यहां पर भाई दूज पर निबंध (Essay on Bhai Dooj in Hindi) शेयर कर रहे है। इस निबंध में भाई दूज के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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भाई दूज पर निबंध 250 शब्दों में (Essay on Bhai Dooj in Hindi)
दीपावली के त्योहार के बाद ठीक 3 दिन बाद भाई दूज का पर्व देश भर में मनाया जाता है। उस दिन भाई बहन के माथे पर टिका लगाती है और मीठा खिलाती है। यह भाई बहन के रिश्ते पर आधारित प्रेम का पर्व पूरे रीती-रिवाज़ से पूरे देश मे मनाया जाता है।
एक भाई दूज दीपावली के बाद आता है और दूसरा भाई दूज रक्षाबंधन के बाद आता है। दीपावली के बाद भाई दूज आता है, उस दिन केवल विवाहित बहन ही भाई को टीका लगा सकती है और जो रक्षाबंधन के बाद भाई दूज आता है, उस में सभी बहने अपने भाई को टीका लगा सकती है।
भाई दूज के पर्व को हिन्दू लोग कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में मनाते है। भाई दूज के त्यौहार पर देश भर में सभी बहनें अपने भाई को माथे पर तिलक लगाकर अपने भाई की लम्बी उम्र के लिये भगवान से दुआ करती है।
भाई भी अपनी बहन को बदले में उपहार देता है और अपनी बहन की सुरक्षा के लिये अपने प्राण भी देने का वादा करता है। भाई दूज भाई बहन के प्रेम का पर्व होता है, इस दिन बहन-भाई के लिये के लम्बी उम्र और सुरक्षित भविष्य के लिये भगवान से कामना करती है।
प्राचीनकाल में यमुना जी ने अपने भाई यमराज को माथे पर तिलक लगाया और पूरे आदर सम्मान के साथ अपने घर में भोजन करवाया और अपने भाई के दीर्घ आयु की कामना करते हुये उनकी सुरक्षा की भी कामना की।
उस दिन पूरे यम लोक में खुशियाँ मनायीं गई। तभी से इस पर्व का नाम द्वितीया यम दिया गया।द्वितीया यम त्योहार को ही भाई दूज का पर्व कहा जाता है।
भाई दूज पर निबंध 500 शब्दों में (Bhai Dooj Par Nibandh)
भाई दूज क्या है?
भाई दूज का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है, इस त्यौहार में बहन अपने भाई के लिए व्रत रखती है एवं पूजा भी करती है। वह ऐसा इसलिए करती है क्योंकि उसके भाई की दीर्घायु हो सके एवं उन दोनों के बीच में प्यार एवं समझ दोनों की वृद्धि हो सके।
इस त्यौहार की मदद से बहन अपने भाई की आयु, कार्यों इत्यादि चीजों में वृद्धि होने के लिए करती है और इस व्रत को बहन बड़े ही प्रेम भाव से एवं निस्वार्थ मन से करती हैं ताकि उनके भाई अपने जिंदगी में आगे बढ़ सके एवं उनकी सर्व मनोकामना पूर्ण हो सके।
इस दिन बहन अपने भाई के कल्याण एवं आयु में वृद्धि के लिए व्रत रखती है। वहीँ भाई भी अपनी बहन के लिए भगवान से प्रार्थना करता है कि उसकी बहन हमेशा खुशहाल रहे, उसके जीवन में कोई भी कष्ट ना आए वैसे आमतौर पर तो भाई एवं बहन के बीच के प्रेम को बढ़ाने के कई त्यौहार हैं। लेकिन उनमें से भाई दूज का त्यौहार एक बहुत ही अनोखा त्यौहार है।
भाई दूज का त्यौहार कब मनाया जाता है?
