Essay On Basant Panchami In Hindi: बसंत पंचमी त्यौहार जिसके बारे में हर व्यक्ति जानता है। आज के आर्टिकल में हम बसंत पंचमी पर निबंध के बारे बात करने वाले है। हम यहां पर बसंत पंचमी पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में बसंत पंचमी के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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विषय सूची
बसंत पंचमी पर निबंध | Essay On Basant Panchami In Hindi
बसंत पंचमी पर निबंध (250 Word)
यह माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती इसी तिथि को ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थी। इस वजह से ही इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। बसंत पंचमी के दिन से ही भारत में वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। इस पूजा की विधि कि यदि बात की जाए तो, बसंत पंचमी पर सूर्योदय के पश्चात एवं दिन के मध्य भाग में पूजा की जाती है। इस दिन पीले वस्त्रों को धारण कर मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
वसंत पंचमी सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त होती है। जैसे विद्यारंभ, गृह प्रवेश आदि इसे पुराणों में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।सरस्वती जी को अन्य नामों से भी संबोधित किया जाता है जैसे-वीणा की देवी सरस्वती, बागेश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादिनी आदि। इन सभी नामों का उच्चारण करते हुए इस दिन पूजा की जाती है। मां सरस्वती विद्या और बुद्धि की प्रदाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ही इन्हें संगीत की देवी कहा जाता है।
बसंत पंचमी, वसंत की शुरुआत करने वाला त्यौहार है जो,कई मायनों में खास होता है। लोग रंगीन कपड़े पहनते हैं। और मौसमी खाद्य पदार्थ व व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इस मौसम में लोग पतंग उड़ाते हैं। और अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वसंत पंचमी त्योहार मैं पीला रंग विशेष महत्व रखता है, इसे बसंती रंग के रूप में भी जाना जाता है। यह समृद्धि प्रकाश ऊर्जा का प्रतीक है। इस कारण लोग पीले वस्त्रों को धारण करते हैं और पारंपरिक रूप से पूजा अर्चन कर मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बसंत पंचमी पर निबंध (800 Word)
प्रस्तावना
यह त्यौहार माघ महीने की शुक्ल पंचमी को मनाया जाता हैं। यह पर्व जनवरी या फरवरी माह में आता हैं। बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थी व अन्य सभी लोग सरस्वती जी की पूजा करते हैं। बहुत सारे लोग अनेक स्थानों पर जाकर सरस्वती माता की प्रतिमा के दर्शन करते हैं। बसंत पंचमी बसंत ॠतु के शुभागमन का प्रतीक मानी जाती हैं।
बसंत ॠतु के पांचवे दिन के रूप में बसंत पंचमी मनाई जाती हैं। कई लोगों का मानना है कि बसंत पंचमी के दिन बसंत ॠतु का आगमन होता हैं।
बसंत पंचमी कैसे मानते है?
हिंदी सरस्वती माता की जन्म दिवस की रुप में मनाया जाता हैं। इस दिन सरस्वती माता की पूजा की जाती हैं। इस दिन मौसम बहुत ही सुहावना होता हैं। इस दिन को बहुत शुभ माना जाता हैं।
कई शुभ कार्य करने के लिये लोग इस दिन का इंतजार करते हैं। भारत-बांग्लादेश नेपाल में बंसत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता हैं। ग्रामीण क्षेत्रो में सरसों के पिले फूल खिलते हैं, जो कि बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। इससे धरती और खिल उठती हैं। इस मौसम में पेड़-पौधे खेल उठते हैं। इस मौसम मैं न ज्यादा गर्मी ना हीं सर्दी होती है इसलिए मौसम बहुत ज्यादा सुहावना लगता हैं।
बसंत पंचमी का मौसम
