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बैसाखी पर निबंध

Essay On Baisakhi In Hindi: हमारा देश विभिन्नताओं में एकता वाला देश है। यहां पर विभिन्न जात धर्म के लोग रहते हैं, जिनका अपना-अपना विशेष पर्व त्यौहार होता है।

बैसाखी पर्व विशेष रूप से सिख धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। सिखों का एक महत्वपूर्ण पर्व होने के कारण विद्यालयों में बच्चों को बैसाखी पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है।

Essay On Baisakhi In Hindi

इस लेख में 150, 250, 350 और 500 शब्दों में बैसाखी पर निबंध लेकर आए हैं। इस लेख को पढ़कर बच्चे बैसाखी पर्व के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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बैसाखी पर निबंध 150 शब्दों में (Essay On Baisakhi In Hindi)

बैसाखी का त्योहार सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। बैसाखी का पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन कई कारणों से सिख समुदाय के लिए विशेष है।

इस दिन को सिख धर्म के लोग नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। इसके साथ ही रबि की फसल काटने की खुशी में भी इस दिन को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

यह दिन सिखों के लिए महत्वपूर्ण होने का एक और कारण है कि इसी दिन वर्ष 1699 में सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह के द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। इसीलिए भारत सहित पूरे दुनिया के जिन-जिन देशों में सिख धर्म के लोग बसे हुए हैं, उन सभी लोगों के लिए बैसाखी का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण और विशेष पर्व है।

सभी पंजाब और हरियाणा प्रांत के सिख लोग बैसाखी पर्वों को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन सभी सिख भाई अपने-अपने मित्रों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों से मिलकर उन्हें बैसाखी पर्व की शुभकामना देते हैं।

अपने परिवार के साथ गुरुद्वारा जाते हैं। इस दिन सुबह से शाम तक गुरुद्वारे में भजन कीर्तन होता है। इसके साथ ही लंगर का भी आयोजन होता है।

बैसाखी पर निबंध 250 शब्दों में (Baisakhi Essay in Hindi)

सिख समुदाय के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक बैसाखी पर्व है, जो हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है। बैसाखी को वसाखी भी कहा जाता है। यह त्यौहार सभी सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है।

सिखों के तीसरे गुरु गुरु अमरदास के द्वारा बैसाखी पर्व को सिखों के मुख्य त्योहार के रूप में शामिल किया गया था। तब से ही सभी सिख समुदाय के लोग इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। यह पर्व सिखों के लिए नव वर्ष के रूप में होता है।

यह दिन सिखों के लिए महत्वपूर्ण होने का एक और कारण है कि इसी दिन 1699 में सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। यह दिन रबि की फसल की कटाई का जश्न मनाने का भी दिन होता है। इस तरह विभिन्न कारणों से यह दिन सिख धर्म के लिए एक उत्साह का दिन होता है।

बैसाखी पर्व का जश्न पूरे देश में देखने को मिलता है। क्योंकि पूरे देश के हर एक कोने में सिख धर्म के लोग बसे हुए हैं। लेकिन विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में एक अलग ही झलक दिखाई देती है।

बैसाखी के दिन पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर जिसे हर मंदिर साहिब के रूप में भी जाना जाता है, जो कि सिखों का एक पवित्र स्थान है बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। बैसाखी पर्व के दिन स्वर्ण मंदिर को देखने के लिए देशभर से लोग इकट्ठे होते हैं।

इस दिन गुरुद्वारे में भजन कीर्तन होता है। बैसाखी के दिन मेला और जुलूस का भी आयोजन होता है, जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। जुलूस में लोग नाचते गाते और पटाखे फोड़ते हैं। लोग अपने रिश्तेदार और मित्रो से मिलकर उन्हें बैसाखी पर्व की शुभकामना देते हैं।

बैसाखी पर निबंध (350 शब्दों में)

भारत त्योहारों का देश है। यहां पर हर एक जात धर्म से जुड़ा हुआ विशेष पर्व है। बैसाखी का पर्व सिख समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व होता है, जिसे हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है।

वसाखी के नाम से जाना जाने वाला बैसाखी का पर्व सभी सिख समुदायों के लिए एक विशेष दिन होता है। बैसाखी पर्व सिख समुदायों के द्वारा रबि की फसल की कटाई के खुशी में भी मनाया जाता है।

इस दौरान रबि की फसल कट जाती है, जिसके लिए सबसे पहले कटे हुए फसल से भगवान के लिए प्रसाद बनते हैं और भगवान को भोग लगाकर अच्छे फसल के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हैं। बैसाखी का पर्व सिख समुदायों के लिए नया वर्ष भी होता है। जिस तरह हिंदू कैलेंडर के अनुसार चेत्र महीने को नया वर्ष माना जाता है।

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को नया वर्ष माना जाता है ठीक उसी तरह सिख धर्म के कैलेंडर के अनुसार बैसाखी का दिन उनके लिए नया साल होता है। इस दिन वे  अपने सभी रिश्तेदारों व मित्रों को नए वर्ष की शुभकामना देते हैं।

बैसाखी का पर्व मनाने की शुरुआत सिखों के तीसरे गुरु गुरु अमरदास के द्वारा किया गया था। उन्होंने ही सिख समुदायों के लिए दिवाली और मकर संक्रांति जैसे त्योहारों के साथ बैसाखी के पर्व को भी शामिल किया था। उसके बाद बैसाखी के दिन ही सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