भाई दूज का त्यौहार प्रत्येक वर्ष दीपावली के 3 दिन पश्चात मनाया जाता है। अर्थात 2023 में भाई दूज का त्यौहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा।
भाई दूज का त्यौहार को लेकर मान्यताएं
ऐसा माना जाता है कि इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर सम्मान पूर्वक भोजन कराती है और जो भी भाई अपने बहन के अतिथि को स्वीकार करता है तथा जो भी बहन अपने भाई पूरी श्रद्धा के साथ अपने भाई को आधार एवं सत्कार के साथ तिलक लगाकर भोजन कराती है तो उन्हें यमराज अर्थात मृत्यु का भय नहीं रहता और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो भी भाई भाई दूज के दिन अपने बहन के यहां भोजन करता है तो उसे अकाल मृत्यु का कोई भी भय नहीं रहता और साथ ही साथ ऐसी भी मान्यता है कि यदि इस दिन भाई बहन इस पर्व को विधि विधान के साथ मनाते हैं तो इस दिन यदि भाई के साथ कोई भी घटना हो जाए तो यमराज उसके प्राण को नहीं हरेंगे।
ऐसा भी माना जाता है कि इस पर्व को मनाने से भाई बहन को धन धान्य, संपत्ति और असीमित सुख की प्राप्ति होती है।
भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है नीचे हमने प्रचलित कथा के अनुसार बताया है:
आप इतना तो अवश्य ही जानते होंगे कि हिंदू धर्म का कोई भी त्यौहार हो, उसको लेकर उसके पीछे कोई न कोई कथा अवश्य ही होती है, इसी प्रकार भाई दूज त्यौहार को लेकर भी एक प्रचलित कथा है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण एवं उनकी बहन सुभद्रा का वर्णन है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण नरकासुर का वध करने के पश्चात वापस आ रहे थे और वध करने के पश्चात वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने उनके घर चले गए।
वहां पर उनकी बहन सुभद्रा श्री कृष्ण जी से मिलकर बहुत प्रसन्न हुई और उनको आदर एवं सरकार के साथ तिलक लगाया एवं उन्हें बड़े प्रेम भाव से भोजन भी कराया। तब से प्रत्येक वर्ष इसी ही दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है।
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प्रस्तावना
दुनियाभर में भाई दूज का पर्व बड़े ही धूम -धाम से मनाया जाता है। भाई-बहन का रिश्ता प्रेम और पवित्रता होता है, जो यह पर्व संसार भर में सभी लोग मानते है। भाई बहन एक-दूसरे के प्रति प्रेम और ध्यान की भावना रखते है। इसी प्रेम को दर्शाने के लिये भाई दूज जैसा पर्व मनाया जाता है।
इस त्योहार के दिन भाई-बहन सारे आपसी मनमुटाव को भूलकर स्नेहपूर्वक भाई दूज पर्व का आनंद लेते इस त्योहार को पूरी श्रद्धा से मानते है। भाई दूज का त्यौहार दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है और दीपावली के दूसरे दिन विवाहित बहनें गोबर की गोवर्धन बनाकर उनको अपने घर मे पूजा अर्चना करके खाना खिलाती है।
उसके बाद अपने घर में भाई को बुलाकर भाई दूज पर्व का टीका लगाकर भोजन करवाती है और भगवान से अपने भाई के लम्बी आयु के लिए और उसकी सुरक्षा की कामना करती है।
भाई दूज की कथा
सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया था, छाया ने दो बच्चों को जन्म दिया। दोनों भाई-बहन का नाम युमना और यमराज नाम उनकी माताजी छाया ने रखा था। जैसे-तैसे युमना बड़ी हुई और उन्होंने प्रेमपूर्वक भाई यम को अपने घर में भोजन के आमंत्रित किया था। यम अपने काम मे बहुत व्यस्त रहते थे, इसी कारण से वह यमुना की बात का मान नहीं रख पाते थे।
एक दिन अचानक यमराज यमुना के घर मे जा कर जैसे ही द्वावर मे पहुचे युमना अपने भाई को देख कर बहुत ज्यादा खुश हुई। उन्होंने भाई का अच्छे मन से स्वागत सत्कार किया और भोजन करवाया और माथे तिलक लगाया।
यमुना ने अपने भाई यम से कहा कि आप हर वर्ष मेरे घर भोजन करने आया करिये ताकि किसी भी बहन को अपने भाई को टीका लगा कर खाना खिलाने बाद किसी प्रकार का आपके ऊपर कोई भय नहीं रहे। यम यमुना की बात सुनकर प्रसन्न हुए और उनको आने का वादा देकर यमपुरी लौट गए।
भाई दूज कैसे मनाते है?
