता है। कुंभ के मेले का आयोजन हरिद्वार प्रयागराज इलाहाबाद नासिक इन जगहों पर किया जाता है सबसे बड़ा कुंभ का मेला प्रयागराज में लगता है।
शहर में मेले का एक अलग नाम
हमारे देश में मेलों को दो भागों में बांटा गया है। एक शहरी मेला दूसरा ग्रामीण मेला। शहरी मेले के अंतर्गत आमतौर पर पूरे 1 वर्ष में किसी एक निर्धारित तिथि पर मेले का आयोजन किया जाता है। भारत के शहरों में जो मेले लगते है। उनको ट्रेड फेयर बोला जाता है। उन ट्रेड फेयर में इंसान के द्वारा बनाई गई कलाकृतियां,गहने फर्नीचर,हैंडीक्राफ्ट और भी हर तरह की दुकानें लगती है, इससे व्यापार को बढ़ने के अच्छे अवसर मिलते हैं।
शहर के विभिन्न प्रकार के मेले
शहरी मेले कई प्रकार के लगते हैं, जैसे: किताबों के लिए मेला, पशु मेला, बड़े-बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए बड़े मेले और भी बहुत प्रकार के मेले लगाए जाते हैं। क्योंकि हमारे भारत की भूमि में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं तो आए दिन कभी भी और कभी पर भी मेले लगते ही रहते हैं। शहरी मेलों में लोगों की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए जाते हैं। मेलों के आयोजन में पुलिस का भी सहयोग लिया जाता है।
हमारे गांव के मेले
शहरों के मुकाबले हमारे गांव के मेले मुख्यतः छोटे लगते हैं। क्योंकि भारत में जो स्थानीय ग्रामीण मेले में दुकानें लगते हैं। वो दुकानदार खुद लगाते हैं और गांव के मेले में ज्यादातर खिलौने और मिठाइयों की दुकानें लगती है। बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूले, खेल और खिलौनों की दुकान तथा कुछ दुकानें घरेलू वस्तुओं से जुड़ी हुई लगती है।
गांव में दिवाली दशहरा होली जैसे बड़े त्योहारों पर मेले का आयोजन होता है। इस मेले में लोगों की धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखकर उत्सव के दौरान हर साल मेले का आयोजन किया जाता है।
मेले के मनोरंजन देने वाले खेल
हमारे देश में जब मेले लगते हैं तो उन् मेलों में खेलों का भी आयोजन किया जाता है। उन खेलों में जीतने वाले को इनाम मिलता है। इसके अलावा मेले में कुछ सांस्कृतिक प्रोग्राम भी आयोजित किए जाते हैं।
मेलों में दुकानदार अपनी वस्तुओं को चिल्ला चिल्ला कर बड़ी तेज आवाज में बेचते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक उनकी दुकान पर आए। उनको देखकर ऐसा लगता है। जैसे दुकानदार भी कोई खेल दिखा रहे हो।
मेलों में विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होता है। मेले में जादू दिखाने वाले का खेल बच्चों को बहुत प्रभावित करता है। इस खेल को बच्चों के साथ बड़े भी देख सकते हैं और भरपूर मनोरंजन को प्राप्त कर लेते हैं।
मेरे गांव का दशहरा का मेला
अक्सर देखा गया है कि गांव और शहरों में दशहरे के मेले का आयोजन किया जाता है। दशहरे का मेला नवरात्रों में शुरू हो जाता है। इस मेले में रामलीला का भी आयोजन होता है, जो विजय दशमी तक चलती है। इसके बाद दशहरे के दिन हमारे गांव के साथ साथ पूरे देश में भी हर जगह पर रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलाकर उन पर बुराई पर अच्छाई की जीत को प्राप्त किया जाता है।
हमारे गांव का मेला ज्यादा बड़ा तो नहीं। पर हां शहरों से कम भी नहीं लगता। जैसे भी हो पर हमारे गांव का दशहरे का मेला बहुत ही अच्छा लगता है। इस मेले के अंदर गांव के सभी लोग अपने अपने परिवार के साथ जाकर मेले का आनंद उठाते हैं। इसीलिए हमारे गांव का दशहरे का मेला आसपास के सभी गांव में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है।
मेले में अपनी भारतीय संस्कृति का भी प्रदर्शन
हमारे देश के हर राज्य में समय-समय पर जब भी त्यौहार और उत्सव आते हैं, उनमें मेलों का आयोजन होता है तो उन्हें एक खास बात देखने को मिलती है, वह है हमारी संस्कृति। क्योंकि जब भी कोई राज्य मैं त्यौहार और उत्सव के अनुसार मेलों का आयोजन किया जाता है तो उसमें हमारे देश की राज्य की सभी संस्कृतियों की झलक को बहुत अच्छे से देखने को मिलता है।
मेले में अधिक सावधानी पूर्वक रहना
जब भी हमारे देश में कहीं भी मेलों का आयोजन होता है तो उन मेलों की खुशी लोगों को इतनी होती है कि वह बेसुध हो जाते हैं। उसी चीज का फायदा हमारे समाज में कुछ असामाजिक तत्वों जैसे जेब कतरे उनका फायदा उठा लेते हैं और इससे लोग अपने कीमती चीजों को खो बैठते हैं।
ज्यादातर मेलों में मोबाइल और पर्स यह अपनी कीमती ज्वेलरी खोने का डर सबसे ज्यादा होता है। इसके लिए सभी लोगों को बहुत सतर्क रहना चाहिए। हालांकि इन सब के लिए हमारा पुलिस प्रशासन भी बहुत मदद करता है। लेकिन लोगों को उन जेब कतरों से बहुत ही सावधान रहना चाहिए।
निष्कर्ष
मेला हमारे मनोरंजन का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है। मेले में जाकर जब हम छोटी-छोटी चीजों का मोलभाव करते हैं और अपने बहन-भाई और परिवार के साथ अपना अच्छा समय बिताते हैं, इससे हमारे मन को बहुत प्रसन्नता का अनुभव होता है।
मेले में मनोरंजन के साथ साथ हमको अपने कुछ नैतिक कर्तव्यों के बारे में भी जागरूक रहना चाहिए। क्योंकि मेलों में कई बार बहुत बड़े बड़े हादसे हो जाते हैं। हमारे देश में मेले बहुत सुंदर लगते हैं ओर जैसे ही मेले खत्म हो जाते हैं। तो उनकी यादें हमारे दिल में हमेशा ताजा रहती हैं।
अंतिम शब्द
हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में मेले का भ्रमण जरूर करता है। मेला का भ्रमण करना काफी मनमोहक होता है। क्योंकि मेले में कई प्रकार की एक्टिविटी होती है। जिसकी वजह से व्यक्ति का मन संतुष्ट हो जाता है।
आज का आर्टिकल जिसमें हमने मेला पर निबंध(Essay On Fair In Hindi) के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।
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