इस मौसम में कोयल गीत गाती है, पंछी गुनगुनाते हैं, फूल खिलते हैं, जिससे की यह धरती और रंग- बिरंगी हो जाती हैं। बसंत ॠतु को ॠतुराज कहा जाता हैं। बसंत ॠतु का मौसम कृषकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। इस समय फसलें पक जाती है, उनको काटने का यह सही समय होता हैं। सब में उमंग की लहर चल पडती हैं।
सरस्वती माता संगीत की देवी मानी जाती है इसलिए सभी कलाकार भी इस दिन सरस्वती माता की पूजा करते हैं। लोग बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनते हैं। सरस्वती माता को पीले पुष्प चठाए जाते हैं। इस दिन सरस्वती माता के नाम का उपवास रखा जाता हैं। बसंत पंचमी के त्यौहार मे पीले रंग का बहुत अधिक प्रभाव होता हैं।
बसंत पंचमी का आयोजन
पीला रंग खुशी ,समृद्धि, उर्जा प्रतीक होता है इसीलिए लोग पीले वस्त्र, पीले पुष्प, पीली मिठाई सरस्वती माता को अर्पित करते हैं। बसंत पंचमी के इस अवसर पर बढ़िया- बढ़िया पकवान और भोजन बनाए जाते हैं। जिसे लोग आनंद से खाते हैं। भारतीय मानयता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन छोटे बालकों को प्रथम बार कोई अक्षर लिखाया जाता हैं।
सरस्वती माता बुद्धि और ज्ञान की देवी होती है। सरस्वती माता संगीत व शिक्षा की देवी मानी जाती हैं। इस दिन सुबह के समय लोग अपने घरों में और बच्चे अपने विद्यालय में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं। भारत के सभी विद्यालयों में बसंत पंचमी त्यौहार मनाया जाता हैं।
बच्चों के लिए बसंत पचमी का अवसर
बसंत पंचमी का त्यौहार बच्चे और बड़े पतंग उड़ाकर मनाते हैं। इस दिन लोग बसंती पोशाक पहनकर और बसंती पकवान बनाते है। विद्यार्थी बसंत पंचमी के दिन अपनी सारी पुस्तके सरस्वती माता की चरणों में रखकर शीश झुकाकर आशीर्वाद लेते हैं। ताकि वह शिक्षा की क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन सुबह उठकर बेसन लगाकर नहाना चाहिए क्योंकि सरस्वती माता को पिला रंग पसंद हैं। पौराणिक मान्यता- प्राचीन समय में राजा हाथी पर विराजमान होकर पूरे नगर में घूमते थे, फिर मंदिर जाते थे। पूजा होती थी। इस मौसम में गेहूं जौ चना सभी फसलें पक जाती हैं। इसलिए सब लोग इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
बसंत पचमी मनाने का कारण
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन का संबंध कालिदास से हैं। कालिदास ने एक सुंदर राजकुमारी से विवाह किया। जब राजकुमारी को पता चला कि कालिदास बेवकूफ हे, तो उसने कालिदास का मजाक बनाया। तब कालिदास आत्महत्या करने के लिए जलाशय के पास गये। तभी सरस्वती माता प्रकट हुई उन्होंने कालिदास तो जलाशय में डूबकी लगाने के लिए कहा। ऐसा करने के बाद से ही कालिदास साहित्य से संबंधित श्रेष्ठ कविताएं लिखने लगे। अपनी पत्नी को गलत साबित किया। इस प्रकार बसंत पंचमी के दिन लोग सरस्वती माता की पूजा करते हैं।
बसंत पचमी का महत्त्व
बसंत पंचमी का त्यौहार लोगों के लिए बहुत खास होता है। यह त्यौहार फसल के पकने की ख़ुशी में मनाया जाता है। यह त्यौहार देश का मुख्य त्यौहार है। भारत में सभी विद्यालयों में इस त्यौहार को मुख्य रूप से मनाया जाता है। स्कूल में इस दिन सभी विधार्थी गण माँ सरस्वती की पूजा करते है। बसंत पंचमी का अवसर के दिन स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
निष्कर्ष
बसंत पंचमी का अवसर माँ सरस्वती दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन होता है। स्कूल के अलावा सभी सरकरी कार्यालयों में इस दिन छुट्टी रहती है। यह त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगो के लिए काफी खास है। इस दिन का महत्व इसलिए ज्यादा हो गया है क्योंकि इस दिन को फसल पकने के उपलक्ष में भी मनाया जाता है।
अंतिम शब्द
आज के आर्टिकल में हमने बसंत पंचमी पर निबंध के बारे में बात की है। मुझे उम्मीद है, की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल है। तो वह हमें कमेंट के पूछ सकता है।
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