भाई दूज मनाने के लिये बहन भाई को खाने के लिए अपने घर बुलाती है और खाने में कोई भी मीठा व्यंजन बनाती। क्योंकि मीठा खिलाने से भाई बहन के रिश्ते में और भी अधिक मिठास बनी रहेगी। भाई दूज मनाने के परम्परा पूरे देश में होती है, मीठे में चावल की खीर को अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए लोग मीठे खीर बनना ज्यादा पसंद करते है।
यह त्योहार रक्षाबंधन की तरह होता है, लेकिन सिर्फ इतना फर्क होता है कि रक्षाबंधन में बहन भाई की कलाई पर राखी बाँधती है और भाई दूज में बहन-भाई के माथे में हल्दी, चंदन, कुमकुम से टीका लगती है और भाई की सुरक्षा के लिये भगवान से दुआ मांगती है कि उसके जीवन में हमेशा खुशियाँ बरकरार रहे और उसके जीवन की राह में कोई मुश्किल ना आये और बदले में भाई बहन के लिये उपहार लाता है और उसको आशीर्वाद देता है कि मेरी प्यारी बहना हमेशा खुश रहे और मैं तुझे हमेशा खुश रखूँगा।
भाई दूज का महत्व
हिन्दू धर्म में भाई दूज का पर्व भाई-बहन का अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक मानते है। भाई-बहन के प्रमुख दो त्योहार मनाये जाते है। एक रक्षाबंधन और दूसरा भाई दूज । इन दोनों त्योहारों को बहुत महत्व दिया जाता है।
इन त्योहारों का विशेष महत्व यह होता है कि भाई-बहन अपने प्रेम और रिश्ते को मजबूत करके इस त्योहार को बहुत अधिक महत्वपूर्ण बना देते है। अलग-अलग स्थान में भाई दूज अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
नेपाल में भाई दूज: नेपाल में भाई दूज को भाऊ टिका के नाम से जाना जाता है, वहां पर भाई दूज का अलग ही नाम रखा गया। वहां पर बहुत धूम-धाम से भाऊ टिका मनाते है और भाई-बहन एक दूसरे के प्रति प्रेम और आदर भाव बनाये रहते है।
महाराष्ट्र में भाई दूज: महाराष्ट्र में भी भाई दूज का पर्व बहुत प्रसिद्ध त्योहार माना जाता था। वहां पर भाई दूज को भाऊ बीज का नाम से जानते थे। महाराष्ट्र में इस पर्व को पूरे ऐतिहासिक और धार्मिक परम्परा के साथ मनाया जाता है।
उपसंहार
हमारे पूरे भारत देश में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है और इस पर्व में बहन भाई के लिये भगवान के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करती है कि जिस हाथों में भाई के रक्षा वाले हाथ हमेशा उसके सर मे यूँही बरकरार रहे।
भाई-बहन का प्रेम सबसे अलग ही होता है। भाई बचपन से ही अपने बहन के प्रति चिंतित रहता है और बहन के प्रति उसका प्रेम हमेशा बरकरार रहता है। भाई दूज का पर्व और रक्षाबंधन का त्योहार दोनों को एक ही महत्व दिया गया है।
अंतिम शब्द
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