बैसाखी का पर्वत सिख समुदाय के द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। न केवल भारत बल्कि दुनिया के जिन-जिन देशों में सिख समुदाय के लोग रहते हैं, वहां इस पर्वों को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं।

उनके इस पर्व में दूसरे जात धर्म के लोग भी हिस्सा लेते हैं और इस पर्व का आनंद उठाते हैं। भारत में बैसाखी पर्व के दिन पंजाब हरियाणा प्रांत में मेले का आयोजन होता है। बच्चे बड़े बुजुर्ग सभी लोग मेला घूमने के लिए जाते हैं।

बैसाखी के दिन सभी गुरुद्वारा को अच्छे से साफ करके सजाया जाता है। लोग सुबह-सुबह स्नान करके नया पोशाक पहनने के बाद सबसे पहले गुरुद्वारे जाकर माथा टेकते हैं। गुरुद्वारे में भजन कीर्तन और गुरु वाणी का भी आयोजन होता है।

सभी भक्तगण गुरुद्वारे में बैठकर भजन कीर्तन का लुफ्त उठाते हैं। इस तरह बैसाखी के दिन सिख समुदायों में बहुत ही चहल-पहल होती है।

बैसाखी पर निबंध (500 शब्दों में)

प्रस्तावना

बैसाखी एक हिंदू पर्व है और विशेष रूप से सिख समुदाय के लोगों के द्वारा इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी पर्व सिख समुदायों के लिए एक नया वर्ष होता है। हर साल यह पर्व 13 अप्रैल को मनाया जाता है। इस पर्व को वसाखी के नाम से भी जाना जाता है।

सिखों के लिए बैसाखी पर्व का महत्व

बैसाखी पर्व कई कारणों से महत्वपूर्ण है। बैसाखी का पर्व सिख धर्म के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पर्व को सिखों के तीसरे गुरु गुरु अमरदास ने सिखों के प्रमुख त्योहारों में इसे शामिल किया था।

सिख धर्म के लोग बैसाखी को नए साल की शुरुआत का प्रतीक मानते हैं। इसलिए यह नए वर्ष का जश्न मनाने का दिन है। इसके साथ ही रबि की फसल की कटाई के जश्न में भी यह त्यौहार मनाया जाता है। क्योंकि बैसाखी के समय रबि फसल उग जाती है।

इस पर्व को मना कर किसान भगवान को अच्छा फसल देने के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हैं। सिखों के लिए यह पर्व विशेष होने का एक और महत्वपूर्ण कारण है कि इसी दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने 1699 ईस्वी में खालसा पंथ का गठन किया था।

हिंदुओं के लिए बैसाखी का महत्व

वैसे बैसाखी का पर्व विशेष रूप से सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है। क्योंकि उनके लिए यह एक नया साल होता है। लेकिन हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी बैसाखी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है।

सनातन शास्त्रों के अनुसार बैसाखी के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इतना ही नहीं प्राचीन भारत में बैसाखी के दिन ही महाराजा विक्रमादित्य के द्वारा विक्रम संवत की शुरुआत की गई थी।

इसके साथ ही त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने भी अयोध्या में रामराज की स्थापना बैसाखी के दिन ही की थी। इस प्रकार यह पर्व सिखों के साथ ही साथ हिंदुओं के लिए भी विशेष महत्व रखता है।

बैसाखी का पर्व कैसे मनाया जाता है?

बैसाखी पर्व के दिन पंजाब हरियाणा क्षेत्र में काफी ज्यादा लोगों में उमंग देखने को मिलती है। इस दिन सिख समुदाय के लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और फिर सबसे पहले अनाज की पूजा करते हैं।

उसके बाद सिख समुदाय के लोग नजदीकी सभी गुरुद्वारा को भव्य तरीके से सजाते हैं। गुरुद्वारे में सुबह से शाम तक भजन कीर्तन और गुरुवाणी का आयोजन किया जाता है।

बड़ी संख्या में लोग नई पोशाक पहन के गुरुद्वारे में इकट्ठा होते हैं और माथा टेक कर बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन सभी लोग अपने मित्रों व रिश्तेदारों को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा करते हैं और बैसाखी पर्व की शुभकामना देते हैं।

बैसाखी का मेला

बैसाखी के दिन हर साल हर शहर या मोहल्ले में एक मेल जरूर लगता है और यह मेला धार्मिक जगह पर, पवित्र जगह पर लगता है जैसे कि किसी मंदिर के बाहर, किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे। इस मेले में तमाम तरह की चीजे बिकती है।

फल, खिलौना, चाट, मिठाई सभी चीजों की दुकानें लगते हैं। मेले में बच्चे, बुजुर्ग सभी लोग जाते हैं। बच्चे अनेक प्रकार के झूले में झूलते हैं। इसके अलावा जादूगर, बाजीगर, अनेक नट भी आते हैं, जो लोगों का मनोरंजन करते हैं।

बैसाखी के मेले में लोक नृत्य का भी प्रदर्शन होता है। इस लोक नृत्य में पुरुष और महिलाओं की एक टोली होती हैं, जो ढोल नगाड़े के तान पर लोक नृत्य का प्रदर्शन करके लोगों का मनोरंजन करते हैं।

निष्कर्ष

यहां पर अलग अलग शब्दों में बैसाखी पर निबंध जाना है उम्मीद करते हैं। आपको यह निबन्ध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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